समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने के हालिया फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर की गई है.
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समलैंगिक जोड़ों की शादी को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने के सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के बाद अब एक समीक्षा याचिका दायर की गई है.
याचिकाकर्ताओं में से एक उदित सूद ने 17 अक्टूबर को दिए गए फैसले के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत समीक्षा याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि फैसला "विरोधाभासी और स्पष्ट रूप से अन्यायपूर्ण है."
याचिका में कहा गया कि बहुमत का निर्णय स्पष्ट रूप से गलत है, क्योंकि इसमें पाया गया है कि सरकार भेदभाव के माध्यम से याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है और फिर भी भेदभाव के खिलाफ आदेश देने में विफल रही है.
17 अक्टूबर को दिए गए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मौजूदा "पुरुष" और "महिला" के स्थान पर लिंग तटस्थ "व्यक्ति" मानने से इनकार कर दिया था.
देश की शीर्ष अदालत ने विवाह समानता कानून बनाने पर फैसला विधायिका पर छोड़ दिया था. संविधान पीठ के सभी पांच जजों ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की थी कि विवाह का कोई अयोग्य अधिकार मौजूद नहीं है और केंद्र के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी जो यह जांच करेगी कि बुनियादी सामाजिक लाभ के लिए क्या प्रशासनिक कदम उठाए जा सकते हैं.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि एलजीबीटीक्यू प्लस समुदाय के साथ उनके यौन रुझान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाए और समलैंगिक व्यक्तियों को किसी भी सामान या सेवाओं तक पहुंच से इनकार नहीं किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट के वकील रोहिन भट्ट के मुताबिक योग्यता के आधार पर दिए गए निर्णय की समीक्षा के लिए बहुत सीमित आधार हैं.
कोर्ट का कहना है कि स्पेशल मैरिज एक्ट को सिर्फ इसलिए असंवैधानिक नहीं ठहरा सकते हैं क्योंकि वह सेम सेक्स शादी को मान्यता नहीं देता है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव की जरूरत है या नहीं, इसकी पड़ताल संसद को करनी होगी और अदालत को विधायी क्षेत्र में दखल देने में सावधानी बरतनी होगी.
केंद्र और राज्यों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
कोर्ट ने कहा था जीवन साथी चुनना किसी के जीवन की दिशा चुनने का एक अभिन्न अंग है. कुछ लोग इसे अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय मान सकते हैं. यह अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की जड़ तक जाता है.
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के कुछ निर्देश भी दिए थे. कोर्ट ने कहा समलैंगिक जोड़ों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए. साथ ही कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा समलैंगिक लोगों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार लोगों को जागरूक करें. समलैंगिक लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाएं.
शादी की सफेद ड्रेस के सपने का पूरा होना
जिंबाब्वे की राजधानी हरारे में अपनी शादी में सुंदर, सफेद ड्रेस पहनने का महिलाओं का सपना एक कैरवैन के जरिये साकार हो रहा है. चाहे वो हों जिनका बजट कम है या वो जिन्हें जल्दी कुछ चाहिए, यहां सबके लिए कुछ न कुछ जरूर है.
तस्वीर: JOHN WESSELS/AFP
दुल्हन का दिन
जिंबाब्वे की राजधानी हरारे में रजिस्ट्री कार्यालय के सामने डैफ्ने सीवर्दी एक दुकान चलाती हैं जहां दुल्हनों के लिए किराए पर शादी के कपड़े मिलते हैं. कई महिलाएं यहां शादी के कपड़ों की तलाश में आती हैं और उनमें से अधिकांश निराश नहीं होतीं.
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कैरवैन में दुकान
रजिस्ट्री कार्यालय के ठीक बाहर खड़ी हरे रंग की कैरवैन अलग ही नजर आती है. इसके अंदर 37 साल की डैफने गाउन, बालों की स्टाइलिंग, मेक-अप आदि से लेकर गुलदस्तों और साज-सजावट का सामान भी रखती हैं. वो एक दिन में करीब छह महिलाओं को तैयार करती हैं.
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कौन खरीदेगा महंगी ड्रेस
शादी के बाद ड्रेस के किनारों से धूल साफ करने के लिए उसे हाथ से धोना पड़ता है. जिंबाब्वे दुनिया के सबसे गरीब देशों में से है और गंभीर रूप से महंगाई से पीड़ित है. 2021 में महंगाई दर 98.5 प्रतिशत थी. ऐसे में सिर्फ कुछ घंटे पहनने के लिए एक महंगी ड्रेस कौन खरीदता है? स्थानीय लोगों में ऐसे खरीदार बहुत कम हैं.
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दुल्हन का इंतजार
जिंबाब्वे में 20 से 49 साल तक की उम्र की एक-तिहाई महिलाओं की शादी 18 साल से पहले हो जाती है. यूनिसेफ देश में बाल विवाहों को लेकर भी चेतावनी देता रहा है. पांच प्रतिशत स्थानीय बच्चियों की शादी 15 साल की उम्र से पहले ही शादी कर दी जाती है.
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सबके लिए गाउन
सीवर्दी के कैरवैन में महिलाएं अपने लिए सही गाउन ढूंढ रही हैं. वो कहती हैं, "यहां जवान भी आती हैं और बुजुर्ग भी." एक 45 साल की दुल्हन को अपनी पसंदीदा ड्रेस मिल गई है. वो कहती हैं कि ड्रेस अच्छी है और सस्ती है. साथ ही वो सीवर्दी की तरफ देख, मुस्कुराते हुए कहती हैं, "और अगर मैं मोल-भाव करूं तो यह लोग मुझे इसे 50 डॉलर में दे देंगे."
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मेहमान आ गए
सीवर्दी ने कई शादियां देखी हैं. आम तौर पर दुल्हन तैयार होने के लिए उनके पास पहले आ जाती है. बाद में दोस्त, रिश्तेदार रजिस्ट्री दफ्तर के सामने वाले चौराहे पर इकट्ठा होते हैं और दूल्हा अपनी भावी पत्नी के कैरावैन में से निकलने का इंतजार करता है.
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सपनों की ड्रेस
सीवर्दी विधवा हैं और अपना व्यापार शुरू करने से पहले वो एक टीचर थीं. उनके साथ दो हेल्पर भी काम करती हैं और तीनों महिलाएं साथ मिल कर ग्राहकों का ख्याल रखती हैं. इन सफेद, कढ़ाईदार ड्रेसों में से अधिकांश चीन में बनती हैं.
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प्यार, फिर सगाई, फिर शादी
सीवर्दी कहती हैं हर दूल्हे और दुल्हन की अपनी अनूठी कहानी है. कुछ महिलाओं के लिए तो वो शादी के पहले के लम्हों में हमराज बन जाती हैं. उनमें से अधिकांश खुश रहती हैं लेकिन, सीवर्दी धीरे से हंसते हुए कहती हैं, "कुछ का एक महीने बाद फोन आता है और वो कहती हैं, 'मुझे तलाक चाहिए'." (उलरीक शुल्ज)