कैसा है खाड़ी देशों के लिए पेंटागन का नया प्रोग्राम
१३ सितम्बर २०२२पेंटागन के नये निगरानी प्रोग्राम के बारे में जानकारियां सामने आ रही हैं. ईरान ने हाल की कार्रवाई में पानी में कुछ मानवरहित अमेरिकी नावें पकड़ीं. असल में अमेरिका वायु, थल और जल तीनों जगहों पर ड्रोन तैनात कर एक नेटवर्क बना रहा है. इसकी मदद से पेंटागन बड़े इलाके में निगरानी के लिए इस नेटवर्क को आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस से जोड़ने का कार्यक्रम चला रहा है. अभी इस प्रोग्राम को शुरु हुए करीब एक साल ही हुए हैं.
इसमें अरब द्वीपों के आसपास के पानी में अंडरग्राउंड सतह पर चलने वाले मानवरहित बेड़े यानि 'अनमैन्ड सर्फेस वेसेल्स' (यूएसवी) तैनात किए गए हैं. ये यूएसवी डाटा और तस्वीरें जमा करते हैं और उन्हें लगातार खाड़ी देशों में मौजूद कलेक्शन सेंटरों को भेजते हैं.
ईरान की कार्रवाई
लगभग एक साल से चल रही इस निगरानी के बारे में तब पता चला जब ईरानी सुरक्षा बलों ने तीन यूएसवी पकड़े. हाल ही में पकड़े गए यह बेड़े सात मीटर लंबे हैं. इन्हें सेलड्रोन एक्सप्लोरर कहते हैं. पहली घटना में ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर ने एक हुक से फंसा कर इस यूएसवी को खींचने की कोशिश की. इसकी जानकारी मिलते ही अमेरिकी नेवी पेट्रोल बोट और हेलीकॉप्टर सक्रिय हो गए और घटनास्थल पर पहुंच गए.
दूसरी घटना में एक ईरानी डिस्ट्रॉयर ने लाल सागर से दो सेलड्रोन को उठा लिया. ईरान का कहना है कि दो नेवी डिस्ट्रॉयर और हेलीकॉप्टरों ने फौरन नीचे आकर ईरानी पक्ष से बात की और उन्हें छोड़ देने के लिए कहा. ईरान का कहना है कि ड्रोन अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन में थे और किसी "संभावित दुर्घटना" से बचने के लिए उन्हें उठाया गया था.
अमेरिकी नेवी ने कहा कि यूएसवी शिपिंग लेन से दूर थे और उन पर कोई हथियार भी नहीं था. अमेरिका के नेवल फोर्सेज सेंट्रल कमांड के कमांडर, वाइस एडमिरल ब्रैड कूपर ने ईरानी कार्रवाई को गैरजरूरी और पेशेवर समुद्री आचरण के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा कि अमेरिकी दस्ते हर उस हिस्से में हवा, पानी या किसी भी रास्ते से कामकाज जारी रखेंगे, जहां अंतरराष्ट्रीय कानून अनुमति देते हों.
खाड़ी क्षेत्र का कंट्रोल
अमेरिका के इस्तेमाल में लाए जा रहे जिन ड्रोनों की बात हो रही है उनका नियंत्रण बहरीन केंद्र से हो रहा है. बहरीन में अमेरिका की फिफ्थ फ्लीट की टास्क फोर्स 59 काम करती है. एक साल पहले ही उसने अमेरिका के मिडिल ईस्ट ऑपरेशन में मानवरहित सिस्टमों और एआई को जोड़ने का काम शुरु किया.
इसके बारे में और जानकारी देते हुए फिफ्थ फ्लीट के प्रवक्ता कमांडर टिम हॉकिन्स बता चुके हैं कि हवाई और समुद्री ड्रोनों की तकनीक काफी आगे बढ़ चुकी है लेकिन सतह पर चलने वाली मानवरहित नावों की तकनीक काफी नई है और भविष्य के लिए काफी अहम मानी जा रही है.
