कतर में 2022 के फुटबॉल वर्ल्ड कप के निर्माण कार्यों से जुड़े मजदूरों में से लगभग एक हजार लोगों का हेल्थ चेकअप हो रहा है. टूर्नामेंट के आयोजकों और एक अमेरिकी संस्थान के साझा पायलट प्रोजेक्ट के तहत ये चेकअप हो रहे हैं.
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मंगलवार को जारी एक बयान में वर्ल्ड कप के आयोजकों ने कहा कि वाइल कोरोनल मेडिसिन के साथ मिल कर ये हेल्थ चेकअप कराए जा रहे हैं जिनमें मजदूरों के खान-पान, ब्लड प्रेशर और किडनी के टेस्ट होंगे. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस पहल का मकसद मजदूरों के पोषण की जरूरतों को पूरा करना और उनमें सुधार लाना है. इससे अन्य कंपनियों को भी मदद मिलेगी कि कतर की दुश्वार मौसमी परिस्थितियों से कैसे मुकाबला किया जाए.
वाइल की रिसर्च टीम के प्रमुख डॉ शाहराद ताहेरी का कहना है, "इस पहल का बहुत असर होगा, अगर कतर में काम करने वाली अन्य कंपनियां भी इस पर अमल करें. हमें उम्मीद है कि वे ऐसा करेंगी."
वर्ल्ड कप आयोजन समिति ने बताया कि यह हेल्थ चेकअप फरवरी में शुरू हुआ और इसके नतीजों को एक "विस्तृत रिपोर्ट" में प्रकाशित किया जाएगा. वाइल कोरोनल अमेरिका के उन कई अकादमिक संस्थानों में से एक है जो कतर में मौजूद हैं. वह 2001 से कतर में काम कर रहा है. आयोजन समिति के प्रमुख हसन अल-थावाडी ने कहा कि यह शोध "हमारे मजदूरों की स्वास्थ्य चिंताओं" को दूर करने में मदद करेगा.
21वीं सदी के "गुलाम"
मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने मानवाधिकारों के हनन के लिए एक बार फिर कतर की आलोचना की है. फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी करने जा रहे कतर में विदेशी मजदूरों की दयनीय हालत है.
अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संघ (फीफा) ने विवादों के बावजूद कतर को 2022 के वर्ल्ड कप की मेजबानी सौंपी. मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि कतर में स्टेडियम और होटल आदि बनाने पहुंचे विदेशी मजदूरों की बुरी हालत है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल भी कतर पर विदेशी मजदूरों के शोषण का आरोप लगा चुका है. वे अमानवीय हालत में काम कर रहे हैं.
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एमनेस्टी के मुताबिक वर्ल्ड कप के लिए निर्माण कार्य के दौरान अब तक कतर में सैकड़ों विदेशी मजदूरों की मौत हो चुकी है.
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मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक कतर ने विदेशी मजदूरों की हालत में सुधार का वादा किया था, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया है.
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वर्ल्ड कप के लिए व्यापक स्तर पर निर्माण कार्य चल रहा है. उनमें काम करने वाले विदेशी मजदूरों को इस तरह के कमरों में रखा जाता है.
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स्पॉन्सर कानून के तहत मालिक की अनुमति के बाद ही विदेशी मजदूर नौकरी छोड़ या बदल सकते हैं. कई मालिक मजदूरों का पासपोर्ट रख लेते हैं.
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ब्रिटेन के "द गार्डियन" अखबार के मुताबिक कतर की कंपनियां खास तौर नेपाली मजदूरों का शोषण कर रही हैं. अखबार ने इसे "आधुनिक दौर की गुलामी" करार दिया.
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अपना घर और देश छोड़कर पैसा कमाने कतर पहुंचे कई मजदूरों के मुताबिक उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि हालात ऐसे होंगे.
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कई मजदूरों की निर्माण के दौरान हुए हादसों में मौत हो गई. कई असह्य गर्मी और बीमारियों से मारे गए.
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कतर से किसी तरह बाहर निकले कुछ मजदूरों के मुताबिक उनका पासपोर्ट जमा रखा गया. उन्हें कई महीनों की तनख्वाह नहीं दी गई.
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कुछ मजदूरों के मुताबिक काम करने की जगह और रहने के लिए बनाए गए छोटे कमचलाऊ कमरों में पीने के पानी की भी किल्लत होती है.
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मजदूरों की एक बस्ती में कुछ ही टॉयलेट हैं, जिनकी साफ सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है.
