इस्तांबुल आधुनिक तुर्की का वाणिज्यिक और वित्तीय केंद्र है. यह अभी भी तुर्क युग की व्यावसायिक संस्कृति को दर्शाता है. कुलियों का मेहनती जीवन इस शहर की व्यावसायिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
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इस्तांबुल के ग्रैंड बाजार से कुछ ही दूरी पर एक अंधेरी गली में कुली बेराम यदल्डिज अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. वह अपने शरीर के वजन के लगभग दोगुने वजन का एक बस्ता अपनी पीठ पर ढोकर ले जाएंगे. उनके साथ कुछ अन्य मजदूर भी हैं जो एक लॉरी से कपड़ों के बंडल उठा रहे हैं जिसे वे सूरज निकलने से पहले स्थानीय दुकानों तक पहुंचाएंगे. इस्तांबुल में इस तरह से माल ढुलाई की परंपरा सदियों पुरानी है. यदल्डिज कहते हैं, "मैं आधा हरक्यूलिस और आधा रैंबो हूं." उनका दावा है कि वह अपनी पीठ पर 200 किलो तक का भार ढो सकते हैं.
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इस्तांबुल की प्राचीन व्यापार संस्कृति
दो महाद्वीपों (एशिया और यूरोप) के बीच स्थित यह दुनिया का एकमात्र शहर है जहां सदियों से राजनीतिक, वाणिज्यिक और पर्यटक विशिष्टता और अद्वितीय आकर्षण है. आधुनिक तुर्की में सबसे विकसित शहरों में से एक होने के बावजूद, यह क्षेत्र और इसकी संस्कृति अभी भी तुर्क काल का प्रतिबिंब है.
सबसे मशहूर बाजार
गली वाले बाजार दुनियाभर में लगते हैं. जैसे भारत के हर शहर में होते हैं जैसे दिल्ली का चांदनी चौक. चलिए आज आपको दनियाभर के गली वाले बाजार दिखाते हैं.
तस्वीर: AP
ग्रैंड बजार, तुर्की
यह दुनिया के सबसे पुराने बाजारों में से एक है. यहां करीब 3000 दुकानें हैं जहां रोजाना ढाई से तीन लाख लोग आते हैं.
तस्वीर: Dan Kitwood/Getty Images
जेमा अल फना, मराकेश
जेमा अल फना मोरक्को का सबसे मशहूर बाजार है. यहां आज भी आपको सपेरे और मदारी मिल जाएंगे. जादूगर और किस्सागो भी होंगे.
तस्वीर: picture-alliance/Bildagentur Huber
क्वींस विक्टोरिया मार्केट, मेलबर्न
ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न शहर का यह बाजार 17 एकड़ में फैला है. दक्षिणी गोलार्ध का यह सबसे बड़ा खुला बाजार है.
लंदन यूं भी दुनिया भर के पर्यटकों की पसंद है. यहां का कैमडन लॉक मार्केट देखने हर वीकेंड एक लाख लोग आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/S.Stache
चांदनी चौक, दिल्ली
दिल्ली के चांदनी चौक बाजार को कौन नहीं जाना. मुगल काल का यह बाजार आज भी गुलजार है.
तस्वीर: Pushkar Vyas
टेंपल स्ट्रीट, हांगकांग
हांगकांग का टेंपल स्ट्रीट नाइट मार्केट शाम से शुरू होता है और यहां देर रात तक चहल पहल रहती है.
तस्वीर: picture-alliance/ANN/China Daily
शिलिन मार्केट, ताइपे
ताइवान के ताइपे में शिलिन नाइट मार्केट शहर का सबसे बड़ा बाजार है. यहां 600 से ज्यादा स्टॉल हैं.
तस्वीर: DW
रियल्टो बाजार, वेनिस
वेनिस का रियल्टो बाजार 11वीं सदी से लग रहा है. यह ग्रैंड कनाल के किनारे है जहां मशहूर पुलों में शुमार रियल्टो पुल भी है.
