जॉर्ज फ्लॉयड की मौत: वॉशिंगटन क्षेत्र में सेना तैनात
३ जून २०२०
अश्वेत नागरिक की मौत के बाद भड़की हिंसा के मद्देनजर राजधानी वॉशिंगटन में 1,600 सैनिकों की तैनाती की गई है. अमेरिका में पिछले 8 दिनों से जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत से गुस्साए लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
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25 मई को अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद पूरे अमेरिकी में विरोध की लहर उठ गई. अमेरिकी के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन जारी है और कई जगह लूटपाट की घटनाएं भी हुईं. सोमवार को ही राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हिंसक प्रदर्शनों से निबटने के लिए सेना की तैनाती की धमकी दी थी. इस बीच मंगलवार को पेंटागन ने करीब 1,600 अमेरिकी सैनिकों को राजधानी वॉशिंगटन, डीसी क्षेत्र में तैनात किया है. पिछले कई दिनों की हिंसा के बाद सेना की तैनाती का फैसला लिया गाया है. ट्रंप ने हिंसक प्रदर्शनकारियों को चेताते हुए कहा था कि वे अगर नहीं माने तो सेना की तैनाती कर देंगे. ट्रंप ने स्थानीय प्रशासन और गवर्नरों द्वारा हिंसा पर धीमी प्रतिक्रिया देने पर भी तंज भी कसा था.
अमेरिका के नेशनल गार्ड के प्रमुख ने मंगलवार को कहा कि 29 राज्यों में नेशनल गार्ड के 18,000 सदस्य स्थानीय पुलिस की सहायता में जुटे हुए हैं. वॉशिंगटन क्षेत्र में सेना की तैनाती के बाद ट्रंप ने ट्वीट किया, "बीती रात वॉशिंगटन, डीसी दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह थी."
हालांकि ट्रंप द्वारा सेना तैनाती को लेकर की जा रही बयानबाजी से अमेरिकी सेना के कुछ मौजूदा और पूर्व अधिकारी चिंतित दिख रहे हैं. ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के पद पर सेवा दे चुके मार्टिन डेंप्सी ने ट्विटर पर लिखा, "अमेरिका युद्ध का मैदान नहीं है. हमारे साथी नागरिक हमारे दुश्मन नहीं है."
नहीं थमा गुस्सा
अमेरिका के तमाम बड़े शहरों में मंगलवार की रात को लोग कर्फ्यू को धता बताते हुए सड़कों पर उतरे और अपने गुस्से का इजहार किया. पिछले आठ दिनों से अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का विरोध हो रहा है. लोग पुलिस द्वारा बर्बरता की आलोचना कर रहे हैं. लोगों को सड़कों पर निकलने से रोकने के लिए शहर के मेयरों ने अपील की थी, प्रशासन ने सख्त कर्फ्यू लगाया था लेकिन यह सब कुछ काम नहीं आया.
लॉस एंजेलिस, फिलाडेल्फिया. अटलांटा, न्यूयॉर्क और वॉशिंगटगन में हजारों की संख्या में लोगों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया. दूसरी ओर सोमवार की रात को हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान पांच पुलिसकर्मी दो शहरों में गोली लगने से घायल हो गए. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के एक सर्वे के मुताबिक ज्यादातर अमेरिकी फ्लॉयड की मौत के बाद हो रहे विरोध प्रदर्शनों से सहानुभूति रखते हैं.
सोमवार और मंगलवार को किए गए सर्वे के मुताबिक 64 फीसदी अमेरिकी वयस्क सड़क पर इस समय विरोध कर रहे लोगों के प्रति सहानुभूति रखते हैं जबकि 27 फीसदी लोगों ने कहा कि वे सहानुभूति नहीं रखते हैं. 55 फीसदी से अधिक अमेरिकियों ने कहा कि वे ट्रंप द्वारा प्रदर्शनों को संभालने के तरीकों को नामंजूर करते हैं.
जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका ही नहीं यूरोप तक में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. लंदन और बर्लिन में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में भी प्रदर्शन हुए.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
अमेरिका में नस्लीय नफरत से भड़के दंगों का इतिहास
अमेरिका वैसा नहीं है जैसा हॉलीवुड की ज्यादातर फिल्में दिखाती हैं. अमेरिका अपने ही भीतर त्वचा के रंग को लेकर संघर्ष करने वाला देश भी है. एक नजर बीते 60 साल में अमेरिका में हुए दंगों पर.
