भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में पेगासस के जरिए जिन महिलाओं के फोन कथित तौर पर हैक किए गए, उनके ऊपर अब ब्लैकमेल का खतरा मंडरा रहा है.
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इस्राएल की कंपनी द्वारा बनाया गया सॉफ्टवेयर पेगासस, कथित तौर पर, हजारों लोगों के फोन हैक करने के लिए इस्तेमाल किया गया था. अब तकनीकी विशेषज्ञों और पीड़ितों का कहना है कि जिन महिलाओं को निशाना बनाया गया, उन्हें ब्लैकमेल और परेशान किए जाने का खतरा बहुत ज्यादा है.
पेगासस एक सॉफ्टवेयर है जो इस्राएल की कंपनी एनएसओ ने बनाया है. हाल ही में दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों ने एक शोध के बाद खबर दी थी कि दर्जनों देशों में हजारों फोन हैक किए गए और लोगों की जासूसी की गई. पेगासस के जरिए मोबाइल फोन को जासूसी उपकरण की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. उस फोन में मौजूद तस्वीरें, संदेश और ईमेल आदि हैक करने वाले की पहुंच में होते हैं. फोन का कैमरा भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि जिन देशों में निजता के अधिकार की सुरक्षा के सख्त बंदोबस्त नहीं हैं, अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदियां हैं और सामाजिक दृष्टिकोण रूढ़िवादी है, वहां महिलाओं के लिए इस तरह की जासूसी के खतरे पुरुषों से ज्यादा हैं.
भारत सरकार ने कब-कब कहा, आंकड़े नहीं
कब-कब सरकार ने कहा आंकड़े नहीं हैं
भारत में ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर भारत सरकार के पास आंकड़े नहीं हैं. विपक्ष सरकार से आंकड़े मांगता है सरकार कहती है हमें जानकारी ही नहीं है. एक नजर, ऐसे मुद्दों पर जिनके बारे में सरकार के पास डेटा नहीं हैं.
तस्वीर: Sonali Pal Chaudhury/NurPhoto/picture alliance
ऑक्सीजन की कमी से मौत
कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मौत नहीं होने के बयान के बाद सरकार दोबारा से डेटा जुटाएगी. सरकार ने संसद में 20 जुलाई को बयान दिया था कि देश में ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मौत नहीं हुई थी. लेकिन विपक्षी दलों के हंगामे और आलोचना के बाद सरकार ने राज्यों से दोबारा से ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों का आंकड़ा मांगा है.
कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर पैदल ही शहरों से गांव की ओर निकल पड़े. सफर के दौरान प्रवासी मजदूरों की सड़क हादसे, रेल ट्रैक पर चलने और अन्य कारणों से मौत हुई. स्ट्रैंडेड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क के आंकड़ों के मुताबिक पिछले लॉकडाउन के दौरान 971 प्रवासी मजदूरों की गैर कोविड मौतें हुईं. सरकार ने कहा था कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की मौत के बारे में उसके पास डेटा नहीं है.
तस्वीर: DW/M. Kumar
बेरोजगारी और नौकरी गंवाने पर डेटा
मानसून सत्र में सरकार से सभी दलों के कम से कम 13 सांसदों ने कोरोना महामारी के दौरान बेरोजगारी और नौकरी गंवाने वालों का स्पष्ट डेटा मांगा था, लेकिन सरकार ने डेटा मुहैया नहीं कराया. इसके बदले केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज, मेड इन इंडिया परियोजनाओं, स्वरोजगार योजनाओं और ऋणों का विवरण देकर इस मुद्दे को टाल दिया.
तस्वीर: Pradeep Gaur/Zumapress/picture alliance
किसान आंदोलन के दौरान मौत का आंकड़ा
23 जुलाई 2021 को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसान आंदोलन के दौरान कितने किसानों की मौत हुई इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन पंजाब सरकार ने जो डेटा इकट्ठा किया है उसके मुताबिक कुल 220 किसानों की राज्य में मौत हुई. राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 10.86 करोड़ मुआवजा भी दिया है.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
कितना काला धन
मानसून सत्र में सरकार ने कहा है कि पिछले दस साल में स्विस बैंकों में कितना काला धन छिपाया गया है उसे इस बारे में कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है. लोकसभा में कांग्रेस सांसद विन्सेंट एच पाला के सवाल के लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने बीते कई सालों में विदेशों में छिपाए गए काले धन को लाने की कई कोशिशें की हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Global Travel Images
क्रिप्टो करेंसी के कितने निवेशक
भारत में काम कर रहे निजी क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंजों की संख्या बढ़ रही है, केंद्र के पास उन पर कोई आधिकारिक डेटा नहीं है. इन एक्सचेंजों से जुड़े निवेशकों की संख्या के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है. देश में एक्सचेंजों की संख्या और उनसे जुड़े निवेशकों की संख्या पर एक प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने 27 जुलाई को संसद में एक लिखित जवाब में कहा, "यह जानकारी सरकार द्वारा एकत्र नहीं की जाती है."
