प्रिंस एंड्र्यू और यौन शोषण का केस करनेवाली महिला में समझौता
१६ फ़रवरी २०२२
अमेरिकी नागरिक वर्जीनिया रॉबर्ट्स गिफ्रे ने आरोप लगाया था कि 2001 में जब वह 17 साल की थीं, तब प्रिंस एंड्र्यू ने उनका यौन शोषण किया था.
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ब्रिटेन के प्रिंस एंड्र्यू ने अपने ऊपर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला वर्जीनिया रॉबर्ट्स गिफ्रे के साथ समझौता कर लिया है. वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में रहनेवाली अमेरिकी नागरिक वर्जीनिया ने प्रिंस एंड्र्यू पर यह आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था कि उन्होंने वर्जीनिया का तब यौन उत्पीड़न किया था, जब वह नाबालिग थीं.
फेडरल कोर्ट में दायर की गई सूचना में वर्जीनिया के वकील डेविड बोइस ने बताया कि दोनों ही पक्षों के वकील एक सैद्धांतिक समझौते पर पहुंचे हैं. कोर्ट में दायर किए गए एक पत्र में बोइस समेत दोनों ही पक्षों के सभी वकीलों के दस्तखत हैं. इस पत्र में जज से सभी समय-सीमाएं निलंबित करने और मामला होल्ड पर रखने का आग्रह किया गया है.
क्या बातें हुईं समझौते में
पत्र में यह भी लिखा है कि दोनों ही टीमें अगले महीने तक केस रद्द करने की गुजारिश करेंगी. न्यूयॉर्क की एक अदालत में जज के सामने यह समझौता पेश किए जाने से अब मुकदमे की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ेगी. यह मामला आगे बढ़ने पर ब्रिटेन के शाही परिवार के लिए और फजीहत का सबब बन सकता था. समझौते के तहत एंड्र्यू से वर्जीनिया की चैरिटी में एक अच्छी-खासी रकम दान करने के लिए भी कहा गया है.
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बोइस ने अदालत में जो पत्र दाखिल किया है, उसका एक हिस्सा कहता है, "प्रिंस एंड्र्यू पीड़ितों के अधिकारों के समर्थन में वर्जीनिया की चैरिटी को पर्याप्त दान देने का इरादा रखते हैं. प्रिंस एंड्र्यू का कभी भी वर्जीनिया का चरित्र खराब करने का इरादा नहीं था. वह स्वीकार करते हैं कि वर्जीनिया को उत्पीड़न और अनुचित सार्वजनिक हमलों का शिकार होना पड़ा है."
हालांकि, वर्जीनिया की ओर से अभी कोई बयान नहीं आया है कि वह समझौते पर सहमत क्यों हो गईं. इस पत्र में उस रकम का भी जिक्र नहीं किया गया है, जो प्रिंस एंड्र्यू दान में देने वाले हैं. वर्जीनिया ने आरोप लगाया था कि जेफ्री एप्सटीन की दोस्त गिजलीन मैक्सवेल ने उन्हें प्रिंस एंड्र्यू से मिलवाया था.
क्या है एंड्र्यू के खिलाफ मामला
ब्रिटेन की महारानी के 'सबसे पसंदीदा बेटे' कहे जाने वाले प्रिंस एंड्र्यू पर वर्जीनिया ने आरोप लगाया था कि 2001 में जब वह 17 साल की थीं, तब एंड्र्यू ने उनका यौन उत्पीड़न किया था. एंड्र्यू के वकीलों ने अदालत में कोशिश की थी कि अदालत यह मामला खारिज कर दे, लेकिन जज ने ऐसा नहीं किया.
मुकदमा दायर होने के बाद प्रिंस एंड्र्यू ने अपनी शाही पदवी और जिम्मेदारियां छोड़ दी हैं. इसके बाद बकिंघम पैलेस की ओर से बयान जारी करके कहा गया था, "ड्यूक ऑफ यॉर्क अपनी सभी सार्वजनिक जिम्मेदारियों से मुक्त किए जाते हैं. अब वह एक आम नागरिक की तरह मुकदमे में अपना बचाव करेंगे."
इस मामले में जेफ्री एप्सटीन का नाम आया था. यौन अपराध के कई मामलों में दोषी अमेरिकी अरबपति जेफ्री एप्स्टीन ने 2019 में खुदकुशी कर ली थी. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों बिल क्लिंटन और डॉनल्ड ट्रंप के करीबी बताए जाने वाले एप्सटीन की लाश जेल की बैरक में मिली थी. एप्स्टीन को बच्चों से यौन संबंध बनाने का दोषी भी पाया गया था.