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कतर मध्य पूर्व में पहला देश होगा जहां विश्व कप फुटबॉल का आयोजन होगा. जब से कतर को इस टूर्नामेंट की मेजबानी मिली है, तभी से प्रवासी मजदूरों को लेकर कतर को भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. उस पर इन मजदूरों का शोषण करने के आरोप लगते रहे हैं.
पिछले साल मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आरोप लगाया कि वर्ल्ड कप से जुड़े एक निर्माण स्थल पर लोगों से "जबरन काम" करवाया जा रहा था. आयोजन समिति की तरफ से तैयारी कराई गई एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक कई जगह मजदूरों से दिन में 18 घंटे काम लिया जा रहा है.
हालांकि कतर इस तरह की आलोचना को खारिज करता है. उसके मुताबिक मजदूरों की हालत सुधारने के लिए कई कदम उठाए गए हैं जिनमें वेतन, रहने की जगह और कार्यस्थल पर सुरक्षा बेहतर बनाना शामिल है.
कतर में वर्ल्ड कप के निर्माण कार्यों में लगभग 14,000 कामगार लगे हुए हैं. आयोजकों का कहना है कि आने वाले 12 महीनों में यह संख्या बढ़कर 36,000 तक हो सकती है.
एके/एमजे (एएफपी)
फुटबॉल: सबसे बड़े खेल का बड़ा घोटाला
2010 में घोषणा हुई कि विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संस्था फीफा ने कतर को 2022 का मेजबान देश चुना है. फिर एक के बाद एक खुलने लगीं दुनिया भर में देखे जाने वाले इस सबसे लोकप्रिय खेल के आयोजन की कलई.
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'2010'
दिसंबर 2010 में फीफा ने ज्यूरिष में कतर को 2022 फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी के लिए चुने जाने की घोषणा की. फुटबॉल के 22वें विश्व कप मुकाबले के आयोजनकर्ता के रूप में कतर के चुनाव को लेकर काफी हैरानी देखने को मिली. चुनाव की प्रक्रिया में कुल 22 में से 14 वोट कतर के पक्ष में पड़े थे.
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'2011'
जनवरी 2011 में ब्लाटर कतर की राजधानी दोहा में एशियाई खेलों के आयोजन के पहले एक कार्यक्रम में पहुंचे और टूर्नामेंट के "जाड़ों में होने" की उम्मीद जताई. 2018 और 2022 दोनों विश्व कप के लिए मेजबानों के चुनाव में भ्रष्टाचार के आरोपों ने मई 2011 में सिर उठाना शुरु किया. एक व्हिसलब्लोअर फेड्रा अलमजीद ने दावा किया कि इसके लिए कतर के पक्ष में वोट डालने के लिए फीफा की कार्यकारी समिति को पैसे दिए गए.
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'2013'
सितंबर 2013 में यूरोपीय फुटबॉल की संचालक संस्था यूएफा के 54 सदस्यीय दल ने पारंपरिक रूप से जून-जुलाई महीनों में आयोजित होने वाले टूर्नामेंट के समय को बदलने का समर्थन किया. नवंबर में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने वर्ल्ड कप के आयोजन से जुड़े निर्माण कार्यों में चल रहे "मानवाधिकारों के हनन" का पर्दाफाश किया. मानव "शोषण के खतरनाक स्तर" पर एमनेस्टी की रिपोर्ट जारी हुई.
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'2014'
जून में ब्राजील विश्व कप के दौरान फीफा पर 2022 का नया मेजबान चुनने का दबाव बढ़ गया. अमेरिकी वकील मिशेल गार्सिया की अध्यक्षता वाले दल ने फीफा पर लगे आरोपों की जांच शुरु कर दी थी. गार्सिया की फाइनल रिपोर्ट को कानूनी पेंच में उलझाकर फीफा ने जारी नहीं होने दिया. नवंबर में फीफा ने ही स्विस अटॉर्नी के पास कुछ लोगों के खिलाफ 2018, 2022 मेजबानी मामले में "संभावित गड़बड़ी" की शिकायत दर्ज की.
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'2015'
24 फरवरी को फीफा विश्व कप टास्क फोर्स ने प्रस्ताव दिया कि 2022 मुकाबले कतर में ही जाड़ों में आयोजित किए जाएं. 17 सालों से फीफा प्रमुख रहे ब्लाटर के साथ काम करने वाले कई वरिष्ठ अधिकारियों को 27 मई को साजिश और भ्रष्टाचार समेत कई आरोपों के अंतर्गत स्विस अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया और फीफा के ज्यूरिष मुख्यालय पर छापे मारे. व्यक्तिगत रूप से ब्लाटर के खिलाफ अब तक कोई आरोप तय नहीं हुआ है.