यूरोप और अमेरिका ने भले ही रूस पर व्यापारिक प्रतिबंध लगा रखे हों और लेकिन उन्होंने पिछले साल ही रूस को अरबों डॉलर दिये हैं.
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अमेरिका और यूरोप के देश रूस से बड़े पैमाने पर परमाणु ईंधन और परमाणु यौगिक खरीद रहे हैं, जिससे रूस को अरबों डॉलर की कमाई हो रही है. यूक्रेन में युद्ध में उलझे रूस को इस धन की सख्त जरूरत है और अपने परमाणु भंडार को वह बखूबी इस्तेमाल कर रहा है.
यूं तो पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े वित्तीय और आर्थिक प्रतिबंधलगा रखे हैं लेकिन परमाणु ईंधन और उससे जुड़े उत्पाद उनमें शामिल नहीं हैं और उनका व्यापार जायज है. लेकिन जिस तरह इसके कारण रूस की झोली भर रही है, उससे परमाणु निरस्त्रीकरण के समर्थक और विशेषज्ञ नाखुश हैं और उनका कहना है कि इस तरह रूस को युद्ध के लिए और मजबूत किया जा रहा है.
हथौड़े और दरांती की जगह त्रिशूल
यूक्रेन में रूसी प्रतीकों का सफाया किया जा रहा है. कीव के सबसे ऊंचे बुत मदरलैंड मॉन्युमेंट से हथौड़ा और दरांती हटाये जा रहे हैं.
तस्वीर: Valentyn Ogirenko/Reuters
सबसे ऊंचे बुत की छंटाई
यूक्रेन की राजधानी कीव में खड़े यूरोप के सबसे लंबे बुत से रूस की पहचान मिटाने का काम शुरू हो गया है.
तस्वीर: Valentyn Ogirenko/Reuters
मदरलैंड मॉन्युमेंट
इस बुत को मदरलैंड मॉन्युमेंट कहा जाता है. यह एक महिला की मूर्ति है, जिसके हाथ में शील्ड है. उस शील्ड पर सोवियत संघ का निशान हथौड़ा और दरांती बने हैं.
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हथौड़े की जगह त्रिशूल
इस शील्ड पर हथौड़े और दरांती की जगह यूक्रेन के राष्ट्रीय प्रतीकों में से एक, त्रिशूल लगाया जाएगा. यह पूरी कवायद यूक्रेन से रूसी प्रतीकों के सफाये के लिए चलाई जा रही है.
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हमले के बाद
पिछले साल फरवरी में रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और कीव के कई हिस्से तहस नहस हो गये हैं. लेकिन मदरलैंड मॉन्युमेंट शहर के आसमान पर राज कर रहा है.
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102 मीटर ऊंचा स्मारक
102 मीटर ऊंचा स्मारक
मदरलैंड मॉन्युमेंट को 1981 में बनाया गया था. यह 102 मीटर ऊंचा है और इसका वजन 500 टन है. जिस शील्ड को हटाया गया है, वह 36 फुट लंबी और 24 फुट चौड़ी है.
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कीव में सोवियत याद
कीव शहर में ही 300 से ज्यादा गलियों और जगहों के नाम सोवियत युग की याद दिलाते हैं. बहुत सारी इमारतें, प्रतीक चिह्न और उनके नामों में रूस की झलक मिलती है.
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अमेरिका और उसके यूरोपीय जोड़ीदार अपने परमाणु बिजली घरों को चलाने के लिए रूस के परमाणु उत्पादों पर निर्भर हैं. इस निर्भरता के कारण वे रूस से रिश्ते नहीं तोड़ सकते क्योंकि तब उनके नागरिक बिजली को तरस जाएंगे. आने वाले समय में यह चुनौती और ज्यादा बढ़ सकती है क्योंकि जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए ये देश और ज्यादा मात्रा में ग्रीन हाउस उत्सर्जन रहित ऊर्जा उत्पादन की ओर बढ़ना चाहते हैं.