बीते एक साल में अमेरिकी नौसेना ने क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर दो तरह के यूएसवी काम पर लगाये हैं. सतह पर चलने वाले सेल ड्रोन और बैटरी से चलने वाले स्पीडबोट, जैसे मैंटास टी-12. इन पर सोलर पैनल लगे होते हैं और सेलिंग के लिए जरूरी पाल भी. सेलड्रोन में बहुत सारे सेंसर और कैमरे लगे होते हैं जिन्हें ऐसे डिजाइन किया गया है कि वे एक साल तक पानी में रह कर समुद्री डाटा सैटेलाइट के माध्यम से अमेरिका को भेज सकें.
ड्रोन का बढ़ता इस्तेमाल
इस समय अमेरिकी कंपनी सेलड्रोन दुनिया भर में 100 से भी अधिक बेड़े चला रही है. इनमें पेंटागन के अलावा, समुद्र पर शोध करने वाले कई संस्थान, मौसम विज्ञान से जुड़ी एजेंसियां और मछलियों पर स्टडी करने वाले रिसर्चरों के लिए ड्रोन काम में लगे हैं. सैन फ्रांसिस्को स्थित कंपनी सेलड्रोन की प्रवक्ता सूजन रायन अपने ड्रोनों की क्षमता के बारे में कह चुकी हैं, "2019 में अंटार्कटिका का चक्कर लगाने के बाद और फिर चौथी श्रेणी के हरिकेन तूफान की आंख में सुरक्षित निकल लेने के बाद ऐसा कोई समुद्री माहौल बचा नहीं है जहां हमारे ड्रोन काम ना कर सकें."
सितंबर 2021 में इस प्रोग्राम की घोषणा करते हुए अमेरिका ने इसे खाड़ी क्षेत्र में जानकारी जुटा कर "निगरानी को चुस्त करने और इलाके में प्रतिरोध बढ़ाने" की एक कोशिश बताया था. हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो खास निशाना ईरान है. इस इलाके में ईरान भी तगड़ी निगरानी रखता है. इसके पहले भी ईरान ने यहां कई दूसरे विदेशी कमर्शियल जहाज पकड़े हैं और हाल के सालों में अमेरिका के साथ कई बार आमने सामने भी आया है.
एआई की भूमिका
अमेरिकी नौसेना की कोशिश रही है कि वह ईरान को यमन में हूथी विद्रोहियों और दूसरे गुटों को हथियार सप्लाई करवाने से रोके. इसके अलावा, अमेरिका यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि जिन चीजों को लेकर ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं, उनका पालन हो. इस मकसद से अमेरिका समुद्री इलाके में हर तरह के मानवरहित उपायों से मिली जानकारी को आगे भेजता है और जल्दी से जल्दी उसका विश्लेषण करने की कोशिश करता है.
इस तरह के तेज विश्लेषण में जो तकनीक काम में लाई जा रही है वो है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस या एआई. किसी भी तरह की असामान्य गतिविधि हो तो यूएसवी से मिले डाटा का मतलब निकालने में यह इंसानों से कहीं तेज है. इसके बाद इंसान बहुत जल्दी एक्शन में आते हैं और तय करते हैं कि आगे क्या करना चाहिए.
अमेरिका को हैरानी है कि एक साल से चल रहे प्रोग्राम को लेकर अचानक ईरान अब हरकत में क्यों आया और उनके ड्रोन को क्यों पकड़ा. इस साल फरवरी में फिफ्थ फ्लीट ने जब इंटरनेशनल मैरीटाइम एक्सरसाइज 2022 का आयोजन किया तो उसमें 10 देशों के 80 से भी अधिक यूएसवी खाड़ी के पानी में उतारे गए थे. इधर अमेरिकी सेना इस प्रोग्राम को USV के इस्तेमाल की संभावनाएं समझने का एक प्रयोग बता रही है तो वहां तेहरान की चिंताओं से खाड़ी के पानी में गर्मी बढ़ती नजर आ रही है. साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध हो या कोई और गंभीर सैन्य कार्रवाई, ड्रोन और एआई का इस्तेमाल बढ़ता ही जा रहा है.
ऋतिका पाण्डेय (एएफपी)