कतर की महिला फुटबॉल टीम ने 2014 से कोई प्रतिस्पर्धी मैच नहीं खेला है. लेकिन इन खिलाड़ियों को उम्मीद है कि पुरुष और महिला फुटबॉल में मोरक्को की कामयाबी के बाद अरब देश इस बारे में और बेहतर कुछ करने के लिए प्रेरित होंगे.
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कतर की महिला फुटबॉल टीम ने 2010 में अपने पहले मैच में 17 गोल खाए थे. लेकिन वो कम से कम खेल तो रही थी. कतर भले ही आज पुरुषों के विश्व कप फुटबॉल का मेजबान हैं, लेकिन उसकी महिला टीम निष्क्रिय है, 2014 से उस टीम को कोई गेम नहीं खेलाया गया है.
अब उम्मीद की जा रही है कि विश्व कप की विरासत और मोरक्को की पुरुष और महिला टीमों का जलवा, पितृसत्तात्मक समाज वाले कतर में और दूसरे अरब देशों में महिला फुटबॉल को भी आगे ले जाने में मदद करेगा.
कतर ने 2010 में पुरुष विश्व कप फुटबॉल की मेजबानी हासिल की थी. महिला फुटबॉल को विकसित करने की प्रतिबद्धता भी जताई गई थी. लेकिन उस दौरान महिला फुटबॉल टीम एक मैच क्या हारी, वो हताशा अब भी खिलाड़ियों और अन्य लोगों पर हावी है.
कतर से कम नहीं है कोलकाता में विश्व कप का खुमार
कोलकाता में इस समय फुटबॉल विश्व कप का बुखार छाया हुआ है. पूरे शहर की दीवारें अलग-अलग टीमों और खिलाड़ियों की तस्वीरों और पोस्टरों से भरी हुई हैं. देखिए कोलकाता में विश्व कप के रंग, डीडब्ल्यू की नजर से.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
फुटबॉल का बुखार
विश्व कप कतर में हो रहा है लेकिन फुटबॉल के दीवानों के शहर कोलकाता में फुटबॉल का बुखार जोरों पर है. शहर की सड़कें अलग-अलग देशों के झंडों के रंग में रंगी हुई हैं.
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मैच शेड्यूल भी मौजूद
फुटबॉल के प्रेमी कोई जरूरी मैच देखना कहीं भूल ना जाएं, इस लिए उत्तरी कोलकाता की इस सड़क पर विश्व कप के सभी मैचों का शेड्यूल एक बड़े से बोर्ड पर लगा दिया गया है.
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चहेते खिलाड़ी
आम तौर पर कोलकाता की सड़कों पर राजनीति और फिल्मों से जुड़े पोस्टर और चित्र छाए रहते हैं. लेकिन यह फुटबॉल विश्व कप का समय है. इस समय दीवारों पर मिलेगा सिर्फ फुटबॉल.
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कोलकाता का रोनाल्डो
चुनावों के दौरान तो शहर में नेताओं के बड़े बड़े कटआउट लगाए जाते हैं, लेकिन इस समय कोलकाता वासियों के चहेते अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ियों के ही कटआउट देखने को मिलेंगे. यहां के अधिकांश फुटबॉल प्रेमी ब्राजील, अर्जेंटीना और पुर्तगाल के फैन हैं.
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झंडे ही झंडे
फुटबॉल प्रेमी अपनी पसंदीदा टीमों के प्रति अपने प्यार का प्रदर्शन उनके देशों के झंडे लगा कर भी करते हैं. हर मोहल्ले में ब्राजील, अर्जेंटीना और पुर्तगाल के झंडे मिल जाएंगे.
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जर्सी की लोकप्रियता
दोपहर का समय है और कुछ युवा फुटबॉल प्रेमी ब्राजील और अर्जेंटीना की टीमों की जर्सी पहने एक क्लब के सामने फुटबॉल खेल रहे हैं. ऐसी जर्सियां कोलकाता मैदान में काफी कम दाम में मिल जाती हैं.
