पाकिस्तान में प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद से इमरान खान बड़ी बड़ी रैलियां कर रहे हैं. सेना को डर है कि इमरान वापस सत्ता में ना आ जाएं.
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पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान और सेना के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. शनिवार को राजधानी इस्लामाबाद में पूर्व क्रिकेटर खान ने एक बड़ी रैली की. इस दौरान उन्होंने कुछ पुलिस अधिकारियों और एक महिला जज के खिलाफ मुकदमे की चेतावनी दी. पुलिस ने हाल ही में इमरान के एक करीबी को गिरफ्तार किया. एक टीवी शो में इमरान के करीबी शहबाज गिल ने एआरवाई टीवी से कहा कि सैनिकों और सैन्य अधिकारियों को सैन्य कमांड के "गैरकानूनी" आदेश मानने से इनकार कर देना चाहिए. इस बयान के बाद गिल पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया. उनकी गिरफ्तारी हुई और साथ ही एआरवाई टीवी को बैन कर दिया गया.
इमरान का आरोप है कि गिरफ्तारी के बाद उनके सहयोगी को प्रताड़ित किया गया. पूर्व पीएम ने इसी मामले का जिक्र करते हुए आरोपी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी. इसके बाद पुलिस ने इमरान खान पर आतंकवाद की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया. मुकदमे को लेकर इमरान ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. उनकी पार्टी, तहरीक ए इंसाफ ने एक वीडियो ऑनलाइन किया है, जिसमें इमरान खान के घर के बाहर बड़ी संख्या में समर्थकों का जमावड़ा दिख रहा है. वीडियो के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि इमरान को गिरफ्तार नहीं करने दिया जाएगा. तहरीक ए इंसाफ ने चेतावनी दी है कि अगर उसके नेता को गिरफ्तार किया गया तो पूरे पाकिस्तान में रैलियां होंगी.
पाकिस्तान की कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक पुलिस कुछ धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज करती है. इसके बाद जांच के लिए पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करती है और फिर आगे की जांच व कानूनी प्रक्रिया के लिए आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है. पुलिस का आरोप है कि खान के खिलाफ मजिस्ट्रेट जज अली जावेद ने भी बयान दिया है. आरोपों के मुताबिक इस्लामाबाद में रैली के दौरान खान ने पाकिस्तान पुलिस के आईजी और एक जज को धमकाते हुए कहा, "आपको भी इसके लिए तैयार रहना होगा, हम भी आपके खिलाफ कार्रवाई करेंगे. आप सबको शर्मिंदा करना ही होगा.''
इमरान पर मंडराता जेल जाने का खतरा
दुनिया के कई देशों की तरह पाकिस्तान में भी आतंकवाद संबंधी धाराओं के तहत दर्ज मुकदमा गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है. इस मामले में दोषी साबित होने पर उन्हें कई साल की जेल हो सकती है. इमरान खान के खिलाफ हल्की फुल्की धाराओं के तहत पहले भी मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, लेकिन उनमें गिरफ्तारी कभी नहीं हुई. लेकिन आतंकवाद का आरोप बेहद गंभीर है. वहीं राजद्रोह का मुकदमा झेल रहे उनके करीबी शहबाज गिल को मौत या उम्रकैद जैसी सजा हो सकती है.
पाकिस्तान की न्यायपालिका पर राजनीतिक पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं. वॉशिंगटन स्थित संगठन फ्रीडम हाउस के मुताबिक पाकिस्तान में सेना और लोकतांत्रिक सरकार के बीच शक्ति का संघर्ष होने पर न्यायपालिका ने अकसर ताकतवर सेना का साथ दिया है.
अति ताकतवर सेना वाले देश पाकिस्तान में जब कभी लोकतांत्रिक सरकार बनी है, तो वह दो पार्टियों के बीच से चुनी गई है. ये दो पार्टियां पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) हैं. पीएमएल (एन) नवाज शरीफ और उनके भाई शहबाज शरीफ की पार्टी है. वहीं पीपीपी, जुल्फिकार अली भुट्टो व बेनजीर भुट्टो की पार्टी है. दोनों दलों में शीर्ष पर इन्हीं परिवारों के लोग हैं.
