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´डिजायनर जानवरों´ को बचाने की पहल नीदरलैंड्स में

२४ जून २०२३

कुत्ते-बिल्लियों को एक खास नाक-नक्श या शारीरिक बनावट के लिए ब्रीड करना बिजनेस के लिए फायदेमंद हो सकता है लेकिन जानवरों के लिए बिल्कुल नहीं. डच सरकार इसे रोकने की तैयारी में है.

इंग्लिश बुल डॉग
तस्वीर: Bastien Chill/IMAGO

चपटी छोटी नाक वाले फ्रेंच बुलडॉग, पग,  पर्शियन बिल्लियां या फिर मुड़े हुए कानों वाली स्कॉटिश बिल्लियां, इन सबमें क्या समानता है? ये नाक-नक्श जानवर खरीदने वालों को आकर्षित करते हैं लेकिन ये प्राकृतिक नहीं है. आमतौर पर ये बात लोगों को पता नहीं है कि ये शारीरिक बनावट ओवरब्रीडिंग का नतीजा है जिसकी वजह से जानवरों के शरीर में कई तरह की बीमारियों का खतरा पैदा हो जाता है. यही वजह है कि नीदरलैंड्स में सरकार अब एक बिल लाने की तैयारी में हैं जिससे जानवरों को इस क्रूरता से बचाया जा सके. कानून का मकसद ओवरब्रीड किए गए जानवरों को पालने और इस तरह के नाक-नक्श का इश्तेहार करके उन्हें बेचने पर रोक लगाना है. जानवरों की पेशेवर ओवरब्रीडिंग का ये दुखद पहलू है कि लोग बाहरी सुंदरता के नाम पर भूल जाते हैं कि ये उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ है.

सुंदरता के नाम पर जानवरों की बिक्री का बाजारतस्वीर: Jean-Michel Labat/Ardea/imago images

क्या है ओवरब्रीडिंग

ओवरब्रीडिंग, कुत्ते और बिल्ली जैसे घरेलू जानवरों के प्रजनन और सेहत से जुड़ा मामला है. व्यावसायिक तौर पर ब्रीडिंग करने वाले अपने बिजनेस के लालच में इस बात का ख्याल नहीं रखते कि एक साल में एक जानवर का शरीर कितनी बार बच्चे पैदा कर सकता है. प्राकृतिक क्षमता से ज्यादा मेटिंग और ब्रीडिंग कराने के चलन को ओवरब्रीडिंग कहा जाता है जो क्रूर और खतरनाक प्रक्रिया है. बड़े पैमाने पर ओवरब्रीडिंग का असर जानवरों की सेहत पर तो फर्क पड़ता ही है, पैदा होने वाले बच्चों में शारीरिक दिक्कतें और बीमारियां होती हैं. ये जानवरों के शोषण और अत्याचार का एक ऐसा पहलू है जो उन्हें जिंदा जीव के बजाय डिजायनर आइटम की तरह खरीद-फरोख्त का सामान बना देता है.

कई तरह की बीमारियों से जूझते हैं डिजायनर जानवरतस्वीर: Cindy Ord/Getty Images

जानवरों का दर्द

फ्रेंच और इंग्लिश बुल डॉग या पग जैसे कुत्तों के चपटे नाक वाले सपाट चेहरे और थुलथुला शरीर बहुत सारी दिक्कतों की वजह बनता है. सांस लेने में तकलीफ और हीट स्ट्रोक जैसी समस्याएं इन कुत्तों में बेहद आम हैं. नाक पर बनी मांस की एक अतिरिक्त परत इनमें त्वचा और आंखों के संक्रमण की वजह भी बनती है. इसी तरह कार्टिलेज में जेनेटिक गड़बड़ी से स्कॉटिश बिल्लियों के कान मुड़े होते हैं. कानों की कथित खूबसूरती के पीछे जोड़ों में दर्द और दूसरी बीमारियां भी छुपी होती हैं. यानी बाहरी तौर पर इन कुत्ते और बिल्लियों के खरीददारों को जो बातें खींचती हैं वो बेजुबान जानवरों के दर्द का सबब हैं. जानवरों के हक के लिए काम करने वाली संस्थाएं और डॉक्टरों ने बरसों से इन बीमारियों के बारे में आगाह करते आ रहे हैं.

एसबी/ओएसजे (रॉयटर्स)

परफेक्ट जानवर बनाने की कोशिश या जानवरों से छेड़छाड़

07:06

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