तस्वीर: picture-alliance/AA/I. Tayfun Salci
अगस्त 1965
लॉस एजेंलिस शहर में पुलिस ने आईडेंटिटी चेक के लिए दो अश्वेत पुरुषों को रोका और फिर उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाया गया. पुलिस पर आरोप लगा कि उसने ऐसा नस्लीय घृणा के चलते किया. इसके बाद 11-17 अगस्त तक शहर के एक हिस्से में भयानक दंगे हुए. 34 लोगों की मौत हुई.
तस्वीर: AFP
जुलाई 1967
दो श्वेत पुलिस अधिकारियों ने एक मामूली ट्रैफिक नियम उल्लंघन के लिए एक अश्वेत टैक्सी ड्राइवर को गिरफ्तार किया और पीटा. इसके बाद नेवार्क में 12-17 जुलाई तक दंगे हुए. 26 लोगों की मौत हुई और 1,500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए. इसके हफ्ते भर बाद डेट्रॉएट और मिशीगन में भी दंगे हुए, वहां 43 लोग मारे गए और 2,000 से ज्यादा घायल हुए.
तस्वीर: AFP
अप्रैल 1968
मार्टिन लूथर किंग की हत्या के बाद टेनेसी में हिंसा भड़ गई. 4-11 अप्रैल तक चले इन दंगों में 46 लोग मारे गए और 2,600 से ज्यादा घायल हुए. हिंसा इस कदर भड़की कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन को दंगा रोकने के लिए सेना भेजनी पड़ी.
तस्वीर: AFP
मई 1980
दिसंबर 1979 में चार श्वेत पुलिस अधिकारियों पर एक अश्वेत मोटरसाइकिल सवार को पीट पीटकर मार डालने का आरोप लगा. सुनवाई के बाद मई में पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया गया. इससे नाराज अश्वेत समुदाय ने मियामी लिबर्टी सिटी में भारी हिंसा की. चार दिन के दंगों में 18 लोग मारे गए.
तस्वीर: AFP
अप्रैल 1992
लॉस एंजेलिस के दंगों में 59 लोग मारे गए. अश्वेत कार चालक की पिटाई के वीडियो बनाने वाले श्वेत पुलिस अधिकारियों की रिहाई की वजह से ये दंगे हुए. यह दंगे अटलांटा, कैलिफोर्निया, लॉस वेगस, न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को और सैन जोस में भी फैले.
तस्वीर: picture-alliance/AP/K. Djansezian
अप्रैल 2001
19 साल के अश्वेत युवक टिमोथी थॉमस को एक पुलिस अधिकारी ने मार डाला. इसके बाद सिनसिनैटी शहर में दंगे भड़क उठे. चार रातों तक शहर में कर्फ्यू लगाना पड़ा.
तस्वीर: AFP/D. Maxwell
अगस्त 2014
श्वेत पुलिस अधिकारी के हाथों एक निहत्थे अश्वेत किशोर की मौत के बाद फर्गुसन शहर में दंगे हुए. 9-19 अगस्त तक हुई हिंसा में काफी आर्थिक नुकसान हुआ. नवंबर में आरोपी पुलिस अधिकारी से हत्या की धाराए हटाने के बाद शहर में फिर तनाव लौट आया.
तस्वीर: AFP/S. Olson
अप्रैल 2015
25 साल के अश्वेत युवा फ्रेडी ग्रे को गिरफ्तार करते समय पुलिस ने इतनी ताकत लगाई कि युवक की पुलिस वैन में मौत हो गई. फ्रेडी की गिरफ्तारी का वीडियो भी सामने आया. वीडियो के प्रसारित होने के बाद बाल्टीमोर में भारी हिंसा हुई जिसके इमरजेंसी लगानी पड़ी.
तस्वीर: Reuters/M. Stone
सितंबर 2016
पुलिस फायरिंग में 43 साल के कीट लैमॉन्ट स्कॉट की मौत के बाद शारलोटे शहर में दंगे हुए. प्रशासन को हिंसा रोकने के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना बुलानी पड़ी.
तस्वीर: AFP/S. Rayford
मई 2020
मिनियापोलिस शहर में पुलिस अधिकारियों ने जॉर्ज फ्लॉएड नाम के एक अश्वेत शख्स को गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के दौरान फ्लॉएड ने पुलिस को अपनी बीमारी के बारे में बताया. इसके बावजूद पुलिस अधिकारियों ने उन पर ताकत आजमाई. फ्लॉएड की मौके पर ही मौत हो गई. उनकी मौत के एक दिन बाद से ही अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में प्रदर्शन हो रहे हैं. ओएसजे/एके (एएफपी)