प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के कार्यकाल को बार बार बढ़ाए जाने को अवैध ठहरा कर सुप्रीम कोर्ट ने संस्था के राजनीतिक इस्तेमाल का संकेत दिया है. सवाल उठ रहे हैं कि एजेंसी को सरकारों के राजनीतिक दबाव से कैसे बचाया जा सकता है.
विज्ञापन
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश भारत सरकार के लिए बड़ा झटका है. पिछले करीब पांच सालों से ईडी का नेतृत्व कर रहे संजय कुमार मिश्रा की देखरेख में इस अवधि में एजेंसी ने कई बड़े मामलों में जांच शुरू की है.
भारतीय राजस्व सेवा के 1984 बैच के अधिकारी संजय कुमार मिश्रा को सबसे पहले 19 नवंबर, 2018 को दो साल के तय कार्यकाल के लिए ईडी का निदेशक नियुक्त किया गया था.
कैसे बढ़ाया कार्यकाल
लेकिन 2018 में उनके कार्यकाल की समाप्ति के ठीक पहले 13 नवंबर, 2020 को राष्ट्रपति ने उनकी नियुक्ति के पुराने आदेश को बीती तारीख से बदल दिया और कार्यकाल को तीन साल का बना दिया.
ईडी की जद में विपक्षी नेता
भारत में प्रवर्तन निदेशालय पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक भ्रष्टाचार के कई मामलों में कार्रवाई कर रही है. ज्यादातर मामले विपक्षी नेता और राजनीतिक दल से जुड़े हैं.
तस्वीर: Akash Anshuman/abaca/picture alliance
सोनिया गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ कर चुकी है. कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार ईडी का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में कर रही है.
तस्वीर: Raj K Raj/Hindustan Times/IMAGO
राहुल गांधी
सोनिया गांधी से पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से ईडी कई घंटे की पूछताछ कर चुकी है. राहुल से भी नेशनल हेराल्ड केस में पूछताछ हुई है.
आईएनएक्स मीडिया और एयरसेल मैक्सिस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम की ईडी जांच कर रही है. पी चिदंबरम को ईडी ने 2019 में आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तार किया था.
तस्वीर: UNI
कार्ति चिदंबरम
पी चिदंबरम के बेटे और सांसद कार्ति चिदंबरम पर कथित वीजा रैकेट मामले की जांच सीबीआई कर रही है. आरोप है कि 2011 में जब पी चिदंबरम केंद्र में गृह मंत्री थे तब पंजाब में काम कर रही एक चीनी कंपनी के लोगों को वीजा दिलाने के लिए कार्ति चिदंबरम ने कथित तौर पर रिश्वत ली थी.
तस्वीर: IANS
अभिषेक बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी अपनी पत्नी रुजीरा बनर्जी के साथ कथित कोयला तस्करी मामले में ईडी की जांच के घेरे में हैं. इस मामले में अभिषेक बनर्जी से ईडी दो बार पूछताछ कर चुकी है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
संजय राउत
शिवसेना के सांसद संजय राउत के खिलाफ ईडी पात्रा चॉल घोटाले की जांच कर रही है. ईडी की छापेमारी के दौरान उनके घर से साढ़े ग्यारह लाख रुपये बरामद हुए थे. पूछताछ के बाद 31 जुलाई को ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. राउत का आरोप है कि ईडी केंद्र के निर्देशों पर काम कर रही है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Maqbool
सत्येंद्र जैन
आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में ईडी गिरफ्तार कर चुकी है. उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है.
तस्वीर: Hindustan Times/imago images
पार्थ चटर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी पार्थ चटर्जी पर कथित स्कूल भर्ती घोटाले का आरोप है. उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट से 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी मिल चुकी है. ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को न केवल मंत्री पद से हटा दिया है बल्कि पार्टी से बाहर का भी रास्ता दिखा दिया है.
तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW
फारूक अब्दुल्ला
फारूक अब्दुल्ला से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के बाद उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है. उन पर जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष रहते हुए वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे. 2019 में अब्दुल्ला का बयान ईडी ने दर्ज किया था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Khan
नवाब मलिक
एनसीपी नेता नवाब मलिक को ईडी ने इसी साल फरवरी में मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था. जांच एजेंसी उनकी एक जमीन सौदे की जांच कर रही थी, जो संदिग्ध तौर पर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से जुड़ी थी.
तस्वीर: Satish Bate/Hindustan Times/imago images
10 तस्वीरें1 | 10
उसके बाद 17 नवंबर, 2021 को उन्हें एक साल की एक्सटेंशन दे दी गई. 17 नवंबर, 2022 को उन्हें फिर से एक साल की एक्सटेंशन दे दी गईg. ईडी के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब उसके निदेशक को पांच साल लंबा कार्यकाल दिया गया है.
सितंबर 2021 में मिश्रा को दिए गए एक्सटेंशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सुनवाई के बाद अदालत ने चुनौती को खारिज तो कर दिया था लेकिन केंद्र सरकार को मिश्रा के कार्यकाल को नवंबर 2021 के बाद और आगे बढ़ाने से मना कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा आदेश में 2021 के इसी आदेश का हवाला दिया है और सरकार को इसके स्पष्ट उल्लंघन का दोषी ठहराया है.