तस्वीर: Imago/OceanPhoto
थाइलैंड का तैरता बाजार
थाइलैंड का तैरता हुआ बाजार तो देश की पहचान बन चुका है. यह 14वीं सदी से लग रहा है.
तस्वीर: Sirsho Bandopadhyay
बैंकॉक वीकेंड मार्केट
थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक की चातुचाक वीकेंड मार्केट दुनिया भर में मशहूर है. इसे देखने देश विदेश के पर्यटक आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/S. Reboredo
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बेराम यदल्डिज उन सैकड़ों पुरुषों में से एक हैं जो तुर्की की वाणिज्यिक राजधानी इस्तांबुल के प्राचीन मध्य क्षेत्र में भोर से पहले इकट्ठा होना शुरू करते हैं. अपनी पीठ पर कपड़ों के भारी बंडलों को ढोते और बोझिल कदमों पर चलते हुए अपने भाग्य के बारे में बड़बड़ाते और खुद से बात करते हुए दिखाई देते हैं.
यदल्डिज के सहयोगियों में से एक उस्मान ने कहा, "यह सबसे खराब काम है, लेकिन करने के लिए और कुछ नहीं है." उस्मान पिछले 35 साल से मजदूरी का काम कर रहे हैं.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
शहरी इतिहास के एक तुर्की इतिहासकार नजदत साकालू के मुताबिक इस्तांबुल में यह परंपरा वास्तव में अठारहवीं शताब्दी की है. उस समय सुल्तान महमूद द्वितीय इस क्षेत्र का शासक था और यह क्षेत्र आज भी कांस्टेंटिनोपल के नाम से जाना जाता है. तुर्की में कुली को हमाल कहा जाता है. उस समय अधिकांश कुली मूल अर्मेनियाई थे और शहर के जीवंत सांस्कृतिक इतिहास को दर्शाते थे.
तुर्की के ऐतिहासिक ग्रैंड बाजार की एक सैर
तुर्की के इंस्ताबुल का ग्रैंड बाजार दुनिया के ऐतिहासिक बाजारों में गिना जाता है. इस मशहूर बाजार में 64 गलियां, करीब चार हजार दुकानें और 25,000 से भी ज्यादा लोग काम करते हैं.
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64 गलियां, चार हजार दुकानें
तुर्की का ग्रैंड बाजार देश का इतिहास भी बयान करता है. बाजार में करीब चार हजार दुकानें हैं. बाजार की खासियत है कि यहां सस्ते से सस्ता और महंगे से महंगा सभी तरह का सामान खरीदा जा सकता है.
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सदियों पुराना कारोबार
बाजार में कई दुकानें हैं जहां कई पुश्तों से एक ही काम हो रहा है. बाजार में नए तरह के लैम्पों से लेकर, सिल्क के कपड़े, जूते, घड़ियां, चश्मे, इलैक्ट्रॉनिक आइटम भी मिलते हैं.
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मुसीबतों को झेला
इस बाजार ने कई मुसीबतों और हमलों को भी झेला है.16वीं सदी में आए भूकंप में बाजार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ था, लेकिन बाजार को फिर खड़ा किया गया. आज भी इसकी रौनक देखते बनती है.
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रोजाना तीन लाख लोग
कोरोना से पहले इस ग्रैंड बाजार में देसी-विदेशी लोगों को मिलाकर रोजाना करीब तीन लाख से भी अधिक लोग पहुंचते थे.
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आकर्षक लैम्प
बाजार में कई दुकानों पर आपको आकर्षक, आधुनिक और रंग-बिरंगे लैम्प नजर आते हैं.
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मिठाई पहली पसंद
बाजार में स्थित मिठाइयों की दुकानों पर अकसर लोगों की भीड़ होती है. बतौर भेंट और तोहफा लोग मिठाई देना पसंद करते हैं.
