गरीबी और भुखमरी हटाना शहरी भारतीयों के लिए प्रमुख प्राथमिकता
१६ जून २०२१
एक सर्वे के मुताबिक शहरी भारतीयों के लिए गरीबी उन्मूलन, भुखमरी हटाना और लैंगिक समानता हासिल करना 'सतत विकास लक्ष्यों' (एसडीजी) के बीच प्रमुख प्राथमिकताएं हैं.
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विश्व आर्थिक मंच-मार्केट रिसर्च कंपनी इपसोस ने शहरी भारतीयों के बीच यह सर्वे कराया है. जिसमें यह तथ्य सामने आए हैं. इपसोस के एक बयान में कहा गया है कि सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि शहरी भारतीयों के लिए अच्छा स्वास्थ्य और भलाई सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है. इसके अलावा 2021 के लिए वैश्विक नागरिकों की शीर्ष तीन एसडीजी प्राथमिकताएं हैं, भुखमरी हटाना, गरीबी हटाना, बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण.
इपसोस इंडिया के सीईओ अमित अदारकर के मुताबिक, "महामारी और लॉकडाउन ने बड़े पैमाने पर आजीविका को प्रभावित किया है और शीर्ष तीन लक्ष्य केवल यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि लोगों को खिलाना और आर्थिक रूप से समर्थित करना है और उपचार और टीकाकरण प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को आगे बढ़ाना है."
उन्होंने कहा कि सरकार ने भी इन तीन क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है, जब तक कि वायरस पर नियंत्रण नहीं हो जाता.
संयुक्त राष्ट्र ने कुल 17 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) रखे हैं जिन्हें 2030 तक हासिल किया जाना है. दूसरे देशों के साथ भारत ने भी 2015 में इन एसडीजी को हासिल करने का संकल्प लिया है. सतत विकास लक्ष्यों के तहत दूसरा लक्ष्य अगले 10 सालों में सभी देशों से भूख और हर प्रकार का कुपोषण खत्म करना है.
अदारकर कहते हैं, "हालांकि भारत जैसे देश के लिए, जो बहुसंख्यक गरीबी में डूबा हैं, ये दीर्घकालिक लक्ष्य हैं. लिंग समानता की भी एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में पहचान की गई है. महामारी के बाद महिलाओं पर अधिक दबाव है. इसलिए, भारत में लैंगिक समानता अधिक प्रमुख हो गई है."
संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों की ओर से 2015 में 2030 एजेंडा के रूप में अपनाए गए 17 सतत विकास लक्ष्यों में पिछले साल भारत 115वें स्थान पर था. ताजा रिपोर्ट में यह दो पायदान नीचे आया है. वहीं अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक 2020 के दौरान भारत की बेरोजगारी दर बढ़ कर 7.11 फीसदी पर पहुंच गई. यह पिछले तीन दशक का सर्वोच्च स्तर है.
एए/वीके (रॉयटर्स)
कहां है सबसे ज्यादा भुखमरी
कोरोनावायरस महामारी ने कई देशों को भुखमरी के कगार पर धकेल दिया है. ये हैं दुनिया के वे देश जहां सबसे ज्यादा भुखमरी है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/A. Ufumeli
डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम यूएसए के मुताबिक भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या सबसे ज्यादा डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में है, जो पहले सीरिया में थी. यहां 2.7 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हैं जबकि दो साल पहले इनकी तादाद 1.3 करोड़ थी.
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अफगानिस्तान
संयुक्त राष्ट्र की संस्था वर्ल्ड फूड प्रोग्राम कहती है कि भारत के पड़ोसी अफगानिस्तान में एक करोड़ 69 लाख लोगों के सामने रोज खाने का संकट खड़ा हो जाता है.
तस्वीर: Rahmatullah Alizadah/Xinhua/imago images
यमन
युद्ध की मार झेल रहे यमन पर कोविड ने भयंकर कहर ढाया है और यह इलाका आधुनिक इतिहास के सबसे बड़े अकाल की ओर बढ़ रहा है. देश की आधी आबादी यानी लगभग 1.6 करोड़ लोग रोज सुबह खाली पेट जगते हैं.
तस्वीर: Mohammed Mohammed/Xinhua/picture alliance
नाईजीरिया
गरीबी के मारे इस अफ्रीकी देश पर कोविड का कहर ऐसा बरपा है कि एक करोड़ 30 लाख लोगों के भूखे मरने की नौबत आ गई है.
तस्वीर: Afolabi Sotunde/Reuters
इथियोपिया
2021 के आंकड़े बताते हैं कि देश के एक करोड़ 29 लाख लोगो खाने के संकट से जूझ रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ टिग्रे प्रांत में लगभग 3,50,000 लोगों के सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है.
तस्वीर: Ben Curtis/AP Photo/picture alliance
सीरिया
एक दशक से जारी युद्ध ने 1.24 करोड़ लोगों को गरीबी और भूख के चंगुल में लपेट लिया है. 67 लाख से ज्यादा लोगों के पास खाना नहीं है.
तस्वीर: Baderkhan Ahmad/AP Photo/picture alliance
सूडान
सूडान में पिछले साल 96 लाख लोग भूखे सोये थे. इस साल यह संख्या और बढ़ सकती है.
तस्वीर: picture-alliance/AA/M. Hjaj
साउथ सूडान
सालों से जारी गृह युद्ध और खराब मौसम से जूझते इस नए देश के सामने कोविड के दौरान भूखा मरने की नौबत आ चुकी है. यहां 72 लाख लोग भूख से लड़ रहे हैं.
तस्वीर: Stefanie Glinski/AFP/Getty Images
हैती
हैती में 44 लाख लोगों के पास खाना नहीं है. पिछले तीन साल से यह संख्या लगातार बढ़ रही है.