रिलायंस इंडस्ट्रीज की जियोमार्ट ऐप ने भारत के किराना बाजार को बुरी तरह हिला दिया है. छोटे-छोटे दुकानदार खुश हैं तो लाखों लोगों की रोजी-रोटी मुश्किल में पड़ गई है.
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घरेलू चीजों के सेल्समैन विप्रेश शाह आठ दिन से डिटॉल साबुन की एक भी टिकिया दुकानदारों को नहीं बेच पाए हैं. ये वही दुकानदार हैं जो 14 साल से उनसे सामान खरीद रहे हैं.
महाराष्ट्र के सांगली के नजदीक वीटा में विप्रेश शाह ब्रिटेन की रैकिट बैंकाइजर कंपनी के आधिकारिक डिस्ट्रीब्यूटर हैं. वह बताते हैं कि उनके सबसे वफादार ग्राहक भी अब टूटने लगे हैं क्योंकि वे लोग जियोमार्ट पार्टनर ऐप की ओर जा रहे हैं.
विप्रेश कहते हैं कि सामान बेचने जाओ तो दुकानदार ऐप दिखा देते हैं जिस पर कीमतें 15 प्रतिशत तक कम हैं. वह बताते हैं, "रिकेट का डिस्ट्रीब्यूटर हूं तो कभी बाजार मैं राजा हुआ करता था. अब ग्राहक कहते हैं कि देखो तुमने हमें कितना लूटा है.”
तस्वीरेंः बीयर ने बना दिया सबसे अमीर आदमी
बीयर ने बना दिया अंग्रेजी टीचर को चीन का सबसे अमीर आदमी
ई-कॉर्मस कंपनी "अलीबाबा" खड़ी करने वाले जैक मा ने इंटरनेट पर सबसे पहले जिस शब्द को खोजा था वह था "बीयर". जब सर्च में चीनी कंपनी का नाम नहीं आया तो बतौर अंग्रेजी टीचर काम करने वाले जैक ने इंटरनेट कंपनी खोलने की ठान ली.
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जैक मा का बचपन
जैक मा का असल नाम मा युन है. 15 अक्टूबर 1964 को चीन के दक्षिण पूर्वी शहर हांगझोऊ के साधारण परिवार में जैक का जन्म हुआ था. यह वह दौर था जब कम्युनिस्ट विचारधारा को मानने वाला चीन पश्चिमी प्रभाव से कोसों दूर था. हालांकि जैक मा की बायोग्राफी में कहा गया है कि जैक के दादा और उनका परिवार कम्युनिस्ट पार्टी से इतर सोच रखता था.
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लड़ना-झगड़ना थी आदत
जैक के परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था. परिवार में उनका एक बड़ा भाई और एक छोटी बहन थे. जैक मा की अकसर अपने सहपाठियों और दोस्तों से झगड़े होते थे. किताब, जैक मा: फाउंडर एंड सीईओ ऑफ द अलीबाबा ग्रुप, में जैक के हवाले से कहा गया है, "मुझे कभी अपने ऐसे विरोधियों से डर नहीं लगा जिनकी ताकत मुझसे ज्यादा थी."
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अंग्रेजी से प्यार
जैक बचपन से ही अंग्रेजी सीखना चाहते थे. साल 1972 में अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने हांगझोऊ शहर का दौरा किया था, जिसके बाद से उनके शहर में पर्यटकों का तांता लग गया. पर्यटकों की भरमार ने जैक को अंग्रेजी सीखने का मौका दिया. वह लोगों को अंग्रेजी के बदले में मुफ्त में शहर दिखाते थे. इस शौक ने उनके कई पेन-फ्रेंड बनवाए. एक टूरिस्ट दोस्त ने ही मा युन को जैक नाम दिया था.
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दो बार हुए फेल
जैक के लिए आगे बढ़ने का रास्ता सिर्फ पढ़ाई से होकर गुजरता था. हाईस्कूल के बाद कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में वह लगातार दो बार फेल हुए. तीसरी कोशिश में उन्होंने हांगझोऊ के टीचर इंस्टीट्यूट में दाखिला ले लिया. 1988 में ग्रेजुएशन के बाद जैक कई नौकरियों के लिए एप्लाई किया. किताब जैक मा: फाउंडर एंड सीईओ ऑफ द अलीबाबा ग्रुप के मुताबिक जैक को केएफसी समेत तकरीबन दर्जन भर कंपनियों ने नौकरी देने से मना कर दिया.
