रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चीन के दो दिवसीय राजकीय दौरे पर हैं. गुरुवार को उनकी मुलाकात राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई. पुतिन छह महीनों में दूसरी बार चीन पहुंचे हैं.
विज्ञापन
पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन का यह पहला विदेश दौरा है. चीन पहुंचने पर पुतिन का चीनी अधिकारियों के साथ-साथ सैन्य सम्मान गार्ड ने स्वागत किया.
यूक्रेन पर हमले के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ चुके पुतिन बढ़ते वैश्विक प्रतिबंधों और युद्ध के बीच अपने प्रयास को बनाए रखने के लिए अपने चीनी समकक्ष राष्ट्रपति शी जिनपिंग से सैन्य और वित्तीय सहायता की तलाश में हैं. रूस हथियारों और सैनिकों की भारी संख्या के बावजूद यूक्रेन के खिलाफ युद्ध नहीं जीत पाया है.
चीन पहुंचने के बाद पुतिन ने क्या कहा
चीन पहुंचने के बाद पुतिन ने चीनी राष्ट्रपति की सराहना करते हुए कहा राष्ट्रीय हितों और "रणनीतिक साझेदारी" के निर्माण में जिनपिंग ने अहम भूमिका निभाई है.
पुतिन ने चीन की शिन्हुआ समाचार एजेंसी से कहा, "यह हमारे देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी का अभूतपूर्व उच्च स्तर था, जिसकी वजह से ही मैंने फिर से राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद चीन का सबसे पहला दौरा करने का फैसला लिया."
'नो लिमिट्स' पार्टनरशिप
चीन और रूस ने साल 2022 में नो लिमिट्स पार्टनरशिप पर हस्ताक्षर किए थे. जबकि पूरी दुनिया ने यूक्रेन पर हमले को लेकर पुतिन की निंदा की थी.
सस्ती गैस और तेल हासिल करके मॉस्को का समर्थन करने से बीजिंग को फायदा हुआ है. फिर भी चीन तेजी से पश्चिमी देशों के दबाव में आया है और उसके बैंकों को अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे का सामना करना पड़ रहा है, ऐसा होने पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों तक चीन की पहुंच बाधित हो सकती है.
इस यात्रा से पहले क्रेमलिन ने कहा कि पुतिन और जिनपिंग अपने देशों के बीच "व्यापक साझेदारी और रणनीतिक सहयोग" से जुड़े मुद्दे पर चर्चा करेंगे. साथ ही कहा गया कि दोनों नेता रूसी-चीनी सहयोग में विकास के प्रमुख क्षेत्रों को परिभाषित करेंगे और अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे.
इससे पहले पिछले महीने शी और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन की मुलाकात हुई थी, जिसमें ब्लिकेंन ने यूक्रेन युद्ध में रूस को समर्थन देने पर चीन को चेतावनी दी थी.
रूस के यूक्रेन पर हमले से ठीक पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीन का दौरा किया था और तब दोनों देशों ने कहा था कि उनकी दोस्ती की "कोई सीमा नहीं है."
चीन ने रूस को हथियार सप्लाई नहीं किए हैं लेकिन अमेरिका का कहना है कि चीनी कंपनियां ऐसी तकनीक रूस को बेच रही हैं, जो युद्ध में उसकी मदद कर रही हैं.
पुतिन की यात्रा से पहले रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने दोनों देशों के बीच साझेदारी का सारांश देते हुए कहा कि मॉस्को और बीजिंग "अधिक निष्पक्ष और लोकतांत्रिक विश्व व्यवस्था स्थापित करने के प्रयासों में अपना नेतृत्व बनाए रखने में स्पष्ट रूप से दिलचस्पी रखते हैं."
एए/सीके (एएफपी, एपी)
रूस में पांचवीं बार पुतिन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पांचवीं बार राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है. जोसेफ स्टालिन के बाद वो सबसे लंबे समय तक देश का नेतृत्व करने वाले सोवियत या रूसी नेता हैं.
तस्वीर: ALEXEY DRUZHININ/RIA-NOVOSTI/AFP via Getty Images
सबसे लंबे समय तक रूस का नेतृत्व
2000 से शुरू हुआ यह सफर अगले छह साल के लिए एक बार फिर पक्का हो गया है. इस कार्यकाल को पूरा कर वह 29 साल तक देश का नेतृत्व करने वाले जोसेफ स्टालिन से आगे निकल जाएंगे. मुमकिन है कि छह साल बाद रूस की जनता उन्हें एक बार और मौका दे कर ऐसा रिकॉर्ड बनवा दे जिसे तोड़ने का सपना देखना भी मुश्किल लगे.
तस्वीर: Kremlin.ru via REUTERS
पांच बार राष्ट्रपति दो बार प्रधानमंत्री
व्लादिमीर पुतिन पहली बार 1999 में प्रधानमंत्री बने. 2000 में वह राष्ट्रपति बन गए और 2008 तक इस पद पर रहे. तब राष्ट्रपति के लिए लगातार दो कार्यकाल का ही नियम था, जो 4 साल का होता था. 2008 में दमित्री मेदवेदेव राष्ट्रपति और पुतिन प्रधानमंत्री बन गए. 2012 में उन्होंने फिर राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली. पहले संशोधन में कार्यकाल 6 साल का हुआ और दूसरे संशोधन में दो बार की सीमा खत्म हुई.
