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पाकिस्तान के लोगों से कम चाय पीने की अपील

विवेक कुमार
१५ जून २०२२

पाकिस्तान में लोगों से अनुरोध किया गया है कि कम चाय पिएं. एक वरिष्ठ मंत्री ने लोगों से कहा कि अपने रोज के चाय के कप कम करें. देश की आर्थिक हालत लगातार खराब हो रही है, जो सरकार के लिए चिंता का सबब बन गया है.

पाकिस्तान चाय का सबसे बड़ा आयातक है
पाकिस्तान चाय का सबसे बड़ा आयातक हैतस्वीर: Arif Ali/Getty Images/AFP

पाकिस्तान के वरिष्ठ मंत्री अहसान इकबाल ने जनता से गुजारिश की है कि रोजाना चाय के कप कम करें. उन्होंने कहा कि देश की इकोनॉमी के चलते रहने में यह मददगार साबित होगा क्योंकि इससे देश का आयात बिल कम हो सकेगा.

पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक अहसान इकबाल ने कहा, "मैं देश से आग्रह करता हूं कि चाय पीने में रोजाना एक से दो कप की कटौती करें क्योंकि अभी हम कर्ज पर चाय आयात करते हैं.” उन्होंने कुछ और उपायों का भी सुझाव दिया जैसे कि बिजली बचाने के लिए व्यापारी रात साढ़े आठ बजे ही दुकानें बंद कर सकते हैं.

भारत के पड़ोसी देश की आर्थिक हालत काफी तंग हो चुकी है. पाकिस्तान के पास दो महीने से भी कम आयात की विदेशी मुद्रा बची है. वह चाय का दुनिया में सबसे बड़ा आयातक है और हर साल लोग अरबों रुपये की चाय पी जाते हैं. पिछले साल पाकिस्तान ने कुल 60 करोड़ डॉलर यानी लगभग 32 अरब भारतीय रुपये की चाय आयात की थी.

पिछले कुछ समय से पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम होता जा रहा है, जिससे देश को आयात घटाने पर मजबूर होना पड़ा है. फरवरी में उसका मुद्रा भंडार 16 अरब डॉलर था जो जून के पहले हफ्ते में घटकर 10 अरब डॉलर रह गया. पाकिस्तान के दो महीने के कुल आयात का खर्च इससे ज्यादा है. ऐसे में डॉलर बचाने के लिए पिछले महीने ही कराची में अधिकारियों ने गैर-जरूरी ऐश-ओ-आराम की दर्जनों चीजों के आयात पर रोक लगा दी थी.

आर्थिक बहाली बड़ी चुनौती

अप्रैल में ही शाहबाज शरीफ ने इमरान खान को हटाकर प्रधानमंत्री की कुर्सी हासिल कीहै और आर्थिक बहाली उनकी सरकार के लिए इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती है. लेकिन यह संकट नया नहीं है. 2019 में भी पाकिस्तान ऐसी ही स्थिति में था और तब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से उसे मदद लेनी पड़ थी.

तब भी देश का मुद्रा भंडार कम हो गया था जिसके चलते उसे आईएमएफ से कर्ज लेना पड़ा था. लेकिन यह मदद बाद में रोक दी गई थी क्योंकि आईएमएफ को देश की आर्थिक हालत पर भरोसा नहीं था. शाहबाज शरीफ सरकार चाहती है कि छह अरब डॉलर की मदद का यह समझौता फिर से शुरू हो.

इस बीच चाय में कटौती की मंत्री की गुजारिश सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है. लोग इस बारे में अलग-अलग राय रखते हैं. जैसे कि कुछ लोगों का मानना है कि सिर्फ चाय कम कर देने से देश की आर्थिक दिक्कतों का हल नहीं निकलेगा.

लेकिन कुछ लोगों ने इस गुजारिश को अच्छा कदम भी बताया है. एक सरकारी अधिकारी मोहम्मद हमजा शफाकत ने ट्विटर पर लिखा, "मैं फिर दोहराता हूं. हमें अपने उपभोग का चलन बदलने की जरूरत है.”

कॉलमनिस्ट मोहम्मद आबिद खान अतजोई ने लिखा, "नेशनल टी एंड हाई वैल्यू क्रॉप्स इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर डॉ. अब्दुल वहीद के मुताबिक पाकिस्तान में हर सेकंड लगभग 3,000 कप चाय पी जाती हैं. यह दुनिया का सबसे बड़ा चाय आयातक देश बना हुआ है क्योंकि हम हर साल 83 अरब रुपये की चाय पी जाते हैं.”

खराब होते एशिया के हालात

पाकिस्तान भारत का पहला पड़ोसी नहीं है जिसकी आर्थिक हालत पतली हो गई है. इससे पहले श्रीलंका तो लगभग कंगाली के हाल पर पहुंच चुका है और उसके पास अपना कर्ज चुकाने का धन खत्म हो चुका है. उसके पास बुनियादी सामान मंगाने के लिए विदेशी मुद्रा भी नहीं बची थी जिसके चलते उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मदद मांगी थी.

नेपाल की हालत भी ज्यादा अच्छी नहीं है. उसने भी लग्जरी चीजों के आयात पर रोकलगा दी थी ताकि विदेशी मुद्रा बचाई जा सके. अप्रैल में देश के केंद्रीय बैंक ने कहा था कि विदेशी मुद्रा भंडार आधा रह गया है. देश के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार आधा रह गया है. खर्च घटाने के लिए सरकार ने कार, सोना और कॉस्मेटिक्स आदि चीजों का आयात आधा कर दिया है.

नेपाल में पर्यटन उद्योग लगातार संघर्ष कर रहा है. कोविड-19 महामारी के दो साल के दौरान पूरा उद्योग लगभग बंद रहा. इस दौरान देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार बीती मध्य जुलाई के स्तर से 17 प्रतिशत गिरकर फरवरी के मध्य में 9.75 अरब डॉलर यानी लगभग साढ़े सात खरब रह गया था.

रिपोर्टः विवेक कुमार

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