तस्वीर: STRF/STAR MAX/IPx/picture alliance
पेगासस जासूसी मामला
भारत ही नहीं पूरी दुनिया में पेगासस जासूसी मामला इस वक्त सबसे गर्म मुद्दा है. दुनिया के 17 मीडिया संस्थानों ने एक साथ रिपोर्ट छापी, जिनमें दावा किया गया था कि पेगासस नाम के एक स्पाईवेयर के जरिए विभिन्न सरकारों ने अपने यहां पत्रकारों, नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन हैक करने की कोशिश की. भारत के संचार मंत्री ने इस मामले में लोकसभा में एक बयान में कहा कि फोन टैपिंग से जासूसी के आरोप गलत है.
दिल्ली स्थित इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन की अनुष्का जैन कहती हैं, "एक महिला को जासूसी के लिए निशाना बनाया जाना, पुरुषों को निशाना बनाए जाने से अलग है क्योंकि सूचनाएं उस महिला को ब्लैकमेल करने या उसकी छवि खराब करने के लिए प्रयोग की जा सकती हैं.”
भारत में 60 महिलाएं हुईं शिकार
अनुष्का जैन की संस्था पेगासस का शिकार हुए दो कार्यकर्ताओं की कानूनी मदद कर रही है. इनमें से एक महिला है. वह बताती हैं, "महिलाओं को पहले ही ऑनलाइन उत्पीड़न सहना पड़ता है. अगर उन्हें लगता हौ कि उनकी जासूसी हो सकती हो, तो वे खुद पर ही पहले से ज्यादा पाबंदियां लगा लेंगी या बोलने से डरेंगी.”
कथित तौर पर पेगासस के जरिए निशाना बनाए गए जिन नंबरों की सूची भारत में जारी हुई थी, उनमें से 60 महिलाएं हैं. भारतीय समाचार पोर्टल द वायर के मुताबिक इन महिलाओं में पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अलावा कुछ गृहणियां भी शामिल हैं.
जिन महिलाओं के फोन निशाने पर थे उनमें सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मचारी भी है. इस कर्मचारी ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे. हालांकि बाद में जजों की एक समिति ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था. उस महिला और उसके रिश्तेदारों के फोन भी पेगासस सूची में शामिल थे. जैन कहती हैं, "वह कोई सार्वजनिक जीवन जीने वाली व्यक्ति नहीं है. तो उसका फोन सिर्फ उस शिकायत के कारण ही निशाने पर था. यह निजता का घोर हनन है.”
पेगासस जासूसी कांड पर सिद्धार्थ वरदराजन से बातचीत
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पेगासस मामले में भारत सरकार ने किसी तरह की पुष्टि नहीं की है. ना ही यह कहा गया है कि पेगासस खरीदा गया या नहीं. सरकार ने बस इतना कहा है कि अनाधिकृत जासूसी नहीं की जाती. पेगासस बनाने वाली इस्राएली कंपनी एनएसओ ने भी इतना ही कहा है कि जो ग्राहक नियमों का उल्लंघन करते पाए गए, उन्हें हटा दिया गया है. लेकिन हटाए गए मामलों में क्या महिलाओं को ब्लैकमेल करने या धमकाने जैसी वजह शामिल थीं, इस पर एनएसओ ने कोई टिप्पणी नहीं की है.
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उल्लंघन सिर्फ निजता का नहीं
मुंबई में रहने वालीं वकील आभा सिंह कहती हैं कि वह जानकर हैरान रह गईं कि वह भी संभावित शिकारों में शामिल हैं. द वायर के मुताबिक उनका भाई भी सूची में शामिल है, जो एक बड़ा सरकारी अधिकारी है. आभा सिंह कहती हैं, "महिलाएं तो हिसाब चुकाने का अधिकार बन गई हैं. उन्हें बस इसलिए निशाना बनाया जा रहा है कि वे किसी से संबंधित हैं.”
अभिव्यक्ति की आजादी जैसे मुद्दों पर काम करने वाली आभा सिंह कहती हैं कि वह डरने वाली नहीं हैं. वह कहती हैं, "मैं चुप होने वाली नहीं. मैं अपना काम जारी रखूंगी.”
हालांकि अपनी रिसर्च में शोधकर्ता यह पुष्टि नहीं कर सके कि जिन लोगों के नंबर पेगासस प्रोजेक्ट में सामने आए, उनके फोन हैक हुए ही थे. कुछ मामलों में साबित हुआ कि फोन हैक किए गए थे. लेकिन हैक किए गए फोन में से क्या चुराया गया, किस तरह की तस्वीरें या अन्य सामग्री चुराई गई, यह पता नहीं चल सकता.