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कोलकाता का मेसी
लियोनेल मेसी के प्रशंसकों ने दीवारों पर अपने हाथों से उसके चित्र बनाए हैं. अधिकांश क्लबों की दीवारों पर ऐसी तस्वीरें मिल जाएंगी. अमूमन इन क्लबों की दीवारों पर स्थानीय टीमों पूर्वी बंगाल, मोहन बागान और मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब के झंडों की तस्वीरें होती हैं.
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विश्व कप के लिए खास पतंग
अजीत दत्ता 56 सालों से कोलकाता में पतंगें बेच रहे हैं. उनकी दुकान कोलकाता में काफी मशहूर है. हर विश्व कप के समय वो कप में हिस्सा लेने वाली टीमों के झंडों के आधार पर पतंगें बनाते हैं. इस साल भी उनकी दुकान ऐसी पतंगों से भरी हुई है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
माराडोना की याद में
इस विश्व कप में सब कुछ है, सिवाय माराडोना के. देखिए उत्तरी कोलकाता की यह गली किस तरह माराडोना को विशेष श्रद्धांजलि के साथ साथ विश्व कप के रंगों में रंगी हुई है. (सत्यजीत शॉ)
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
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राष्ट्रीय टीम की खिलाड़ी हजर सालेह ने डीडब्ल्यू को बताया, "जाहिर है हम लोग उदास हैं और भागीदारी चाहते हैं. हमारे पास अभी कोई रैंकिंग नहीं है, क्योंकि हमने लंबे समय से कोई मैच भी ठीक से नहीं खेला है. अगर खेलेंगे नहीं तो सुधार नहीं हो सकता."
भूतपूर्व टीम की खिलाड़ियों से बात करने या उन तक पहुंचने के लिए क्या कुछ नहीं करना पड़ा. कहीं बर्नर फोन का इस्तेमाल, तो कहीं राजनयिक मदद, कहीं डिजिटल सुरक्षा की चिंताएं तो कहीं किसी और के नाम से आते किसी अजनबी के फोन. ऐसे लोग भी थे जो, इनक्रिप्टेड मेसेज वाली सेवाओं पर भी कुछ कहने से डरते थे.
फुटबॉल के लिए समर्पित नहीं
2014 की पश्चिम एशियाई फुटबॉल फेडेरेशन महिला चैंपियनशिप में कतर की महिला टीम बहरीन से 2-8 से हार गई थी. इसके बाद हौसला अफजाई और दोस्ताने में महिला टीम की मदद की गई. महिला फुटबॉल के बारे में और सीखने के लिए अमेरिका का दौरा भी कराया गया.
लेकिन प्रतियोगिता में खेलना अलग बात है. फुटबॉल टीम, कतर की महिला खेल समिति के तहत आती है जो कि कुछ औरतों की पर्देदारी वाले किसी मुस्लिम देश में एक प्रगतिशील कदम की तरह दिखता है.
दिक्कत ये है कि ये कमेटी भी एक वृहत्तर ओलम्पिक समिति के तहत आती है और प्रभावशाली ढंग से कतर फुटबॉल एसोसिएशन से नहीं जुड़ी है. कमेटी वैसे भी सिर्फ फुटबॉल को समर्पित नहीं है, उसके दायरे में दूसरे खेल भी आते हैं.
2013 से 2014 तक जर्मनी की मोनिका श्टाब कतर महिला टीम की कोच थीं. कोई आधिकारिक मैच न जीत पाने के बावजूद, उन्होंने टीम के दो अब तक के बेहतरीन नतीजे निकालने में मदद की. मालदीव को उस टीम ने 3-0 और 1-0 से हराया. वो खुले तौर पर कतर अधिकारियों की आलोचना से परहेज करती थीं. लेकिन अब वो सउदी अरब टीम की हेड के रूप में काम कर रही हैं जहां उनका कहना है कि तरक्की काफी बढ़िया चल रही है.
उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "आप और आगे जाना चाहें तो जा सकते हैं. कतर की खिलाड़ियों को बाहरी अनुभव की दरकार है. ऐसा नहीं है कि सब कुछ गायब हो गया है. आपको मदद के लिए सही लोग भी चाहिए. सउदी अरब में, मैं खुशकिस्मत रही."
'एक बार में एक कदम'
कतर में अब फुटबॉल अकादमिकों की गहमागहमी है और बुनियादी ढांचा भी फलफूल रहा है. इसकी एक वजह है विश्व कप की मेजबानी और दूसरी वजह है कतर का गर्म मौसम जिसके चलते बायर्न म्युनिख जैसे यूरोपीय पुरुष फुटबॉल क्लबों के लिए वो मुफीद ट्रेनिंग ठिकाना बन गया है.
विश्व कप के आठ मैचों की मेजबानी करने वाला एजुकेशन सिटी स्टेडियम, उसकी डिजाइनर कंपनी बीडीपी के मुताबिक, कतर की महिला फुटबॉल का घर हो सकता है.
फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए तैयार कतर के छह लाजवाब स्टेडियम
इस महीने कतर में फुटबॉल वर्ल्ड कप शुरू होगा. जब से कतर को वर्ल्ड कप मिला, तभी से वहां काम को लेकर विवाद चलता रहा है. कतर में आठ स्टेडियम तैयार किए गए हैं. उनमें से छह सबसे खास स्टेडियम देखिए...
तस्वीर: Jewel Samad/AFP/Getty Images
अहमद बिन अली स्टेडियम
सेंट्रल दोहा से 20 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक अल-अफाई शहर में बने इस स्टेडियम की क्षमता है 40 हजार दर्शक. स्टेडियम को स्थानीय सांस्कृतिक प्रतीकों के आधार पर डिजाइन किया गया है. स्टेडियम तक पहुंचने के लिए नई मेट्रो बनाई गई है.
तस्वीर: Qatar's Supreme Committee for Delivery and Legacy/AFP
एजुकेशन सिटी स्टेडियम
यह स्टेडियम है अल रय्यान शहर में. इसके चारों ओर कई विश्वविद्यालय कैंपस भी हैं. इस स्टेडियम का डिजाइन हीरे से प्रेरित है. फुटबॉल वर्ल्ड कप के बाद इस स्टेडियम की ऊपरी मंजिल को पूरी तरह हटा दिया जाएगा और सीटों को किसी ऐसे देश को दान में दिया जाएगा, जहां खेल की सुविधाओं की कमी है.
तस्वीर: Karim Jaafar/AFP
एजुकेशन सिटी स्टेडियम
यह स्टेडियम है अल रय्यान शहर में. इसके चारों ओर कई विश्वविद्यालय कैंपस भी हैं. इस स्टेडियम का डिजाइन हीरे से प्रेरित है. फुटबॉल वर्ल्ड कप के बाद इस स्टेडियम की ऊपरी मंजिल को पूरी तरह हटा दिया जाएगा और सीटों को किसी ऐसे देश को दान में दिया जाएगा, जहां खेल की सुविधाओं की कमी है.
तस्वीर: Karim Jaafar/AFP
स्टेडियम 974
इस स्टेडियम का अनोखा नाम है इसके निर्माण की वजह से. यह एक अस्थायी स्टेडियम है जिसे 974 शिपिंग कंटेनरों को रीसाइकल कर बनाया गया है. वर्ल्ड कप के बाद इसे हटा दिया जाएगा. वर्ल्ड कप के इतिहास में यह पहला अस्थायी स्टेडियम होगा.
तस्वीर: Karim Jaafar/AFP
खलीफा इंटरनेशनल स्टेडियम
इसे नेशनल स्टेडियम भी कहा जाता है. राजधानी दोहा में स्थित यह स्टेडियम शहर के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का हिस्सा है, जहां बड़े पैमाने पर खेल सुविधाएं उपलब्ध हैं. इसे 1976 में बनाया गया था और यहां 30 हजार कर्मचारी काम करते हैं.
