एसएससी परीक्षा: दिल्ली में छात्रों पर क्यों हुआ लाठीचार्ज
२५ अगस्त २०२५
रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में देश के तमाम हिस्सों से आए हजारों की संख्या में छात्र कर्मचारी चयन आयोग यानी एसएससी की परीक्षाओं में हो रही धांधली को लेकर अपना विरोध दर्ज कराने आए थे और अपने अधिकारों की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस प्रशासन ने प्रदर्शन की अनुमति भी दी थी, बावजूद इसके, शाम को छात्रों को मैदान से खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज किया गया और कई छात्रों को हिरासत में लिया गया.
छात्रों का आरोप है कि पहले प्रदर्शन स्थल की बिजली काटी गई और फिर छात्रों को वहां से हटाने के लिए लाठी चार्ज किया गया. हालांकि पुलिस का कहना है कि छात्रों को सिर्फ शाम पांच बजे तक प्रदर्शन की अनुमति दी गई लेकिन उनका प्रदर्शन उसके बाद भी जारी रहा, जिसकी वजह से उन्हें वहां से हटाया गया.
वहीं दिल्ली पुलिस का कहना है कि तय सीमा के बाद भी जब प्रदर्शनकारी छात्र नहीं हटे तो पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी. दिल्ली पुलिस के डीसीपी सेंट्रल निधिन वाल्सन ने मीडिया को बताया, "रामलीला मैदान में करीब 1500 प्रदर्शनकारी जुटे थे जिनमें से करीब 100 ने लोगों ने बार-बार मना करने के बावजूद निर्धारित समय के बाद भी वहां से जाने से इंकार कर दिया. जो छात्र नही जा रहे थे, उनमें से 44 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया. बाकी वहां से चले गए.”
छात्रों का आरोप
लेकिन छात्रों का आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने उन पर लाठी चार्ज भी किया. छात्रों का कहना है कि उन्हें 24 और 25 अगस्त की सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने कीरोजगारएसएससी अनुमति मिली हुई थी लेकिन अपनी मांगों के समाधान तक छात्र मैदान में डटे रहे. छात्रों के मुताबिक, शाम करीब सात बजे पुलिस जबरन छात्रों को वहां से हटाने लगी और लाठियां भांजने लगी.
सोमवार को भी तमाम छात्र रामलीला मैदान के पास डटे रहे लेकिन बड़ी संख्या में वहां पुलिस बल तैनात किया गया है. रामलीला मैदान जाने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेडिंग लगा दी गई थी ताकि छात्र और प्रदर्शनकारी वहां न पहुंच सकें.
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एसएससी परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं के खिलाफ देश भर से आए हजारों छात्र 'छात्र महाआंदोलन' के बैनर तले रामलीला मैदान में जुटे थे. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि एसएससी की ओर से हाल ही में कराई गई परीक्षाओं में लगातार अनियमितताएं सामने आ रही है.
छात्रों की मांग
प्रदर्शनकारियों में शामिल लखनऊ के एक छात्र सुधांशु पटेल का कहना था, "परीक्षाओं में तमाम तरह की खामियां हैं लेकिन उन्हें दूर करने की कोई कोशिश नहीं हो रही है. उल्टे, शिकायत करने पर छात्रों पर लाठियां बरसाईं जा रही हैं. प्राशसनिक खामियों, तकनीकी गड़बड़ियों और परीक्षा केंद्रों की खराब स्थिति की शिकायतें लगातार की जा रही हैं लेकिन संज्ञान नहीं लिया जाता. कई छात्रों को तो उनके घरों से 500 किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र अलॉट कर दिए जाते हैं. उतनी दूर छात्र परीक्षा देने जाते हैं और बाद में पता चलता है कि परीक्षा तो रद्द कर दी गई.”
प्रतियोगी छात्र परीक्षा में धांधली करने वाले केंद्रों को ब्लैक लिस्ट करने की मांग कर रहे हैं. साथ ही प्राइवेट एजेंसियों की जवाबदेही और लापरवाही करने पर कॉन्ट्रैक्ट रद करने और परीक्षा रद्द होने से प्रभावित छात्रों की फीस वापस किए जाने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा परीक्षा रद्द होने पर परीक्षा देने के लिए अतिरिक्त मौके की मांग भी की जा रही है.
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राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
रविवार को हुई घटना के बाद देश में राजनीतिक पारा भी काफी चढ़ गया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "रामलीला मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे एसएससी अभ्यर्थियों और शिक्षकों पर बर्बर लाठीचार्ज, शर्मनाक ही नहीं, एक डरपोक सरकार की पहचान है. युवाओं ने सिर्फ अपना हक मांगा था- रोजगार और न्याय. मिलीं क्या? लाठियां. साफ है- सरकार को न देश के युवाओं की चिंता है, न उनके भविष्य की. क्यों हो? ये सरकार जनता के वोटों से नहीं, वोट चुराकर सत्ता में आई है.”
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वहीं कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी ने भी छात्रों पर पुलिस बल प्रयोग को अमानवीय और शर्मनाक करार दिया. उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा, "हर परीक्षा में धांधली, हर भर्ती में घोटाला और पेपर लीक से पूरे देश के युवा त्रस्त है. भाजपा राज में भर्ती प्रक्रियाओं और परीक्षाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रहा है. उसे ठीक करने और युवाओं की बात सुनने की जगह उन पर लाठियां बरसाना दुर्भाग्यपूर्ण है. छात्रों पर क्रूरता बरतने के बजाय उनकी बात सुनी जानी चाहिए.”
वहीं, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर लिखा है, "बीजेपी की तानाशाही व गुंडागर्दी देखिए… SSC परीक्षा की गड़बड़ियों को लेकर ये छात्र महीनों से इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे थे. उनकी आवाज सुनने की बजाय रात के अंधेरे में उन पर लाठियां बरसा दी गईं. मीडिया को कवरेज से रोका गया. बीजेपी ने लोकतंत्र ही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम का ही मजाक बना दिया है.”
क्या है एसएससी?
एसएससी यानी स्टाफ सेलेक्शन कमीशन के जरिए केंद्रीय सरकारी सेवाओं में विभिन्न विभागों के लिए कर्मचारियों का चयन करता है. भारत सरकार ने 1975 में इसका गठन किया था. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और ये एक स्वायत्त केंद्रीय सरकारी संगठन के तौर पर काम करता है. एसएससी परीक्षाएं कराने, आनसर शीट जांचने और परिणाम घोषित करने के लिए जिम्मेदार है.
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साल 2010 से पहले एसएससी सिर्फ ग्रुप-बी के गैर-राजपत्रित और ग्रुप-सी (नॉन टेक्निकल) के पदों के लिए परीक्षाएं आयोजित करता था लेकिन अब यह ग्रुप-बी (राजपत्रित) पदों के लिए भी परीक्षाएं आयोजित करता है. ये पद अकाउंट और ऑडिट सेवाओं से जुड़े होते हैं, जैसे- असिस्टेंट अकाउंट्स अफसर और असिस्टेंट ऑडिट अफसर.
एसएससी की परीक्षाओं को टाटा कंस्लटेंसी सर्विसेज यानी टीसीएस पिछले कई सालों से करा रही थी लेकिन हाल ही में सरकार ने एक केंद्रीयकृत परीक्षा प्रणाली शुरू की. इस नए सिस्टम को लेकर शुरू से ही सवाल उठाए जा रहे हैं.