प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोम में दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन और ग्लासगो में कोप26 के विश्व नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इटली और यूके का दौरा करेंगे.
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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी20 की बैठक में शामिल होने के लिए इसी हफ्ते इटली रवाना होंगे. मोदी 30-31 अक्टूबर को होने वाली जी20 शिखर बैठक के लिए 29 अक्टूबर को रोम पहुंचेंगे. वहीं 31 अक्टूबर की शाम को मोदी के ब्रिटेन के ग्लासगो शहर पहुंचने का कार्यक्रम है, जहां इस साल कोप26 की बैठक का आयोजन किया जा रहा है.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री क्रमशः 16वें जी20 शिखर सम्मेलन और कोप26 के विश्व नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 29 अक्टूबर से 2 नवंबर तक रोम और ग्लासगो की यात्रा करेंगे.
इसमें कहा गया है कि मोदी इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी के निमंत्रण पर 30 से 31 अक्टूबर तक रोम में होने वाले 16वें जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. इटली पिछले साल दिसंबर से जी20 की अध्यक्षता कर रहा है.
जी20 एक प्रमुख वैश्विक मंच है जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है. इसके सदस्य वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 80 प्रतिशत से अधिक, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत और धरती की आबादी का 60 प्रतिशत हिस्सा हैं.
जलवायु परिवर्तन का चाय के बागानों पर असर
ताइवान में चाय के बागानों पर जलवायु परिवर्तन के गंभीर असर होने का संदेह है. इस साल मौसम के असर से चाय की लगभग आधी फसल बर्बाद हो गई. क्या उपाय कर सकते हैं चाय उगाने वाले?
तस्वीर: Ann Wang/REUTERS
जलवायु के आगे बेबस
ताइवान में चाय के बागान के मालिक चिएन शुन-यीह इस साल की फसल से संतुष्ट नहीं हैं. अतिविषम मौसमी हालात ने उनकी आधी फसल बर्बाद कर दी है. वो कहते हैं, "आप मौसम को नियंत्रित कर ही नहीं सकते, भले ही आप चाय ही क्यों ना उगाते हों." लेकिन वो उम्मीद कर रहे हैं कि खुद बनाई हुई पानी टंकी जैसे उपायों की मदद से वो सूखे से निपटने के विकल्प निकाल पाएंगे.
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ताइवान की चाय
मेशान के आस पास के पहाड़ों में 19वीं शताब्दी से चाय उगाई जा रही है. शुन-यीह ने तीन साल पहले अपने पिता के देहांत के बाद बागान का कार्यभार संभाला था. तब से काफी कुछ बदल गया है. अस्थिर मौसमी हालात के बावजूद अच्छी फसल सुनिश्चित करने के लिए अलग अलग तरीके ढूंढना और जरूरी होता जा रहा है.
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श्रमिकों की घटती आय
बागानों में चाय की पत्तियां चुनने वाले भी जलवायु परिवर्तन से सीधा प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि उनकी कमाई एक किलो चाय के दाम के आधार पर निर्धारित होती है. वो कहते हैं, "कम फसल, कम कमाई." आजकल चाय की पत्तियों को उगने में ज्यादा समय लगता है, इसलिए श्रमिकों को हर मौसम में कई बार बागानों में जाना पड़ता है.
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पानी के पंप से मिल सकती है मदद
शुन-यीह बिना थके हमेशा स्थिति में सुधार लाने के तरीके खोजते रहते हैं. पानी की टंकी में लगे हुए एक पाइप की मदद से वो पंप का इस्तेमाल कर दूर से भी टंकी में पानी भर सकते हैं. इससे उन्हें सूखे के बावजूद बागानों की सिंचाई करने की सुविधा मिलती है.
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नई चुनौतियां
जलवायु से जुड़ी चुनौतियां दूसरी नई चुनौतियां लाती हैं. कीड़े एक बड़ी समस्या हैं क्योंकि सूखे की वजह से वो आसानी से पौधों पर हमला कर सकते हैं. सरकारी शोधकर्ता लिन शियो-रुई कहती हैं, "कीड़ों को सूखा और गर्मी बहुत पसंद है." वो बताती हैं कि कीड़े पहले से कमजोर पौधों पर हमला करते हैं, जिसकी वजह से "चाय के संवेदनशील पौधे भी मर सकते हैं."
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जलवायु से संबंध है भी या नहीं?
शुन-यीह गर्व से पर्यटकों को अपने बागान दिखाते हैं और बार बार कहते हैं कि फसल बदलते मौसमी हालात पर बहुत निर्भर है. लेकिन ताइवान के चाय के बागानों में जो हो रहा है उसके लिए जलवायु परिवर्तन सीधे तौर पर जिम्मेदार है या नहीं इसे अभी तक निसंदेह रूप से साबित नहीं किया गया है.
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चाय की फसल
ताजा चुनी हुई चाय की पत्तियों को शुन-यीह और उनकी टीम ताइवान की कड़ी धुप में सुखाते हैं. जहां संभव हो वो खुद भी मदद करते हैं. पत्तियों के सूखने के बाद अगला कदम होता है किण्वन (फर्मेंटेशन).
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रंग सही होना चाहिए
किण्वन कब तक करना है उसकी अवधि बेहद जरूरी है. चाय की पत्तियों का रंग इस बात का संकेत देता है कि स्वाद सही है या नहीं. इसके बाद चाय को तैयार करने के और भी कदम हैं.
