कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों को लेकर दिल्ली में धरने पर बैठे पहलवानों की मुश्किलें बढ़ रही हैं. आधी रात को पहलवानों की दिल्ली पुलिस के कर्मियों के साथ झड़प हो गई, जिसमें कई पहलवानों को चोटें आई हैं.
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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कई वीडियो में धरने पर बैठे पहलवान आरोप लगाते नजर आ रहे हैं कि दिल्ली पुलिस के कर्मियों ने बुधवार तीन मई की रात उनके साथ गाली गलोच और मारपीट की. एक वीडियो में एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल विजेता महिला पहलवान विनेश फोगाट कह रही हैं कि धरना स्थल पर तैनात दिल्ली पुलिस का एक कर्मी शराब के नशे में धुत था और उसने उन्हें और अन्य महिला पहलवानों को धक्का दिया.
इस वीडियो को वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई और अन्य लोगों ने ट्वीट किया है. फोगाट ने यह भी आरोप लगाया कि उनके भाई पर हमला भी किया गया और उनका सिर फोड़ दिया गया.
ओलंपिक मेडल विजेताओं का हाल
एक और वीडियो में ओलंपिक मेडल विजेता पहलवान साक्षी मलिक रोती हुईं नजर आ रही हैं. एक और ओलंपिक मेडल विजेता बजरंग पूनिया उस वीडियो में आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस ने इन पहलवानों का यह हाल किया है.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पहलवान रात को धरना स्थल पर सोने का इंतजाम करने के लिए गद्दे और लकड़ी के तख्ते ला रहे थे, जिस पर दिल्ली पुलिस ने आपत्ति जताई और उसके बाद दोनों पक्षों में झड़प हो गई. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को भी पुलिस ने जबरन धरना स्थल से हटा दिया.
दिल्ली पुलिस के आचरण पर सवाल उठाते हुए विनेश फोगाट ने पत्रकारों से कहा कि क्या वो और उनके साथी इसलिए देश के लिए मेडल ले कर आये थे कि उन्हें यह दिन देखना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर मेडल जीतने वालों का यह हाल होता है तो वो कामना करेंगी कि कभी कोई खिलाड़ी देश के लिए मेडल न ले कर आये.
सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद
चोटी के यह पहलवान कई दिनों से दिल्ली के जंतर मंतर पर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे हुए हैं. उनका आरोप है कि सिंह ने कई महिला पहलवानों का यौन शोषण कियाहै. दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सिंह के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज कर ली है लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
पहलवान बोले, पीछे हटने का सवाल ही नहीं
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सरकार ने सिंह को बर्खास्त नहीं किया है और सिंह ने भी अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. इस बीच सात महिला पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट से एक बंद लिफाफे में एक हलफनामा दायर करने की इजाजत मांगी है जिसमें सिंह के खिलाफ आरोपों के बार में विस्तार से बताया जाएगा.
चपला, चंचला, चोलिता
दक्षिण अमेरिकी देश बोलिविया में महिलाओं की कुश्ती बड़ी मशहूर है. स्कर्ट पहन कर कुश्ती करने वाली 'चोलिता' अपने प्रतिद्वंद्वी को ही नहीं समाज में मौजूद कई तरह के भेदभाव को भी पटखनी दे रही हैं.
तस्वीर: Kamran Ali
WWE से भी पुरानी
बोलिविया में महिलाओं की इस फ्री स्टाइल रेसलिंग को 'फाइटिंग चोलिताज' कहा जाता है. माना जाता है कि बोलिविया के अल आल्तो इलाके में इसकी शुरुआत 19वीं शताब्दी में हुई.
तस्वीर: Kamran Ali
परंपरागत पोशाक
कुश्ती के खास कपड़ों के उलट फाइटिंग चोलिता अपनी पारंपरिक पोशाक पहन कर लड़ती हैं. ग्रीक-रोमन शैली की यह कुश्ती लड़ने वाली महिलाएं लात और घूसों से कोई परहेज नहीं करतीं.
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बेदम करने तक
लुचा लिब्रे समुदाय की महिलाओं के बीच होने वाली इस फाइट में प्रतिद्वंद्वी को बेदम करना होता है. मुकाबला चित करने या फिर प्रतिद्वंद्वी के हार मानने पर ही खत्म होता है.
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अखाड़े के बाहर भी अखाड़ा
मुकाबले के दौरान अगर कोई फाइटर अखाड़े से बाहर भी चली जाए तो उसका पीछा किया जाता है और खास सीमा के अंदर उसे पटखनी दी जाती है. अगर कोई मैदान छोड़ दे तो उसे हारा घोषित किया जाता है.
तस्वीर: Kamran Ali
कहां फंस गया
कभी कभार लड़ाई के दौरान महिलाएं इतनी आक्रामक हो जाती हैं कि वह पुरुष रेफरी को भी नहीं बख्शती हैं. कई लोगों का मानना है कि अमेरिका की WWE रेसलिंग बोलिविया की फाइटिंग चोलिताज की नकल है.
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संडे के संडे
इस फ्री स्टाइल रेसलिंग के लड़ाकों को 'टाइटन्स ऑफ द रिंग' कहा जाता है. इसमें महिला और पुरुषों की अलग अलग श्रेणी होती है. मुकाबले हर इतवार होते हैं.
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जीत की हुंकार
विजयी महिला को करीब 30 डॉलर तक का ईनाम मिलता है. रेसलिंग करने वाली ज्यादातर महिलाएं सोमवार से शनिवार तक दूसरे काम करती हैं.
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दशकों चला अपमान
बोलिविया की मूल निवासी यह महिलाएं अपने लंबी स्कर्ट, खास हैट और बड़े गहनों वाले पहनावे के कारण दूर से पहचान में आ जाती थीं. कई दशकों तक चोलिता को कई सार्वजनिक जगहों पर जाने की मनाही रही.
तस्वीर: Claudia Morales/REUTERS
पहलवानी से सशक्तिकरण
रेसलिंग के कारण चोलिता को एक नई पहचान मिली. पहले जिन्हें घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार का शिकार बनना पड़ता था, आयमारा और ऐसे मूल समुदायों की महिलाएं रेसलर बन कर अपने को सशक्त बना रही हैं.
तस्वीर: Kamran Ali
ऐसे पता चली कहानी
फाइटिंग चोलिताज नाम की एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म के जरिये बोलिविया की यह कहानी दुनिया के सामने आई. 2006 में बनी उस डॉक्यूमेंट्री फिल्म को सम्मानित भी किया गया.