2018 में इन दोनों पार्टियों को हराते हुए इमरान खान की तहरीक ए इंसाफ पार्टी ने गठबंधन सरकार बनाई. हालांकि तब ये आरोप लगे कि सेना के सपोर्ट से ही इमरान खान सत्ता तक पहुंचे हैं. पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में आधे से ज्यादा समय देश में सैन्य शासन में रहा है. पाकिस्तान की राजनीति पर नजर रखने वालों के मुताबिक सेना ने इमरान खान को एक चांस दिया, लेकिन 2021 आते इमरान खान और सेना के बीच ताकत को लेकर संघर्ष होने लगा. पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के कुछ अहम पदों में नियुक्ति को लेकर आर्मी और इमरान में खटपट हो गई. इमरान ने पाकिस्तान की विदेश नीति को अमेरिका के बजाए रूस की तरफ मोड़ने की कोशिश की. 24 फरवरी 2022 को जब वह मॉस्को पहुंचे उसी दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया.
इमरान खान के कार्यकाल के आखिरी दिनों में पाकिस्तान में महंगाई आसमान छूने लगी. रोटी और चाय भी बहुत महंगी हो गई. लेकिन इस दौरान जनता को राहत देने के बजाए इमरान, "आपको घबराना नहीं है" यही कहते रहे. विपक्ष के हमलों और गठबंधन में शामिल पार्टियों की नाराजगी को भांपते हुए इमरान को अंदाजा हो गया कि उनकी सरकार ज्यादा दिन नहीं चलने वाली है. इसी दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी सरकार अमेरिका के इशारों पर गिराई जा रही है और इसमें पाकिस्तानी सेना भी मदद कर रही है. जानकार कहते हैं कि इस आरोप के साथ ही इमरान खान ने लाल लकीर पार कर दी.
विपक्ष ने सरकार को देश को आर्थिक गर्त में डुबोने के आरोप लगाया. अप्रैल 2022 आते आते गठबंधन में शामिल पार्टियों के सांसद पाला बदलने लगे. इसी दौरान इमरान ने अपनी सरकार बचाने के लिए बेहद नाटकीय तरीके से अविश्वास प्रस्ताव को रद्द करवा दिया. वह सेना पर लगातार हमले करते रहे और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद पेश हुए अविश्वास प्रस्ताव में उनकी सरकार गिर गई. सरकार गिरने के साथ ही इमरान ने संसद से भी इस्तीफा दे दिया. तब से वह पाकिस्तान में रैलियां कर रहे हैं. उनकी रैलियों में बड़ी भीड़ जमा हो रही है. उनकी पार्टी के अहम नेता और इमरान के करीबी आए दिन टीवी और ऑनलाइन न्यूज प्लेटफॉर्म्स को इंटरव्यू दे रहे हैं.
ओएसजे/एनआर (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)
पाकिस्तान में कितने लंबे टिके सारे प्रधानमंत्री
पाकिस्तान में कोई भी प्रधानमंत्री आज तक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है. एक नजर 1947 से अब तक पाकिस्तान में प्रधानमंत्री बनने वालों और उनके कार्यकाल पर.
तस्वीर: STF/AFP/GettyImages
लियाकत अली खान: 4 साल दो महीने
15 अगस्त, 1947 को लियाकत अली खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने, लेकिन वह अपना कार्यकाल पूरा न कर सके. 16 अक्टूबर, 1951 को रावलपिंडी में लियाकत अली खान की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
तस्वीर: Wikipedia/US Department of State
ख्वाजा नजीमुद्दीन: डेढ़ साल
लियाकत अली खान की हत्या के बाद अक्टूबर 1951 में ख्वाजा नजीमुद्दीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. वह पूर्वी पाकिस्तान (आज के बांग्लादेश) से ताल्लुक रखते थे. 17 अप्रैल, 1953 को गवर्नर जनरल ने नजीमुद्दीन को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया.
