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कलाभारत

प्रादा ने मानी कोल्हापुरी चप्पलों से 'प्रेरणा' लेने की बात

रितिका रॉयटर्स
२८ जून २०२५

सोशल मीडिया पर हुई आलोचना के बाद आखिरकार लग्जरी फैशन ब्रांड प्रादा ने माना है कि उनकी नई सैंडलों के डिजाइन की प्रेरणा उन्हें भारत की कोल्हापुरी चप्पलों से मिली थी.

मिलान फैशन शो की तस्वीर
मिलान में प्रादा के फैशन शो में कोल्हापुरी चप्पलों जैसी दिखने वाली सैंडल पहनकर मॉडल ने वॉक किया. इसके बाद कंपनी की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई.तस्वीर: Alessandro Garofalo/REUTERS

लग्जरी फैशन ब्रांड प्रादा मिलान में हुए अपने हालिया फैशन शो के बाद इन दिनों सोशल पर चर्चा का विषय बना हुआ था. इस फैशन शो में ब्रांड ने एक ऐसी सैंडल लॉन्च की जो हूबहू भारतीय कोल्हापुरी चप्पलों जैसी थी. इस चप्पल की तस्वीरें वायरल होने के बाद भारतीय डिजाइनरों और लोगों में खासी नाराजगी देखने को मिली क्योंकि इस महंगे ब्रांड ने कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया था इस डिजाइन की प्रेरणा उन्हें कहां से मिली. सोशल मीडिया पर हुई आलोचना के बाद इटली के इस मशहूर लग्जरी ब्रांड ने यह बात स्वीकारी है कि उनके इस डिजाइन की जड़ें असल में भारत से जुड़ी हुई हैं.

प्रादा ने महाराष्ट्र चेंबर ऑफ कॉमर्स को लिखी चिट्ठी

ये चप्पलें महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में बारहवीं शताब्दी से बनाई जाती रही हैं जहां से इन्हें इनका नाम भी मिला. तीखी आलोचना के बाद प्रादा के कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के हेड लोरेंजो बेरटेली ने महाराष्ट्र के चेंबर ऑफ कॉमर्स को एक चिट्ठी लिखकर यह बात स्वीकार की है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक चिट्ठी में प्रादा की ओर लिखा गया कि वे इस बात को स्वीकार करते हैं कि उनकी चप्पलें भारत की सदियों पुरानी हस्तकला से प्रेरित होकर बनाई गई हैं.

इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि ये सैंडल फिलहाल डिजाइनिंग के अपने शुरुआती चरण में हैं और कंपनी ने अभी यह तय नहीं किया है कि वह इसे बाजार में उतारेगी या नहीं. हालांकि वे भारत के स्थानीय कलाकारों से इस मुद्दे पर बातचीत करना चाहते हैं और इसके लिए वे मीटिंग की योजना भी बनाने को तैयार हैं. हालांकि, बेरटेली की यह चिट्ठी कोल्हापुरी चप्पलें बनाने वाले 3,000 कलाकारों के संगठन के अध्यक्ष की शिकायतों और ऑनलाइन हुई आलोचना के बाद आई है.

महाराष्ट्र और कर्नाटक के कलाकार सदियों से ये चप्पलें बनाते आ रहे हैं. तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS

प्रादा के एक अन्य प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा कि इस सैंडल की प्रेरणा भारत से ली थी. साथ ही कहा कि उनकी कंपनी ने हमेशा ही कलाकारों, विरासत और पारंपरिक डिजाइनों की सराहना की है. प्रादा ने डिजाइन से प्रेरणा तो ली लेकिन भारत की कोल्हापुरी चप्पलों और प्रादा की सैंडलों की कीमत में जमीन आसमान का फर्क है. प्रादा की सैंडलों की कीमत जहां करीब 80 हजार से एक लाख रुपये के बीच होती है, वहीं सामान्य कोल्हापुरी चप्पलें 1000-1200 रुपये के बीच आसानी से मिल जाती हैं.

जानकारों के मुताबिक कोल्हापुरी चप्पलें बारहवीं शताब्दी से ही बननी शुरू हो गई थीं.तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS

हजारों कलाकारों की विरासत है कोल्हापुरी चप्पलें

कोल्हापुर के हजारों कलाकारों के परिवार कई पीढ़ियों से कोल्हापुरी चप्पलें बनाते आए हैं. 2019 में इन चप्पलों को जीआई टैग भी मिला था. महाराष्ट्र के साथ साथ कर्नाटक के कुछ इलाकों में भी ये चप्पलें सालों से बनती आई हैं. कोल्हापुर के राजपरिवार के संभाजी छत्रपति ने रॉयटर्स से कहा कि वे नाराज हैं कि कलाकारों के 150 साल पुराने इतिहास और विरासत को पहचाना नहीं गया. वहीं, जिले के व्यापारी दिलीप मोरे कहा कहा कि कुछ कलाकार तो इस बात से खुश थे कि उनके डिजाइन दुनियाभर में मशहूर हो रहे हैं. कलाकार इस बात से खुश नजर आए कि उनकी कला को कोई सम्मान दे रहा है.

 

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