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पहली खोज थी बियर
साल 2016 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मंच पर स्वयं जैक ने कहा था कि हॉवर्ड यूनिवर्सिटी से उन्हें 10 बार रिजेक्ट किया गया. साल 1995 में जैक अमेरिका गए और वहां इंटरनेट के इस्तेमाल ने उन्हें हैरान कर दिया दिया. इसके बाद जैक ने "बीयर" शब्द को इंटरनेट पर खोजा. लेकिन उन्हें इंटरनेट पर चीन की बियर जैसा कोई विकल्प नहीं दिखा तो उन्होंने तय किया कि वह चीन के लिए एक इंटरनेट कंपनी बनाएंगे.
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ट्रांसलेशन कंपनी से शुरुआत
जैक ने सबसे पहले एक ट्रांसलेशन कंपनी खोली थी. लेकिन चीन में इंटरनेट कंपनी बनाने के इरादे से उन्होंने सबसे पहले "चाइना पेज" लॉन्च किया. यह कारोबारियों की ऑनलाइन डायरेक्ट्री थी. हालांकि यह पेज बंद हो गया. पहली दोनों कंपनियां बंद होने के बाद जैक ने चार साल बाद अपने दोस्तों को अपने ऑनलाइन मार्केटप्लेस "अलीबाबा" में निवेश के लिए तैयार कर लिया.
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30 बार हुए रिजेक्ट
जैक के प्रोजेक्ट ने दुनिया भर के लोगों को आकर्षित किया. अक्टूबर 1999 में अलीबाबा में 50 लाख डॉलर गोल्डमैन सैक्स और 2 करोड़ डॉलर जापानी कंपनी सॉफ्ट बैंक ने निवेश किए. किताब जैक मा: फाउंडर एंड सीईओ ऑफ द अलीबाबा ग्रुप में जैक के हवाले से कहा गया है कि इस निवेश के पहले 30 वेंचर कैपिटलिस्ट ने उनकी कंपनी को रिजेक्ट कर दिया था.
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चीनी बाजार पर दबदबा
साल 2005 तक अलीबाबा ने अपनी दमदार रणनीति से ई-कॉमर्स कंपनी ईबे को चीन के बाजार से करीब-करीब बेदखल कर दिया. साल 2005 में अलीबाबा में इंटरनेट कंपनी याहू ने एक अरब डॉलर का निवेश किया. ऐसा भी नहीं था कि कंपनी पर कभी कोई दबाव नहीं आया. 2011 में कंपनी पर नकली सामान बेचने के आरोप भी लगे, जिसके चलते कंपनी ने कुछ लोगों को निकाल भी दिया.
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बन गए सबसे अमीर
जैक मा ने साल 2013 में अलीबाबा का सीईओ पद छोड़ दिया. साल 2014 में कंपनी ने आईपीओ रिलीज किया. कंपनी ने आईपीओ के जरिए 150 अरब डॉलर की कमाई की जो न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में दर्ज किसी भी कंपनी के लिए सबसे बड़ी थी. इस आईपीओ ने जैक को 25 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ चीन का सबसे अमीर आदमी बना दिया.
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31 साल के व्यापारी शाह कहते हैं कि जियोमार्ट जिस कीमत पर सामान दे रहा है उस पर सामान बेचने के लिए उन्हें अपनी जेब से लगभग डेढ़ लाख रुपये देने पड़े हैं. जियोमार्ट भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की ऐप है जिसके जरिए वह भारत के रीटेल सेक्टर में क्रांति लाना चाहते हैं.
भारत में वीटा जैसी ऐसी हजारों छोटी-छोटी जगह हैं जहां के छोटे-छोटे किराना दुकानदार अब थोक में सामान खरीदने के लिए जियोमार्ट के पास जा रहे हैं. ये छोटे किराना दुकानदार आज भी भारत के 900 अरब डॉलर के रीटेल बाजार के ज्यादातर हिस्से के मालिक हैं.
मुकेश अंबानी ने जिस तरह जियो के जरिए टेलीकॉम उद्योग को उथल-पुथल कर दिया था, कुछ वैसा ही काम अब रीटेल सेक्टर में हो रहा है. जियोमार्ट के जरिए वह अमेजॉन और वॉलमार्ट जैसी अमेरिकी कंपनियों को भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं और तेजी से भारत में पांव पसार रहे हैं.
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कैसे मची उथल-पुथल
भारत में लगभग छह लाख गांव हैं. इनमें थोक सप्लाई के लिए लगभग साढ़े चार लाख डिस्ट्रीब्यूटर हैं. अब तक ये थोक व्यापारी 3-5 फीसदी के मार्जिन पर किराना दुकानदारों को सामान बेचते रहे हैं. यह व्यापार व्यक्तिगत रूप से होता है और किराना दुकानदार या खुद सामान ले जाते हैं या फिर व्यापारी उनके यहां सामान पहुंचा देते हैं.