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मोहम्मद अली बोगरा: 2 साल 4 महीने
पूर्वी पाकिस्तान में पैदा हुए मोहम्मद अली बोगरा को देश का तीसरा पीएम नियुक्त किया गया. 17 अप्रैल, 1953 को ख्वाजा नजीमुद्दीन की छुट्टी के साथ बांग्ला भाषी बोगरा पीएम नियुक्त किए गए. लेकिन 12 अगस्त, 1955 को उन्हें भी पीएम पद से हटा दिया गया.
तस्वीर: gemeinfrei/wikipedia
चौधरी मोहम्मद अली: 13 महीने
12 अगस्त, 1955 को बोगरा की छुट्टी के साथ ही चौधरी मोहम्मद अली को पाकिस्तान का चौथा प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. 1956 के संविधान में उनकी भूमिका अहम मानी जाती है. लेकिन पार्टी के सदस्यों के साथ मतभेदों के कारण 12 सितंबर, 1956 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया.
तस्वीर: akg images/picture alliance
हुसैन शहीद सुहरावर्दी: 13 महीने
सुहरावर्दी 12 सितंबर, 1956 को प्रधानमंत्री बने. सुहरावर्दी की मातृभाषा बांग्ला थी. उनका 13 महीने का कार्यकाल पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा के साथ अनबन में गुजरा. आखिरकार सुहरावर्दी ने 16 अक्टूबर, 1956 को इस्तीफा दे दिया.
तस्वीर: gemeinfrei/Wikipedia
इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर: 55 दिन
गुजरात के गोधरा में पैदा हुए और मुंबई में कानून की पढ़ाई करने वाले चुंदरीगर 16 अक्टूबर, 1956 को पाकिस्तान के छठे प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए. लेकिन जल्द ही उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया. 16 दिसंबर, 1956 को चुंदरीगर इस्तीफा दे दिया.
तस्वीर: gemeinfrei/wikimedia
फिरोज खान नून: 10 महीने से कम
16 दिसंबर, 1958 को फिरोज खान नून को राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने पाकिस्तान का अगला प्रधानमंत्री नियुक्त किया. उनके कार्यकाल में ही ग्वादर पाकिस्तान का हिस्सा बना. 6 अक्टूबर, 1956 को आर्मी चीफ जनरल अयूब खान ने मार्शल लॉ लागू करने के साथ ही सरकार को बर्खास्त कर दिया.
तस्वीर: Fox Photos/Hulton Archive/Getty Images
नूरुल अमीन: 13 दिन
पाकिस्तान के अंतिम बंगाली प्रधानमंत्री नूरुल अमीन सिर्फ 13 दिन प्रधानमंत्री रहे. वे पाकिस्तान के इतिहास में सबसे कम समय तक पीएम बनने वाले नेता है. दूसरे नंबर पर चुंदरीगर (55 दिन) आते हैं. अमीन 7 दिसंबर, 1971 से 20 दिसंबर, 1971 तक सत्ता में रहे, उसी दौरान पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध हुआ और बांग्लादेश का जन्म हुआ.
तस्वीर: gemeinfrei/wikipedia
जुल्फिकार अली भुट्टो: 3 साल 11 माह
जुल्फिकार अली भुट्टो 14 अगस्त, 1973 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के संस्थापक जुल्फिकार अली भुट्टो 5 जुलाई, 1977 तक प्रधानमंत्री रहे. 5 जुलाई, 1977 को आर्मी चीफ जिया उल हक ने सैन्य तख्तापलट कर भुट्टो सरकार को बर्खास्त कर दिया. 24 मार्च, 1979 को रावलिपिंडी के जेल में भुट्टो को फांसी दे दी गई.
तस्वीर: imago/ZUMA/Keystone
मुहम्मद खान जुनेजो: 3 साल 2 महीने
सिंध के कद्दावर नेता मुहम्मद खान जुनेजो को 1985 में चुनाव जीतने के बाद जनरल जिया उल हक ने पाकिस्तान का 10वां प्रधानमंत्री नियुक्त किया. रावलपिंडी कैंट में भीषण विस्फोट में 100 लोगों की मौत के बाद उन्होंने जांच का आदेश दिया. राष्ट्रपति और जनरल जिया को यह बात पसंद नहीं आई और संविधान संशोधन कर संसद को भंग कर दिया गया.
