जो प्लेबॉय बनते हैं, उन्हें मानसिक रोग ज्यादा होते हैं: शोध
२३ नवम्बर २०१६
जो पुरुष यौन संबंधों को लेकर उच्छृंखल होते हैं या महिलाओं पर खुद को बहुत ताकतवर महसूस करते हैं, उनके मानिसक रूप से बीमार होने के खतरे ज्यादा होते हैं.
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हाल ही में जारी एक अध्ययन से पता चला है कि महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण रवैय रखने वाले लोग मानसिक समस्याओं से ज्यादा घिरते हैं.
अमेरिकन साइकोलॉजिकल असोसिएशन की पत्रिका जर्नल ऑफ काउंसलिंग साइकॉलजी में यह अध्ययन रिपोर्ट छपी है. इसमें भेदभावपूर्ण रवैये और मानसिक बीमारियों के बीच संबंध स्थापित किया गया है. स्टडी कहती है कि डिप्रेशन से लेकर नशीली दवाओं की लत जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा उन लोगों में ज्यादा होता है जो महिलाओं को समान नहीं समझते.
देखिए, सेक्स के मामले में सबसे संतुष्ट देश
सबसे "संतुष्ट" देश
जिन देशों में सेक्स को वर्जना की तरह नहीं देखा जाता, वहां सेक्स संबधी बीमारियां, टीन प्रेग्नैंसी और गर्भपात के मामले कम दिखते हैं. साथ ही ऐसे देशों के लोग अपनी सेक्स लाइफ से संतुष्ट भी रहते हैं.
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स्विट्जरलैंड
यौनकर्मियों को कानूनी दर्जा देना, पोर्नोग्राफी को लचीला बनाना, किंडरगार्टन में सेक्स एजुकेशन, इन सब मामलों में स्विस समाज अग्रणी है. आल्टरनेट वेबसाइट के डाटा के मुताबिक दुनिया में स्विट्जरलैंड के लोग यौन संबंधों में सबसे ज्यादा संतुष्ट हैं. स्विट्जरलैंड में नाबालिग माओं का अनुपात सबसे कम है.
एक तिहाई स्पैनिश नागरिक भी अपने यौन जीवन से संतुष्ट हैं. स्पेन के लोगों का मानना है कि एक ही पार्टनर के साथ लंबा वक्त बिताने से जीवन में संतुष्टि आती है.
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इटली
मेन्स हेल्थ मैग्जीन के मुताबिक इटली में खाने-पीने और सेक्स का करीबी रिश्ता है. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 64 फीसदी इतालवी लोगों ने सेक्स को लेकर कोई शिकायत नहीं की.
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ब्राजील
ब्राजील के पुरुषों को स्पैनिश पुरुषों के बाद दूसरे नंबर का बेस्ट लवर कहा जाता है. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 82 फीसदी लोगों ने माना कि वे हफ्ते में एक बार सेक्स करते हैं.
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ग्रीस
ग्रीस में सेक्स पर बातचीत करने में लोग झिझकते नहीं. ड्यूरेक्स के सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोगों में से 51 फीसदी ने अपनी सेक्स लाइफ पर खुशी जताई.
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नीदरलैंड्स
64 फीसदी डच मानते हैं कि सेक्स जिंदगी की बुनियादी जरूरत है. नीदरलैंड्स में टीन प्रेग्नैंसी की दर 0.53 फीसदी है. एचआईवी संक्रमण भी बहुत कम है.
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मेक्सिको
2008 में मेक्सिको सरकार ने स्कूलों में सेक्स एजुकेशन की 7,00,000 किताबें बंटवाई. किताबों के जरिए बच्चों को बर्थ कंट्रोल, गर्भपात और समलैंगिंकता के बारे में जानकारी दी गई.
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ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया के 75 फीसदी लोगों ने माना कि वे गाड़ी में या यात्रा के दौरान सेक्स कर चुके हैं. 27 फीसदी महिलाओं ने सेक्स लाइफ में किसी तरह के बदलाव से इनकार किया.
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नाइजीरिया
ड्यूरेक्स के शोध में नाइजीरिया को सबसे ऊपर रखा गया है. देश के 67 फीसदी लोग अपने यौन जीवन से संतुष्ट नजर आए. वहां संभोग का औसत समय भी सबसे लंबा है, 24 मिनट.
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जर्मनी
जर्मनों को भले ही दुनिया का सबसे खराब प्रेमी करार दिया जाए लेकिन सेक्स संतुष्टि के मामले में वे आगे हैं. जर्मनी की सेक्स एजुकेशन को दुनिया की सबसे अच्छी शिक्षा प्रणालियों में गिना जाता है.
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चीन
चीन को भले ही रुढ़िवादी समाज के तौर पर देखा जाता हो, लेकिन दरवाजों के भीतर नजारा अलग है. चीन के लोग सेक्स के मामले में बेहद सक्रिय हैं. 78 फीसदी लोग हफ्ते में एक बार सेक्स करते हैं.
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संवाद और सम्मान का रिश्ता
आल्टरनेट और ड्यूरेक्स के शोध के मुताबिक अगर पार्टनर एक दूसरे का सम्मान करते हैं तो सेक्स लाइफ भी बेहतर होती है. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 82 फीसदी लोगों ने इसे स्वीकार किया.
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अमेरिका में इंडियाना यूनिवर्सिटी ब्लूमिंगटन के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है. मुख्य शोधकर्ता जोएल वोंग कहते हैं, "कुछ मर्दवादी भेदभावपूर्ण बातें जैसे खुद को प्लेबॉय समझना और महिलाओं पर हावी होने की कोशिश करना सामाजिक अन्याय तो हैं ही, साथ ही ये आपकी मानसिक सेहत के लिए भी ठीक नहीं हैं."
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जबकि इतिहास का सबसे विवादित अमेरिकी चुनाव खत्म हुआ है. यह चुनाव रिपब्लिकन उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप ने जीता है, जो कई मौकों पर महिला विरोधी और भेदभावपूर्ण बातें कह चुके हैं. उनकी ऐसी टिप्पणियों की लगातार आलोचना होती रही है.
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यह सिर्च अमेरिका में पिछले 11 सालों में हुए 70 अध्ययनों के आधार पर हुई है जिनमें 19 हजार पुरुषों के व्यवहार का अध्ययन किया गया. इसके लिए 11 ऐसे व्यवहागरत लक्षणों का अध्ययन किया गया जिन्हें विशेषज्ञ समाज में मर्दवाद की प्रतिछवियां मानते हैं. इनमें जीतने की ललक से लेकर खतरे उठाने की प्रवृत्ति तक शामिल हैं. जिन लक्षणों को मानसिक रोगों के सबसे नजदीक पाया गया उनमें यौन संबंधों में उच्छृंखलता, प्लेबॉय जैसा व्यवहार, महिलाओं पर खुद को हावी करने की कोशिश और बस अपने ही ऊपर भरोसा करने की प्रवृत्ति शामिल है.
वोंग कहते हैं, "अपने ही ऊपर भरोसा करने की प्रवृत्ति का सबसे अच्छा उदाहरण ऐसे पुरुष होते हैं जिन्हें भटक जाने पर दूसरों से रास्ता पूछने में दिक्कत होती है." अध्ययन कहता है कि ऐसे पुरुष मानसिक समस्या होने पर मदद लेने में भी झिझकते हैं.