अरबों डॉलर का व्यापार हुआ
वॉशिंगटन स्थित नॉनप्रोलीफरेशन पॉलिसी एजुकेशन सेंटर के कार्यकारी निदेशक हेनरी स्कोलस्की कहते हैं, "क्या हमें उन लोगों को धन देना जरूरी है, जो हथियार बनाते हैं? ये तो बहुत अजीब बात है. अगर परमाणु बिजली उत्पादकों को रूस से ईंधन लेने से रोकने के लिए कोई स्पष्ट नियम नहीं है और उसे वहां से खरीदना सस्ता है, तो वे क्यों नहीं खरीदेंगे?”
कितना बड़ा है रूस का परमाणु जखीरा
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि रूस फिर से परमाणु परीक्षण कर सकता है. उन्होंने नए रणनीतिक हथियारों को मोर्चे पर तैनात करने की भी बात कही. देखिए, कितना बड़ा है रूस के परमाणु हथियारों का जखीरा.
तस्वीर: Alexander Zemlianichenko/AP Photo/picture alliance
न्यूक्लियर सुपरपावर
रूस परमाणु महाशक्ति है. 2022 के आंकड़ों के मुताबिक उसके पास 5,977 परमाणु हथियार थे. फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के मुताबिक अमेरिका के पास 5,428 परमाणु हथियार हैं, यानी रूस से कम.
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रिजर्व में
रूस ने 1,500 हथियार सेवानिवृत्त कर दिए हैं लेकिन उन्हें नष्ट शायद नहीं किया गया है. 2,889 रिजर्व में रखे गए हैं जबकि 1,588 मोर्चे पर तैनात हैं.
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मिसाइलों पर तैनाती
रूस ने लगभग 800 परमाणु बम तो जमीन से मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों पर तैनात कर रखे हैं जबकि करीब 576 पनडुब्बियों पर तैनात हैं. 200 बम विमानों पर तैनात हैं.
तस्वीर: Maxim Shipenkov/EFE/EPA
तैयार मिसाइल
बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स कहता है कि रूस के पास परमाणु बमों से लैस 400 अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलें हैं जो 1,185 बम ले जाने की क्षमता रखती हैं.
तस्वीर: Cover-Images/IMAGO
पनडुब्बियां
रूस के पास 10 परमाणु शक्तिसंपन्न पनडुब्बियां भी हैं जो 800 बम बरसाने की क्षमता से लैस हैं. इसके अलावा 60-70 विमान भी हैं जिनमें परमाणु हमले करने की ताकत है.
तस्वीर: Oleg Kuleshov/TASS/dpa/picture alliance
बाकी देशों के पास
अमेरिका ने 1,644 बम तैनात किए हुए हैं, यानी रूस से कुछ ज्यादा. चीन के पास कुल 350 परमाणु बम हैं जबकि फ्रांस के पास 290 और ब्रिटेन के पास 225 बम तैयार हैं.
तस्वीर: abaca/picture alliance
शीत युद्ध से तुलना
शीत युद्ध के दौरान यानी जब अमेरिका और रूस के बीच तनाव चरम पर था, तब एक वक्त में सोवियत संघ के पास 40 हजार परमाणु हथियार थे जबकि अमेरिका के पास 30 हजार.
व्यापारिक आंकड़ों के विशेषज्ञ बताते हैं कि रूस ने अमेरिका और यूरोप को 1.7 अरब डॉलर के परमाणु उत्पाद बेचे हैं. यह व्यापार तब हुआ है जबकि फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमला बोलने के बाद इन देशों ने ना सिर्फ कड़े प्रतिबंध लगाये बल्कि अन्य देशों को भी रूस से व्यापार ना करने को कहा. जिन उत्पादों पर प्रतिबंध लगाये गये हैं उनमें रूस तेल, गैस, वोडका और तंबाकू आदि शामिल हैं.
लेकिन पश्चिमी देश रूस के परमाण उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने से बचते रहे हैं क्योंकि ये उत्पाद उनके यहां बिजली पैदा करने के लिए जरूरी हैं. यूएस एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक रूस ने पिछले साल अपने कुल यूरेनियम निर्यात का 12 फीसदी अमेरिका को भेजा है. 2022 में रूस का 17 फीसदी यूरेनियम यूरोप को मिला.
