1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कहां खो गई देशभक्ति गीतों की परंपरा

२६ जनवरी २०१७

हिंदी सिनेमा में देशभक्ति अब गीतों के जरिए उस तरह नहीं दिखाई देती, जैसी 1990 के दशक से पहले थी. इक्का-दुक्का कोई एक गीत आता है तो वह भी उस कदर हिट नहीं होता जबकि हिंदी सिनेमा ऐसी एक परंपरा रही है.

Indien | Feierlichkeiten zum India Republic Day
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh

भारतीय सिनेमा जगत में देशभक्ति से परिपूर्ण फिल्मों और गीतों की एक अहम भूमिका रही है और इसके माध्यम से फिल्मकार लोगों में देशभक्ति के जज्बे को आज भी बुलंद करते हैं. हिन्दी फिल्मों में देशभक्ति फिल्म के निर्माण और उनसे जुड़े गीतों की शुरुआत 1940 के दशक से मानी जाती है. निर्देशक ज्ञान मुखर्जी की 1940 में प्रदर्शित फिल्म ‘बंधन' संभवतः पहली फिल्म थी जिसमें देश प्रेम की भावना को रूपहले परदे पर दिखाया गया था. यूं तो फिल्म बंधन मे कवि प्रदीप के लिखे सभी गीत लोकप्रिय हुए लेकिन ‘चल चल रे नौजवान' गीत ने आजादी के दीवानों में एक नया जोश भरा. वर्ष 1943 में देश प्रेम की भावना से ओत प्रोत फिल्म 'किस्मत' आई. फिल्म ‘किस्मत' में प्रदीप के लिखे गीत 'आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है, दूर हटो ए दुनियां वालो हिंदुस्तान हमारा है' जैसे गीतों ने स्वतंत्रता सेनानियों को आजादी की राह पर बढ़ने के लिये प्रेरित किया. यूं तो भारतीय सिनेमा जगत में वीरों को श्रद्धांजलि देने के लिये अब तक न जाने कितने गीत बने हैं लेकिन 'ऐ मेरे वतन के लोगो जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी' की बात ही कुछ और है. एक कार्यक्रम के दौरान इस गीत को सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आंखों में आंसू छलक आये थे.

देखिए, इन चीजों से याद आता है बस भारत

वर्ष 1952 में रिलीज फिल्म 'आनंद मठ' गीत 'वंदे मातरम' आज भी दर्शकों और श्रोताओं को अभिभूत कर देता है. इसी तरह 'जागृति' में हेमंत कुमार के संगीत निर्देशन में मोहम्मद रफी की आवाज में रचा बसा यह गीत 'हम लाये है तूफान से कश्ती निकाल के' श्रोताओं मे देशभक्ति की भावना को जागृत करता है. मोहम्मद रफी ने कई फिल्मों में देशभक्ति वाले गीत गाये हैं. जैसे 'ये देश है वीर जवानो का', 'वतन पे जो फिदा होगा अमर वो नौजवान होगा', 'अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं', 'उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता जिस मुल्क की सरहद की निगाहबान हैं आंखें', 'आज गा लो मुस्कुरा लो महफिले सजा लो', 'हिंदुस्तान की कसम ना झुकेंगे सर वतन के नौजवान की कसम' और 'मेरे देशप्रेमियो आपस में प्रेम करो देशप्रेमियों' आदि.

कवि प्रदीप के साथ साथ प्रेम धवन को देशभक्ति गीतों के लिए याद किया जाता है. उनके लिखे 'ऐ मेरे प्यारे वतन', 'मेरा रंग दे बसंती चोला', 'ऐ वतन ऐ वतन तुझको मेरी कसम' जैसे गीत आज भी लोगों को पसंद हैं. वर्ष 1965 में निर्माता-निर्देशक मनोज कुमार के कहने पर प्रेम धवन ने फिल्म 'शहीद' के लिए संगीत निर्देशन किया. यूं तो फिल्म शहीद के सभी गीत सुपरहिट हुए लेकिन 'ऐ वतन, ऐ वतन' और 'मेरा रंग दे बंसती चोला' आज भी श्रोताओं के बीच शिद्दत के साथ सुने जाते हैं.

तस्वीरों में: देशभक्तों के तीर्थ स्थल

भारत-चीन युद्ध पर बनी चेतन आंनद की वर्ष 1965 में प्रदर्शित फिल्म 'हकीकत' भी देशभक्ति से परिपूर्ण फिल्म थी. मोहम्मद रफी की आवाज में कैफी आजमी का लिखा यह गीत 'कर चले हम फिदा जानों तन साथियो, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों' आज भी श्रोताओं में देशभक्ति के जज्बे को बुलंद करता है.

1990 और 2000 के दशक में भी ऐसे कई गीत आए जिन्होंने लोगों की देशभक्ति को आवाज दी. फिल्म रोजा का गीत 'भारत हमको जान से प्यारा है', परदेस का गीत 'ये दुनिया एक दुल्हन, दुल्हन के माथे की बिंदिया ये मेरा इंडिया' और सरफरोश फिल्म का गीत 'जिंदगी मौत ना बन जाये संभालो यारो' ऐसे ही कुछ गीत हैं.

वीके/एके (यूएनआई)

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें