'बॉलीवुड फिल्मकार' बनकर यूरोप पहुंचे भारतीय किसान
२७ नवम्बर २०२४भारत में खेती करने वालों को पोलैंड का वर्क वीजा मिलना आसान नहीं था. एक तरीका था कि उन्हें बॉलीवुड फिल्मकार बता दिया जाए. ऐसा ही किया गया और बदले में उनसे बड़ी रकम ली गई. इस मामले में पोलैंड के दूतावासों के कर्मचारी भी शामिल थे. रिश्वत लेकर वीजा बांटने के ये मामले एशिया और अफ्रीका में कई देशों में हुए.
पोलैंड में वीजा घोटाले की शुरुआती जांच रिपोर्ट संसद में पेश की गई है. यह घोटाला 2018 से 2023 के बीच हुआ, जब पोलैंड की दक्षिणपंथी पार्टी लॉ एंड जस्टिस (पीआईएस) की सरकार सत्ता में थी.
इस घोटाले में पोलैंड के एशिया और अफ्रीका स्थित दूतावासों से वीजा लेने के लिए लोगों ने 40,000 अमेरिकी डॉलर यानी 30 लाख रुपये तक की रिश्वत दी. कई मामलों में वीजा मिलने के बाद ये लोग पोलैंड पहुंचे और फिर वहां से अमेरिका चले गए. अमेरिका जाने के लिए बड़े पैमाने पर भारतीय विभिन्न रास्तों का इस्तेमाल करते हैं.
जांच और घोटाले की सच्चाई
पोलैंड की संसद द्वारा बनाई गई एक विशेष समिति ने वीजा घोटाले की जांच की है. समिति के प्रमुख, मारेक सोवा ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में कहा गया कि पोलैंड की पूर्व सरकार में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और लापरवाही हुई.
रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मैथ्यूज मोराविचकी, पूर्व विदेश मंत्री ज्बिग्नीव राऊ और पूर्व आंतरिक मंत्री मारियुस कामिंस्की का नाम शामिल है. इन नेताओं पर कानून तोड़ने और अपने पद का दुरुपयोग करने के आरोप हैं.
जांच में यह भी पता चला कि पोलैंड के दूतावासों ने हजारों वीजा बड़ी रकम लेकर जारी किए. सुप्रीम ऑडिट ऑफिस की जांच में यह सामने आया कि एक ही एजेंसी ने छह सालों में 4,200 से अधिक वीजा जारी किए. कुछ वीजा के लिए 7,000 यूरो यानी करीब सात लाख रुपये तक वसूले गए.
पोलैंड के विदेश मंत्री रादोस्लाव सिकोर्स्की ने कहा कि दूतावासों पर गलत तरीके से दबाव डाला गया. उन्होंने कहा, "काउंसल्स को ऐसे लोगों को वीजा देने के लिए मजबूर किया गया, जिन्हें वीजा नहीं मिलना चाहिए था. इनमें रूसी नागरिक भी शामिल थे."
राजनीतिक संकट
यह घोटाला पोलैंड के इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक संकट माना जा रहा है. पीआईएस सरकार ने खुद को एंटी-इमिग्रेशन पार्टी के रूप में पेश किया था. लेकिन इस घोटाले ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया.
2024 के चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी नेता डॉनल्ड टस्क ने इस घोटाले को "21वीं सदी का पोलैंड का सबसे बड़ा घोटाला" कहा था. चुनाव में पीआईएस पार्टी हार गई और टस्क की पार्टी सिविक प्लेटफॉर्म ने सरकार बनाई.
जांच में यह भी पता चला कि 2018 से 2024 के बीच पोलैंड ने 357,000 से ज्यादा वीजा रूसी नागरिकों को जारी किए. यह तब हुआ जब पोलैंड ने यूक्रेन युद्ध में रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था. इसने पीआईएस पार्टी की कथनी और करनी पर सवाल उठाए.
घोटाले में भारतीय किसानों के अलावा, हांगकांग, ताइवान, सऊदी अरब, सिंगापुर, फिलीपींस, कतर और यूएई के लोगों ने भी भारी रकम देकर पोलिश वर्क वीजा हासिल किए. इस घोटाले के बाद पोलैंड की नई सरकार ने वीजा नियमों को कड़ा कर दिया है. खासतौर पर स्टूडेंट वीजा के लिए सख्ती की जा रही है.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस घोटाले के लिए जिम्मेदार पूर्व अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए. पूर्व उप विदेश मंत्री पियोत्रे वावरचिक को पहले ही इस मामले में आरोपित किया जा चुका है.
वीके/सीके (एपी, एएफपी)