जॉर्ज फ्लॉयड मामला: ट्रंप ने दी सेना तैनाती की धमकी
२ जून २०२०
अमेरिकी राष्ट्र्पति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद भड़की हिंसा घरेलू आतंकवाद का काम है. साथ ही फ्लॉयड की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी मौत दम घुटने से हुई है.
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अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद लगातार सातवें दिन देश के कई शहरों में हिंसा का दौर जारी रहा. सोमवार को व्हाइट हाउस के बाहर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को हटाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और रबर की गोलियां का इस्तेमाल किया. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हिंसा के मद्देनजर चेतावनी दी है कि हालात काबू में नहीं आए तो वे सेना की तैनाती करेंगे. देश के कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और नेशनल गार्ड की तैनाती की गई है.
सोमवार को पुलिसकर्मियों ने व्हाइट हाउस के पास लाफेएट पार्क के पास जमा हुए प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया और उसी दौरान ट्रंप ने रोज गार्डन से सेना की तैनाती को लेकर धमकी भरा बयान दिया. ट्रंप ने बीते कुछ दिनों से जारी हिंसा, लूटपाट और आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए प्रतिबद्धता दिखाते हुए कहा कि राज्य के गवर्नर नेशनल गार्ड की तैनाती नहीं करते हैं तो वे अमेरिकी सेना को तैनात करेंगे. ट्रंप ने कहा, "हिंसा को काबू में करने तक मेयर और गवर्नरों को सख्ती से कानून का पालन कराना होगा. अगर कोई राज्य या शहर अपने नागरिकों और उनकी संपत्ति की सुरक्षा करने से मना करता है तो मैं अमेरिकी सेना की वहां तैनाती करूंगा और उनका काम तुरंत आसान कर दूंगा."
व्हाइट हाउस के बाहर जुटे प्रदर्शनकारियों को हटाने के बाद ट्रंप का रास्ता साफ हो गया और वे पास में ही सेंट जॉन चर्च देखने गए. एक दिन पहले कुछ प्रदर्शनकारियों ने चर्च को मामूली नुकसान पहुंचाया था. यह चर्च करीब 200 साल पुराना है और वहां ट्रंप ने तस्वीरें खिचवाने के बाद उसे ट्विटर पर भी पोस्ट किया. ट्रंप ने चर्च के बाहर बाइबल हाथ में लेकर अपनी तस्वीरें खिचवाई.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट
जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद से ही अमेरिका के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं और लूटपाट-आगजनी की घटनाएं दर्ज की जा रही हैं. इस बीच फ्लॉयड के परिवार की मांग पर दूसरा पोस्टमार्टम किया गया. रिपोर्ट में बताया कि फ्लॉयड की मौत हत्या है. रिपोर्ट के मुताबिक उनकी मौत ऑक्सीजन सप्लाई पर बाहरी दबाव पड़ने की से हुई. रिपोर्ट में कहा गया कि तीन अधिकारियों ने फ्लॉयड की मौत में मदद की. हेनेपिन काउंटी चिकित्सा परीक्षक ने फ्लॉयड की पोस्टमार्टम की विस्तृत रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि उनकी मौत दम घुटने से हुई. फ्लॉयड की मौत के आरोपी पुलिस अधिकारी डेरेक शोविन पर थर्ड-डिग्री हत्या का आरोप लगा है. उनके साथ तीन और अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है लेकिन उन पर कोई आरोप नहीं लगा है. अमेरिका के दर्जनों शहरों में अब भी कर्फ्यू लगा हुआ है जबकि 23 राज्यों और वॉशिंगटन में नेशनल गार्ड की तैनाती की गई है.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
अमेरिका में नस्लीय नफरत से भड़के दंगों का इतिहास
अमेरिका वैसा नहीं है जैसा हॉलीवुड की ज्यादातर फिल्में दिखाती हैं. अमेरिका अपने ही भीतर त्वचा के रंग को लेकर संघर्ष करने वाला देश भी है. एक नजर बीते 60 साल में अमेरिका में हुए दंगों पर.
तस्वीर: picture-alliance/AA/I. Tayfun Salci
अगस्त 1965
लॉस एजेंलिस शहर में पुलिस ने आईडेंटिटी चेक के लिए दो अश्वेत पुरुषों को रोका और फिर उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाया गया. पुलिस पर आरोप लगा कि उसने ऐसा नस्लीय घृणा के चलते किया. इसके बाद 11-17 अगस्त तक शहर के एक हिस्से में भयानक दंगे हुए. 34 लोगों की मौत हुई.
