रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी शहर व्लादिवोस्तोक में इकोनॉमिक फोरम के मंच से पश्चिमी देशों को खरीखोटी सुनाई है. पुतिन का भाषण में मुख्य रूप से यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों से आर्थिक तनातनी पर केंद्रित था.
विज्ञापन
पुतिन ने यूक्रेन पर हमले को जायज ठहराया है और पश्चिमी देशों को ऊर्जा की सप्लाई के मामले में चेतावनी दी है. उनके भाषण की पांच प्रमुख बातें.
यूक्रेन युद्ध से फायदा
यूक्रेन युद्ध के बारे में पुतिन का कहना है, "हमने न कुछ खोया है, न कुछ खोयेंगे. जहां तक हासिल होने की बात है, तो मैं कह सकता हूं कि सबसे प्रमुख हासिल यह है कि हमारी संप्रभुता मजबूत हुई है.
पुतिन ने यह भी कहा है कि निश्चित रूप से थोड़ा ध्रुवीकरण हो रहा है. दुनिया में भी और देश के भीतर भी, लेकिन वह मानते हैं कि इन सबका सिर्फ फायदा होगा.
पुतिन का कहना है, "हर वह चीज, जो हमारे लिये गैरजरूरी, नुकसानदेह है और कोई भी चीज, जो हमें आगे बढ़ने से रोकेगी, उसे खारिज किया जायेगा."
पुतिन ने कहा, "वसंत में कई विदेशी कॉर्पोरेशन आनन-फानन में रूस छोड़ गये. उन्हें लगा कि इससे रूस को दूसरे देशों की तुलना में ज्यादा दिक्कत होगी. हालांकि, हम देख रहे हैं कि यूरोप में कैसे उत्पादन और नौकरियां एक के बाद एक बंद हो रही हैं. निश्चित रूप से इसका एक प्रमुख कारण है रूस के साथ कारोबारी संबंध का टूटना."
पुतिन ने यह भी कहा कि पश्चिमी देश विश्व आर्थिक तंत्र के स्तंभों को ध्वस्त कर रहे हैं, जो कई सदियों में खड़े हुए हैं. रूसी राष्ट्रपति का कहना है, "हमारी आंखों के सामने डॉलर, यूरो और पाउंड में भरोसा खत्म हो गया, जिसमें भुगतान, रिजर्व और संपत्ति को रखना संभव था. हम कदम दर कदम ऐसी गैर-भरोसेमंद मुद्राओं से दूर हो रहे हैं, जिन्होंने खुद ही अपना मोल गिरा लिया है."
प्राकृतिक गैस और ऊर्जा संसाधनों के बारे में पुतिन ने कहा, "सबसे पहले तो हमारे ऊर्जा संसाधन को हमारे देश के विकास में लगाया जाना चाहिये, यही बात सभी प्राथमिक ऊर्जा संसाधनों और खनिजों पर भी लागू होती है. हालांकि ये हमारे पास इतने ज्यादा है कि हम उन सबकी बढ़ती जरूरतें पूरी कर सकते हैं जो हमारे साथ काम करना चाहते हैं."
पुतिन ने कहा कि यूरोप के प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्थाएं पिछले कई दशकों से रूस की प्राकृतिक गैस हासिल करके वैश्विक स्तर पर फायदा उठा रही थीं. अगर वे समझते हैं कि उन्हें यह फायदा नहीं चाहिये, तो उससे हमें कोई परेशान नहीं है क्योंकि दुनिया में उर्जा संसाधन की मांग बहुत ऊंची है."
विज्ञापन
तेल और गैस की कीमत पर सीमा
पुतिन का कहना है कि तेल और गैस की सीमा तय करना बेवकूफी है. पुतिन ने कहा, "वैश्विक कारोबार में सारे प्रशासनिक पाबंदियों से केवल असंतुलन और कीमतें बढ़ती हैं. यूरोपीय विशेषज्ञों और यूरोपीय आयोग के काम का यही नतीजा यूरोपीय बाजारों में दिख रहा है. हम हमेशा से कहते आये हैं कि कीमतें लंबे समय के करारों पर आधारित होनी चाहिये और उन्हें बाजार से जोड़ा जाना चाहिये. जैसे कि तेल और तेल के उत्पाद."
पुतिन का कहना है कि इस व्यवस्था से अगर कोई राजनीतिक फैसला होता है, तो वो उसे नहीं मानेंगे. पुतिन ने साफ कहा, "हम गैस, तेल, कोयला या हीटिंग ऑयल की सप्लाई नहीं देंगे. हम किसी चीज की सप्लाई नहीं देंगे.
नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन
रूसी राष्ट्रपति ने कहा, "नॉर्ड स्ट्रीम 1 अब व्यावहारिक रूप से बंद हो चुका है. वहां तेल का रिसाव हो रहा है, जिससे विस्फोटक स्ठिति बन गई है और आग लगने का खतरा है. टरबाइन काम नहीं कर रहा है. आप हमें टरबाइन दीजिये. हम कल ही गैस की सप्लाई शुरू कर देंगे, लेकिन ये लोग हमें कुछ नहीं दे रहे."
पुतिन ने यह भी कहा कि जर्मनी चाहे, तो नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन भी एक दिन में चालू हो सकती है. बकौल पुतिन "जर्मनी को सिर्फ एक बटन दबाना है."
एनआर/वीएस (रॉयटर्स, एएफपी)
यूक्रेन में छह महीने के रूसी युद्ध की कीमत
यूक्रेन पर रूस के हमले में दसियों हजार लोगों की जान चली गई, लाखों लोग विस्थापित हुए और दुनिया भर में आर्थिक मुश्किलें बढ़ीं. छह महीने के युद्ध में इसका क्या असर हुआ वो यहां देखिये.
दर्ज आंकड़ों के मुताबिक 24 फरवरी से अब तक 5,587 आम लोगों की मौत हुई और 7,890 लोग घायल हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त का कहना है कि असल संख्या इससे कई गुना ज्यादा हो सकती है. ज्यादातर आम लोग टैंक, मिसाइल और हवाई हमलों मे मारे गए हैं.
तस्वीर: Alexander Ermochenko/REUTERS
सैनिकों की मौत
22 अगस्त तक इस जंग में यूक्रेन के 9,000 सैनिकों ने जान गंवाई है. यूक्रेन ने पहली बार अपने सैनिकों की मौत के बारे में जानकारी दी है. रूस ने भी अपने सैनिकों की मौत की जानकारी नहीं दी है लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने 15,000 रूसी सैनिकों के मारे जाने और इसकी तीन गुना संख्या घायलों की बताई है. इतने ही सैनिक अफगानिस्तान पर रूसी कब्जे के दौरान मारे गए थे.
तस्वीर: Orlando BarrÌa/Agencia EFE/IMAGO
जंग की मुसीबतें
करीब 4.1 करोड़ की आबादी वाले यूक्रेन की एक तिहाई जनता विस्थापित हो गई है. 66 लाख से ज्यादा लोग यूरोप के बाहर गये हैं और लगभग इतने ही देश के भीतर भटक रहे. सबसे ज्यादा लोगों ने पोलैंड का रुख किया है और उसके बाद आता है जर्मनी. छह महीने से अपने घर और परिवार से दूर ये लोग कई तरह की परेशानियां झेल रहे हैं.
तस्वीर: Maksim Blinov/SNA/IMAGO
रूस का खर्च
यह जंग रूस के लिये भी काफी खर्चीली है. सैन्य खर्च के अलावा पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का रूस को काफी नुकसान हुआ है. रूसी सेंट्रल बैंक ने 2022 में अर्थव्यवस्था के 4-6 फीसदी सिकु़ड़ने का अनुमान लगाया है. ज्यादातर रूसी ओलिगार्क प्रतिबंधित हैं और माइक्रोचिप के साथ ही कई और चीजों का संकट है. पिछले महीने रूस ने अपने फॉरेन बॉन्ड पर डिफॉल्ट किया.
तस्वीर: Vitalii Hnidyi/REUTERS
ऊंची कीमतें
हमला और पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण उर्वरक, गेहूं, धातु और ऊर्जा की कीमतें काफी ज्यादा बढ़ गई हैं. इसकी वजह से भोजन का संकट और महंगाई दोनों बढ़े हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था मुसीबत में है. रूस तेल का दूसरा और प्राकृतिक गैस, गेहूं, नाइट्रोजन उर्वरक और पैलेडियम का सबसे बड़ा निर्यातक है. अगर यूरोप को रूसी गैस की सप्लाई पूरी तरह से बंद हो गई तो यूरोप की अर्थव्यवस्था मंदी में चली जायेगी.
तस्वीर: ZDF
अर्थव्यस्था का विकास
इस साल दुनिया की अर्थव्यवस्था में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान घटते घटते 3.2 फीसदी पर आ गया है. बीते साल महामारी के दौर में भी 6.1 फीसदी की दर से विकास हुआ. अगर यूरोप को रूसी गैस की सप्लाई पूरी तरह बंद और दुनिया को तेल का निर्यात 30 फीसदी घट गया तो विकास 2022 में 2.6 फीसदी और 2023 में 2 फीसदी पर चला जायेगा.
तस्वीर: Allie Joseph/New York Stock Exchange/AP Photo/picture alliance
यूक्रेन का नुकसान
मानवीय संकट के अलावा यूक्रेन ने 2014 में क्रीमिया के अलग होने से लेकर अब तक अपनी 22 फीसदी जमीन रूस के हाथों गंवाई है. उसके हाथों से समुद्र तटीय इलाके निकल गये हैं और कई शहर कचरे और मलबे के ढेर में तब्दील हो गये हैं. यूक्रेन की अर्थव्यस्था 2022 में 45 फीसदी सिकुड़ जायेगी. यूक्रेनी प्रधानमंत्री ने अनुमान लगाया है कि यूक्रेन के पुनर्निर्माण पर 750 अरब डॉलर का खर्च आएगा.
अमेरिका ने 24 फरवरी से अब तक यूक्रेन को 9.1 अरब डॉलर की सुरक्षा सहायता दी है. इनमें स्टिंगर एयर क्राफ्ट सिस्टम, जावेलिन एंटी आर्मर सिस्टम, होवित्जर टैंक के अलावा केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर सुरक्षा उपकरण शामिल हैं. ब्रिटेन ने 2.3 अरब पाउंड जबकि यूरोपीय संघ ने 2.5 अरब यूरो की सुरक्षा सहायता यूक्रेन को दी है.
तस्वीर: State Service for Export Control of Ukraine