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पीने का पानी
सदियों पुराने इस बाजार में यहां आए खरीदारों की प्यास बुझाने के लिए पीने के पानी के नल भी लगाए गए हैं.
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22 दरवाजे
बाजार में प्रवेश करने और बाहर निकलने के लिए 22 दरवाजे हैं. बाजार में किसी भी ओर से घुसकर, बाहर निकला जा सकता है.
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लेडीज पर्स
महिलाओं के हैंड बैग की भी यहां खासी वरायटी है. असली चमड़े से लेकर कई तरह के इंटरनेशनल ब्रांड की कॉपी भी इस बाजार में आसानी से मिल जाते हैं.
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सोना है पसंद
बाजार के बीचोंबीच सोना-चांदी बेचने वाली भी कई दुकानें नजर आती हैं. भारत की तरह तुर्की में भी सोने के जेवर काफी पसंद किए जाते हैं.
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मुस्कुराते दुकानदार
बाजार में दुकानदार अलग-अलग जुबानों वाले ग्राहकों से भी आसानी से निपट लेते हैं. चेहरे पर मुस्कुराहट लिए वह ग्राहकों से अंग्रेजी, अरबी, जर्मन, उर्दू, हिंदी में बात करते हैं.
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गर्म शॉल
हस्तशिल्पियों द्वारा बनाई जाने वाली गर्म शॉलों को भी खरीदने यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं.
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कीमतों पर मोलभाव
ग्रैंड बाजार में आने वाले खरीदार अकसर दुकानदारों के साथ कीमतों को लेकर मोलतोल करते नजर आते हैं. कई बार ग्राहक सफल भी हो जाते हैं.
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भारी सजावट
बाजार की गलियां इतनी खूबसूरती से सजाई गई हैं कि यहां से गुजरने वाले उसे देखे बिना नहीं रह पाते.
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हुक्के की कई किस्में
बाजार में हुक्का प्रेमियों के लिए भी कई तरह का सामान मिलता है. कांच से बना तरह-तरह का सामान भी ग्रैंड बाजार की खासियत है. (शकुर रहीम/एए)
तस्वीर: DW/S. Raheem
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आज अधिकांश काम कुर्दों के पास है. वे दक्षिण-पूर्व में मालट्या और एडियमन के जातीय रूप से विविध प्रांतों से संबंधित हैं. इन क्षेत्रों के कई परिवारों ने पीढ़ियों से इस्तांबुल के व्यापारियों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए हैं. इतिहासकार नजदत कहते हैं, "मोबाइल फोन के जमाने से पहले, इन कुलियों में व्यापार मालिकों के साथ सीधे संबंध स्थापित करने और उनका विश्वास हासिल करने की क्षमता थी. इसकी संरचना, व्यापार और टाइपोग्राफी के कारण शहर कुलियों के बिना काम नहीं कर सकता."
कुली आमतौर पर एक कप्तान के नेतृत्व में दस्ते के रूप में काम करते हैं जो व्यापारियों के साथ उनके काम का समन्वय करने और उनकी पाली के अंत में उन्हें मजदूरी का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होते हैं. यदल्डिज का कहना है कि वह एक दिन में 200 से 300 लीरा (20 से 30 डॉलर) के बीच कमाते हैं. अगर एक दिन उनके लिए अच्छा साबित होता है तो वह और भी ज्यादा कमा लेते हैं.
कंटेनर से माल भेजने के 65 साल
कंटेनर जहाज 26 अप्रैल, 1956 को दुनिया में पहली बार भेजा गया था. व्यापार का यह तरीका मैल्कम पी मैकलीन द्वारा पेश किया गया था. वह एक स्कॉटिश अमेरिकी थे और उन्होंने समुद्र के रास्ते व्यापार को एक नया आयाम दिया.
