पहले से ज्यादा सेक्स कर रहे हैं लिटल पेंग्विनः शोध
विवेक कुमार
२ फ़रवरी २०२४
ऑस्ट्रेलिया के फिलिप आईलैंड पर रहने वाले पेंग्विन संख्या में 40 हजार को पार कर गए हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ये पेंग्विन अब एक दूसरे के साथ ज्यादा संबंध बना रहे हैं और ज्यादा बच्चे पैदा कर रहे हैं.
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ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी तट पर स्थित फिलिप आईलैंड पर पेंग्विनों की आबादी 40 हजार को पार कर गई है. वैज्ञानिक कहते हैं कि ऐसा जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है क्योंकि समुद्र के पानी का तापमान बढ़ने से मछलियां बढ़ गई हैं और इन प्राणियों को खाने के लिए भरपूर भोजन मिल रहा है. इस भोजन से मिल रही अतिरिक्त ऊर्जा का इस्तेमाल वे सेक्स करने में कर रहे हैं.
फिलिप आईलैंड नेचर पार्क्स में समुद्रविज्ञानी और मेलबर्न स्थित मोनाश यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर आंद्रे चियार्दिया कहते हैं कि आसानी से और भरपूर भोजन मिलने से पेंग्विनों को संबंध बनाने के लिए खूब समय और ऊर्जा मिल रही है.
बदल रहा है व्यवहार
प्रोफेसर चियार्दिया लंबे समय से पेंग्विनों पर अध्ययन कर रहे हैं. ताजा अध्ययन में उन्होंने पाया कि फिलिप आईलैंड के लिटल पेंग्विन पहले से ज्यादा बार सेक्स कर रहे हैं और उनकी आबादी भी बढ़ रही है.
आर्कटिक-अंटार्कटिक: दुनिया के दो छोरों में कितना अंतर
आर्कटिक और अंटार्कटिक, दुनिया के दो छोर हैं. पृथ्वी के दो सिरे. दोनों जगहों पर जहां तक देखो बर्फ ही बर्फ. सतही तौर पर दोनों एक से दिखते हैं, लेकिन इनमें काफी फर्क है. आर्कटिक और अंटार्कटिक में क्या अंतर है, देखिए.
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भूगोल की एक काल्पनिक लकीर
पृथ्वी के बीच एक काल्पनिक रेखा मानी जाती है इक्वेटर, यानी विषुवत रेखा. जीरो डिग्री अक्षांश की यह लकीर पृथ्वी को उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में बांटती है. अंग्रेजी में, नॉदर्न और सदर्न हेमिस्फीयर. यह उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव की आधी राह में है. आर्कटिक जहां उत्तरी गोलार्ध में है, वहीं अंटार्कटिक दक्षिणी गोलार्ध में है. तस्वीर में: अंटार्कटिक का माउंट एरेबस
तस्वीर: Danita Delimont/PantherMedia/Imago
एक समंदर है, दूसरा महादेश
बचपन में भूगोल के पाठ में आपने महादेशों और महासागरों के नाम याद किए होंगे. सात महादेशों में से एक है अंटार्कटिक और पांच महासागरों में से एक है आर्कटिक. अंटार्कटिक, सागर से घिरी जमीन है. वहीं आर्कटिक जमीन से घिरा सागर. यह दोनों इलाकों के बीच का सबसे बड़ा फर्क है.
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बर्फ में भी अंतर
आर्कटिक महासागर के ऊपर बर्फ की जो पतली परत है, वो लाखों साल पुरानी है. वैज्ञानिक इसे 'पेरीनियल आइस' कहते हैं. आर्कटिक की गहराई करीब 4,000 मीटर (चार किलोमीटर) है. उसकी अंदरूनी दुनिया को हम अब भी बहुत नहीं जानते. दूसरी तरफ अंटार्कटिक बर्फ की बहुत मोटी परत से ढका है. तस्वीर: अंटार्कटिक में गोता लगाती एक व्हेल
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पेंग्विन और पोलर बियर
पेंग्विन और ध्रुवीय भालू, इन दोनों को आप साथ नहीं देखेंगे. पेंग्विन केवल दक्षिणी गोलार्ध में पाए जाते हैं. सबसे ज्यादा पेंग्विन अंटार्कटिक में रहते हैं. इसके अलावा गलापगोस आइलैंड्स, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड में भी इनकी कुदरती बसाहट है.
