बच्चा पैदा करने अर्जेंटीना पहुंची हजारों रूसी महिलाएं
२२ फ़रवरी २०२३
डिलीवरी की तारीख नजदीक आते ही छह रूसी महिलाएं फ्लाइट पकड़कर अर्जेंटीना पहुंच गईं. ब्यूनस आयरस के एयरपोर्ट पर अधिकारियों ने जब उनसे पूछताछ की तो रूसी बर्थ टूरिज्म का मामला सामने आ गया.
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कई घंटे लंबी उड़ान भरने के बाद अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयरस पहुंचीं छह रूसी महिलाओं को एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन अधिकारियों ने रोक लिया. महिलाएं प्रसव से ठीक पहले अर्जेंटीना पहुंची थीं. उनके पास टूरिस्ट वीजा था लेकिन अर्जेंटीना में वे कहां जाएंगी, क्या करेंगी? अधिकारियों को इन सवालों के जवाब नहीं मिले. छहों रूसी महिलाओं के पास कोई रिटर्न टिकट भी नहीं था.
इस मामले से अर्जेंटीना के माइग्रेशन डिपार्टमेंट के कान खड़े हो गए. अचानक पूरा मामला समझ में आने लगा. असल में कई रूसी नागरिक अपने बच्चे को अर्जेंटीना में जन्म देना चाहते हैं. अर्जेंटीना में जन्म लेने वाला आसानी से वहां का नागरिक हो जाता है. यही वजह है कि बीते एक साल में ब्यूनस आयरस में नवजात बच्चों के साथ रूसी महिलाएं और रूसी जोड़े खूब दिख रहे हैं. कैफे, पार्कों, बसों और प्राइवेट क्लीनिकों में खूब रूसी नागरिकों का दिखना और रूसी भाषा सुनाई पड़ना सामान्य हो चुका है.
सैकड़ों नहीं, हजारों में है संख्या
ब्यूनस आयरस के सानातोरियो फिनशिएतो क्लीनिकल में प्रेंग्नेंट रूसी महिलाएं हमेशा नजर आ जाती हैं. क्लीनिक के अधिकारी गुइलेर्मो कापुया कहते हैं, हमने कल्पना नहीं की थी कि ये एक ट्रेंड सा बन जाएगा. आखिरी तिमाही में तो संख्या बहुत ही ज्यादा बढ़ गई. दिसंबर 2022 में क्लीनिक में 200 बच्चे पैदा हुए, इनमें से एक तिहाई रूसी मांओं के थे.
दक्षिण अमेरिकी देश पहुंचे ज्यादातर रूसी, स्पैनिश भाषा नहीं बोल पाते हैं. अधिकांश रूसी नागरिक तो पहली बार अर्जेंटीना पहुंचे हैं. माइग्रेशन एजेंसी की डायरेक्टर फ्लोरेंसिया कारिजनानो कहती हैं कि रूसी नागरिकों का आना अब "एक एवलांच" की तरह हो चुका है. बीते तीन महीने में ही गर्भवती महिलाओं के साथ 5,800 रूसी नागरिक अर्जेंटीना पहुंचे हैं.
ज्यादातर रूसी महिलाएं एम्सटर्डम, इस्तान्बुल और अदीस अबाबा से कनेक्टिंग फ्लाइट लेकर ब्यूनस आयरस पहुंचती हैं. माइग्रेशन डायरेक्टर के मुताबिक हर फ्लाइट में 14 से 15 गर्भवती महिलाएं होती हैं.
अर्जेंटीना ही क्यों?
2003 से अर्जेंटीना में रह रहीं रूसी मूल की अनुवादक एलेना श्कीतेनकोवा कहती हैं, "करीब 90 फीसदी महिलाएं यहां बेहतर भविष्य की तलाश में आई हैं. ऐसे कई मामले हैं जब किसी महिला का पता चला कि उसका बेटा होने वाला है और फिर उन्होंने अर्जेंटीना आने का फैसला किया." श्कीतेनकोवा प्रशासनिक काम में रूसी मांओं की मदद करती हैं.
यूक्रेन युद्ध के चलते रूस ने सैन्य सेवा को अनिवार्य कर दिया है. बीते एक साल में रूस ने देश भर के कई इलाकों से नौजवानों को सेना में भर्ती किया है. रूसी मांओं का जिक्र करते हुए श्कीतेनकोवा कहती हैं, "वे मुझसे कहती हैं कि मैं अपने बेटे को जिंदा देखना चाहती हूं, मैं अपने बेटे के लिए शांति और बेहतर भविष्य चाहती हूं."