मिश्रा मई 2020 में ही 60 साल के हो गए थे, जो सरकारी सेवा में सेवानिवृत्ति की उम्र है. अदालत ने कहा था कि सेवानिवृत्ति की उम्र के हो चुके अधिकारियों के कार्यकाल को बढ़ाना सिर्फ "असामान्य और असाधारण" मामलों में किया जाना चाहिए, और वो भी "एक छोटी अवधि के लिए."
विज्ञापन
इस दौरान दर्ज किये मामलों पर सवाल
इस मामले में सरकार द्वारा 2021 में लाये गए के कानूनी संशोधन की भी अहम भूमिका है. 2021 में अदालत के फैसले के बाद सरकार ने एक अध्यादेश के जरिए केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम में बदलाव कर दिया था और खुद को ईडी निदेशक के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने की शक्ति दे दी थी.
क्या भारत लोकतंत्र के लिए परिपक्व नहीं है?
31:58
बाद में इसी विषय पर सरकार ने संसद से कानून भी पारित करा लिया. इसके तहत सरकार एक बार में एक साल के दर से ईडी निदेशक के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ा सकती है. अदालत में दायर की गई ताजा याचिकाओं में इस संशोधन को भी चुनौती दी गई थी. हालांकि अदालत ने इसे रद्द करने से इनकार कर दिया है.
अब कांग्रेस पार्टी मांग कर रही है कि चूंकि मिश्रा को दिया एक्सटेंशन अवैध घोषित हो गया है, इस दौरान एजेंसी द्वारा दायर किये मामले भी अवैध घोषित किये जाने चाहिए.
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला इस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक थे. बीते पांच सालों में ईडी ने विशेष रूप से विपक्ष के कई नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज किये हैं, जिसकी वजह से उसे लगातार सरकार के राजनीतिक एजेंडा पर काम करने के आरोपों का सामना करना पड़ा है.
ईडी की बढ़ती ताकत
ईडी की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक एजेंसी 51 सांसदों और पूर्व सांसदों और 71 विधायकों और पूर्व विधायकों के खिलाफ धन शोधन के मामलों की जांच कर रही है.
मीडिया रिपोर्टों के आधार पर इनमें पी चिदंबरम, डीके शिवकुमार, शरद पवार, अनिल देशमुख, सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया समेत कई नेता शामिल हैं. इसके अलावा हाल ही में सरकार ने जीएसटी प्रशासन की संस्था गुड्स एंड सर्विसेज को भी ईडी से जानकारी साझा करने की व्यवस्था कर दी है.
कई व्यापारियों और राजनीतिक दलों का कहना है कि इस कदम से सभी व्यापारियों और उद्योगपतियों को ईडी के निशाने पर ला दिया गया है. लेकिन सरकार का कहना है कि इससे ईडी को कर चोरी के मामलों की और अधिक जानकारी मिलेगी.
ईडी ने दर्ज किए हैं कई सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामले
ईडी ने धन शोधन यानी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जिन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं उनमें बड़ी संख्या में सांसद और विधायक हैं. सरकार पर ईडी के राजनीतिक इस्तेमाल का आरोप भी लगता है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
51 सांसदों के खिलाफ मामले दर्ज
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट दी है जिसमें बताया गया है कि 51 सांसदों के खिलाफ एजेंसी ने धन शोधन रोकथाम कानून के तहत आरोप दर्ज किए हुए हैं. इनमें मौजूदा और पूर्व सांसद दोनों शामिल हैं. कितने मौजूदा हैं और कितने पूर्व यह नहीं बताया गया है.
तस्वीर: IANS
71 विधायक भी शामिल
ईडी की इस रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ सांसदों पर ही धन शोधन के आरोप नहीं लगे हैं. इस सूची में 71 विधायक भी शामिल हैं. इनमें भी कितने मौजूदा विधायक हैं और कितने पूर्व इसकी जानकारी नहीं दी गई है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
सीबीआई के पास भी इतने ही मामले
सीबीआई ने भी ऐसी ही एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें उसने बताया है कि कई मौजूदा और पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ कुल 121 मामले दर्ज हैं. इनमें से 37 मामलों में सीबीआई की जांच लंबित है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
14 मौजूदा सांसदों के खिलाफ आरोप
सीबीआई के मुताबिक इन मामलों में कुल 51 सांसदों के खिलाफ आरोप हैं, जिनमें से 14 मौजूदा सांसद हैं और 37 पूर्व सांसद. पांच सांसदों की मौत हो चुकी है.
तस्वीर: AITC
34 विधायक कर रहे सामना
इसी तरह सीबीआई के मामलों में कुल 112 विधायकों के खिलाफ आरोप हैं. इनमें से 34 मौजूदा विधायक हैं, 78 पूर्व विधायक हैं और नौ विधायकों की मौत हो चुकी है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
दागी सांसद
चुनावी सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एडीआर की जून 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सभा के 71 मौजूदा सदस्यों (31 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से 20 सदस्य बीजेपी से हैं, 12 कांग्रेस से, पांच आरजेडी से, चार सीपीएम से, 3 तृणमूल कांग्रेस से और तीन 'आप' से हैं. इनमें हत्या और हत्या की कोशिश से लेकर बलात्कार तक के मामले शामिल हैं.
तस्वीर: Raminder Pal Singh/NurPhoto/imago images
नहीं लड़ सकते चुनाव
जन प्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक अगर कोई सांसद या विधायक किसी मामले में दोषी पाया जाता है तो उसे छह सालों तक चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में इस प्रावधान को चुनौती दी गई है.