रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के एक साल बाद राष्ट्र के नाम संदेश दिया. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के कीव दौरे के एक दिन बाद पुतिन ने "यूक्रेन के लोगों को कीव सरकार और उसके पश्चिमी मालिकों का बंधक" बताया.
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राजधानी मॉस्को में रूसी सांसदों और सेना के बड़े अधिकारियों की सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि "यूक्रेन के लोगों को कीव प्रशासन और उसके पश्चिमी मालिकों का बंधक" बनाया हुआ है और एक तरह से इस देश पर राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक कब्जा कर लिया है. यूक्रेन पर आक्रमण करने के कारण पश्चिमी देशों के साथ रूस के संबंध इतने खराब हो गए हैं जितने शीत युद्ध के सबसे बुरे काल के बाद कभी नहीं हुए थे.
पुतिन ने घरेलू विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके अधिकारी पुतिन से असहमति रखने वालों का शिकार तो नहीं करेगी लेकिन "जो रूस को धोखा देने के रास्ते पर चल रहे हैं उनको कानून के सामने जवाब देने पर मजबूर जरूर करेगी."
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रूसी अर्थव्यवस्था का हाल
पुतिन ने कहा, "वे (पश्चिमी देश) चाहते हैं कि (रूसी) लोग (प्रतिबंधों से) परेशान हो जाएं... लेकिन उनकी मंशा कामयाब नहीं हो पायी. रूसी अर्थव्यवस्था और प्रबंधन उससे ज्यादा ताकतवर साबित हुआ जितना उन्होंने सोचा था." पुतिन ने रूसी अर्थव्यवस्था के हाल पर कहा कि नागरिकों से जुड़े कई बुनियादी सेक्टरों में सिकुड़न आने की बजाए असल में उत्पादन बढ़ा है.
उन्होंने कहा, "... जो प्रतिबंध लगा रहे हैं वे खुद को ही सजा दे रहे हैं. उनके कारण ही चीजों के दाम बढ़े हैं, नौकरियां छिन रही हैं और ऊर्जा का संकट पैदा हुआ है. हम सुनते हैं कि वे अपने लोगों को कहते हैं कि ये सब रूस के कारण ही हो रहा है. रूसी अर्थव्यवस्था और प्रशासनिक तंत्र उससे कहीं ज्यादा मजबूत साबित हुआ जितना पश्चिम ने सोचा था."
पुतिन का 'ऐतिहासिक' भाषण
रूस के कुछ सरकारी चैनलों ने 21 फरवरी की सुबह से एक काउंटडाउन चलाया था. राष्ट्रपति पुतिन के भाषण से पहले ही रूस की सरकारी समाचार एजेंसी रिया नोवोस्ती ने इसे ऐतिहासिक बता दिया था. रूस के संविधान में लिखा है कि राष्ट्रपति का हर साल यह भाषण देना अनिवार्य है. लेकिन साल 2022 में राष्ट्रपति पुतिन ने यह परंपरा तोड़ी. 2022 यानि वही साल जब रूसी सेनाएं यूक्रेन में युद्ध कर रही थीं और दिसंबर 2022 के आसपास कई मोर्चों पर झटके झेल रही थीं. हालांकि क्रेमलिन प्रवक्ता ने इसके स्थगन का कारण राष्ट्रपति की व्यस्तता बताया था. अब जब यूक्रेन पर रूसी हमले के एक साल पूरे होने वाले हैं तब आखिरकार पुतिन ने बोलने का फैसला किया.
इसके पहले 2017 में भी पुतिन ने एक बार अपना भाषण स्थगित किया था जो फिर 2018 में हुआ. पिछले साल दो और बड़े सालाना कार्यक्रम रद्द किए गए थे. इसमें से एक पुतिन की सालाना प्रेस क्रॉन्फ्रेंस थी और दूसरी जिसमें आम जनता अपने राष्ट्रपति से फोन पर बात कर अपने सवाल पूछ पाती है.
