पुणे में एक मस्जिद के खाली हॉल को बतौर क्वारंटीन सेंटर इस्तेमाल के लिए तैयार किया गया है. 80 बिस्तर वाले इस सेंटर को ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जिन्हें कोरोना संक्रमण का खतरा है.
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महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के कारण सबसे अधिक मौतें दर्ज की गई हैं और वहां कोविड-19 के मरीजों की संख्या भी अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा है. महाराष्ट्र में अब तक 8,068 कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं और अकेले इस राज्य में 342 लोगों की मौत महामारी के कारण हो चुकी है. महाराष्ट्र की हालत सबसे गंभीर बनी हुई है. मुंबई, पुणे, यवतमाल जैसे शहर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. लॉकडाउन के बावजूद महाराष्ट्र में मामले सामने आ रहे हैं और यहां मौतें भी हो रही हैं. देश में कोविड-19 के संदिग्धों को रखने के लिए क्वारंटीन केंद्र बनाए गए हैं. हालांकि यह ज्यादातर स्कूलों, कॉलेजों या सरकारी इमारतों में बनाए जाते हैं. लेकिन महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक मस्जिद के खाली हॉल को क्वारंटीन सेंटर के तौर पर तैयार किया गया है.
80 बिस्तर वाले इस सेंटर को ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जिन्हें कोरोना संक्रमण का खतरा है. पुणे के एक शैक्षणिक संस्थान के अंदर स्थित एक मस्जिद को कोविड-19 के संदिग्धों के लिए क्वारंटीन केंद्र के तौर पर तैयार किया गया है. आजम कॉलेज ऑफ एजुकेशन ने कोरोना के संदिग्धों के लिए मस्जिद के हॉल के इस्तेमाल की पेशकश की है. मस्जिद की पहली मंजिल पर बना हॉल 9,000 स्क्वायर फीट का है और यहां 80 लोगों के ठहरने के इंतजाम किए गए हैं. मस्जिद में रहने वाले संदिग्धों के लिए बिस्तर, शौचालय, पंखे और अन्य जरूरी चीजों की व्यवस्था की गई है.
कोरोना के संदिग्धों को दूसरों से अलग-थलग रखने के लिए क्वारंटीन केंद्रों का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा इसलिए ताकि अन्य लोग इनके संपर्क में आने से बचें और वायरस का फैलाव ना हो. आजम ट्रस्ट के चेयरमैन मुनव्वर पीर भाई इस पहल पर डीडब्ल्यू से कहते हैं, "मौजूदा हालात में सरकार को क्वारंटीन और आइसोलेशन के लिए केंद्रों की जरूरत है. स्थानीय प्रशासन से मिलकर यह काम किया गया है. सरकार जो मरीज भेजेगी उन्हें यहां रखा जाएगा." ट्रस्ट ने यूनानी मेडिकल और डेंटल कॉलेज का एक हिस्सा क्वारंटीन केंद्र बनाने के लिए दिया है.
मुनव्वर पीर भाई के मुताबिक इस केंद्र में महिलाओं को भी रखा जा रहा है. उनके मुताबिक, "यूनानी मेडिकल और डेंटल कॉलेज के वार्ड में 150 संदिग्धों के रहने का इंतजाम किया गया है लेकिन सामाजिक दूरी के नियमों के मुताबिक वहां 50 मरीज ही रह पाएंगे." वहीं उनके मुताबिक मस्जिद में भी नियमों के हिसाब से 50 लोग आराम से रह पाएंगे. ट्रस्ट का कहना है कि वह संदिग्धों को खाना भी मुहैया करा सकता है. ट्रस्ट के अधिकारियों ने बताया कि जो लोग यहां रहेंगे उन्हें पढ़ने के लिए किताबें भी मिलेंगी क्योंकि यह एक शिक्षण परिसर है और संदिग्ध आसानी के साथ अपना समय निकाल पाएंगे.