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पोलर बियर का घर
पोलर बियर पृथ्वी के सुदूर उत्तरी हिस्से आर्कटिक में रहते हैं. देशों में बांटें तो इनकी बसाहट ग्रीनलैंड, नॉर्वे, रूस, अलास्का और कनाडा में है. पेंग्विन और पोलर बियर में एक समानता ये है कि क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण दोनों के घर और खुराक पर बड़ा जोखिम मंडरा रहा है.
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इंसानी रिहाइश
हजारों साल से आर्कटिक में इंसान रहते आए हैं. जैसे कि मूलनिवासी इनौइत्स और सामी. वहीं दक्षिणी ध्रुव से हमारी पहचान को बहुत ज्यादा वक्त नहीं बीता. 19वीं और 20वीं सदी में जिस तरह दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों तक पहुंचने की होड़ लगी थी, वैसी ही महत्वाकांक्षा साउथ पोल के लिए भी थी. काफी कोशिशों के बाद दिसंबर 1911 में नॉर्वे के खोजी रोल्ड एमंडसन को दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने में कामयाबी मिली.
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हरियाली
अंटार्कटिक का ज्यादातर हिस्सा स्थायी रूप से बर्फ से ढका रहता है. ऐसे में पौधों के उगने के लिए बहुत कम ही जगह है. यहां ज्यादातर लाइकेन्ज और मॉस के रूप में ही वनस्पति है. आर्कटिक अपेक्षाकृत कहीं ज्यादा हरा-भरा है. यहां करीब 900 प्रजातियों की काई और 2,000 से भी ज्यादा प्रकार के वैस्क्यूलर प्लांट पाए जाते हैं. इनमें ज्यादातर फूल के पौधे हैं.
तस्वीर: picture alliance/Global Warming Images
मौसम का फर्क
आर्कटिक के लिए जून का महीना 'मिड समर' है, यानी आधी गर्मी बीत गई और आधी बची है. मार्च से सितंबर तक सूरज लगातार क्षितिज से ऊपर होता है और 21 जून के आसपास यह सबसे ऊंचे पॉइंट पर पहुंचता है. वहीं अंटार्कटिक में इसका उल्टा है. वहां 21 दिसंबर के आसपास मिड समर होता है, यानी सूरज क्षितिज में सबसे ऊपर पहुंचता है.
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स्थानीय मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में चियार्दिया ने बताया, "ये पक्षी समय से डेढ़ महीना पहले बच्चे पैदा कर रहे हैं. जब वे ऐसा करते हैं तो सोचते हैं कि क्यों ना एक बार फिर कर लिया जाए.”
आमतौर पर माना जाता है कि पेंग्विन अपने साथी के प्रति वफादार रहते हैं लेकिन चियार्दिया के मुताबिक फिलिप आईलैंड पर रहने वाले ये लिटल पेंग्विन रिश्ते बनाने में तेज होते हैं. वह कहते हैं, "अगर कुछ गड़बड़ होती है और रिश्तों में दिक्कत हो जाती है तो वे नया साथी खोज लेते हैं. छिपकर तो वे एक ही रात में चार-पांच के साथ हो सकते हैं.”
वैसे, संख्या बढ़ने के मामले में पेंग्विन की अन्य प्रजातियां फिलिप आईलैंड के लिटल पेंग्विनों जितनी खुशकिस्मत नहीं हैं. एक शोध में अनुमान लगाया गया है कि 90 प्रतिशत एंपरर पेंग्विन सन 2100 तक खत्म हो सकते हैं.
कम नहीं हुई मुसीबत
2022 में ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के नाम से हुए अध्ययन में पाया गया कि दस हजार नन्हे पेंग्विन समुद्र की सतह पर जमी बर्फ के टूटने से मर गए क्योंकि बर्फ समय से पहले टूट गई और तब तक वे तैरना नहीं सीख पाए थे. इसकी वजह भी जलवायु परिवर्तन को बताया गया था.
बेलिंगहाउजेन समुद्र के किनारे पर यह घटना पश्चिमी अंटार्कटिक में हुई. घटना को उपग्रहों ने दर्ज भी किया. ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे (बीएएस) के डॉ. पीटर फ्रेटवेल ने बताया कि यह घटना आने वाले समय का संकेत है.
