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युद्ध के 15 महीने बाद भी पुतिन की ताकत नहीं घटी

२३ मई २०२३

यूक्रेन पर हमला शुरू होने के एक साल से ज्यादा बीत जाने के बाद भी रूसी राष्ट्रपति पुतिन की ताकत कम नहीं हुई है. जर्मनी की खुफिया एजेंसी ने इस बारे में जानकारी दी है.

पुतिन की ताकत कम नहीं हुई है
विजय दिवस की परेड में देश और सेना को संबोधित करते पुतिन तस्वीर: Gavriil Grigorov/Sputnik/Kremlin Pool Photo/AP

यूक्रेन पर हमले की शुरुआत 15 महीने पहले हुई थी. रूसी राष्ट्रपति ने इसे "विशेष सैन्य अभियान" नाम दिया था तब शायद उन्हें भी यह अंदाजा नहीं था कि यह अभियान इतना लंबा चलेगा. नाटो के सहयोग से यूक्रेन तमाम मुसीबतें झेल कर भी रूस के सामने टिका हुआ है. इस बीच अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और युद्ध को लेकर रूसी लोगों में विरोध के उठते सुरों के बीच से जब तब पुतिन के कमजोर पड़ने की खबरें आती रही हैं. ये और बात है कि इन खबरों की कभी पुष्टि नहीं की जा सकी.

पुतिन के तंत्र में कोई दरार नहीं

अब जर्मन की विदेशी खुफिया एजेंसी बीएनडी का कहना है कि पुतिन के तंत्र में कोई दरार नहीं आई है. सोमवार को बर्लिन के फेडरल एकेडमी फॉर सिक्योरिटी पॉलिसी में बीएनडी के प्रमुख ब्रूनो काल ने यह बात कही. काल का कहना है कि रंगरूटों की नयी भर्ती के साथ "रूस अभी भी इस हालत में है कि युद्ध को लंबे दौर तर खींच सके." काल ने यही बात हथियारों और गोला बारूद के लिए भी कही.

पुतिन के साथी अब भी उनके साथ खड़े हैंतस्वीर: Vladimir Smirnov/TASS/dpa/picture alliance

यूरोपीय मामलों के जानकार और दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर यूरोपीयन स्टडीज के प्रोफेसर गुलशन सचदेवा जर्मन खुफिया एजेंसी के दावों से सहमत हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "जर्मन खुफिया सेवा प्रमुख का पुतिन की ताकत के बारे में यह आकलन सही होने के सारे संकेत हैं. अभूतपूर्व आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद रूसी अर्थव्यवस्था टिकी हुई है. ऊर्जा का उत्पादन और निर्यात जारी है. रूस के आम लोग थोड़े डरे हुए हैं लेकिन पुतिन की सत्ता के खिलाफ कोई गंभीर विरोध नहीं है." 

रूस यूक्रेन के बीच मध्यस्थ क्यों बनना चाहता है चीन

युद्ध के तुरंत बाद के दिनों में रूसी मुद्रा की कीमत काफी ज्यादा गिर गई लेकिन बाद के महीनों में वह पहले से ज्यादा मजबूत होकर उभरी. इसी तरह कई और मामलों में रूस कमजोर होता नहीं दिखा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पुतिन के दोस्तों ने अब तक उनका साथ नहीं छोड़ा है.

कमजोर नहीं हुए हैं पुतिन

इस युद्ध का इतना दिनों तक खिंच जाना भी एक लिहाज से पुतिन की रूस पर मजबूत पकड़ का एक संकेत है. रूसी लोगों ने स्थानीय रूप से कुछ दिक्कतें देखीं लेकिन वो शुरुआती दिनों की बात है. बाद के महीनों में ऐसी कोई खबर सामने नहीं आई है. सचदेवा कहते हैं, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट, परमाणु हथियारों और प्राकृतिक संसाधनों के विशाल जखीरे वाले देश को रोकना आसान नहीं होता."

पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दोस्ती और मजबूत हुई हैतस्वीर: SERGEI KARPUKHIN/AFP

युद्ध का नतीजा क्या होगा या फिर यह कब थमेगा इसकी भविष्यवाणी इस वक्त कोई नहीं कर सकता लेकिन पुतिन ने देश को जिस तरह अपने साथ रखा है उसे लेकर रूसी जनता में उनके समर्थन को लेकर कोई आशंका नहीं दिखती. 

विजय दिवस की परेड में पुतिन के निशाने पर यूरोप

बीएनडी को कब पता चला कि रूस यूक्रेन पर हमला करेगा? इस सवाल के जवाब में काल ने कहा, "युद्ध शुरू होने के करीब 14 दिन पहले, हमने कुछ ऐसी चीजों का पता लगाया जिन्हें किसी और तरीके से परिभाषित नहीं किया जा सकता."

रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर धावा बोला था. काल ने इस आलोचना को भी खारिज किया कि अमेरिका और ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों ने बीएनडी से बहुत पहले हमले की आशंका जता दी थी. उनका कहना है कि उन एजेंसियों ने हमले की आशंका जताई थी जो उनके पर्यवेक्षण पर आधारित था. 

दूसरी तरफ बीएनडी ने इस बात पर जोर दिया कि हमले का फैसला आखिरकार पुतिन लेंगे. काल का कहना है रूसी राष्ट्रपति का फैसला कई चीजों पर निर्भर था, "जिसमें मिसाइलों या टैंकों की गिनती करना शामिल नहीं था."

रिपोर्टः निखिल रंजन (डीपीए)

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