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खुशबू से पहचान
एक तजुर्बेकार चाय उगाने वाला सूंघ कर बता सकता है कि उसकी चाय तैयार है या नहीं. हालांकि इसके पीछे एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है, शुन-यीह और उनकी टीम को उम्मीद है कि यह परंपरा बदलते मौसम के बावजूद चलती रहेगी. (जूली एच.)
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इस वर्ष जी20 के नेताओं से कई प्रमुख चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने की उम्मीद है जैसे कि कोरोना वायरस महामारी से उबरना, जलवायु परिवर्तन को संबोधित करना और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में गरीबी और असमानता पर काबू पाना. मीडिया में सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है कि शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान की स्थिति को प्रमुखता से उठाने की उम्मीद है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि रोम से प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के 26वें सम्मेलन (सीओपी26) के विश्व नेता के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ग्लासगो की यात्रा करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी अपने ब्रिटिश समकक्ष बोरिस जॉनसन के निमंत्रण पर जलवायु शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे.
इस साल 31 अक्टूबर से 12 नवंबर तक ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन शाखा (यूएनएफसीसीसी) के तत्वाधान में 26वां जलवायु सम्मेलन होने जा रहा है.
प्रधानमंत्री ने आखिरी बार 2015 में पेरिस में कोप21 में में भाग लिया था, जब पेरिस समझौता संपन्न हुआ था-जिसका कार्यान्वयन इस वर्ष शुरू हो रहा है.
संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में होने वाली बैठक पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से नहीं हो पाई थी. वैसे इस सालाना बैठक में तमाम देशों के राजनयिक, जलवायु में आ रहे खतरनाक बदलावों को कम करने के बारे में समझौतों पर चर्चा करते हैं. 2015 में पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने का गैर-बाध्यकारी लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन समझौते के बावजूद दुनिया में लक्ष्यों के उलट काम हो रहा है.
भारत की टीका यात्रा
भारत ने 21 अक्टूबर को 100 करोड़ कोरोना टीकों की यात्रा पार कर ली. 130 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले देश में यह एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. हालांकि इन 100 करोड़ में से अधिकतर वो लोग हैं जिन्हें सिर्फ एक टीका लगा है.
तस्वीर: Manjunath Kiran/AFP
एक अरब टीके
भारत ने 100 करोड़ टीके लगाने का मुकाम 21 अक्टूबर, 2021 को हासिल कर लिया. कोरोना के खिलाफ 279 दिनों में 100 करोड़ टीके का अहम पड़ाव हासिल किया.
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"टीम इंडिया की कामयाबी"
100 करोड़ से अधिक टीके लग जाने के अगले दिन यानी 22 अक्टूबर 2021 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सभी प्रमुख हिंदी और अंग्रेजी अखबारों में आलेख लिखा. उन्होंने लिखा 100 करोड़ टीके टीम इंडिया की सफलता है. मोदी ने अपने आलेख में लिखा, "भारत ने टीकाकरण की शुरुआत के मात्र 9 महीने बाद ही 21 अक्टूबर, 2021 को टीके की 100 करोड़ खुराक का लक्ष्य हासिल कर लिया है."
22 अक्टूबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मेड इन इंडिया की ताकत बहुत बड़ी होती है. हमारे लिए लोकतंत्र का मतलब सबका साथ है." उन्होंने कहा नई सफलता से नया आत्मविश्वास जागा है.
तस्वीर: Manjunath Kiran/AFP
ऐतिहासिक पल
100 करोड़ डोज पूरे होने पर देश की 100 ऐतिहासिक इमारतों को विशेष लाइटिंग के जरिए सजाया गया.
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सजा लालकिला
ऐतिहासिक लाल किले को भी तिरंगे वाली रोशनी से सजाया गया. इस मौके पर खादी का सबसे बड़ा तिरंगा फहराया गया.
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खास फ्लाइट
स्पाइस जेट ने देश के 100 करोड़ टीके पूरे होने पर एक खास फ्लाइट को उतारा. इस पर मोदी की तस्वीर के साथ कोरोना वॉरियर्स की भी तस्वीरें लगीं हैं.
तस्वीर: Manish Swarup/AP Photo/picture alliance
बीजेपी समर्थकों का जश्न
सत्ताधारी दल बीजेपी के समर्थकों ने गुजरात के अहमदाबाद में कुछ इस तरह से 100 करोड़ डोज पूरे होने का जश्न मनाया.
तस्वीर: Ajit Solanki/AP Photo/picture alliance
राज्यों की भूमिका
नौ राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों ने अपनी पूरी 18 प्लस आबादी को टीके की एक खुराक लगा दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार देश की 31 फीसदी वयस्क आबादी को दोनों खुराक दी जा चुकी हैं.
तस्वीर: Manjunath Kiran/AFP
चुनौती अभी बाकी
देश में लगभग तीन-चौथाई वयस्कों को अब एक टीका लग चुका है और लगभग 31 प्रतिशत को पूरी तरह से टीका लगाया गया है. हालांकि 18 साल से कम उम्र के करोड़ों भारतीयों - जो आबादी का लगभग 40 प्रतिशत हैं उन्हें अभी तक टीका नहीं लगाया गया है.
तस्वीर: Dibyangshu Sarkar/AFP
कोवैक्सीन को मान्यता का इंतजार
विश्व स्वास्थ्य संगठन से भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को अब तक मान्यता नहीं मिली है. कंपनी ने संगठन को जरूरी डेटा सौंपे हैं लेकिन अब तक कौवैक्सीन को मंजूरी का इंतजार है. भारत को उम्मीद है कि जल्द ही डब्ल्यूएचओ इसको मंजूरी दे देगा.