अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने उड़न-तश्तरियों के बारे में गहन पड़ताल करने के लिए एक ग्रुप बनाने का फैसला किया है. यूएफओ के नाम से जानी जाने वालीं ये उड़न-तश्तरियां दशकों से विवाद का विषय रही हैं.
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अमेरिका उड़न-तश्तरियों की गंभीर जांच करेगा. इसके लिए एक दल गठित किया जाएगा. रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार रात को यह ऐलान किया. यह ऐलान उस रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें उड़न-तश्तरियों देखे जाने की घटनाओं का जिक्र था.
जून में आई इस रिपोर्ट में बताया गया था कि यूएफओ देखे जाने की 144 घटनाएं हुई हैं. इन्हें अनआइडेंटीफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट यानी उड़ने वालीं ऐसी चीजें कहा जाता है, जिनकी पहचान सुनिश्चित नहीं है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इन उड़न-तश्तरियों के बारे में किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए समुचित जानकारी उपलब्ध नहीं है.
गंभीरता से होगी जांच
नए ग्रुप को एयरबॉर्न ऑब्जेक्ट आइडेंटीफिकेशन ऐंड मैनेजमेंट सिंक्रोनाइजेशन ग्रुप कहा जाएगा. यह गोपनीय जानकारियों जिम्मेदार उप रक्षा मंत्री, डाइरेक्टर ऑफ द जॉइंट स्टाफ और डाइरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस के तहत काम करेगा.
तस्वीरेंः ऐसा दिखता है कोरोना वायरस
ऐसा दिखता है कोरोना वायरस
शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप की मदद से कोरोना वायरस की अद्भुत तस्वीरें ली हैं. देखिए कैसा दिखता है यह वायरस, यह कैसे काम करता है और दूसरे वायरसों और इसमें क्या फर्क है.
तस्वीर: Seth Pincus/Elizabeth Fischer/Austin Athman/National Institute of Allergy and Infectious Diseases/AP Photo/AP Photo/picture alliance
कोरोना की तस्वीर
यह है कोविड-19 महामारी को फैलाने वाले एसआरएस-सीओवी-2 की असली तस्वीर. इसके हर कण का व्यास करीब 80 नैनोमीटर होता है. हर कण में वायरस के जेनेटिक कोड यानी आरएनए की एक गेंद होती है. उसकी रक्षा करता है एक स्पाइक प्रोटीन यानी बाहर की तरफ निकले हुए मुकुट जैसे उभार जिनकी वजह से वायरस को यह नाम मिला. यह कोरोना वायरस परिवार का एक हिस्सा है, जिसके और भी सदस्य हैं.
तस्वीर: Peter Mindek/Nanographics/apa/dpa/picture alliance
हवा से प्रसार
इसके कण छोटी छोटी बूंदों और ऐरोसोल के जरिए तब फैलते हैं जब कोई सांस लेता है या खांसता है या बात करता है. यह संक्रमित सतहों के जरिए भी फैलता है.
तस्वीर: AFP/National Institutes of Health
मानव कोशिकाओं में प्रवेश
यह वायरस स्पाइक प्रोटीनों का इस्तेमाल कर कोशिकाओं की सतह पर मौजूद प्रोटीन से जुड़ जाता है. इससे कुछ रासायनिक बदलाव होते हैं जिनकी बदौलत वायरस का आरएनए (इस तस्वीर में हरे रंग में) कोशिकाओं में घुस जाता है. वहां वो कोशिकाओं से आरएनए की प्रतियां बनवाता है. एक कोशिका वायरस के हजारों नए कण (इस तस्वीर में बैंगनी रंग में) बना सकती है, जो फिर दूसरी स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं.
तस्वीर: NIAID/ZUMAPRESS.com/picture alliance
इंसानों के लिए नया
इस तस्वीर में बुरी तरह से संक्रमित एक कोशिका नीले रंग में दिखाई दे रही है. उसे संक्रमित करने वाले वायरस के कण लाल रंग में हैं. यह वायरस फ्लू या जुकाम करने वाले वायरसों से ज्यादा अलग नहीं है लेकिन 2019 से पहले इसका कभी किसी से पाला ही नहीं पड़ा था. इसी वजह से किसी में भी इसके खिलाफ इम्युनिटी नहीं थी.