रूस ने पश्चिमी देशों को 'गैरदोस्ताना' श्रेणी में रखा
परंपरा कुछ ऐसी रही है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन सांसदों और सरकारी अधिकारियों की एक बड़ी भीड़ को संबोधित करते हैं और रूस के सारे सरकारी टीवी चैनल इसका प्रसारण करते हैं. भाषण के पहले ही क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने साफ कर दिया था कि इस साल कुछ "गैरदोस्ताना" देशों के पत्रकारों को भाषण सुनने के लिए वहां मौजूद रहने की इजाजत नहीं दी गई. इसमें सूची में अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों के पत्रकार शामिल हैं. पेस्कोव ने पहले ही कह दिया था कि वे पत्रकार टीवी पर देख कर अपनी रिपोर्टें लिख सकते हैं.
एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेनी राजधानी कीव का दौरा किया था. वहां से पोलैंड पहुंचे बाइडेन नाटो के पूर्वी कमान से बातचीत करने वाले हैं जिसका मकसद यूक्रेन पर रूसी हमले के खिलाफ पश्चिमी एकता को मजबूत करना है.
आरपी/एमजे (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)
यूक्रेन युद्ध का एक साल
24 फरवरी, 2022 की सुबह रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इस युद्ध की वजह से हजारों सैनिकों और नागरिकों की मौत हो चुकी है. तस्वीरों के जरिए देखिए कौन कौन से मोड़ लिए यूक्रेन युद्ध ने.
तस्वीर: Anatolii Stepanov/AFP/Getty Images
करोड़ों के लिए एक काला दिन
24 फरवरी, 2022 की सुबह यूक्रेन की राजधानी कीव में कई लोग इस तरह के धमाकों की आवाज पर नींद से जागे. रूस ने एक व्यापक हमले की शुरुआत कर दी थी. यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक देश द्वारा दूसरे देश पर सबसे बड़ा हमला था. यूक्रेन में तुरंत मार्शल लॉ लगा दिया गया. हमलों में सिविलियन स्थानों को भी निशाना बनाया गया और जल्द ही मौत का सिलसिला शुरू हो गया.
तस्वीर: Ukrainian President s Office/Zuma/imago images
बेरहम गोलीबारी
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक "विशेष सैन्य अभियान" की बात की और कहा कि उनका लक्ष्य है यूक्रेन के डोनियेत्स्क और लुहांस्क इलाकों पर कब्जा कर लेना. डोनियेत्स्क के मारियोपोल शहर में लोगों को कई हफ्तों तक बेसमेंटों में छिपे रहना पड़ा. कई तो मलबे के नीचे ही दब कर मर गए. मार्च में एक रूसी हवाई हमला तो एक ऐसे थिएटर पर किया गया था जहां हजारों लोगों ने शरण ली हुई थी.
तस्वीर: Nikolai Trishin/TASS/dpa/picture alliance
पलायन
यूक्रेन युद्ध ने एक एक ऐसे जबरन उत्प्रवास को जन्म दिया है जो यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार देखा गया है. संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी संस्था के मुताबिक 80 लाख से भी ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़ कर जा चुके हैं. अकेले पोलैंड ने ही 15 लाख लोगों को लिया है, जो यूरोपीय संघ के किसी भी सदस्य देश से ज्यादा बड़ी संख्या है.
तस्वीर: Anatolii Stepanov/AFP
बूचा की त्रासदी
कुछ ही हफ्तों के बाद यूक्रेन की सेना देश के उत्तर और उत्तर-पूर्वी इलाकों में से रूसी सेना को खदेड़ने में सफल रही. राजधानी कीव को कब्जाने की रूस की योजना विफल हो गई. इन इलाकों के मुक्त होने के बाद कथित रूसी क्रूरता की हदें सामने आने लगीं. कीव के पास बसे शहर बूचा से यातनाएं दे कर मारे गए लोगों के शवों की तस्वीरें पूरी दुनिया में देखी गईं. अधिकारियों ने 461 मौतें दर्ज कीं.
तस्वीर: Carol Guzy/ZUMA PRESS/dpa/picture alliance
क्रामातोर्स्क में मौत और बर्बादी
डोंबास में मारे जाने वाले नागरिकों की संख्या तेजी से बढ़ गई. अधिकारियों ने नागरिकों को सुरक्षित इलाकों में चले जाने के लिए कहा लेकिन रूसी मिसाइलों ने क्रामातोर्स्क जैसे शहरों में जाते हुए लोगों को भी निशाना बनाया. अप्रैल में क्रामातोर्स्क के रेलवे स्टेशन पर सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचने की उम्मीद लगाए 61 से भी ज्यादा लोग मारे गए और 120 लोग घायल हो गए.
