जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए लगाइए 1000 अरब पेड़
ऋषभ कुमार शर्मा
५ जुलाई २०१९
बड़ी संख्या में पेड़ लगाना जलवायु परिवर्तन को रोकने का अच्छा तरीका हो सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अमेरिका जितने क्षेत्रफल में पेड़ लगाने से कार्बन उत्सर्जन को दो तिहाई तक कम किया जा सकता है. धरती पर इतनी जगह है.
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मौसम इंसानी जिंदगी के सबसे अहम हिस्सों में से एक है. आज कल मौसम तेजी से बदल रहा है. गर्मियों में ज्यादा गर्मी पड़ रही है और सर्दियों में ज्यादा सर्दी. बारिश असामान्य तरीके से हो रही है. कहीं बहुत ज्यादा और कहीं बहुत कम. इन सबके पीछे एक ही वजह बताई जाती है, धरती का लगातार ग्रम होना और उसकी वजह से जलवायु परिवर्तन. ये एक ऐसी समस्या है जिससे पूरा विश्व जूझ रहा है.
स्विट्जरलैंड के एक वैज्ञानिक द्वारा छापी गई रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन को रोका जा सकता है. इसके लिए एक काम करना होगा. पूरी दुनिया में पेड़ लगाना. वो भी 1000 अरब यानि पूरे 10 खरब पेड़. इतने पेड़ लगाने के लिए अमेरिका के क्षेत्रफल के बराबर यानी 96.3 लाख वर्ग किलोमीटर जगह चाहिए होगी. इसी रिपोर्ट में लिखा गया है कि दुनिया में पेड़ लगाने के लिए इतनी खाली जगह मौजूद है. इसके लिए अनाज उपजाने वाले खेतों का इस्तेमाल नहीं करना होगा.
वैज्ञानिक टॉम क्राउटर ने कहा, "जलवायु परिवर्तन के हर समाधान के लिए हमें अपने व्यवहार में अंतर करना होगा. हमें राजनीतिज्ञों से भी कई सारे निर्णयों की उम्मीद है चाहे वो जलवायु परिवर्तन को मानते हों या नहीं. पेड़ लगाने का यह समाधान ना सिर्फ सबसे बढ़िया उपाय है बल्कि ऐसा उपाय है जिसमें दुनियाभर के सभी लोग शामिल हो सकते हैं."
इस रिसर्च के मुताबिक अगर आने वाले दशकों में इतने पेड़ लगाए जाएं तो ये 830 अरब टन कार्बन डाई ऑक्साइड को सोख सकेंगे. यह मात्रा कुल मिलाकर पूरे 25 साल में फैले कार्बन प्रदूषण की है.
क्राउटर ने कहा, "यह एक बहुत सस्ता उपाय है लेकिन ये टिकेगा तभी जब कार्बन उत्सर्जन में कमी की जाए." दूसरे वैज्ञानिकों का भी कहना है कि जलवायु परिवर्तन को तेजी से ठीक करने के लिए कुछ व्यावहारिक परिवर्तन करने ही होंगे. जैसे मांसाहार में कमी करना. इस रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल रूस, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील और चीन में पेड़ लगाने के लिए सबसे ज्यादा खाली जगह है. हाल के दशकों में ब्राजील तेजी से घट रहे जंगलों के चलते चर्चा में है.
पेड़ लगाने का फायदा जल्दी ही दिखने लगेगा क्योंकि पेड़ युवा अवस्था में ज्यादा तेजी से हवा से कार्बन डाई ऑक्साइड को सोखते हैं. पेड़ लगाने से जैव विविधता भी बनी रहेगी. साथ ही, जैव विविधता की कमी से आ रही बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा को रोका जा सकेगा. कुछ वैज्ञानिक इस रिसर्च से सहमत नहीं हैं और उन्होंने इस रिसर्च के नतीजों पर संदेह जताया है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और वैज्ञानिक माइलेस एलेन ने कहा, "बड़ी मात्रा में पेड़ लगाना एक अच्छी रणनीति हो सकती है लेकिन यही सबसे अच्छा तरीका होगा, मुझे ऐसा नहीं लगता. इसके लिए जीवाश्म ईंधन जैसे कच्चे तेल के इस्तेमाल को बेहद कम कर के जीरो तक लाना होगा. इसके बिना जलवायु परिवर्तन को रोकना मुश्किल है."
पेड़ों को लेकर भारत में भी तमाम बहसें चल रही हैं. मानसून में बारिश की कमी के बाद ये बहस तेज हो गई है. इसी बीच अहमदाबाद से मुंबई के बीच बन रही बुलेट ट्रेन के लिए मुंबई के आस पास 54,000 मैंग्रोव के पेड़ काटे जाने की सूचना महाराष्ट्र सरकार ने दी है. हालांकि सरकार का कहना है कि काटे गए हर एक मैंग्रोव के पेड़ के बदले पांच मैंग्रोव के पेड़ लगाए जाएंगे. इन मैंग्रोव के पेड़ों को काटे जाने से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा.
