नेपाल में चीन के बनाए हवाई अड्डे पर नहीं गए नरेंद्र मोदी
१७ मई २०२२
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को नेपाल दौरे पर हेलीकॉप्टर से सीधे लुंबिनी के महामाया मंदिर पहुंचे, जबकि पास में ही चीन का बनाया नया हवाई अड्डा शुरू किया गया.
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नेपाल ने सोमवार को जब चीन द्वारा बनाए गए एक हवाई अड्डे का उद्घाटन किया, तब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां से कुछ ही किलोमीटर दूर थे. बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर लुंबिनी में यह नया एयरपोर्ट पर्यटन को बढ़ावा देने की उम्मीद में शुरू किया गया है, जिसे सोमवार को नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने राष्ट्र को समर्पित किया. भारतीय प्रधानमंत्री भी बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर ही लुंबिनी में थे लेकिन उन्होंने एयरपोर्ट के रास्ते अपने आयोजन स्थल पर जाने के बजाय सीधे हेलीकॉप्टर से जाने का विकल्प चुना.
नेपाल को लेकर भारत और चीन के बीच प्रतिद्वन्द्विता रहती है. दोनों ही विशाल पड़ोसी इस छोटे हिमालयी देश में योजनाओं में निवेश करते हैं. आमतौर पर नेपाल दोनों देशों के बीच संतुलन बनाकर चलता है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के सालों में उसका झुकाव चीन की ओर बढ़ा है, जिसके पीछे चीन का भारी-भरकम निवेश भी है.
चीन का निवेश
चीन ने लुंबिनी के नजदीक भैराहवा में 7.6 करोड़ डॉलर यानी लगभग 6 अरब रुपये की लागत से यह हवाई अड्डा बनाया है. हालांकि इस परियोजना को एशियाई विकास बैंक और ओपेक देशों द्वारा धन दिया गया है. चीन के नॉर्थवेस्ट सिविल एविएशन एयरपोर्ट कंस्ट्रक्शन ग्रुप ने इसका निर्माण किया है. नेपाल का यह मात्र दूसरा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है.
एयरपोर्ट के उद्घाटन के बाद देउबा लुंबिनी में महात्मा बुद्ध की मायादेवी के मंदिर पहुंचे, जहां नरेंद्र मोदी अलग से पहुंचे और दोनों प्रधानमंत्रियों ने पूजा अर्चना की. मोदी ने एक भाषण में कहा, "दोनों देशों में भगवान बुद्ध को लेकर श्रद्धा हमें एकसूत्र में पिरोती है, एक परिवार का सदस्य बनाती है.” उधर नेपाली प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय नेता की लुंबिनी यात्रा इस जगह को अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में विशेष जगह देगी.
कितनी जानकारी है आपको बौद्ध धर्म के बारे में?
बौद्ध लोगों के बारे में आप क्या क्या जानते हैं? क्या आप जानते हैं कि दुनिया में इस धर्म को मानने वाले कितने लोग हैं और ये कहां कहां तक फैले हुए हैं?
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धर्म नहीं, जीने का तरीका
एशिया में ऐसे भी बहुत लोग हैं जो धर्म से तो बौद्ध नहीं है लेकिन बौद्ध धर्म का पालन जरूर करते हैं. ऐसे लोगों के लिए ये जीने का एक तरीका है, गौतम बुद्ध की एक सीख है.
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दुनिया की 7 प्रतिशत आबादी
2015 के आंकड़ों के अनुसार दुनिया की कुल आबादी में तकरीबन सात फीसदी हिस्सा बौद्ध लोगों का है. लेकिन कुछ शोध अनुमान लगाते हैं कि 2060 तक वे सिर्फ पांच फीसदी ही रह जाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि बड़ी संख्या में लोग बौद्ध भिक्षु बन जाते हैं और सन्यासी का जीवन व्यतीत करते हैं.
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चीन में सबसे ज्यादा
दुनिया के आधे बौद्ध लोग चीन में रहते हैं. लेकिन चीन की कुल आबादी में वे 18 फीसदी ही हैं. इसके अलावा अधिकतर बौद्ध लोग पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशिया में बसते हैं. 13 फीसदी थाईलैंड में और नौ फीसदी जापान में. वैसे थाईलैंड की 93 फीसदी आबादी बौद्ध है.
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नेपाल और भारत
सिद्धार्थ गौतम का जन्म नेपाल में लुंबिनी के एक हिंदू परिवार में हुआ. बिहार के गया में उन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ. बावजूद इसके भारत में महज एक प्रतिशत लोग ही बौद्ध धर्म से नाता रखते हैं. वहीं नेपाल में यह संख्या 10 प्रतिशत है.