रूसी हवाई हमलों के बीच यूक्रेन में करोड़ों लोगों ने खुद को बचाने के लिए किसी न किसी जगह पर शरण ली है. युद्ध के मोर्चे के करीब रहने वाले लोगों के लिए बेसमेंट उनके दूसरे घर की तरह हो गए. बड़े शहरों में रहने वाले लोगों ने भी मिसाइलों से बचने के लिए अलग अलग स्थानों पर शरण ली है. कीव (तस्वीर में) और खारकीव में सबवे स्टेशन सुरक्षित ठिकानों की भी भूमिका अदा कर रहे हैं.
तस्वीर: Dimitar Dilkoff/AFP/Getty Images
जापोरिशिया में परमाणु खतरा
हमले के बाद के शुरुआती हफ्तों में ही रूस ने यूक्रेन के दक्षिणी और पूर्वी इलाकों के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था. जंग दक्षिणपूर्व में स्थित जापोरिशिया परमाणु संयंत्र तक भी पहुंची और वो तब से रूसी नियंत्रण में है. अंतरराष्ट्रीय एटॉमिक ऊर्जा एजेंसी ने संयंत्र के पास विशेषज्ञों को भेजा और उसके आस पास के इलाकों में एक सेफ जोन घोषित किए जाने की मांग की.
तस्वीर: Str./AFP/Getty Images
मारियोपोल में हताशा
रूसी सेना ने मारियोपोल पर तीन महीनों तक कब्जा बनाए रखा और गोलीबारी और रसद को पहुंचने से रोक कर दिखा. आसोव्स्टाल स्टील संयंत्र को शहर में यूक्रेन के आखिरी दुर्ग के रूप में देखा जा रहा था. वहां हजारों सैनिकों और नागरिकों ने शरण ली हुई थी. लेकिन मई में लंबे चले एक हमले के बाद रूसी सैनिकों ने इस संयंत्र को भी कब्जे में ले लिया और 2,000 से भी ज्यादा लोगों को बंदी बना लिया.
तस्वीर: Dmytro 'Orest' Kozatskyi/AFP
प्रतिरोध का प्रतीक
रूस ने ब्लैक सी के स्नेक द्वीप को युद्ध के पहले दिन ही अपने कब्जे में ले लिया था. यूक्रेन और रूसी सैनिकों के बीच बातचीत की एक रिकॉर्डिंग इंटरनेट पर वायरल हो गई थी. उसमें यूक्रेनी सैनिकों ने आत्मसमर्पण करने से मना कर दिया था. अप्रैल में यूक्रेनी सैनिकों ने दावा किया कि उन्होंने मॉस्क्वा नाम के रूसी युद्धपोत को डुबा दिया है. जून में यूक्रेन ने कहा कि उसने रूसियों को द्वीव से खदेड़ दिया है.
तस्वीर: Ukraine's border guard service/AFP
मरने वालों की संख्या स्पष्ट नहीं
युद्ध में कितने लोग मारे गए यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक कम से कम 7,200 नागरिक मारे जा चुके हैं और 12,000 घायल हुए हैं. यह संख्या इससे कहीं ज्यादा भी हो सकती है. मारे गए यूक्रेनी सैनिकों की संख्या भी स्पष्ट नहीं है. दिसंबर में यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार मिखाइलो पोदोल्याक ने अनुमान लगाया था कि यह संख्या 13,000 तक जा सकती है. निष्पक्ष आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.
तस्वीर: Raphael Lafargue/abaca/picture alliance
यूक्रेन के लिए अहम मोड़
यूक्रेन को पश्चिमी हथियार दिए जाना युद्ध के शुरुआती दिनों से काफी चर्चा का विषय बना हुआ है लेकिन शुरू में कीव को सिर्फ कुछ ही हथियार मिले थे. हीमार्स नाम के अमेरिकी रॉकेट लॉन्चर से मदद जरूर मिली. इनकी वजह से यूक्रेन की सेना ने रूसी तोपों को गोला बारूद की सप्लाई बंद कर देने में मदद की है. संभव है कि उनका यूक्रेन के सफल जवाबी हमलों में भी योगदान रहा है.