अर्जेंटीना पहुंची 32 साल की एक रूसी महिला की तीन बेटियां हैं. तीसरी बेटी का जन्म मई 2022 में ब्यूनस आयरस में हुआ. अपनी पहचान छुपाते हुए वह कहती हैं, "अर्जेंटीना आने के मेरे फैसले की एक वजह यूक्रेन युद्ध भी है. हालांकि ये सिर्फ अकेला कारण नहीं है. लेकिन यह बात पक्की है कि अगर हम रूस में ही रहते तो शायद मेरे पति को जबरन सैन्य सेवा के लिए बुला लिया जाता."
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रूस से ज्यादा सम्मान
अर्जेंटीना पहुंचे एक रूसी पुरुष ने अपनी पहचान छुपाने की शर्त में बताया कि ज्यादातर रूसी नागरिक दोहरी नागरिकता लेना चाहते हैं. वह बताते हैं कि अर्जेंटीना में बच्चा पैदा करने का पैकेज करीब 15,000 डॉलर का पड़ता है. अर्जेंटीना की पुलिस के मुताबिक कुछ नेटवर्क तो बर्थ टूरिज्म के लिए 35,000 डॉलर तक मांग रहे हैं.
रूसी पुरुष कहते हैं, "अगर आपके पास थोड़ा सा पैसा है और आप रूस के बाहर बच्चा पैदा करने की हालत में हैं तो आप जरूर ऐसा करेंगे. अर्जेंटीना की नागरिकता लेना आसान है और रूस के लाल पासपोर्ट के मुकाबले आपके साथ बेहतर सलूक किया जाता है."
रूसी पासपोर्ट से करीब 50 देशों में वीजा फ्री यात्रा की जा सकती है, वहीं अर्जेंटीना के पासपोर्ट से 175 देशों में बिना वीजा ट्रैवल किया जा सकता है.
ओएसजे/सीके (एएफपी)
यूक्रेन युद्ध का एक साल
24 फरवरी, 2022 की सुबह रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इस युद्ध की वजह से हजारों सैनिकों और नागरिकों की मौत हो चुकी है. तस्वीरों के जरिए देखिए कौन कौन से मोड़ लिए यूक्रेन युद्ध ने.
तस्वीर: Anatolii Stepanov/AFP/Getty Images
करोड़ों के लिए एक काला दिन
24 फरवरी, 2022 की सुबह यूक्रेन की राजधानी कीव में कई लोग इस तरह के धमाकों की आवाज पर नींद से जागे. रूस ने एक व्यापक हमले की शुरुआत कर दी थी. यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक देश द्वारा दूसरे देश पर सबसे बड़ा हमला था. यूक्रेन में तुरंत मार्शल लॉ लगा दिया गया. हमलों में सिविलियन स्थानों को भी निशाना बनाया गया और जल्द ही मौत का सिलसिला शुरू हो गया.
तस्वीर: Ukrainian President s Office/Zuma/imago images
बेरहम गोलीबारी
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक "विशेष सैन्य अभियान" की बात की और कहा कि उनका लक्ष्य है यूक्रेन के डोनियेत्स्क और लुहांस्क इलाकों पर कब्जा कर लेना. डोनियेत्स्क के मारियोपोल शहर में लोगों को कई हफ्तों तक बेसमेंटों में छिपे रहना पड़ा. कई तो मलबे के नीचे ही दब कर मर गए. मार्च में एक रूसी हवाई हमला तो एक ऐसे थिएटर पर किया गया था जहां हजारों लोगों ने शरण ली हुई थी.
तस्वीर: Nikolai Trishin/TASS/dpa/picture alliance
पलायन
यूक्रेन युद्ध ने एक एक ऐसे जबरन उत्प्रवास को जन्म दिया है जो यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार देखा गया है. संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी संस्था के मुताबिक 80 लाख से भी ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़ कर जा चुके हैं. अकेले पोलैंड ने ही 15 लाख लोगों को लिया है, जो यूरोपीय संघ के किसी भी सदस्य देश से ज्यादा बड़ी संख्या है.
तस्वीर: Anatolii Stepanov/AFP
बूचा की त्रासदी
कुछ ही हफ्तों के बाद यूक्रेन की सेना देश के उत्तर और उत्तर-पूर्वी इलाकों में से रूसी सेना को खदेड़ने में सफल रही. राजधानी कीव को कब्जाने की रूस की योजना विफल हो गई. इन इलाकों के मुक्त होने के बाद कथित रूसी क्रूरता की हदें सामने आने लगीं. कीव के पास बसे शहर बूचा से यातनाएं दे कर मारे गए लोगों के शवों की तस्वीरें पूरी दुनिया में देखी गईं. अधिकारियों ने 461 मौतें दर्ज कीं.
