एक ओर प्रधानमंत्री टेरीजा मे अपने समझौते के लिए समर्थन बटोरने की कोशिश में हैं तो दूसरी ओर अति-दक्षिणपंथी पार्टी यूकिप इसके खिलाफ मोर्चा निकाल रही है.
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2016 में यूके ने ब्रेक्जिट का फैसला किया. अब उस पर अमल होने लगा है. संबंधों की कड़ियां एक एक कर टूट रही हैं और ब्रिटेन भारी मुश्किल में फंसता जा रहा है.
ब्रिटेन का बाजा बजाने लगा है ब्रेक्जिट
2016 में यूके ने ब्रेक्जिट का फैसला किया. अब उस पर अमल होने लगा है. संबंधों की कड़ियां एक एक कर टूट रही हैं और ब्रिटेन भारी मुश्किल में फंसता जा रहा है.
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फाइनेंस सेक्टर
ब्रेक्जिट की मार ब्रिटेन के बैंकिंग और फाइनेंस सिस्टम पर पड़ी है. कई बड़े बैंक लंदन छोड़कर जर्मन शहर फ्रैंकफर्ट का रुख कर रहे हैं. सैकड़ों नौकरियां खत्म हो चुकी हैं. अनुमान है कि ब्रिटेन में फाइनेंस सेक्टर से जुड़ी कुल 75,000 नौकरियां खत्म होंगी.
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नेशनल हेल्थ सर्विस
यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) में यूरोपीय संघ के देशों के 62,000 लोग काम करते हैं. ज्यादातर विदेशी कर्मचारी ब्रिटेन छोड़ने लगे हैं. ब्रिटेन के सांसदों के मुताबिक इन कर्मचारियों के बिना NHS 24 घंटे के भीतर ठप जाएगा.
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पशु चिकित्सक
ब्रिटेन में काम करने वाले 90 फीसदी पशु चिकित्सक यूरोपीय संघ के 27 देशों से आते हैं. अब ये लोग भी ब्रिटेन से वापसी की तैयारी कर रहे हैं.
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सूने खेत खलिहान
अब तक यूरोपीय संघ के अलग अलग देशों से आए कुशल कर्मचारियों ने ब्रिटेन के खेतों में कामकाज किया. 65 फीसदी कमर्चारी ईयू से आते रहे. लेकिन ब्रेक्जिट के चलते अब ये कर्मचारी भी नहीं मिलेंगे.
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महंगाई की मार
ब्रेक्जिट के लागू होते ही ब्रिटेन में यूरोप के कई प्रोडक्ट महंगे हो जाएंगे. सिंगल टैक्स मार्केट से बाहर होने पर डेयरी प्रोडक्ट, फल, सब्जियां, प्रोसेस्ड फूड और वाइन जैसी चीजें भी महंगी होंगी.
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अरबों पाउंड का नुकसान
ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को अरबों पाउंड की चपत लगनी तय है. अब ब्रिटेन नए बाजार तलाश रहा है, लेकिन भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में पहले ही यूरोपीय संघ का अच्छा खासा दबदबा है.