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और बढ़ेगा व्यापार
आने वाले समय में यह व्यापार और बढ़ने की संभावना है क्योंकि यूरोप और अमेरिका समेत दुनियाभर के देश परमाणु बिजली उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. दुनियाभर में इस वक्त लगभग 60 परमाणु बिजली घर बनाये जा रहे हैं और 300 से ज्यादा के बनाने की योजना चल रही है.
फिलवक्त जो देश परमाणु ईंधन से बिजली बना रहे हैं उनमें से 440 परमाणु बिजली संयंत्रों वाले 30 देश रूस की कंपनी रोएस्तोम और उसकी सहयोगी कंपनियों से ईंधन खरीद रहे हैं. यह कंपनी दुनिया की तीसरी सबसे बड़े यूरेनियम उत्पादक और ईंधन उत्पादक है.
रोसएटम का कहना है है कि वह 10 देशों में 33 नये रिएक्टर बना रही है और पिछले साल उसने 2.2 अरब डॉलर का परमाणु ईंधन और अन्य उत्पाद निर्यात किये हैं.
रोसएटम के सीईओ आलेक्साई लीखाचोव ने रूसी अखबार इजवेस्तिया को बताया कि अगले एक दशक में उनकी कंपनी विदेशियों के साथ करीब 200 अरब डॉलर का व्यापार कर रही होगी. विशेषज्ञ कहते हैं कि इस कमाई से रोसएटम की दूसरी शाखाओं को धन मिलता है, जो रूस के लिए परमाणु हथियार डिजाइन करने और बनाने का कामकाज देखती हैं.
यूक्रेन की अपील
यूक्रेनी नेताओं ने दुनियाभर से अपील की है कि रोसएटम पर प्रतिबंध लगाएं ताकि रूस का आखिरी सबसे बड़ा धन का स्रोत बंद किया जा सके. जब रूसी सेनाओं ने जारपोजिया में परमाणु बिजली घर पर कब्जा किया जब वहां के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने पश्चिमी देशों से रोसएटम पर प्रतिबंधों का आग्रह किया था. उस बिजली घर को रोसएटम ही चला रही है और अंतरराष्ट्रीय एटोमिक ऊर्जा एजेंसी बार-बार चेतावनी जारी कर चुकी है कि उस बिजली घर से रेडिएशन लीक हो सकता है, जो एक विनाशकारी हादसा होगा.
मिलिए रूसी सेना के तीसरे सबसे ताकतवर व्यक्ति जनरल गेरासिमोव से
माना जाता है कि रूस में परमाणु हमला करने का आदेश देने के लिए जरूरी तीन सूटकेसों में से एक जनरल वालेरी गेरासिमोव के पास है. जानिये क्यों हैं जनरल गेरासिमोव रूसी सेना के तीसरे सबसे ताकतवर व्यक्ति.
तस्वीर: Mikhail Kuravlev/AP/picture alliance
एक शक्तिशाली जनरल
जनरल वालेरी गेरासिमोव को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और रक्षा मंत्री सेर्गेई शोइगु के बाद रूसी सेना में तीसरा सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माना जाता है. उन्हें नवंबर, 2012 में शोइगु को रक्षा मंत्री बनाए जाने के तीन दिन बाद रूसी सेना का चीफ ऑफ जनरल स्टाफ और डिप्टी रक्षा मंत्री बना दिया गया था.
तस्वीर: SPUTNIK via REUTERS
परमाणु हथियारों का नियंत्रण
माना जाता है कि 67 साल के गेरासिमोव के पास उन तीन सूटकेसों में से एक है जिनके जरिये परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का आदेश भेजा जा सकता है.
तस्वीर: Cover-Images/IMAGO
कई अभियानों में सक्रिय
गेरासिमोव ने 2014 में रूस द्वारा यूक्रेन से क्रीमिया ले लेने के अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने सीरिया के गृहयुद्ध में राष्ट्रपति बशर अल-असद को रूस के समर्थन में भी अहम भूमिका निभाई थी. यह ऐसी घटना थी जिससे युद्ध की दिशा ही बदल गई थी.
तस्वीर: Vitaly Ankov/SNA/IMAGO
अमेरिका के निशाने पर
2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के अगले दिन ही अमेरिका ने गेरासिमोव पर प्रतिबंध लगा दिया था. अमेरिका का कहना था कि वो हमले के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार लोगों में शामिल हैं. जनवरी 2023 में पुतिन ने यूक्रेन अभियान का नेतृत्व उनके हाथ में सौंप दिया था.