लेकिन रिलायंस का मॉडल इस व्यवस्था में उथल पुथल मचा रहा है. जियोमार्ट ऐप पर किराना दुकानदार अपनी दुकान से ही ऑर्डर करते हैं और उन्हें 24 घंटे में डिलीवरी मिल जाती है. रिलायंस दुकानदारों को ट्रेनिंग भी देता है कि कैसे ऑर्डर करना है. इसके अलावा उधार और मुफ्त सैंपल जैसी सुविधाएं भी हैं.
तस्वीरेंः सबसे मशहूर बाजार
सबसे मशहूर बाजार
गली वाले बाजार दुनियाभर में लगते हैं. जैसे भारत के हर शहर में होते हैं जैसे दिल्ली का चांदनी चौक. चलिए आज आपको दनियाभर के गली वाले बाजार दिखाते हैं.
तस्वीर: AP
ग्रैंड बजार, तुर्की
यह दुनिया के सबसे पुराने बाजारों में से एक है. यहां करीब 3000 दुकानें हैं जहां रोजाना ढाई से तीन लाख लोग आते हैं.
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जेमा अल फना, मराकेश
जेमा अल फना मोरक्को का सबसे मशहूर बाजार है. यहां आज भी आपको सपेरे और मदारी मिल जाएंगे. जादूगर और किस्सागो भी होंगे.
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क्वींस विक्टोरिया मार्केट, मेलबर्न
ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न शहर का यह बाजार 17 एकड़ में फैला है. दक्षिणी गोलार्ध का यह सबसे बड़ा खुला बाजार है.
लंदन यूं भी दुनिया भर के पर्यटकों की पसंद है. यहां का कैमडन लॉक मार्केट देखने हर वीकेंड एक लाख लोग आते हैं.
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चांदनी चौक, दिल्ली
दिल्ली के चांदनी चौक बाजार को कौन नहीं जाना. मुगल काल का यह बाजार आज भी गुलजार है.
तस्वीर: Pushkar Vyas
टेंपल स्ट्रीट, हांगकांग
हांगकांग का टेंपल स्ट्रीट नाइट मार्केट शाम से शुरू होता है और यहां देर रात तक चहल पहल रहती है.
तस्वीर: picture-alliance/ANN/China Daily
शिलिन मार्केट, ताइपे
ताइवान के ताइपे में शिलिन नाइट मार्केट शहर का सबसे बड़ा बाजार है. यहां 600 से ज्यादा स्टॉल हैं.
तस्वीर: DW
रियल्टो बाजार, वेनिस
वेनिस का रियल्टो बाजार 11वीं सदी से लग रहा है. यह ग्रैंड कनाल के किनारे है जहां मशहूर पुलों में शुमार रियल्टो पुल भी है.
तस्वीर: Imago/OceanPhoto
थाइलैंड का तैरता बाजार
थाइलैंड का तैरता हुआ बाजार तो देश की पहचान बन चुका है. यह 14वीं सदी से लग रहा है.
तस्वीर: Sirsho Bandopadhyay
बैंकॉक वीकेंड मार्केट
थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक की चातुचाक वीकेंड मार्केट दुनिया भर में मशहूर है. इसे देखने देश विदेश के पर्यटक आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/S. Reboredo
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इसका असर रैकिट, यूनिलीवर, कोलगेट पामोलिव जैसी कंपनियों के लाखों छोटे-छोटे डिस्ट्रीब्यूटर और सेल्समैन को झेलना पड़ रहा है. दर्जनों सेल्समैन, डिस्ट्रीब्यूटरों और एक ट्रेडर ग्रुप के लोगों से बातचीत में यह बात सामने आई कि इन लोगों का पूरा धंधा मुश्किल में पड़ गया है.
इन लोगों ने बताया कि ऐप आने के बाद 20-25 प्रतिशत तक कम हो गया है जिसके चलते बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी से निकालना पड़ है और वाहन तक बेचने पड़े हैं.
वीटा के डिस्ट्रीब्यूटर विप्रेश शाह ने बताया कि उनके पास आठ लोग काम करते थे जिनमें से चार को उन्होंने काम से हटा दिया है. उन्हें डर है कि 50 साल से चला आ रहा उनका खानदानी व्यापार छह महीने भी नहीं टिक पाएगा.
उग्र विरोध
इस उथल पुथल का असर कई जगह तो हिंसा के रूप में भी सामने आया है. महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कई जगहों पर जियोमार्ट की गाड़ियों का रास्ता रोका गया है. ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन में चार लाख एजेंट सदस्य हैं. इस संघ के अध्यक्ष धैर्यशील पाटील कहते हैं कि वह रिलायंस का विरोध जारी रखेंगे.