तस्वीर: James Lefty Larimer/US Army/Zuma Wire/IMAGO
मुक्त कराए जाने पर राहत
सितंबर के शुरू में यूक्रेन की सेना ने खारकीव में एक सफल जवाबी हमला किया. हैरान रूसी फौजें तुरंत वापस लौट गईं और अपने पीछे उपकरण, गोला बारूद और कथित युद्ध अपराधों के सबूत भी छोड़ गईं. यूक्रेन की सेना दक्षिण में खेरसों को भी आजाद कराने में सफल रही और वहां रहने वाले लोगों ने यूक्रेनी सिपाहियों के आने पर उनका खूब स्वागत किया.
तस्वीर: Bulent Kilic/AFP/Getty Images
क्रीमिया के पुल पर धमाका
अक्टूबर के शुरू में कर्च स्ट्रेट से होकर क्रीमिया तक पहुंचने वाले रूस द्वारा बनाए गए पुल पर एक बड़ा धमाका हुआ और पुल आंशिक रूप से ध्वस्त हो गया. रूस का दावा है कि धमाका यूक्रेन से आ रहे विस्फोटकों से लदे एक ट्रक की वजह से हुआ, लेकिन यूक्रेनी अधिकारियों ने ऐसे किसी हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.
तस्वीर: AFP/Getty Images
ऊर्जा व्यवस्था पर बड़े हमले
क्रीमिया पुल पर हमले के कुछ ही दिनों बाद रूस ने यूक्रेन की ऊर्जा व्यवस्था पर पहली बार बड़े पैमाने पर हमला किया. लवीव से लेकर खारकीव तक इलाकों में बिजली चली गई. तब से इस तरह के हमले आम हो गए हैं. ऊर्जा संयंत्रों और अन्य सार्वजनिक संपत्ति को हुए भारी नुकसान की वजह से यूक्रेन में लोगों को लगभग रोज बिजली में कटौती और पानी की कमी का सामना करना पड़ा है.
तस्वीर: Genya Savilov/AFP/Getty Images
यूरोपीय एकीकरण
यूक्रेन के हालात और युद्ध की जानकारी देने वाले राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के रोज के वीडियो संदेशों को करोड़ों लोग देखते हैं. जेलेंस्की ना सिर्फ अपने देश के लोगों को एक करने में सफल रहे हैं बल्कि उन्हें पश्चिमी समर्थन भी मिला है. उनके नेतृत्व में यूरोपीय एकीकरण काफी अच्छी तरह से आगे बढ़ा है और यूक्रेन अब यूरोपीय संघ की सदस्यता की तरफ अग्रसर है.
तस्वीर: Kenzo Tribouillard/AFP
'लेपर्ड दो' टैंक की उम्मीद
यूक्रेन कितनी सफलता से मुकाबला करता है यह उसे मिलने वाली मदद पर काफी निर्भर करता है. अमेरिका के नेतृत्व में कई देशों के एक समूह ने एक अरब डॉलर की मानवीय, वित्तीय और सैन्य मदद का प्रस्ताव दिया है. भारी हथियार भेजने पर पश्चिम में काफी बहस हुई, मुख्य रूप से रूस की प्रतिक्रिया को लेकर चिंताओं की वजह से. लेकिन अब यूक्रेन को पश्चिमी टैंक मिलेंगे, जिनमें से अधिकांश जर्मनी में बने 'लेपर्ड दो' टैंक होंगे.
तस्वीर: Ina Fassbender/AFP/Getty Images
बाख्मुत: बर्बाद हो चुका एक शहर
बाख्मुत को लेकर महीनों से भीषण लड़ाई चल रही है. 2023 की शुरुआत में यूक्रेन के सैनिकों ने बाख्मुत के पास स्थित शहर सोलेदार पर से अपने नियंत्रण खो दिया. तब से बाख्मुत को बचाए रखना और मुश्किल हो गया है. जनवरी में जर्मनी की गुप्तचर सेवा ने बताया कि यूक्रेन की तरफ रोज सैकड़ों लोग मारे जा रहे हैं. लेकिन माना जा रहा है कि रूस की तरफ इससे भी ज्यादा लोग मारे जा रहे हैं. (दानीलो बिलेक, फिलिप बोल)