तस्वीर: ALEXEY DRUZHININ/RIA-NOVOSTI/AFP via Getty Images
पांच अमेरिकी राष्ट्रपति
व्लादिमीर पुतिन ने रूस का नेतृत्व करते हुए अमेरिका के पांच राष्ट्रपतियों का सामना किया है. पहली बार जब देश की कमान उनकी मुट्ठी में आई तब बिल क्लिंटन अमेरिका के राष्ट्रपति थे. उसके बाद जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा के दो कार्यकाल और ट्रंप और बाइडेन के एक एक कार्यकाल में रूस उनके हाथ में ही रहा. हालांकि संबंधों की दशा और दिशा इस पूरे दौर में खराब ही होती गई है.
तस्वीर: Sergey Chirikov/EPA/picture alliance
चीन के तीन राष्ट्रपति
पुतिन के कार्यकाल में चीन ने तीन राष्ट्रपति देख लिए और मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अगर कानून में बदलाव नहीं किया होता तो इसमें एक नाम और जुड़ जाता. जियांग जेमिन के साथ शुरू हुआ यह सफर हू जिंताओ से होता हुआ शी जिनपिंग तक आ पहुंचा है. इस पूरे सफर में चीन-रूस की दोस्ती और गहरी हुई है.
तस्वीर: Sputnik/Mikhail Tereshchenko/Pool via REUTERS
जर्मनी के तीन चांसलर
अंगेला मैर्केल का 16 साल लंबा कार्यकाल होने के बावजूद पुतिन ने जर्मनी के तीन चांसलरों के साथ काम किया है. जब वह पहली बार देश के राष्ट्रपति बने तब गेरहार्ड श्रोएडर जर्मनी के चांसलर थे. उसके बाद अंगेला मैर्केल ने कमान संभाली और फिर ओलाफ शॉल्त्स ने. श्रोएडर और मैर्केल के जमाने में जो रिश्ता परवान चढ़ा था वह शॉल्त्स के दौर में बिखर गया है.
भारत के साथ रूस की दोस्ती पुरानी है. पुतिन के राष्ट्रपति बनते वक्त भारत की कमान अटल बिहारी वाजपेयी के हाथ में थी, उसके बाद मनमोहन सिंह आए और फिर नरेंद्र मोदी. इस पूरे दौर में दोनों देशों का रिश्ता मजबूत ही हुआ है. प्रतिबंधों की अनदेखी करके भी दोनों देश एक दूसरे का साथ निभा रहे हैं.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
ब्रिटेन के सात प्रधानमंत्री
व्लादिमीर पुतिन ने ब्रिटेन के सात प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है. टोनी ब्लेयर के साथ शुरू हुआ सफर अब ऋषि सुनक तक आ पहुंचा है. सिर्फ इतना ही नहीं ब्रिटेन के शाही परिवार का नेतृत्व भी उनके राष्ट्रपति रहते बदल चुका है. ब्रिटेन यूरोपीय साझीदारों के साथ ही रूस के साथ अपने रिश्तों का निभाता है.
तस्वीर: SAUL LOEB/AFP/Getty Images
उत्तर कोरिया के दो नेता
माना जाता है कि उत्तर कोरिया को रूस से काफी मदद मिलती है. गिने चुने मौकों पर जब उत्तर कोरियाई नेता आधिकारिक दौरे पर देश के बाहर गए तो उनकी मंजिल रूस ही था. वहां बीते कई दशकों से देश का नेता आजीवन इस पद पर रहता है. पुतिन को वहां भी दो नेताओं यानी किम जोंग उन और उनके पिता के किम जोंग इल के साथ काम करने का मौका मिला. दोनों देशों की दोस्ती और मजबूत हुई.
रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी के अधिकारी रहे पुतिन ने चेचेन विद्रोहियों को ताकत के दम पर नियंत्रित करके रूसी जनता को अपनी शक्ति का अहसास दिलाया. दूसरी तरफ यूरोप और दूसरे कई देशों के साथ तेल और गैस का कारोबार करके देश को आर्थिक मुश्किलों से बाहर निकाला. इसने उनके लिए राजनीति में कई बड़ी सफलताओं का रास्ता बना दिया.
तस्वीर: ALEXEY DRUZHININ/AFP via Getty Images
प्रतिबंधों पर भारी दोस्ती
सोवियत संघ के विघटन के साथ रूस के सामने जहां विशाल आर्थिक चुनौतियां थी वहीं अंतरराष्ट्रीय पटल पर सिमटती भूमिका उसे हतोत्साहित कर रही थी. ऐसे समय में पुतिन ने रूस की कमान संभाली और उसे एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय राजनीति का बड़ा खिलाड़ी बना दिया. सीरिया से लेकर, ईरान, तुर्की, उत्तर कोरिया, चीन और भारत समेत तमाम देशों के साथ रूस की गहरी दोस्ती है, जो प्रतिबंधों के दौर में भी उसका साथ दे रहे हैं.
तस्वीर: epa Alexander Zemlianichenko/dpa/dpaweb/picture-alliance