तस्वीर: Carol Guzy/ZUMA PRESS/dpa/picture alliance
क्रामातोर्स्क में मौत और बर्बादी
डोंबास में मारे जाने वाले नागरिकों की संख्या तेजी से बढ़ गई. अधिकारियों ने नागरिकों को सुरक्षित इलाकों में चले जाने के लिए कहा लेकिन रूसी मिसाइलों ने क्रामातोर्स्क जैसे शहरों में जाते हुए लोगों को भी निशाना बनाया. अप्रैल में क्रामातोर्स्क के रेलवे स्टेशन पर सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचने की उम्मीद लगाए 61 से भी ज्यादा लोग मारे गए और 120 लोग घायल हो गए.
रूसी हवाई हमलों के बीच यूक्रेन में करोड़ों लोगों ने खुद को बचाने के लिए किसी न किसी जगह पर शरण ली है. युद्ध के मोर्चे के करीब रहने वाले लोगों के लिए बेसमेंट उनके दूसरे घर की तरह हो गए. बड़े शहरों में रहने वाले लोगों ने भी मिसाइलों से बचने के लिए अलग अलग स्थानों पर शरण ली है. कीव (तस्वीर में) और खारकीव में सबवे स्टेशन सुरक्षित ठिकानों की भी भूमिका अदा कर रहे हैं.
तस्वीर: Dimitar Dilkoff/AFP/Getty Images
जापोरिशिया में परमाणु खतरा
हमले के बाद के शुरुआती हफ्तों में ही रूस ने यूक्रेन के दक्षिणी और पूर्वी इलाकों के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था. जंग दक्षिणपूर्व में स्थित जापोरिशिया परमाणु संयंत्र तक भी पहुंची और वो तब से रूसी नियंत्रण में है. अंतरराष्ट्रीय एटॉमिक ऊर्जा एजेंसी ने संयंत्र के पास विशेषज्ञों को भेजा और उसके आस पास के इलाकों में एक सेफ जोन घोषित किए जाने की मांग की.
तस्वीर: Str./AFP/Getty Images
मारियोपोल में हताशा
रूसी सेना ने मारियोपोल पर तीन महीनों तक कब्जा बनाए रखा और गोलीबारी और रसद को पहुंचने से रोक कर दिखा. आसोव्स्टाल स्टील संयंत्र को शहर में यूक्रेन के आखिरी दुर्ग के रूप में देखा जा रहा था. वहां हजारों सैनिकों और नागरिकों ने शरण ली हुई थी. लेकिन मई में लंबे चले एक हमले के बाद रूसी सैनिकों ने इस संयंत्र को भी कब्जे में ले लिया और 2,000 से भी ज्यादा लोगों को बंदी बना लिया.
तस्वीर: Dmytro 'Orest' Kozatskyi/AFP
प्रतिरोध का प्रतीक
रूस ने ब्लैक सी के स्नेक द्वीप को युद्ध के पहले दिन ही अपने कब्जे में ले लिया था. यूक्रेन और रूसी सैनिकों के बीच बातचीत की एक रिकॉर्डिंग इंटरनेट पर वायरल हो गई थी. उसमें यूक्रेनी सैनिकों ने आत्मसमर्पण करने से मना कर दिया था. अप्रैल में यूक्रेनी सैनिकों ने दावा किया कि उन्होंने मॉस्क्वा नाम के रूसी युद्धपोत को डुबा दिया है. जून में यूक्रेन ने कहा कि उसने रूसियों को द्वीव से खदेड़ दिया है.
तस्वीर: Ukraine's border guard service/AFP
मरने वालों की संख्या स्पष्ट नहीं
युद्ध में कितने लोग मारे गए यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक कम से कम 7,200 नागरिक मारे जा चुके हैं और 12,000 घायल हुए हैं. यह संख्या इससे कहीं ज्यादा भी हो सकती है. मारे गए यूक्रेनी सैनिकों की संख्या भी स्पष्ट नहीं है. दिसंबर में यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार मिखाइलो पोदोल्याक ने अनुमान लगाया था कि यह संख्या 13,000 तक जा सकती है. निष्पक्ष आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.