तस्वीर: Sven Simon/IMAGO
बेनजीर भुट्टो: दो अधूरे कार्यकाल
जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो 2 दिसंबर, 1988 को पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. लेकिन 6 दिसंबर, 1990 को राष्ट्रपति ने उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया.
तस्वीर: ZUMA Wire/IMAGO
नवाज शरीफ: तीन अधूरे कार्यकाल
पंजाब के दिग्गज नेता नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के पीएम बने. उनका पहला कार्यकाल नवंबर 1990 से अप्रैल 1993 तक रहा.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K. M. Chaudary
नवाज शरीफ: पार्ट 2
पंजाब के दिग्गज नेता नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के पीएम बने. उनके दूसरे कार्यकाल (फरवरी 1997 से अक्टूबर 1999) का अंत जनरल परवेज मुशर्रफ ने इमरजेंसी लगा कर किया.
तस्वीर: K.M. Chaudary/AP/dpa/picture alliance
जफरुल्लाह खान जमाली: 1 साल 6 महीने
नवंबर 2002 में जफरुल्लाह खान जमाली को सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. यह पारी 26 जून, 2004 को खत्म हो गई.
तस्वीर: Aamir Qureschi/AFP
चौधरी सुजात हुसैन: दो महीने
शौकत अजीज के अगला प्रधानमंत्री बनने तक चौधरी सुजात हुसैन को पाकिस्तान का 16वां पीएम बनाया गया. उनका कार्यकाल 30 जून, 2004 को शुरू हुआ 26 अगस्त, 2004 को खत्म.
तस्वीर: Bilawal Arbab/dpa/picture alliance
शौकत अजीज: 3 साल दो महीने
शौकत अजीज को 26 अगस्त, 2004 को प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया. संसद का कार्यकाल पूरा होने के कारण 15 नवंबर, 2006 को अजीज ने इस्तीफा दे दिया. अजीज पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने संसद का कार्यकाल पूरा होने के कारण इस्तीफा दिया.
तस्वीर: Yu Jie/HPIC/picture alliance
यूसुफ रजा गिलानी: 4 साल 1 माह
दिसंबर 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद फरवरी 2008 में पाकिस्तान में आम चुनाव हुए. इन चुनावों में बेनजीर की पार्टी, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को बहुमत मिला. पार्टी के नेता यूसुफ रजा गिलानी पीएम बने. बाद में अदालत की अवमानना के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण 2012 में उन्हें पीएम पद छोड़ना पड़ा.
तस्वीर: AP
राजा परवेज अशरफ: 9 महीने
गिलानी के पद से हटने के बाद सरकार के मंत्री राजा परवेज अशरफ ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी सरकार के पीएम के रूप में कार्यकाल संभाला. वह 22 जून, 2012 से 24 मार्च, 2013 तक इस पद पर रहे.
तस्वीर: dapd
नवाज शरीफ: पार्ट 3
नवाज शरीफ तीसरी बार जून 2013 से अगस्त 2017 तक पीएम रहे. इस बार मुकदमे का कारण उन्हें पद के लिए अयोग्य करार दिया गया.
तस्वीर: Reuters/F. Mahmood
शाहिद खाकान अब्बासी: एक साल
2013 के चुनावों में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) की जीत हुई और नवाज शरीफ तीसरी बार 4 साल 53 दिन तक पीएम बने. कोर्ट केस के कारण नवाज को पद छोड़ना पड़ा, लेकिन संसद के शेष कार्यकाल के दौरान उन्हीं की पार्टी शाहिद खाकान अब्बासी प्रधानमंत्री रहे.
तस्वीर: Reuters/J. Moon
इमरान खान: 3 साल 6 महीने
नया पाकिस्तान बनाने का नारा देकर 2018 के चुनावों में इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ ने सबसे ज्यादा सीटें जीती. गठबंधन ने इमरान खान को पीएम चुना. लेकिन 9 और 10 अप्रैल की रात इमरान अविश्वास प्रस्ताव हार गए.