देखिए, ये हैं सबसे सुरक्षित देश
ये हैं सबसे सुरक्षित देश
अगर धरती पर प्रलय आई तो ऑस्ट्रेलिया दूसरा सबसे सुरक्षित देश होगा. वैज्ञानिकों ने सबसे सुरक्षित देशों की सूची बनाई है. जानिए कौन कौन से देश इस सूची में हैं.
तस्वीर: imago/StockTrek Images
प्रलय आई तो...
‘सस्टेनेबिलिटी’ जर्नल में छपे ब्रिटेन की एंगलिया रस्किन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में उन दस देशों की सूची बनाई गई, जिनमें प्रलय को झेलने की क्षमता सबसे अधिक होगी. यह प्रलय मौसमी, आर्थिक, सामाजिक या किसी भी रूप में हो सकती है.
तस्वीर: imago/StockTrek Images
न्यूजीलैंड सबसे सुरक्षित
शोधकर्ता कहते हैं कि हर तरह के झटके झेलने की क्षमता न्यूजीलैंड में सबसे ज्यादा है. वह लिखते हैं कि कोई हैरत नहीं कि दुनिया के अरबपति न्यूजीलैंड में बंकर बनाने के लिए जमीन खरीद रहे हैं.
तस्वीर: kavram/Zoonar/picture alliance
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया भी न्यूजीलैंड जैसा ही है. शोधकर्ताओं ने इसके इलाके तस्मानिया को खास तवज्जो दी है. शोधकर्ता कहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया और खासकर तस्मानिया में नवीकरणीय ऊर्जा की मौजूदगी भी है और बड़ी संभावनाएं भी. इसकी परिस्थितियां भी न्यूजीलैंड जैसी ही हैं.
तस्वीर: Gerth Roland/Prisma/picture alliance
आयरलैंड
शोधकर्ता कहते हैं कि आयरलैंड के पास नवीकरणीय ऊर्जा की बड़ी संभावना है, कृषि संसाधन खूब हैं और आबादी कम है.
तस्वीर: Artur Widak/NurPhoto/picture alliance
आइसलैंड
कम आबादी और नॉर्थ अटलांटिक महासागर से सीधा संपर्क तो आइसलैंड को सुरक्षित बनाने वाले कारक हैं ही, उसके आसपास कोई दूसरी बड़ी आबादी वाला देश भी नहीं है. साथ ही उसके पास खनिज संसाधन भी प्रचुर हैं.
तस्वीर: Hans Lucas/picture alliance
ब्रिटेन
ब्रिटेन के हालत कमोबेश आयरलैंड जैसे ही हैं. इसकी उपजाऊ जमीन, नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत और कुदरती आपदाओं से दूर रखने वाली भौगोलिक परिस्थितियों के अलावा मजबूत अर्थव्यवस्था और तकनीकी विकास भी जिम्मेदार हैं.
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कनाडा और अमेरिका
तीन करोड़ 80 लाख की आबादी वाले कनाडा में भी प्रलय के झटके झेलने की अच्छी क्षमता है. यहां जमीन खूब है, महासागरों तक सीधी पहुंच है, उत्तरी अमेरिका से सीधा जमीनी जुड़ाव है और तकनीकी विकास भी खूब हुआ है.
तस्वीर: Lokman Vural Elibol/AA/picture alliance / AA
नॉर्वे
कुल 55 लाख की आबादी, यूरेशिया से जमीनी जुड़ाव, नवीकरणीय ऊर्जा और तकनीकी विकास के अलावा निर्माण की ठीकठाक क्षमता नॉर्वे को झटके झेलने की ताकत देगी.
शोधकर्ताओं ने पांच देशों को नॉर्वे के ठीक नीचे रखा है. सभी के हालात कमोबेश नॉर्वे जैसे ही हैं और आर्थिक प्रलय हो या मौसमी, इन देशों के पास उसे झेलने के संसाधन हैं.
इस सूची में जापान को भी नॉर्वे के बराबर जगह मिली है. हालांकि उसकी आबादी ज्यादा है लेकिन तकनीकी विकास, नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता और निर्माण की विशाल क्षमता उसे ताकतवर बनाती है.
तस्वीर: LEAD/Cover Images/picture alliance
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डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वालीं वकील वृंदा भंडारी कहती हैं कि मोबाइल फोन में "बेहद निजी सामग्री होती है,” इसलिए महिलाओं पर इस तरह के हैक का प्रभाव ज्यादा हो सकता है. वह कहती हैं, "जब महिलाओं के फोन हैक किए जाते हैं तो सिर्फ उनकी निजता का उल्लंघन नहीं होता, बल्कि यह उनकी शारीरिक निष्ठा का भी उल्लंघन है, जो शारीरिक हिंसा जैसा ही है.”