पाटील ने बताया, "हम तो गुरिल्ला तकनीक अपनाएंगे. हम आंदोलन जारी रखेंगे. हम चाहते हैं कि कंपनियां हमारी कीमत समझें.” हालांकि, रिलायंस पर इसका असर नहीं हो रहा है और 2018 में शुरू हुआ रीटेल वेंचर पूरे जोर से आगे बढ़ाया जा रहा है. रिलायंस ने इस बारे में सवालों के जवाब तो नहीं दिए लेकिन कंपनी से जुड़े एक स्रोत ने बताया कि किराना दुकानों को अपने नेटवर्क में शामिल करना जारी रखा जाएगा.
कोलगेट और यूनिलीवर ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जबकि रैकिट ने बस इतना कहा कि उसके ग्राहक और डिस्ट्रीब्यूटर उसके व्यापार का अहम हिस्सा हैं.
वीके/एए (रॉयटर्स)
गांजा फूंकने में दुनिया में तीसरे नंबर पर है दिल्ली
जर्मनी की मार्केट रिसर्च फर्म एबीसीडी ने दुनिया के 120 देशों के 2018 के आंकड़ों के आधार पर सूची बनाई है. कैनाबिस प्राइस इंडेक्स के आधार पर बताया गया है कि कहां गांजा खरीदना वैध या अवैध है और कहां इसकी कितनी खपत होती है.
तस्वीर: K. Wigglesworth/epa/PA/dpa/picture-alliance
न्यूयॉर्क, अमेरिका
अमेरिका में कुछ राज्यों में इस पर बैन है तो कहीं कहीं यह वैध है. यहां एक ग्राम की कीमत है करीब 10.76 डॉलर और एक साल में करीब 77.44 मीट्रिक टन की खपत होती है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Images/R. Vogel
कराची, पाकिस्तान
देश में इस पर प्रतिबंध है. फिर भी 5.32 डॉलर प्रति ग्राम की कीमत देकर इसे खरीदा जा सकता है. महानगर में सालाना करीब 41.95 मीट्रिक टन गांजे की खपत होती है.
तस्वीर: Getty Images/J. Taylor
नई दिल्ली, भारत
देश में भी इस पर आंशिक रूप से ही बैन है. खरीदने वालों को 4.38 डॉलर प्रति ग्राम के हिसाब से यह मिल जाता है और एक साल में खपत होती है करीब 38.26 मीट्रिक टन की.
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लॉस एंजेलिस, अमेरिका
यहां गांजा खरीदना वैध है. और 8.14 डॉलर में एक ग्राम कैनाबिस खरीदा जा सकता है. साल भर में खपत होती है करीब 36.06 मीट्रिक टन की.
तस्वीर: picture-alliance/AP Images/R. Vogel
काहिरा, मिस्र
काहिरा में गांजे पर प्रतिबंध हैं. अवैध होने के कारण यहां एक ग्राम के लिए 16.15 डॉलर तक देने पड़ते हैं. तब भी सालाना 32.59 मीट्रिक टन की खपत होती है.
तस्वीर: SRF
मुंबई, भारत
गांजा की खरीद और फरोख्त पर आंशिक तौर पर प्रतिबंध हैं. कीमत 4.57 डॉलर प्रति ग्राम के आसपास और वार्षिक खपत 32.38 मीट्रिक टन है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Medina
लंदन, ब्रिटेन
यहां भी अवैध रूप से गांजे की बिक्री और खरीद होती है. दाम 9.2 डॉलर प्रति ग्राम और 2018 की सालाना खपत 31.4 मीट्रिक टन रही.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Zinken
शिकागो, अमेरिका
आंशिक रूप से बैन होने के कारण एक ग्राम का दाम औसतन 11.46 डॉलर रहता है और साल भर में 24.54 मीट्रिक टन की खपत हुई.
तस्वीर: K. Wigglesworth/epa/PA/dpa/picture-alliance
मॉस्को, रूस
जगमगाती राजधानी में गांजे पर आंशिक रूप से प्रतिबंध हैं. दाम 11.84 डॉलर प्रति ग्राम और सालाना खपत 22.87 मीट्रिक टन रही.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Zinken
टोरंटो, कनाडा
आंशिक रूप से लगे प्रतिबंधों के कारण एक ग्राम गांजा खरीदने के लिए औसतन 7.82 डॉलर देने पड़े और साल भर में करीब 22.75 मीट्रिक टन की खपत हुई.