दुनिया भर में ऐसे कई लोग हैं जो कोरोना संकट के समय भी सड़क पर जिंदगी बिताने को मजबूर हैं. चाहे अमेरिका हो या फिर लंदन संकट के इस समय में भी कुछ बेघर सड़क पर ही रहने को मजबूर हैं. एक नजर बेघरों की हालत पर.
तस्वीर: Reuters/S. Marcus
लंदन, ब्रिटेन
लंदन में बेघर तख्ती पर अपनी स्थिति लिख लोगों से दान की अपील करते हुए. जिन लोगों के पास रहने के लिए घर नहीं वह किसी तरह से मेट्रो स्टेशन या फिर सड़क किनारे संकट के समय में जिंदगी बिता रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/H. McKay
डकार, सेनेगल
35 साल के इब्राहिम के पास रहने को घर नहीं है. वह रात के समय में इसी तरह से बेंच पर बैठ कर अपना समय काटते हैं. यहां 4 मई तक सुबह से लेकर शाम का कर्फ्यू लगा हुआ है.
तस्वीर: Reuters/Z. Bensemra
फ्लोरिडा, अमेरिका
ऐसा नहीं है कि अमीर देश अमेरिका में सबके पास रहने को मकान है. कोरोना संकट के समय भी लोग सड़क के किनारे रह रहे हैं. हालांकि स्वास्थ्य कर्मचारी उनके बारे में पता करने के लिए जरूर जाते हैं.
तस्वीर: Reuters/M. Bello
बैंकॉक, थाईलैंड
थाईलैंड में बेघरों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए राहत शिविरों में रखा गया हैं. उन्हें सामाजिक दूरी के बारे में जानकारी दी जाती है और सख्ती से पालन करने को कहा जाता है. खाने के लिए भी लोग कतार में लगते हैं और बारी बारी से भोजन लेते हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Perawongmetha
लास वेगस, अमेरिका
लास वेगस का नाम सुनते ही दिमाग में ऐसी तस्वीर आ जाती है जिसमें रात को चमकती इमारतें होती हैं, शानदार पार्टियां और ना जाने क्या-क्या. लेकिन कोरोना वायरस के कारण यहां की भी तस्वीर बदल चुकी है. बेघर लोग यहां अस्थायी पार्किंग की जगहों पर सो रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/S. Marcus
प्राग, चेक गणराज्य
प्राग में भी बेघरों के रहने के लिए कुछ इस तरह से इंतजाम किए गए हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए बेघरों के टेंट एक दूसरे के बीच दूरी रख कर लगाए गए हैं.
तस्वीर: Reuters/D.W. Cerny
पेरिस, फ्रांस
फ्रांस की राजधानी पेरिस में हर साल लाखों लोग पर्यटन के लिए आते हैं. देश की कमाई भी इससे अच्छी खासी होती है लेकिन यहां भी बेघर हैं. संकट के दौर में किसी को आश्रय मिल गया तो कोई इसी तरह से सड़क पर है.
तस्वीर: Reuters/C. Platiau
ओस्लो, नॉर्वे
नॉर्वे जैसे छोटे देश में भी बेघर हैं. करीब 54 लाख की आबादी वाले देश ने बेघरों के रहने के लिए केंद्रों का इंतजाम किया है. सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए बिस्तर को अलग-अलग लगाया है. नॉर्वे ने बड़े आयोजनों पर प्रतिबंध को 1 सितंबर तक बढ़ा दिया है.
तस्वीर: Reuters/NTB Scanpix/H. Junge
रोम, इटली
रोम के मशहूर पर्यटन स्थल कोलोजियम के बाहर खड़े इस शख्स के पास रहने को घर नहीं है. महामारी का सबसे ज्यादा असर यूरोप के इसी देश पर पड़ा है. क्या अमीर और क्या गरीब कोरोना वायरस की मार सभी झेल रहे हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Monteforte
कोलकाता, भारत
भारत में केंद्र और राज्यों ने बेघरों के लिए अस्थायी केंद्र बनाए हैं जहां ऐसे लोग रह सकते हैं जिनके पास घर नहीं हैं. यहां उन्हें तीनों वक्त का भोजन दिया जाता है और चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं.