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राजनीतिनेपाल

नेपाल: आज तीसरी बार पुष्प कमल दहल बनेंगे प्रधानमंत्री

२६ दिसम्बर २०२२

पुष्प कमल दहल प्रचंड को आज तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई जाएगी. एक दिन पहले राष्ट्रपति ने उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया था.

नेपाल के नए प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड
नेपाल के नए प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड तस्वीर: Dipesh Shrestha/AFP/Getty Images

नेपाल में रविवार को तेजी से बदलते घटनाक्रम में राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने सीपीएन-माओवादी सेंटर (सीपीएन-एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ''प्रचंड'' को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है.

रविवार को राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, प्रचंड को संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के मुताबिक देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है. 275 सीटों की संसद में प्रचंड की माओवादी पार्टी ने 32 सीटें जीती थीं.

राष्ट्रपति कार्यालय के बयान के मुताबिक 68 साल के प्रचंड को सोमवार को शाम चार बजे पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी. प्रचंड नेपाली कांग्रेस के मौजूदा प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की जगह लेंगे.

उन्होंने इससे पहले हिमालयी राष्ट्र में नई सरकार का नेतृत्व करने का दावा पेश किया. सात राजनीतिक दलों- उनके अपने सीपीएन-माओवादी सेंटर, सीपीएन-यूएमएल, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, जनमत पार्टी, जनता समाजवादी पार्टी और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के साथ-साथ तीन निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन से प्रचंड रविवार शाम राष्ट्रपति कार्यालय पहुंचे और एक पत्र पेश किया जिसमें दावा किया गया कि उन्हें संसद के अधिकांश सदस्यों से समर्थन हासिल है.

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निचले सदन में सीपीएन-यूएमएल के पास 78, माओवादी सेंटर के पास 32, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के पास 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के पास 14, जनमत पार्टी के पास 6, जनता समाजवादी पार्टी के पास 12 और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के पास 4 सीटें हैं. संयुक्त रूप से अब उनके पास नई सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत है.

प्रचंड की पार्टी देउबा के साथ आम सहमति तक पहुंचने के असफल प्रयास के बाद रविवार दोपहर नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन से बाहर हो गई. नेपाली कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति में से किसी भी पद को माओवादी सेंटर को देने से इनकार करने के बाद प्रचंड ने देउबा से कहा था कि उनकी पार्टी अब गठबंधन में नहीं रह सकती है.

इसके बाद वह यूएमएल अध्यक्ष ओली से मिलने के लिए बालकोट गए. बाद में अन्य दलों के प्रमुख नेताओं ने उनका साथ दिया. प्रचंड और यूएमएल के केपी ओली के बीच समझौते के मुताबिक बीच बारी-बारी से सरकार का नेतृत्व करने के लिए सहमति बनी है. प्रचंड को पहले प्रधानमंत्री बनाने पर ओली ने अपनी रजामंदी दी है.

चूंकि किसी भी पार्टी को प्रतिनिधि सभा में अकेले दम पर बहुमत नहीं मिला, इसलिए राष्ट्रपति ने 19 दिसंबर को पार्टियों को संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के तहत सात दिनों के भीतर सरकार बनाने के लिए कहा था.

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कौन हैं प्रचंड?

11 दिसंबर 1954 को पोखरा के करीब कास्की जिले के ढिकुरपोखरी में जन्मे प्रचंड ने करीब 13 साल तक भूमिगत होकर काम किया. वह उस वक्त मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए जब सीपीएन-माओवादी ने एक दशक लंबे सशस्त्र विद्रोह का रास्ता त्यागकर राजनीति का रास्ता अपनाया. प्रचंड ने 1996 से 2006 तक संघर्ष का नेतृत्व किया था जो आखिरकार 2006 में व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ खत्म हुआ.

प्रचंड 2008-2009 में और फिर 2016-17 में प्रधानमंत्री पद पर रह चुके हैं.

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल के नए प्रधानमंत्री नियुक्त होने पर प्रचंड को बधाई दी है. मोदी ने ट्वीट किया, "नेपाल के प्रधानमंत्री चुने जाने पर कॉमरेड प्रचंड को बहुत बहुत बधाई. भारत और नेपाल के बीच अद्वितीय संबंध हमारे प्रगाढ़ सांस्कृतिक संबंध और हमारी जनता के बीच घनिष्ठ संबंधों पर आधारित है. मैं इस मैत्री को और मजबूत करने के लिए आपके साथ काम करने का उत्सुक हूं."

एए/वीके (रॉयटर्स, एएफपी, डीपीए)

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