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समाज

पेगाससः फ्रांस के राष्ट्रपति ने बदला फोन

२३ जुलाई २०२१

फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने अपना फोन और नंबर बदल लिया है. एक अखबार ने खबर दी थी कि माक्रों का फोन भी पेगासस कांड में निशाने पर था.

तस्वीर: Sebadelha Julie/Abaca/picture alliance

पेगासस सूची में नाम आने के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने अपना फोन और फोन नंबर दोनों बदल लिए हैं. गुरुवार को उनके दफ्तर ने यह जानकारी दी. पेगासस कांड में यह पहली ठोस कार्रवाई है.

गुरुवार को उनके दफ्तर ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "उनके पास कई फोन नंबर हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी जासूसी हो रही थी. ऐसा बस अतिरिक्त सुरक्षा के लिए है.”

उधर फ्रांस सरकार के प्रवक्ता गाब्रिएल अटाल ने कहा कि इस घटना के मद्देनजर राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, "बेशक, हम इसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं.”

फ्रांस आरोपों पर गंभीर

रविवार को दुनिया के 17 मीडिया संस्थानों ने एक विस्तृत जांच के बाद दावा किया था कि कई राष्ट्राध्यक्षों, मंत्रियों, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी के लिए इस्राएली कंपनी के स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया. इस सूची में इमानुएल माक्रों का भी नाम था.

ला मोंड अखबार और रेडियो फ्रांस ने मंगलवार को खबर दी थी कि मोरक्को ने माक्रों के फोन को निशाना बनाया था. दोनों मीडिया संस्थानों ने कहा कि उन्हें माक्रों का फोन मिला नहीं इसलिए वे इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते कि जासूसी वाकई हुई या नहीं. माक्रों ने इन आरोपों को गलत बताया है.

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मोरक्को के एक फ्रांसीसी वकील ओलिविएर बाराटेली ने कहा है कि मोरक्को सरकार खुलासे करने वाली गैरसरकारी संस्थाओं एमनेस्टी इंटरनेशनल और फॉरबिडन स्टोरीज के खिलाफ मानहानि का मुकदमा कर दिया है. इन्हीं दोनों संस्थानों ने मीडिया को वह डेटा दिया था, जिसकी जांच के बाद पेगासस के हमले की खबरें सामने आईं.

उधर बाकी यूरोपीय देशों में भी पेगासस को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने बर्लिन में पत्रकारों को बताया कि ऐसे देशों को स्पाईवेयर नहीं दिया जाना चाहिए, जहां न्यायिक समझदारी नहीं है.

हंगरी में अधिकारियों ने गुरुवार को जासूसी की कई शिकायतों के मद्देनजर एक जांच शुरू कर दी है.

इस्राएल भी करेगा जांच

इस्राएल में भी एक मंत्री-स्तरीय दल का गठन किया गया है जो 17 मीडिया संस्थानों की खबरों का आकलन करेगा.

जासूसी के आरोपों को खारिज करते हुए पेगासस सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ का कहना है कि उसका प्रोग्राम सिर्फ अपराध और आतंकवाद से लड़ने के लिए है. एनएसओ ने इन खबरों को "पूरी तरह गलत अवधारणाएं और आधारहीन सिद्धांत” बताते हुए खारिज कर दिया है.

लेकिन इस्राएल में एक वरिष्ठ सांसद ने कहा है कि स्पाईवेयर के निर्यात की शर्तों की जांच एक संसदीय पैनल द्वारा कराई जा सकती है. इस्राएली संसद कनेसेट की विदेश और रक्षा मामलों की समिति के प्रमुख राम बेन-बराक ने डिफेंस एक्सपोर्ट कंट्रोल्स एजेंसी (DECA) का जिक्र करते हुए आर्मी रेडियो से कहा, "निश्चित तौर पर, डेका द्वारा लाइसेंस दिए जान के इस पूरे विषय को हमें नए तरीके से देखना होगा.”

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इस्राएल की जासूसी एजेंसी मोसाद के उप प्रमुख रह चुके बेन-बराक ने कहा कि इस्राएली सरकार की टीम "प्रतिबंधों की जांच करेगी और हम निश्चित ही देखेंगे कि कहीं चीजों को ठीक करने की जरूरत है.” उन्होंने कहा कि पेगासस के सही इस्तेमाल ने बहुत लोगों की मदद की है.

एनएसओ का कहना है कि वह उन लोगों के बारे में नहीं जानती जिनके खिलाफ पेगासस का इस्तेमाल किया जाता है. कंपनी का कहना है कि यदि किसी ग्राहक द्वारा पेगासस के गलत इस्तेमाल की शिकायत मिलती है तो एनएसओ निशाना बनाए गए लोगों की सूची निकाल सकती है और शिकायत सही पाए जाने पर ग्राहक से सॉफ्टवेयर वापस भी ले सकती है.

भारत में बवाल जारी

भारत में पेगासस प्रोजेक्ट का हिस्सा रही समाचार वेबसाइट द वायर ने अब तक 115 नाम उजागर किए हैं जिनमें 40 से ज्यादा पत्रकारों के अलावा कांग्रेस नेता राहुल गांधी, विभिन्न दलों के साथ काम कर चुके प्रशांत किशोर और दो केंद्रीय मंत्रियों प्रह्लाद पटेल व अश्विनी वैष्णव का नाम शामिल है.

इसके अलावा विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया और तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी का फोन भी पेगासस के निशाने पर होने का दावा किया गया है. उद्योगपति अनिल अंबानी और उनकी कंपनी के एक अधिकारी द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे फोन भी इस सूची में शामिल हैं. रिलायंस ग्रुप ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है.

उद्योगपति अनिल अंबानीतस्वीर: AP

पेगासस कांड को अमेरिका के वॉटरगेट कांड से भी बड़ा बताते हुए विपक्षी दल संसद में और बाहर सरकार की आलोचना कर रहे हैं. हालांकि भारत सरकार का कहना है कि जासूसी के आरोप निराधार हैं.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)

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