ब्रिटिश राजपरिवार की बहू आत्महत्या करना चाहती थी!
ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ के पोते प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्कल ने एक इंटरव्यू में ऐसी बातें कही हैं जिनकी वजह से शाही परिवार सुर्खियों में है. मेगन का तो कहना है कि एक समय उनका आत्महत्या करने का मन हो गया था.
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सांवली त्वचा
मेघन ने कहा है कि ब्रिटिश रॉयल परिवार के एक सदस्य ने उनके बेटे आर्ची की त्वचा कैसी होगी इस बारे में कमेंट किया था. मेगन ने उस सदस्य का नाम नहीं बताया. उनका यह भी कहना है कि राजपरिवार ने उनके बेटे को प्रिंस मानने से ही इनकार कर दिया था. मेगन के बारे में छपे नस्लभेदी आर्टिकल का किसी ने विरोध नहीं किया.
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आत्महत्या करने के बारे में सोचा
मेगन का कहना है कि राजपरिवार में उनकी स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि वो आत्महत्या और खुद को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचने लगी थीं. उस दौर में उन्होंने परिवार से मदद मांगी लेकिन कोई सामने नहीं आया. मेघन ने आंसू पोछते हुए कहा, "मैं बस और जीना नहीं चाहती थी."
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प्रिंस चार्ल्स ने बेटे से बात बंद कर दी
प्रिंस हैरी ने बताया कि उनके पिता और ब्रिटिश राजगद्दी के उत्तराधिकारी प्रिंस चार्ल्स ने अलगाव के दौर में एक समय उनके फोनकॉल का जवाब देना बंद कर दिया था. हैरी ने कहा, "मुझे सचमुच निराशा हुई क्योंकि ऐसा कुछ उन्होंने भी सहा था. वह जानते थे कि यह दर्द कैसा है. मैं उन्हें हमेशा प्यार करूंगा लेकिन बहुत दर्द हुआ है."
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केट ने रुलाया
मेघन ने अखबार में आई इन खबरों से इनकार किया कि उन्होंने प्रिंस विलियम की पत्नी केट को रुलाया. मेघन का कहना है कि केट ने 2018 में उनकी शादी से पहले फ्लावर गर्ल्स की ड्रेस को लेकर उन्हें रुलाया था.
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राजमहल का झूठ
मेघन का कहना है कि महल में रहने वाले अज्ञात लोग "परिवार के दूसरे सदस्यों को बचाने के लिए झूठ बोलना चाहते हैं लेकिन वो कभी भी मुझे और मेरे पति को बचाने के लिए सच बोलने को तैयार नहीं हुए."
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इतिहास खुद को दोहराता है?
प्रिंस हैरी ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी चिंता यह थी कि कहीं इतिहास खुद को दोहरा ना दे. यह बात उन्होंने अपनी मां लेडी डायना के संदर्भ में कही. 1997 में तेज भागती उनकी कार का एक्सीडेंट होने से डायना की मौत हो गई थी. डायना कुछ फोटोग्राफरों की नजरों से बचना चाहती थीं और इसीलिए कार तेज दौड़ाई जा रही थी.
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शाही परिवार ने अलग किया
हैरी ने बताया कि उनके परिवार ने उन्हें आर्थिक रूप से अकेला छोड़ दिया और जो पैसा उनकी मां डायना उनके लिए छोड़ गईं थीं वो उस पर गुजारा करते थे. उन्होंने बताया कि उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा भी नहीं दी जा रही थी. हैरी ने कहा, "मेरे ख्याल से वह (डायना) जिस तरह यह सब हुआ उस पर बहुत गुस्सा होतीं और बहुत दुखी भी, लेकिन आखिरकार उन्होंने हमारे लिए हमेशा यही चाहा कि हम खुश रहें."
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क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय
प्रिंस हैरी का कहना है कि उन्होंने अपनी दादी और ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिजाबेथ को राजपरिवार से अलग होने के बारे में कभी अंधेरे में नहीं रखा. मेघन का कहना है, "महारानी हमेशा मेरे लिए बहुत अच्छी रही हैं."
