अंतरराष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण संघ ने कहा है कि गैंडों के सींग के लिए उनके शिकार में कमी आने के बावजूद, उनके भविष्य पर आज भी खतरा मंडरा रहा है. अफ्रीका में 2018 से 2021 के बीच 2,707 गैंडों का शिकार किया गया.
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स्विट्जरलैंड स्थित अंतरराष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के मुताबिक पिछले तीन-चार सालों में अफ्रीका में जितने गैंडे मारे गए उनमें से 90 प्रतिशत दक्षिण अफ्रीका में मारे गए. उनमें भी गैंडे मुख्य रूप से क्रूगर राष्ट्रीय उद्यान में मारे गए.
दुनिया में गैंडों की कुल आबादी में से 80 प्रतिशत दक्षिण अफ्रीका में ही पाए जाते हैं. आईयूसीएन ने एक रिपोर्ट में बताया है, "अफ्रीका में गैंडों के शिकार की दर में गिरावट जारी है. 2015 में ये कुल आबादी के 5.3 प्रतिशत के बराबर थी और 2021 में यह गिर कर 2.3 प्रतिशत पर पहुंच गई."
आईयूसीएन एसएससी अफ्रीकन राइनो विशेषज्ञ समूह के वैज्ञानिक अधिकारी सैम फरेरा ने कहा, "गैंडों के शिकार में आई गिरावट प्रोत्साहक है, लेकिन फिर भी यह इन शानदार जानवरों के बच रहने के लिए गंभीर खतरा है."
संस्था ने कहा कि कोविड प्रतिबंधों और व्यापार और आवाजाही पर नियंत्रण की वजह से 2020 गैंडों के शिकार के लिए एक असामान्य साल था. रिपोर्ट के मुताबिक, "2020 में दक्षिण अफ्रीका में 394 गैंडे मारे गए जब कि केन्या में एक भी नहीं मारा गया. लेकिन, जैसे जैसे कोविड से जुड़े यात्रा प्रतिबंध हटाए गए, कुछ स्थानों से शिकार में वृद्धि की खबरें आने लगीं."
रिपोर्ट में आगे कहा गया, "उदाहरण के तौर पर 2021 में दक्षिण अफ्रीका में 451 और केन्या में छह गैंडे मारे गए. ये आंकड़े 2015 के आंकड़ों के मुकाबले अभी भी काफी कम हैं. उस साल अकेले दक्षिण अफ्रीका में ही 1,175 गैंडों का शिकार कर दिया गया."
केन्या के इन लोगों ने गैंडों को शिकार होने से बचा लिया
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अफ्रीका में गैंडों की आबादी हर साल 1.6 प्रतिशत की दर से गिर रही है. यह 2018 में 23,562 थी लेकिन 2021 के अंत तक यह 22,137 हो गई. आईयूसीएन ने बताया कि इसी अवधि में सफेद गैंडों की संख्या लगभग 12 प्रतिशत गिर कर 18,067 से 15,942 तक पहुंच गई.
कैसे बढ़े आबादी
संस्था ने कहा, "गैंडों की संख्या बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से जनसंख्या प्रबंधन और शिकार विरोधी गतिविधियां जारी रखना जरूरी है." मुख्य रूप से भारत और नेपाल में मिलने वाले एक सींग वाले गैंडे और गंभीर रूप से खतरे में पड़े जावन गैंडे की संख्या कानून को सख्ती से लागू करने की वजह से 2017 के बाद से बढ़ी है.
रिपोर्ट के मुताबिक 2018 से अभी तक एशिया में गैंडों के शिकार की 11 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से 10 भारत में और एक नेपाल में दर्ज की गई. ये सभी एक सींग वाले गैंडे थे.
सीके/एए (एएफपी)
हाथियों और गैंडों के रक्षक रिचर्ड लीकी
केन्या में 1972 में मिले एक कंकाल ने मानव इतिहास की नई इबारत लिख दी. कंकाल खोजने वाली और उसकी डिटेलिंग करने वाली टीम के प्रमुख थे रिचर्ड अर्सकिन फ्रेयर लीकी. उनका 2 जनवरी, 2022 को 77 साल की उम्र में निधन हो गया.
तस्वीर: Siegfried Modola/Reuters
20 लाख साल पुराना कंकाल
साल 1972 में जीवाश्म विज्ञानियों की एक टीम उत्तरी केन्या की तुर्काना झील में इंसानी जीवाश्मों की खोज में जुटी थी. इसी झील के पास एक कंकाल पाया गया, जिसका अध्ययन करने पर पता चला कि यह करीब 20 लाख साल पुराना है. वैज्ञानिकों ने इसे होमो रूडोल्फेंसिस नाम दिया. मानव इतिहास की खोज के क्षेत्र में यह कंकाल मील का पत्थर साबित हुआ.
तस्वीर: Siegfried Modola/Reuters
मानव इतिहास को दी नई इबारत
केन्या में 1972 में मिले इस बेहद पुराने कंकाल ने मानव इतिहास की नई इबारत लिख दी. कंकाल खोजने वाली टीम के प्रमुख और इस कंकाल की डीटेलिंग करने वाले शख्स थे रिचर्ड अर्सकिन फ्रेयर लीकी. 2 जनवरी, 2022 को 77 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.
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बताया कि अफ्रीका से दुनिया में फैला इंसान
लीकी के नेतृत्व में खोजे गए होमो रूडोल्फेंसिस ने ही इस धारणा को बल दिया कि आज जो इंसान धरती के तमाम हिस्सों पर काबिज हैं, उनका जन्मस्थान अफ्रीका ही है. हालांकि, इन खोजों के क्रम में उनका कई वैज्ञानिकों और संस्थाओं से टकराव भी हुआ.
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जीवाश्म विज्ञानी से जीव संरक्षक तक
अपने कई कामों और उससे भी ज्यादा अपने तौर-तरीकों के लिए दुनियाभर में मशहूर हुए रिचर्ड ने करियर की शुरुआत एक जीवाश्म विज्ञानी के तौर पर की थी. बाद में वह जीव संरक्षक, प्रशासक, सुधारक और राजनेता भी भूमिका में भी रहे. उन्होंने केन्या के नेशनल म्यूजियम और केन्या वाइल्डलाइफ सर्विस में कई पदों पर काम किया. 2004 में उन्होंने 'वाइल्डलाइफ डायरेक्ट' नाम का एक एनजीओ भी बनाया.
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माता-पिता भी जीवाश्म विज्ञानी
रिचर्ड के पिता लुई लीकी और मां मेरी डगलस लीकी भी जीवाश्म विज्ञानी थीं. उनकी सोहबत का ही असर था कि रिचर्ड बचपन में ही जीवाश्मों और इनकी खोजों से रूबरू होने लगे थे. मानवता की शुरुआत का पता लगाने के क्षेत्र में ही उन्होंने सबसे ज्यादा समय काम किया.
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शिकारियों को मरवा दी गोली
1989 में रिचर्ड को केन्या में हाथियों और गैंडों के शिकार पर रोक लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई, जो दांत और सींग की वजह से शिकारियों का निशाना बन रहे थे. इन जीवों के संरक्षण के लिए रिचर्ड ने बेहद आक्रामक ढंग से काम किया. शिकारियों को गोली मारने जैसे नियम बनाए गए. रिचर्ड ने हाथी-दांत और गैंडों के सींग के एक बड़े से ढेर को राष्ट्रपति के हाथों जलवाया. इन तस्वीरों ने दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी थीं.
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निजी जिंदगी तकलीफों भरी
निजी जीवन वे चुनौतियों और तकलीफों से भी जूझे. 11 की उम्र में घोड़े से गिरने की वजह से उनके सिर की हड्डी टूट गई थी. जवानी में उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट करना पड़ा. 1993 में उनका विमान क्रैश हो गया था, जिसे वे खुद उड़ा रहे थे. इस हादसे के बाद उनके पैर काटकर अलग करने पड़े. लेकिन रिचर्ड आखिरी वक्त तक अपने मकसद और काम में डटे रहे. उनका एक बयान मशहूर हुआ करता था, "मुझे लगता है कि दबाव मुझे सूट करता है."