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अमेरिका में भी?
भारत की तरह अमेरिका की भी एक प्रतिशत आबादी बौद्ध है. ये अधिकतर वे लोग हैं जो एशिया से आ कर अमेरिका में बस गए. इनमें ज्यादातर वियतनाम, दक्षिण कोरिया और जापान के लोग हैं.
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धर्म गुरु दलाई लामा
दलाई लामा तिब्बती बौद्ध लोगों के प्रमुख धर्म गुरु हैं. वो 14वें दलाई लामा हैं और उन्हें एक जीवित बोधिसत्व के रूप में माना जाता है.
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बूढ़ी आबादी?
दुनिया के अन्य धर्मों की तुलना में बौद्ध लोगों की मध्य आयु काफी ज्यादा है. जहां मुसलमानों की मध्य आयु 24 साल, हिंदुओं की 27 साल और ईसाईयों की 30 साल है, वहीं बौद्ध लोगों की मध्य आयु 36 साल है.
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नेपाल की सिविल एविएशन अथॉरिटी के मुखिया प्रदीप अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि अब तक काठमांडु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से ही यातायात होता था लेकिन वह अपनी पूरी क्षमता पर पहुंच चुका था. उन्होंने कहा, "नेपाल में हवाई यात्रियों की संख्या रोजाना के हिसाब से बढ़ रही है. हम काठमांडु में और उड़ानें नहीं जोड़ सकते. इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि नया हवाई अड्डा ज्यादा उड़ानों और यात्रियों की जरूरतें पूरी कर पाएगा.”
लुंबिनी यूनेस्को की विश्व धरोहरों में शामिल है. वहां हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक जाते हैं, जिनमें कंबोडिया, थाईलैंड, लाओस, श्रीलंका, म्यांमार और भारत से आने वाले लोग शामिल हैं.
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भारत की पनबिजली परियोजना
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान दोनों देशों ने मिलकर एक पनबिजली परियोजना के निर्माण का ऐलान किया है. 695 मेगावाट का यह हाइड्रोपावर प्लांट नेपाल के पूर्व में अरुण नदी पर बनाया जाएगा, जिससे नेपाल को 152 मेगावाट की मुफ्त बिजली मिलेगी.
नेपाली अधिकारियों ने बताया कि इस परियोजना को अरुण-4 नाम दिया गया है और इसे भारत के सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड व नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी द्वारा संयुक्त रूप से बनाया जाएगा. अथॉरिटी के प्रवक्ता सुरेश बहादुर भट्टराई ने बताया कि दोनों की साझेदारी 51-49 की होगी.
भट्टराई ने कहा, "अरुण-4 प्रोजेक्ट से नेपाल को 152 मेगावाट बिजली मुफ्त मिलेगी. उसके बाद बची बिजली दोनों देशों के बीच 51-49 के अनुपात में बांटी जाएगी. अभी लागत पर विमर्श जारी है और जो भी खर्चा होगा उसे इसी अनुपात में बांटा जाएगा."
इन देशों के हैं सबसे ज्यादा पड़ोसी देश
पड़ोसी देश मतलब वो देश जिनसे किसी देश की सीमा लगती है. भारत की सीमा सात देशों से लगती है. ये पड़ोसी देश बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, भूटान और अफगानिस्तान हैं. देखिए सबसे ज्यादा पड़ोसी किन देशों के हैं.
जाम्बिया
अफ्रीकी देश जाम्बिया 11वां सबसे ज्यादा पड़ोसियों वाला देश है. जाम्बिया की सीमा डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, अंगोला, मलावी, मोजांबिक, तंजानिया, नामीबिया, जिम्बाब्वे और बोतस्वाना से मिलती है.
तस्वीर: DW/C.Mwakideu
तुर्की
तुर्की 10वां सबसे ज्यादा पड़ोसियों वाला देश है. तुर्की की सीमा अर्मेनिया, जॉर्जिया, ईरान, इराक, सीरिया, अजरबैजान, बुल्गारिया और ग्रीस से लगती है. तुर्की के आठ पड़ोसी देश हैं जिनके साथ 2,648 किलोमीटर की सीमा लगती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Altan
तंजानिया
अफ्रीकी देश तंजानिया नवां सबसे ज्यादा पड़ोसियों वाला देश है. तंजानिया की सीमा केन्या, बुरुंडी, युगांडा, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, जांबिया, मलावी, मोजांबिक और रवांडा से लगती है. आठ पड़ोसी देशों से तंजानिया की 3,861 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है.
