भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लीजन ऑफ मेरिट से सम्मानित किया गया है. राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने पदक स्वीकार किया.
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प्रधानमंत्री मोदी को राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने में उनके नेतृत्व के लिए लीजन ऑफ मेरिट से सम्मानित किया गया है. वॉशिंगटन में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ' ब्रायन ने भारतीय राजदूत को मेडल सौंपा. लीजन ऑफ मेरिट एक शीर्ष सम्मान है जो किसी देश या सरकार के प्रमुख को दिया जाता है. मोदी को यह सम्मान उनके दृढ़ नेतृत्व, भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में उभारने के लिए गति देने, वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और अमेरिका और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए दिया गया है. रॉबर्ट ओ' ब्रायन ने मेडल देने वाली तस्वीर ट्वीट कर लिखा, "राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लीजन ऑफ मेरिट से सम्मानित किया है. उन्होंने जिस तरह से भारत को वैश्विक मंच पर पहुंचाया है और भारत-अमेरिका के रिश्तों को मजबूत किया है उसके लिए ये सम्मान दिया गया है."
क्या है लीजन ऑफ मेरिट
यह मेडल अमेरिकी सेना के सदस्यों, विदेशी सैन्य सदस्यों और उन राजनीतिक हस्तियों को दिया जाता है, जिन्होंने उत्कृष्ट सेवाओं और उपलब्धियों का प्रदर्शन किया है. अमेरिकी संसद ने 20 जुलाई 1942 को इस मेडल की शुरुआत की थी. लीजन ऑफ मेरिट सर्वोच्च सैन्य पदकों में से एक है. गौरतलब है कि ट्रंप के कार्यकाल के दौरान दोनों देशों के बीच रिश्ते आगे बढ़े हैं और दोनों नेता एक साथ कार्यक्रम में भी नजर आ चुके हैं.
मोदी के अलावा इस बार ये सम्मान ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को भी दिया गया है. ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ भी अमेरिका के रिश्ते बीते सालों में मजबूत हुए हैं. गौरतलब है कि अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया क्वाड सदस्य हैं जो कि चीन की रणनीति की काट के लिए बनाया गया है.
संयुक्त राष्ट्र के मानव विकास सूचकांक 2020 में भारत ने 189 देशों में 131वां स्थान पाया है. 2018 के मुकाबले भारत सूचकांक में एक स्थान नीचे गिरा है. जानिए क्यों आई भारत के प्रदर्शन में गिरावट.
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भारत से बेहतर भूटान
मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) देशों के स्वास्थ्य और शिक्षा मानकों और जीवन के स्तर को मापने का एक पैमाना है. इस बार भारत को एचडीआई में 0.645 अंक मिले हैं, जिसकी वजह से उसे मध्यम मानव विकास की श्रेणी में रखा गया है. इस श्रेणी में भारत के पड़ोसी देशों में भूटान का प्रदर्शन (129वां स्थान) भारत से बेहतर है. बांग्लादेश 133वें स्थान पर है, नेपाल 142वें और पाकिस्तान 154वें.
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स्कोर बढ़ा, रैंक गिरी
भारत का 2019 का एचडीआई स्कोर (0.645) 2018 के स्कोर (0.642) से बेहतर है, लेकिन अभी भी विकासशील देशों के औसत (0.689) से नीचे है. सूचकांक बनाने वाली यूएनडीपी के स्थानीय प्रतिनिधि के अनुसार ऐसा नहीं है कि "भारत ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन दूसरे देशों ने और बेहतर किया."
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मानव विकास की धीमी होती रफ्तार
1990 से 2000 के दशक में भारत के अंकों में हर साल औसत 1.44 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. 2000 से 2010 के दशक में यह आंकड़ा 1.58 प्रतिशत हो गया, लेकिन 2010 से 2019 के बीच मानव विकास की रफ्तार गिर कर 1.21 प्रतिशत प्रति वर्ष हो गई. पिछले कुछ सालों में यह दर और भी गिर कर 2018 में 0.3 प्रतिशत और 2019 में 0.5 प्रतिशत पर आ गई.
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अनुमानित जीवन-काल
एचडीआई रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में भारत में जन्म के समय अनुमानित जीवन-काल 69.7 साल था. बांग्लादेश में यह आंकड़ा भारत से बेहतर 72.6 साल है और पाकिस्तान में भारत से खराब 67.3 साल है.
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स्कूल में शिक्षा हासिल करने की अवधि
भारत में स्कूल में पढ़ने की औसत अनुमानित अवधि 12.2 साल रही. इसमें भारत दूसरे देशों के मुकाबले 125वें पायदान पर है. स्कूली शिक्षा हासिल करने की असल अवधि इससे भी नीचे 6.5 साल ही रही.
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कुपोषण की मार
रिपोर्ट के मुताबिक भारत, कंबोडिया और थाईलैंड में बच्चों में स्टंटिंग और वेस्टिंग जैसी कुपोषण से जुड़ी समस्याएं ज्यादा नजर आ रही हैं. भारत में विशेष रूप से लड़कों के मुकाबले लड़कियों में ज्यादा कुपोषण देखने को मिल रहा है, जिसकी वजह लड़कियों के प्रति माता-पिता का व्यवहार और लड़कियों की शिक्षा और स्वास्थ्य में सरकारी निवेश में गिरावट है.
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प्रति व्यक्ति आय
2018 के मुकाबले 2019 में भारत में क्रय शक्ति समता (परचेजिंग पावर पैरिटी) के आधार पर प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (ग्रॉस नेशनल इनकम पर कैपिटा) में भी गिरावट आई और यह 6,829 डॉलर से गिर कर 6,681 डॉलर पर आ गई. इसमें भारत दूसरे देशों के मुकाबले 162वें पायदान पर है.
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नॉर्वे का सबसे अच्छा प्रदर्शन
सूचकांक में सबसे ऊपर रहा नॉर्वे. उसके बाद चोटी के पांच देशों में आयरलैंड, स्विट्जरलैंड, हांगकांग और आइसलैंड शामिल रहे. चोटी के 10 देशों में जर्मनी, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड्स और डेनमार्क शामिल रहे.