तस्वीर: Maersk Sealand
एक आदमी और उसके बक्से
1965 में जहाज-मालिक और फ्रेट फॉरवर्डर मैल्कम मैकलीन को विचार आया कि माल को अलग-अलग बक्से में रखने की बजाय अगर एक ही बड़े कंटेनर में रखा जाए तो समय के साथ-साथ पैसे की भी बचत होगी. इस विचार के कारण कंटेनर की खोज हुई. इस तरह से कंटेनर से माल भेजने की लागत कम हुई.
तस्वीर: Maersk Sealand
नौकरियों पर पड़ा असर
मैकलीन ने बंदरगाह व्यापार में क्रांति ला दी, जिससे दुनिया के बंदरगाहों में हलचल पैदा हो गई. वे उन लोगों के जीवन को आसान बनाना चाहते थे जो बंदरगाहों पर बोझ ढोते थे लेकिन इस खोज के कारण कई लोगों की नौकरी भी चली गई.
1956 में मैकलीन ने एक तेल टैंकर को खरीदा और इसे एक मालवाहक जहाज में बदल डाला. आज, समुद्र में बहुत बड़े कार्गो जहाज तैर रहे हैं. एक-एक मालवाहक जहाज कई हजार टन माल ढो सकते हैं.
तस्वीर: Joe Giddens/PA Wire/picture alliance
जर्मनी पहुंचने वाले पहले कंटेनर
मई 1966 में, मैकलीन की कंपनी के जहाज द फैरलैंड ने ओवरसीज पोर्ट ऑफ ब्रेमेन में लंगर डाला और कंटेनरों की पहली खेप जर्मनी में उतारी गई. इस खेप में 110 कंटेनर थे. मैकलीन की कंटेनर सेवा समय के साथ संपन्न हो रही थी.
एक कंटेनर की लंबाई और चौड़ाई समय के साथ निर्धारित होती गई. मानक कंटेनर एक बीस फुट इकाई है. कंटेनर कोल्ड स्टोरेज सहित कई आकारों में आते हैं. जानवरों और बड़े माल के लिए कंटेनर का आकार बदलना संभव है, लेकिन सामान्य तौर पर उनका आकार समान है.
तस्वीर: Robert Schmiegelt/Geisler/picture alliance
दिन और रात चलता रहता है काम
विश्व व्यापार का नब्बे प्रतिशत माल समुद्र के रास्ते भेजा जाता है. लोडिंग और अनलोडिंग की प्रक्रिया बंद नहीं होती है. दुनिया के सबसे प्रमुख बंदरगाहों से लाखों टन माल कंटेनर के द्वारा भेजे जाते हैं.
देश में जहाजों से बंदरगाहों को माल की आपूर्ति करने के लिए, रेलवे ट्रैक को बंदरगाहों तक पहुंचाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई. हैम्बर्ग के बंदरगाह का अपना शिपिंग स्टेशन है. इस तस्वीर में क्रेन से कंटेनर को ट्रेनों पर लादा जा रहा है.
तस्वीर: Reuters/F. Bimmer
सुरक्षित प्रणाली
बंदरगाहों पर पहुंचने वाले माल की अच्छी डिलीवरी एक सुरक्षित प्रणाली के तहत ही संभव है. हैम्बर्ग के इस बंदरगाह में माल की आवाजाही की निगरानी के लिए एक बहुत ही कुशल प्रणाली है. यह सिस्टम एक एयरपोर्ट कंट्रोल टॉवर की तरह काम करता है.
तस्वीर: HHLA
तस्करी का जरिया
विश्व व्यापार में हजारों कंटेनरों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है. प्रत्येक कंटेनर को खोलना संभव नहीं है, इसलिए तस्कर इस खामी का फायदा उठाते हैं और माल को कंटेनर में छिपाते हैं. इस तस्वीर में पाकिस्तानी ब्रिगेडियर अशफाक रशीद खान मादक पदार्थ के साथ खड़े नजर आ रहे हैं जो उनकी टीम ने कंटनेर से पकड़ा है.