तस्वीर: Raphael Lafargue/abaca/picture alliance
यूक्रेन के लिए अहम मोड़
यूक्रेन को पश्चिमी हथियार दिए जाना युद्ध के शुरुआती दिनों से काफी चर्चा का विषय बना हुआ है लेकिन शुरू में कीव को सिर्फ कुछ ही हथियार मिले थे. हीमार्स नाम के अमेरिकी रॉकेट लॉन्चर से मदद जरूर मिली. इनकी वजह से यूक्रेन की सेना ने रूसी तोपों को गोला बारूद की सप्लाई बंद कर देने में मदद की है. संभव है कि उनका यूक्रेन के सफल जवाबी हमलों में भी योगदान रहा है.
तस्वीर: James Lefty Larimer/US Army/Zuma Wire/IMAGO
मुक्त कराए जाने पर राहत
सितंबर के शुरू में यूक्रेन की सेना ने खारकीव में एक सफल जवाबी हमला किया. हैरान रूसी फौजें तुरंत वापस लौट गईं और अपने पीछे उपकरण, गोला बारूद और कथित युद्ध अपराधों के सबूत भी छोड़ गईं. यूक्रेन की सेना दक्षिण में खेरसों को भी आजाद कराने में सफल रही और वहां रहने वाले लोगों ने यूक्रेनी सिपाहियों के आने पर उनका खूब स्वागत किया.
तस्वीर: Bulent Kilic/AFP/Getty Images
क्रीमिया के पुल पर धमाका
अक्टूबर के शुरू में कर्च स्ट्रेट से होकर क्रीमिया तक पहुंचने वाले रूस द्वारा बनाए गए पुल पर एक बड़ा धमाका हुआ और पुल आंशिक रूप से ध्वस्त हो गया. रूस का दावा है कि धमाका यूक्रेन से आ रहे विस्फोटकों से लदे एक ट्रक की वजह से हुआ, लेकिन यूक्रेनी अधिकारियों ने ऐसे किसी हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.
तस्वीर: AFP/Getty Images
ऊर्जा व्यवस्था पर बड़े हमले
क्रीमिया पुल पर हमले के कुछ ही दिनों बाद रूस ने यूक्रेन की ऊर्जा व्यवस्था पर पहली बार बड़े पैमाने पर हमला किया. लवीव से लेकर खारकीव तक इलाकों में बिजली चली गई. तब से इस तरह के हमले आम हो गए हैं. ऊर्जा संयंत्रों और अन्य सार्वजनिक संपत्ति को हुए भारी नुकसान की वजह से यूक्रेन में लोगों को लगभग रोज बिजली में कटौती और पानी की कमी का सामना करना पड़ा है.
तस्वीर: Genya Savilov/AFP/Getty Images
यूरोपीय एकीकरण
यूक्रेन के हालात और युद्ध की जानकारी देने वाले राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के रोज के वीडियो संदेशों को करोड़ों लोग देखते हैं. जेलेंस्की ना सिर्फ अपने देश के लोगों को एक करने में सफल रहे हैं बल्कि उन्हें पश्चिमी समर्थन भी मिला है. उनके नेतृत्व में यूरोपीय एकीकरण काफी अच्छी तरह से आगे बढ़ा है और यूक्रेन अब यूरोपीय संघ की सदस्यता की तरफ अग्रसर है.
तस्वीर: Kenzo Tribouillard/AFP
'लेपर्ड दो' टैंक की उम्मीद
यूक्रेन कितनी सफलता से मुकाबला करता है यह उसे मिलने वाली मदद पर काफी निर्भर करता है. अमेरिका के नेतृत्व में कई देशों के एक समूह ने एक अरब डॉलर की मानवीय, वित्तीय और सैन्य मदद का प्रस्ताव दिया है. भारी हथियार भेजने पर पश्चिम में काफी बहस हुई, मुख्य रूप से रूस की प्रतिक्रिया को लेकर चिंताओं की वजह से. लेकिन अब यूक्रेन को पश्चिमी टैंक मिलेंगे, जिनमें से अधिकांश जर्मनी में बने 'लेपर्ड दो' टैंक होंगे.
तस्वीर: Ina Fassbender/AFP/Getty Images
बाख्मुत: बर्बाद हो चुका एक शहर
बाख्मुत को लेकर महीनों से भीषण लड़ाई चल रही है. 2023 की शुरुआत में यूक्रेन के सैनिकों ने बाख्मुत के पास स्थित शहर सोलेदार पर से अपने नियंत्रण खो दिया. तब से बाख्मुत को बचाए रखना और मुश्किल हो गया है. जनवरी में जर्मनी की गुप्तचर सेवा ने बताया कि यूक्रेन की तरफ रोज सैकड़ों लोग मारे जा रहे हैं. लेकिन माना जा रहा है कि रूस की तरफ इससे भी ज्यादा लोग मारे जा रहे हैं. (दानीलो बिलेक, फिलिप बोल)