धरती के सबसे ठंडे महाद्वीप 'अंटार्कटिक' की हैरान करने वाली बातें
बर्फ की मोटी चादर से ढके धरती के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित अंटार्कटिक के कई अद्भुत राज हैं. देखिए कैसे कैसे कीर्तिमान हैं साउथ पोल के नाम.
तस्वीर: E. Hummel/blickwinkel/picture alliance
99 फीसदी बर्फ
यह धरती का सबसे बड़ा मरुस्थल है. करीब 13,829,430 वर्ग किलोमीटर में फैला यह बर्फीला इलाका पूरे यूरोप के आकार का करीब 1.3 गुना है. दिसंबर से फरवरी तक वहां गर्मी का मौसम होता है. लेकिन उस दौरान भी 99 फीसदी हिस्सा बर्फ से ढका ही रहता है. कहीं कहीं बर्फ 5 किलोमीटर तक मोटी होती है.
तस्वीर: British Antarctic Survey/REUTERS
हर तरह की अति
अंटार्कटिक धरती का सबसे ठंडा महाद्वीप है. यहां न्यूनतम तापमान -98.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. केवल यही नहीं, यह धरती का सबसे सूखा और हवादार महाद्वीप भी है क्योंकि यहां कभी बारिश या हिमपात नहीं होता लेकिन कड़ाके सर्दी की वजह से हमेशा बर्फ जमी रहती है.
समय का आभास नहीं
अंटार्कटिक में महाद्वीप के अलावा दक्षिणी ध्रुव सागर भी आता है. अंटार्कटिक पोलर फ्रंट इस महाद्वीप की सीमा बनाता है, जहां दक्षिण का ठंडा पानी उत्तर के गर्म पानी को छूता है. अंटार्कटिक सभी देशांतरों से गुजरता है और सभी टाइम जोनों पर इसका विस्तार है. इसीलिए यहां बने रिसर्च स्टेशन अपने अपने देशों के समय को ही मानते हैं.
तस्वीर: Tim Heitland
सारे हैं अस्थाई निवासी
अंटार्कटिक की आबादी अंतरराष्ट्रीय रिसर्च टीमों से बनी है. गर्मियों में यहां रहने वालों की तादाद करीब 4000 वैज्ञानिकों तक पहुंच जाती है तो कड़ी सर्दियों में केवल 1000 रिसर्चर ही बचते हैं. यहां करीब 80 रिसर्च स्टेशन बने हैं, जहां रह कर 30 देशों के रिसर्चर काम करते हैं. तस्वीर में जर्मनी का नॉयमायर स्टेशन III दिख रहा है.
तस्वीर: Tim Heitland
असली निवासी कौन
केवल सात मिलीमीटर लंबे यह छोटे जीव इस इलाके के असली निवासी माने जा सकते हैं. यह बेहद छोटे होने के बावजूद अंटार्कटिक में रहने वाले सबसे विशाल स्थाई जीव हैं. इनका नाम है अंटार्कटिक मिज (बेल्जिका अंटार्कटिका). लार्वा से पूर्ण वयस्क बनने में इन्हें दो साल का समय लगता है. ज्यादातर वक्त तो इसके लार्वा बर्फ में जमे ही पड़े रहते हैं.
तस्वीर: Reuters
प्यारी पेंग्विन
जैसे उत्तरी ध्रुव पर ध्रुवीय भालू पाए जाते हैं वैसे ही दक्षिणी ध्रुव पर स्थित अंटार्कटिक में पेंग्विन. पेंग्विनों की कुल 17 प्रजातियों में से 4 मूल रूप से यहीं पाई जाती हैं. इनमें से एक है इंपरर पेंग्विन.
तस्वीर: Raimund Linke/picture-alliance/Zoonar
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अंटार्कटिक में 2016 से बर्फ में खासी कमी देखी गयी है और कुल बर्फीले क्षेत्र का इलाका नये निम्न स्तर पर पहुंच गयी है. पिछली दो गर्मियों में सबसे ज्यादा कमी देखी गयी है. 2021-22 और 2022-23 में तो बेलिंगहाउजेन में आइस-कवर पूरी तरह खत्म हो गया था. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसकी वजह से पेंग्विनों के लिए जगह लगातार खत्म होती जाएगी.