तस्वीर: Sputnik/Aleksey Nikolskyi/Kremlin via REUTERS
रूसी सेना की असफलता का ठीकरा
रूस में कई राष्ट्रवादी ब्लॉगरों ने यूक्रेनी सेना को हराने में रूसी सेना की असफलता के लिए गेरासिमोव को जिम्मेदार ठहराया है. पश्चिमी आलोचक हों या रूसी, सबका कहना है कि रूसी सेना गैर-तजुर्बेकार, हथियारों से अपर्याप्त रूप से लैस, प्रतिक्रिया में धीमी और अव्यवस्थित कमान संरचना जैसी समस्याओं से ग्रसित रही है.
तस्वीर: NATO
अफवाहों के केंद्र में
कई महीनों तक ऐसी अफवाहें गर्म रहीं कि गेरासिमोव को दरकिनार कर दिया गया है. किराए के सैनिकों वाले वागनर समूह के नेता येवगेनी प्रिगोजिन ने गेरासिमोव और शोइगु की कड़ी निंदा की थी और उन्हें बर्खास्त करने की मांग ले कर जून में एक असफल बगावत भी की थी.
तस्वीर: Press service of "Concord"/REUTERS
नहीं हुई कार्रवाई
प्रिगोजिन की बगावत के समय गेरासिमोव कहीं दिखाई नहीं दिए, लेकिन बगावत खत्म होने के कुछ दिनों बाद 10 जुलाई को रूस का रक्षा मंत्रालय गेरासिमोव को पहली बार सार्वजनिक रूप से सबके सामने लाया. इसे इस बात का संकेत माना गया कि उन्हें बर्खास्त नहीं किया गया है - सीके/एए (रॉयटर्स)
तस्वीर: Mikhail Tereshchenko/TASS/dpa
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मई में जेलेंस्की ने कहा, "यूक्रेन को समझ नहीं आ रहा है कि रोसएटम और उसके अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध क्यों नहीं लगाये जा रहे हैं जबकि उसके अधिकारी जारपोजिया पर कब्जा करके बैठे हैं और हमारी सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं.”
ईंधन खरीदने की मजबूरी
अमेरिका की परमाणु ऊर्जा उद्योग देश की लगभग 20 फीसदी बिजली का उत्पादन करता है. इसके लिए ईंधन विदेशों से ही आता है. पिछले साल रूस से आए परमाणु ईंधन और अन्य सहयोगी उत्पादों की कीमत 87.1 करोड़ डॉलर रही थी. यह 2021 के 68.9 करोड़ डॉलर से ज्यादा थी. 2020 की तुलना में 2022 में अमेरिका का रूस से यूरेनियम उत्पादों का आयात लगभग दोगुना बढ़कर 12.5 टन पर पहुंच गया था.
उधर यूरोप इसलिए फंसा हुआ है क्योंकि उसके यहां 19 ऐसे रिएक्टर हैं जिन्हें रूस ने डिजाइन किया है. पांच देशों में बने ये रिएक्टर पूरी तरह रूसी परमाणु ईंधन पर निर्भर हैं. पिछले साल यूरोप ने रूस से परमाणु ईंधन खरीदने पर 82.8 करोड़ डॉलर खर्च किये.
अमेरिका और यूरोपीय देश अब कोशिश कर रहे हैं कि रूसी यूरेनियम पर निर्भरता घटे. अमेरिका ने अपने यहां यूरेनियम उत्पादन बढ़ाने की भी बात कही है. यूक्रेन पर हमला होने के बाद स्वीडन ने तो रूस से परमाणु ईंधन खरीदने से इनकार ही कर दिया था. फिनलैंड के पास पांच रिएक्टर हैं जिनमें से दो रूसी ईंधन पर निर्भर हैं. लेकिन फिनलैंड ने एक नया रिएक्टर बनाने के लिए रोसएटम से हुआ समझौता रद्द कर दिया है. कई अन्य देश भी अब ईंधन के लिए अन्य स्रोत तलाश रहे हैं.