तस्वीर: AFP
जुलाई 1967
दो श्वेत पुलिस अधिकारियों ने एक मामूली ट्रैफिक नियम उल्लंघन के लिए एक अश्वेत टैक्सी ड्राइवर को गिरफ्तार किया और पीटा. इसके बाद नेवार्क में 12-17 जुलाई तक दंगे हुए. 26 लोगों की मौत हुई और 1,500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए. इसके हफ्ते भर बाद डेट्रॉएट और मिशीगन में भी दंगे हुए, वहां 43 लोग मारे गए और 2,000 से ज्यादा घायल हुए.
तस्वीर: AFP
अप्रैल 1968
मार्टिन लूथर किंग की हत्या के बाद टेनेसी में हिंसा भड़ गई. 4-11 अप्रैल तक चले इन दंगों में 46 लोग मारे गए और 2,600 से ज्यादा घायल हुए. हिंसा इस कदर भड़की कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन को दंगा रोकने के लिए सेना भेजनी पड़ी.
तस्वीर: AFP
मई 1980
दिसंबर 1979 में चार श्वेत पुलिस अधिकारियों पर एक अश्वेत मोटरसाइकिल सवार को पीट पीटकर मार डालने का आरोप लगा. सुनवाई के बाद मई में पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया गया. इससे नाराज अश्वेत समुदाय ने मियामी लिबर्टी सिटी में भारी हिंसा की. चार दिन के दंगों में 18 लोग मारे गए.
तस्वीर: AFP
अप्रैल 1992
लॉस एंजेलिस के दंगों में 59 लोग मारे गए. अश्वेत कार चालक की पिटाई के वीडियो बनाने वाले श्वेत पुलिस अधिकारियों की रिहाई की वजह से ये दंगे हुए. यह दंगे अटलांटा, कैलिफोर्निया, लॉस वेगस, न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को और सैन जोस में भी फैले.
तस्वीर: picture-alliance/AP/K. Djansezian
अप्रैल 2001
19 साल के अश्वेत युवक टिमोथी थॉमस को एक पुलिस अधिकारी ने मार डाला. इसके बाद सिनसिनैटी शहर में दंगे भड़क उठे. चार रातों तक शहर में कर्फ्यू लगाना पड़ा.
तस्वीर: AFP/D. Maxwell
अगस्त 2014
श्वेत पुलिस अधिकारी के हाथों एक निहत्थे अश्वेत किशोर की मौत के बाद फर्गुसन शहर में दंगे हुए. 9-19 अगस्त तक हुई हिंसा में काफी आर्थिक नुकसान हुआ. नवंबर में आरोपी पुलिस अधिकारी से हत्या की धाराए हटाने के बाद शहर में फिर तनाव लौट आया.
तस्वीर: AFP/S. Olson
अप्रैल 2015
25 साल के अश्वेत युवा फ्रेडी ग्रे को गिरफ्तार करते समय पुलिस ने इतनी ताकत लगाई कि युवक की पुलिस वैन में मौत हो गई. फ्रेडी की गिरफ्तारी का वीडियो भी सामने आया. वीडियो के प्रसारित होने के बाद बाल्टीमोर में भारी हिंसा हुई जिसके इमरजेंसी लगानी पड़ी.
तस्वीर: Reuters/M. Stone
सितंबर 2016
पुलिस फायरिंग में 43 साल के कीट लैमॉन्ट स्कॉट की मौत के बाद शारलोटे शहर में दंगे हुए. प्रशासन को हिंसा रोकने के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना बुलानी पड़ी.
तस्वीर: AFP/S. Rayford
मई 2020
मिनियापोलिस शहर में पुलिस अधिकारियों ने जॉर्ज फ्लॉएड नाम के एक अश्वेत शख्स को गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के दौरान फ्लॉएड ने पुलिस को अपनी बीमारी के बारे में बताया. इसके बावजूद पुलिस अधिकारियों ने उन पर ताकत आजमाई. फ्लॉएड की मौके पर ही मौत हो गई. उनकी मौत के एक दिन बाद से ही अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में प्रदर्शन हो रहे हैं. ओएसजे/एके (एएफपी)