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के चलते दुनिया के कई देश भीषण गर्मी के दौर से गुजर रहे हैं. वेबसाइट स्काइमेटवेदर डॉट कॉम ने दुनिया के दस सबसे गर्म देशों की सूची जारी है. भारत को भी इस सूची में जगह मिली है.
तस्वीर: Reuters/H. Amara
सूडान
अफ्रीकी देश सूडान में साल भर गर्मी पड़ती है. बरसात के दिनों में भी यहां तापमान 45 डिग्री तक पहुंच जाता है. सूडान दुनिया का गर्म और सूखा देश है यहां औसतन तापमान 52 डिग्री के आसपास रहता है.
तस्वीर: picture-alliance/imageBROKER/U. Doering
ओमान
अरब दुनिया में शुमार ओमान दुनिया के रईस देशों में से एक है. अमीर होने के अलावा यह दुनिया में काफी गर्म भी रहता है. साल के पांच से छह महीने ओमान में तापमान 50 से 53 डिग्री के करीब रहता है.
तस्वीर: MHC
इराक
युद्धग्रस्त इराक के सामने गरीबी और बदहाली के अलावा गर्मी भी बड़ी समस्या है. मध्य पूर्व के देशों में तापमान औसतन 48 से 54 डिग्री के बीच बना रहता है. हालांकि इराक के उत्तरी इलाके पहाड़ी हैं जिसके चलते सर्दियों के दिनों में यहां बर्फ भी पड़ती है. लेकिन बाकी इराक काफी तपता है.
तस्वीर: Reuters/Rasheed
भारत
एक अरब से ज्यादा की आबादी वाले भारत में हर मौसम नजर आता है. कही सर्दी तो कही गर्मी. लेकिन हाल के सालों में देश में गर्मी का प्रकोप बढ़ा है. देश के बड़े हिस्से में सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं. उत्तर भारत में तापमान 45 से 48 डिग्री होना अब आम बात है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R.K. Singh
मेक्सिको
मध्य अमेरिकी देश मेक्सिको में भी गर्मियों के दिनों में तापमान 50 डिग्री के पार पहुंच जाता है. बावजूद इसके मेक्सिको के तमाम समुद्री तटों पर दुनिया भर से लोग गर्मियों में छुट्टियां मनाने जाते हैं.
दक्षिणपूर्व एशिया में स्थित मलेशिया भूगौलिक रूप से भूमध्य रेखा के करीब है. इसके चलते यहां तीव्र जलवायु परिवर्तन होता है. साल भर तापमान 25 से 35 डिग्री के करीब बना रहता है लेकिन कभी तापमान 45 डिग्री को भी पार कर जाता है.
तस्वीर: Reuters/T. Sylvester
अल्जीरिया
उत्तरी अफ्रीकी देश अल्जीरिया में दिन गर्म और रात बेहद ठंडी होती है. हालांकि यहां हल्की फुल्की बारिश भी होती रहती है. कई बार दिन में तापमान 50 डिग्री के करीब पहुंच जाता है. सर्दियों के दिनों में औसतन तापमान 25 डिग्री के करीब रहता है. यहां गर्मियां बेहद सख्त और उमस भरी होती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Messara
सऊदी अरब
सऊदी के गर्म मौसम के लिए रेगिस्तान से आने वाली गर्म हवाएं जिम्मेदार हैं. इसलिए साल भर यहां तापमान 50 डिग्री के करीब बना रहता है. अन्य खाड़ी देशों की ही तरह सऊदी अरब में भी कम बारिश होती है और यही इसके उच्च तापमान का कारण है. दिन के वक्त यहां तापमान 52 डिग्री तक पहुंचना आम बात है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Timberlake
इथियोपिया
पूर्वी अफ्रीकी में स्थित मुस्लिम बहुल देश इथियोपिया भी गर्मी के कहर से जूझ रहा है. यह अफ्रीका का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है. इथियोपिया के नाम ऐसे रिकॉर्ड भी हैं जब तापमान 63 डिग्री तक पहुंच गया है.
लीबिया में तापमान बढ़ने के चलते हर साल लोगों को तमाम तरह की त्वचा संबंधी बीमारियां होती है. गर्मी के दिनों में यहां तापमान 55 डिग्री तक पहुंच जाता है. दुनिया में अब तक का सबसे उच्चतम तापमान लीबिया में ही रिकॉर्ड किया गया था. साल 1922 में लीबिया में 57.8 डिग्री तापमान दर्ज किया गया था.