तस्वीर: AFP/A. Dennis
चार्ल्स और विलियम फंस गए हैं
प्रिंस हैरी का कहना है कि प्रिंस चार्ल्स और प्रिंस विलियम राजशाही में फंस गए हैं. हैरी ने कहा, "मैं फंसा हुआ था लेकिन नहीं जानता था कि फंसा हूं. ठीक वैसे ही जैसे कि मेरा परिवार, मेरे पिता और मेरे भाई फंसे हुए हैं. उन्हें छोड़ा नहीं जा रहा है."
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तीन दिन पहले शादी
मेघन का कहना है कि उन लोगों ने तीन दिन पहले ही गोपनीय रूप से निजी समारोह में शादी कर ली थी. शादी का आधिकारिक आयोजन 19 मई, 2018 को विंडसर कासल में हुआ.
तस्वीर: Reuters/B. Birchall
बेबी गर्ल
प्रिंस हैरी और मेगन मार्कल ने बताया कि उनकी दूसरी संतान बेटी है जो फिलहाल मेघन के गर्भ में पल रही है. उनकी पहली संतान बेटा है. आर्ची माउंटबेटन विंडसर का जन्म 2019 में हुआ.
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एंड्र्यू ने किया था इनकार
प्रिंस एंड्र्यू ने वर्जीनिया के आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि उन्हें गिफ्रे से मिलने का कोई मौका याद नहीं है. उन्होंने एप्सटीन के साथ अपनी दोस्ती का भी बचाव किया था. एक इंटरव्यू में एंड्र्यू के ये बातें कहने के बाद आम जनता ने इसका जोरदार विरोध किया और तमाम चैरिटी और संगठनों ने एंड्र्यू से किनारा कर लिया. इसके बाद वह कम ही मौकों पर सार्वजनिक रूप से नजर आए.
प्रिंस एंड्र्यू 1978 में रॉयल नेवी की एविएशन ब्रांच में शामिल हुए थे. 1981 में उन्हें बतौर वाइस-लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया था. 1982 में वह फॉकलैंड द्वीप समूह को लेकर हुए युद्ध में शामिल रहे हैं. 1982 में अर्जेंटीना ने ब्रिटेन से हजारों किलोमीटर दूर अपने पड़ोस में स्थित फॉकलैंड द्वीप समूह पर हमला किया था. तब जिस एयरक्राफ्ट कैरियर से अर्जेंटीना का मुकाबला किया गया था, प्रिंस एंड्र्यू भी उसके साथ थे.
वीएस/एनआर (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)
ब्रिटिश साम्राज्य की है मिली जुली विरासत
कभी लगभग आधी दुनिया पर कायम ब्रिटिश हुकूमत का 20वीं सदी में अंत तो हो गया, लेकिन उस हुकूमत की विरासत आज भी कई देशों में जिंदा है. आइए एक नजर डालते हैं इसी विरासत के कुछ अच्छे और कुछ बुरे पहलुओं पर.
तस्वीर: Sean Kilpatrick/The Canadian Press/PA/picture alliance
कानून
ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के बाद भी दंड संहिता, कंपनी एक्ट, बैकिंग एक्ट और मोटर एक्ट जैसे सैकड़ों कानून हैं, जो आज भी कई देशों में जारी हैं. समय समय पर इनमें सुधार जरूर किया गया, लेकिन इन कानूनों की नींव वही पुरानी है.
तस्वीर: Fotolia/Sebastian Duda
संसदीय लोकतंत्र
भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड समेत कॉमनवेल्थ के 40 से ज्यादा देशों ने आजादी के बाद भी ब्रिटेन की संसदीय लोकतंत्र की परंपरा अपनायी. इन देशों की संसदीय प्रणाली आज भी ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली जैसी है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
संगठित सेना
ब्रिटिश राज को व्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए स्थानीय लोगों को सेना में भर्ती किया गया. दूसरे विश्वयुद्ध की तैयारी के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में बड़ी संगठित सेना बनायी गयी. ऐसी ही सेना अमेरिका और कनाडा में विद्रोह को दबाने के लिए भी थी. ब्रिटिश राज के पतन के बाद भी इन देशों को सेना का संगठित ढांचा मिला.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh
अंग्रेजी
ब्रिटिश साम्राज्यवाद ने अलग अलग देशों में अपनी भाषा अंग्रेजी का प्रसार किया. शासन, न्याय और उच्च शिक्षा के गलियारों में अंग्रेजी ने अपनी जगह पक्की कर ली. आज भी भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के शासन और सर्वोच्च न्यायालय की भाषा अंग्रेजी है.