तस्वीर: NIAID/Zuma/picture alliance
2002 में आया सदी का पहला कोरोनावायरस
2002 में चीन में इंसानों के बीच इस सदी का पहला कोरोनावायरस हमला सामने आया. यह एसआरएस-सीओवी था जिससे एसएआरएस नाम की बीमारी आई. यह बीमारी करीब 30 देशों में फैल गई लेकिन यह उतनी घातक नहीं निकली. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जुलाई 2003 में ही इस पर नियंत्रण कर लिए जाने की घोषणा कर दी थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Center of Disease Control
मिलिए परिवार के एक और सदस्य से
2012 में खोज हुई एमईआरएस-सीओवी की जिसे एक नई फ्लू जैसी बीमारी को जन्म दिया. मध्य पूर्व में पहली बार सामने आने वाले इस बीमारी का नाम एमईआरएस रखा गया. यह कोविड-19 से कम संक्रामक होती है. संक्रमण अमूमन एक ही परिवार के सदस्यों में या अस्पतालों के अंदर फैलता है.
तस्वीर: picture-alliance/AP/NIAID-RML
एचआईवी: एक और महामारी
इस तस्वीर में पीले रंग में दिख रहा है एड्स बीमारी फैलाने वाला एचआई वायरस. नीले रंग में टी-कोशिकाएं हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम का हिस्सा होती हैं और वायरस इसी सिस्टम पर हमला करता है. एसआरएस-सीओवी-2 की ही तरह यह भी आरएनए आधारित वायरस है.
तस्वीर: Seth Pincus/Elizabeth Fischer/Austin Athman/National Institute of Allergy and Infectious Diseases/AP Photo/AP Photo/picture alliance
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उप रक्षा मंत्री कैथलीन हिक्स ने कहा कि उड़ती हुई अनजान चीजों का प्रतिबंधित वायु क्षेत्र में होना राष्ट्रीय सुरक्षा को एक खतरा है. उन्होंने बताया कि दल का काम होगा कि इन उड़ती हुई अनजान चीजों की पहचान सुनिश्चित करे और यदि इनसे किसी तरह का खतरा है तो उसे न्यूनतम करने के लिए कार्रवाई की जाए.
वैसे यूएफओ की जांच के लिए बनाया गया यह कोई पहला दल नहीं है. इससे पहले अमेरिकी नौसेना की एक टास्क फोर्स बनाई गई थी जिसे अनआइडेंटीफाइड एरियल फिनोमिना टास्क फोर्स (UAPTF) कहा गया था. नया दल उसी टास्क फोर्स की जगह लेगा.
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क्यों पड़ी इस दल की जरूरत
पहले जून में रिपोर्ट का आना और अब इस दल का गठन अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के रुख में एक अहम बदलाव का संकेत भी है. अमेरिकी सेना दशकों तक इन दावों को नकारती रही है कि उड़न-तश्तरियों किसी तरह के विमान हैं जिनमें एलियन धरती पर आते हैं. लेकिन हाल के सालों में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने कुछ ऐसे वीडियो को सही माना या बताया है जिनमें उड़ने वालीं ऐसी आधुनिक चीजें दिखाई दीं, जिनकी तकनीक इन्सान की पहुंच से बाहर है.
अंतरिक्ष अभियान से अंतरिक्ष उद्योग तक
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2004 का एक मामला सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है जबकि अमेरिकी नौसेना के लेफ्टिनेंट कमांडर एलेक्स डीट्रिच उन बहुत से पायलटों में शामिल थे जिन्होंने कैलिफॉर्निया के तट के पास एक अज्ञात विमान को देखा था. यह अज्ञात विमान उड़न-तश्तरी के आकार का ही था. जून में एक इंटरव्यू में डीट्रिच ने बताया था कि जो तशतरी नुमा विमान उन्होंने देखा था उसे देख कर यह समझ नहीं आया था कि उड़ कैसे रहा था.
जून में जो रिपोर्ट जारी की गई थी, उससे पहले रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा था कि वे इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं. हालांकि ऐसी कोई पुष्टि नहीं हो पाई है कि ये उड़न-तश्तरियों किसी और ग्रह से आए विमान हैं, लेकिन रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता सू गो ने जून में कहा था, "हम अपने वायु क्षेत्र में किसी भी चीज के आने को गंभीरता से लेते हैं फिर चाहे वह चीज ज्ञात हो या अज्ञात. और हम हरेक की जांच करते हैं.”