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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

मंगल ग्रह से पहली बार सुनाई दी बवंडर की आवाज

१४ दिसम्बर २०२२

मंगल ग्रह पर जब हवाई चक्रवात आते हैं तो उनकी आवाज कैसी होती है, यह मनुष्य को पहली बार पता चला है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के यान मार्स रोवर परसिवरेंस ने पहली बार इस आवाज को पकड़ा है.

मार्स रोवर
मार्स रोवर तस्वीर: Cover-Images/IMAGO

मंगल ग्रह पर चक्रवातीय तूफानों की आवाज कैसी होती है, यह वैज्ञानिकों को गलती से सुनाई दे गया. हुआ यूं कि जब किसी वजह से मार्स रोवर का माइक्रोफोन ऑन था, तभी एक बवंडर आया जो रोवर के पास से गुजरा. इस दौरान वैज्ञानिकों ने ना सिर्फ बवंडर की आवाज सुनी बल्कि उसके अंदर उड़ते कंकर पत्थर रोवर के माइक्रोफोन से टकराते हुए भी गुजरे.

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नासा के मुताबिक दस सेकंड का यह ऑडियो अपनी तरह की पहली आवाज है. इसमें 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गुजरती हवा को सुना जा सकता है. यह आवाज पृथ्वी पर किसी बवंडर की आवाज से बहुत हद तक मिलती है लेकिन इसकी तीव्रता कम है क्योंकि मंगल पर वातावरण कमोबेश पतला होता है जिस कारण वहां हवा कम ताकतवर होती है और आवाजें दबी हुई सुनाई देती हैं.

पिछले साल का बवंडर

यह तूफान पिछले साल आया था. टुलुज यूनिवर्सिटी की रिसर्चर नेओसी मर्डक के मुताबिक परसिवरेंस के करीब से यह बवंडर बहुत तेजी से गुजरा था, इसलिए ध्वनि का अंतराल कुछ ही सेकंड का है. नेचर कम्यूनिकेशन पत्रिका में छपे अध्ययन में मर्डक ने लिखा है कि रोवर ने उस वक्त की तस्वीरें भी अपने कैमरे में कैद की हैं.

इस रिसर्च रिपोर्ट के सह लेखक ह्यूस्टन स्थित लूनर ऐंड प्लेनेटेरी इंस्टिट्यूट के जर्मन मार्टिनेज कहते हैं, "पर्सी ने इसे रंगे हाथ पकड़ लिया था.” नासा का मंगल यान परसिवरेंस लाल ग्रह पर मौसम का अध्ययन करने के लिए आंकड़े भेजता है. मंगल की तस्वीरें तो दशकों से मिलती रही हैं लेकिन यह पहली बार है कि वहां से बवंडर की आवाज पृथ्वी पर आई है. वैज्ञानिकों ने बताया है कि इस बवंडर का आकार विशाल था. यह 400 फुट लंबा और 80 फुट चौड़ा था और 16 फुट प्रति सेकंड की रफ्तार से आगे बढ़ रहा था.

परसिवरेंस का डेटा

मर्डक के मुताबिक माइक्रोफोन ने धूलकणों के टकराने की कम से कम 308 आवाजें रिकॉर्ड की. यह माइक्रोफोन हर कुछ दिन बाद तीन दिन के लिए ऑन होता है. मर्डक ने कहा कि यह बहुत भाग्यशाली पल था जबकि 27 सितंबर 2021 को बवंडर उसी वक्त रोवर के पास से गुजरा, जबकि माइक्रोफोन ऑन था. मर्डक के मुताबिक बवंडर की आवाज पकड़ने का मौका दो सौ बार में सिर्फ एक बार आता है.

परसिवरेंस फरवरी 2021 में मंगल पर पहुंचा था. उसके बाद जल्द ही उसने मंगल से पहली आवाज भेजी थी, जो हवा के चलने की आवाज थी. उसके बाद अपने हेलिकॉप्टर के साथ इधर-घूमते रोवर ने जो आवाज भेजी उसमें उसकी अपनी आवाज भी सामिल थी.

इन आवाजों से वैज्ञानिकों को मंगल के वातावरण के अध्ययन में मदद मिलती है. वे जान पाते हैं कि हवा किस तरह चलती है और उसकी रफ्तार व क्षमता कितनी होती है. रोवर के जरिए नासा ने मंगल पर करीब 18 नमूने जमा किए हैं जिनके वापस आने में एक दशक तक लग सकता है. मंगल पर रहते हुए परसिवरेंस ने अब तक 36 बार उड़ान भरी है जिसमें सबसे लंबी लगभग तीन मिनट की थी.

वीके/एनआर (एपी)

 

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