तस्वीर: AP
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कुली के काम के लिए सख्त आचार संहिता की आवश्यकता होती है. उदाहरण के लिए प्रत्येक टुकड़ी एक विशिष्ट छोटे क्षेत्र को नियंत्रित करती है और दूसरे के क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती है. 49 साल के मुहम्मद तुक्तस सड़क के उलटी दिशा की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, "अगर मैं वहां जाने की कोशिश करता हूं, तो वे मुझे नहीं जाने देंगे. वह उनका क्षेत्र है."लगभग 30 वर्षों से तुक्तस उसी सात मंजिला इमारत की सीढ़ियों से ऊपर-नीचे भार ढो रहे हैं. इस मेहनत ने उन्हें शारीरिक रूप से पहलवान जैसा बना दिया है. माल का वजन तो बढ़ रहा है लेकिन कमाई घट रही है.
सात मंजिला इमारत में सौ से अधिक व्यापारी तुक्तस जैसे मजदूरों पर निर्भर हैं, जो पेशा के अंतिम बचे लोगों में से एक हैं. इस क्षेत्र में पहिएदार ठेले बेकार हैं. ऐसे कुली संकीर्ण गलियारों में और बिना लिफ्ट वाली इमारतों में ज्यादा काम आते हैं. तुक्तस खुद को इस मरते हुए प्राचीन पेशे के अंतिम जीवित निशानों में से एक के रूप में देखते हैं.
एए/सीके (एएफपी)
ये देश एशिया और यूरोप, दोनों का हिस्सा हैं
दुनिया का हर देश किसी ना किसी महाद्वीप का हिस्सा है. लेकिन कुछ ऐसे भी देश हैं जो दो महाद्वीपों में पड़ते हैं. एक नजर ऐसे ही देशों पर जो एशिया और यूरोप में गिने जाते हैं.
तस्वीर: SEZAYI ERKEN/AFP/Getty Images
रूस
रूस दुनिया का सबसे विशाल देश है जिसका 39 लाख वर्ग किलोमीटर का हिस्सा यूरोप में पड़ता है जबकि उसका कुल क्षेत्रफल 1.7 करोड़ वर्ग किलोमीटर है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/P. Golovkin
तुर्की
तुर्की के इस्तांबुल शहर को एशिया और यूरोप के बीच एक पुल समझा जाता है. तुर्की के कुल 7.8 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में से 23 हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका यूरोप का हिस्सा है.
तस्वीर: SEZAYI ERKEN/AFP/Getty Images
कजाखस्तान
कजाखस्तान की गिनती मध्य एशियाई देशों में होती है. लेकिन उसका 1.8 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र यूरोप की सीमाओं में आता है जबकि उसका कुल क्षेत्रफल 27 लाख वर्ग किलोमीटर है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
अजरबैजान
एक और मध्य एशियाई देश अजरबैजान का भी एक हिस्सा यूरोप की भौगोलिक सीमाओं में पड़ता है जो लगभग 6.9 हजार वर्ग किलोमीटर का है. लेकिन उसके कुल 86.6 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल का ज्यादातर हिस्सा एशिया में ही है.
तस्वीर: picture-alliance/AA/R. Rehimov
जॉर्जिया
जॉर्जिया का भी लगभग ढाई हजार वर्ग किलोमीटर का हिस्सा यूरोप में गिना जाता है. यूरोप का हिस्सा बनने की कोशिशों के कारण 69 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले इस देश की रूस से खासी तनातनी रहती है.
तस्वीर: picture-alliance/AA/D. Kachkachishvili
साइप्रस
साइप्रस भौगोलिक रूप से यूरोप में नहीं आता है. लेकिन पारंपरिक तौर पर वह यूरोप के साथ नजदीकी तौर पर जुड़ा हुआ है. वह यूरोपीय संघ का भी हिस्सा है.