तस्वीर: 2015 Disney Enterprises, Inc
बैंकिग सेक्टर
दुनिया भर में फैले अपने उपनिवेशों को वित्तीय रूप से ब्रिटेन से जोड़ने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने वहां बैकिंग सेक्टर की नींव रखी. भारत में कलकत्ता, बंबई और मद्रास में बैंक खोले गये. ऐसे ही वित्तीय संस्थान अन्य देशों में भी अस्तित्व में आये.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Rain
रेलवे
विस्तारवादी और कारोबारी नजरिये से ब्रिटिश साम्राज्य ने अपने उपनिवेशों में रेलवे पर काफी जोर दिया. भारत, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटिश अमेरिका और कनाडा में उन्होंने रेलवे को खासी तवज्जो दी. ब्रिटिश काल में बना रेलवे ढांचा आज भी इन देशों की जीवनरेखा है.
तस्वीर: Imago
डाक विभाग
भारत, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे बड़े भूभाग पर संवाद को सुचारू रूप से चलाने के लिए ब्रिटिश शासन ने डाक व्यवस्था शुरू की. सामान्य पत्र, रजिस्ट्री और तार जैसी सेवाएं ब्रिटिश काल में ही शुरू हुईं. ज्यादातर पोस्ट ऑफिस भी उसी दौरान बनाये गये.
तस्वीर: Alex Yeung/Fotolia
क्रिकेट
क्रिकेट अब भारत की रग रग में बस चुका है. दो बार वनडे में और एक बार टी20 में भारत विश्वविजेता बन चुका है. लेकिन यह खेल भारत में अंग्रेज ही लेकर आये. सन 1959 में अंग्रेजों को मद्रास टेस्ट में हराकर भारत ने साबित कर दिया कि भविष्य में वह इस खेल में इक्कीस साबित होगा.
तस्वीर: Reuters/A. Boyers
चाय
आज भारत के बड़े इलाके में किसी से मिलने उनके घर जायें तो पहली चीज चाय ही पूछी जाती है. अंग्रेजों ने भारतीय टी का प्रचार व प्रसार किया. गांव देहातों तक पहुंची टी में दूध पड़ने लगा और देखते ही देखते स्वादिष्ट चाय बन गई.
तस्वीर: DW/S. Bandopadhyay
सीमा विवाद
इक्का दुक्का देशों को छो़ड़ दें तो ब्रिटिश हुकूमत ने जिन जिन इलाकों पर राज किया, वहां आज भी गंभीर सीमा विवाद बने हुए हैं. एशिया में भारत-पाकिस्तान, भारत-चीन और पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच सीमा विवाद बरकरार है. वहीं कांगो और सेंट्रल अफ्रीका समेत अफ्रीका में कई देश सीमा विवाद में उलझे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Naveed
जातीय संघर्ष
"फूट करो और राज करो" इस नीति ने लंबे वक्त तक ब्रिटिश हूकूमत की शासन चलाने मदद की. लेकिन दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब ज्यादातर देश आजाद हुए तो वहां फैलाया गया जातीय संघर्ष ज्यादा हिंसक हो उठा. एशिया और अफ्रीका के कई देशों में सांप्रदायिक और जातीय संघर्ष आज भी जारी है.
तस्वीर: Reuters/M. Gupta
रंगभेद
गोरा रंग श्रेष्ठता की पहचान है. ब्रिटिश साम्राज्यवाद का पतन भले ही हो गया हो, लेकिन उसका ये मनोवैज्ञानिक संदेश उनके पूर्व उपनिवेशों में आज भी मौजूद है. दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में आज भी मूल निवासी हाशिये पर दिखते हैं.
तस्वीर: picture alliance/AP Images/M. Hutchings
वन्य जीवों का सफाया
ब्रिटिश हूकूमत ने अपने उपनिवेशों में प्राकृतिक संसाधनों का जमकर दोहन किया. अंग्रेज अधिकारियों ने अपने शौक के लिए भारत में जमकर बाघों का शिकार किया. अफ्रीका में बेतहाशा शेर और हाथी मारे गये. हालांकि बाद में संरक्षण की कोशिशों में भी ब्रिटेन की बड़ी भूमिका रही.