तस्वीर: DW/N. Quarmyne
सर्बिया
सर्बिया की सीमा रोमानिया, हंगरी, क्रोएशिया, बोस्निया और हरजेगोवनिया, मेसेडोनिया, बुल्गारिया, कोसोवो, और मॉन्टेनेग्रो से लगती है. नौ पड़ोसी देशों वाले सर्बिया की सीमा 2,027 किलोमीटर लंबी है. सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ये आठवें नंबर पर है.
तस्वीर: Reuters/M. Djurica
फ्रांस
फ्रांस के पड़ोसी देशों में बेल्जियम, जर्मनी, स्विटजरलैंड, इटली, स्पेन, अंडोरा, लक्जमबर्ग, मोनाको और ब्रिटेन में शामिल हैं. इन आठ पड़ोसी देशों के साथ फ्रांस की 623 किलोमीटर लंबी सीमा है. ब्रिटेन के साथ फ्रांस की जल सीमा है. सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ये सातवें नंबर पर है.
तस्वीर: Reuters/B. Tessier
ऑस्ट्रिया
ऑस्ट्रिया के भी आठ पड़ोसी देश हैं. इनमें हंगरी, स्लोवाकिया, चेक रिपब्लिक, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, इटली, लिश्टेनश्टाइन और स्लोवेनिया शामिल हैं. ऑस्ट्रिया की सीमा 2,562 किलोमीटर की है. सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ये छठे नंबर पर है.
तस्वीर: Imago Images/Xinhua/Guo Chen
जर्मनी
जर्मनी के सभी नौ पड़ोसी देशों के नाम नीदरलैंड्स, बेल्जियम, फ्रांस, स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक, पोलैंड, डेनमार्क और लक्जमबर्ग हैं. जर्मनी की सबसे सीमा चेक रिपब्लिक के साथ लगी है, जो 815 किलोमीटर लंबी है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/Y. Tang
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो
सबसे ज्यादा पड़ोसी देशों के मामले में चौथे स्थान पर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो है. इसके पड़ोसी बुरुंडी, रवांडा, युगांडा, दक्षिण सूडान, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, कॉन्गो रिपब्लिक, अंगोला, जाम्बिया और तंजानिया हैं. इसकी सीमा की लंबाई 2410 किलोमीटर है.
तस्वीर: AFP
ब्राजील
सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ब्राजील तीसरे स्थान पर है. ब्राजील के 10 पड़ोसी देश हैं जिनमें सूरीनाम, गुएना, फ्रेंच गुएना, वेनेजुएला, कोलंबिया, पेरू, बोलिविया, उरुग्वे, पैराग्वे और अर्जेंटीना शामिल हैं. ब्राजील की सीमा 14,691 किलोमीटर लंबी है.
तस्वीर: AFP/D. Ramalho
रूस
रूस के कुल 14 पड़ोसी हैं. इनमें 12 रूस की मुख्यभूमि और दो पड़ोसी मुख्यभूमि के दूर के एक इलाके के हैं. मुख्यभूमि के पड़ोसी फिनलैंड, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, बेलारूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, अजरबैजान, कजाखस्तान, चीन, मंगोलिया, उत्तरी कोरिया और नॉर्वे हैं. वहीं दो और पड़ोसियों लिथुआनिया और पोलैंड के बीच रूस का कलिनिन्ग्राद का इलाका है. रूस की सीमा 20,241 किलोमीटर लंबी है.
तस्वीर: Reuters/S. Zhumatov
चीन
सबसे ज्यादा पड़ोसी देश चीन के हैं. चीन की सीमा 14 देशों से लगती है. इनमें भारत, मंगोलिया, कजाखस्तान, उत्तरी कोरिया, रूस, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार, लाओस और वियतनाम शामिल हैं. इसके अलावा चीन के दो स्वायत्त इलाके हांगकांग और मकाउ भी उसके पड़ोसी हैं. चीन की थल सीमा की कुल लंबाई 22,117 किलोमीटर है.
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नरेंद्र मोदी के दौरे पर भारत और नेपाल के बीच छह समझौते हुए हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारतीय कंपनियां कुल मिलाकर 8,250 मेगावाट बिजली उत्पादन की परियोजनाओं पर बातचीत कर रही हैं और उम्मीद है कि अतिरिक्त बिजली को भारत को बेचा जाएगा.
नेपाल के पास 42,000 मेगावाट पनबिजली उत्पादन की क्षमता है लेकिन फिलहाल यह 1,200 मेगावाट बिजली ही पैदा कर रहा है. उसकी अपनी जरूरत 1,750 मेगावाट है और जरूरत का बाकी का हिस्सा वह भारत से खरीदता है.