तस्वीर: Jewel Samad/AFP
अल तुमामा स्टेडियम
कतर के अल तुमामा में बना यह स्टेडियम हमाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास है. इसका डिजाइन कतर की पारंपरिक ताकिया टोपी पर आधारित है. 40 हजार सीटों वाले इस स्टेडियम के चारों ओर 50 हजार वर्ग मीटर में पार्क बनाया गया है.
तस्वीर: Karim Sahib/AFP
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सबसे मशहूर संस्थान है एस्पायर एकेडमी. 2004 में कतर ने इसका गठन किया था. मकसद था विभिन्न खेलों के एथलीटों को नये अवसर मुहैया कराना और वृहत्तर दुनिया के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर पहनचान बनाना. लेकिन इतने साल बाद भी, उसके पास महिला फुटबॉल का कार्यक्रम ही नहीं है.
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व विश्व कप खिलाड़ी टिम केहिल इस समय एस्पायर एकेडमी में मुख्य खेल अधिकरी हैं.
उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "मेरी बेटी यहां लुसेल के लिए खेलती है...कतर में महिला फुटबॉल खूब है. फुटबॉल की एक प्रक्रिया होती है, आपको इन तमाम चीजों से गुजरना पड़ता है और अलग अलग संगठन शुरू करने पड़ते हैं. एस्पायर में महिला फुटबॉल के बारे में हमेशा बात होती है. हम लोग एक बार में एक कदम उठा रहे हैं."
लड़कियों और औरतों के लिए जिस कतर फुटबॉल स्कूल के पास प्रोग्राम है, वो है पेरिस सेंट-जरमैन (पीएसजी) एकेडमी. लियोनेल मेसी, नेमार और काइलियान एम्बापे जैसे दिग्गजों वाले इस फ्रांसीसी महिला क्लब और पुरुष चैंपियंस की मालिक कतर स्पोर्ट्स इंवेस्टमेंट्स नाम की कंपनी है जो कतर निवेश प्राधिकरण की एक सब्सिडयरी है.
कतर सरकार के साथ जुड़ाव के बावजूद कतर की राष्ट्रीय टीम से कोई वास्तविक सहयोग नहीं है.
लेबनानी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अया जुर्डीस, पीएसजी एकेडमी में कोच भी हैं. वो कहती हैं कि कतर महिला टीम को मदद की पेशकश की गई थी लेकिन उन्हें दो टूक मना कर दिया गया.
वो डीडब्ल्यू से कहती है, "हमने उन्हें ये आइडिया दिया था लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया."
"लड़कियों और क्लबों की संख्या अच्छी-खासी है. कोई उचित प्रबंधन नहीं है. महिला फुटबॉल में इन लोगों की अभी कोई दिलचस्पी नहीं है. अगर वहां पूर्व ट्रेनर मोनिका श्टाब को आजादी दी जाती जो उन्हें अब सउदी अरब में मिली है, तो आज उनकी टीम बेहतर स्थिति में होती."
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'बेहतरीन मिसाल है मोरक्को'
जुर्डीस मानती है कि सांस्कृतिक मुद्दे कतर को रोक हुए हैं. वो कहती हैं, "उनके पास महिला लीग हैं लेकिन वे बंद दरवाजों में खेली जाती हैं. पीएसजी में पुरुष कोच हैं और वो सबके लिए खुली है."
कतर महिला खेल समिति से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. ओंलपिक समिति की वेबसाइट पर जारी बयान के मुताबिकः कतर महिला खेल समिति, वर्षों से विभिन्न खेलों में महिला भागीदारी और प्रदर्शन को मजबूत करती आई है.
फुटबॉल विश्व कप से पहले दोहा की ये जगहें और नजारे मन मोह लेंगे
कतर की राजधानी दोहा इस साल फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी कर रहा है. यहां डेजर्ट सफारी से लेकर शानदार वास्तुकला तक का लुत्फ उठाया जा सकता है.
तस्वीर: nordphoto GmbH/PIXSELL/picture alliance
कतर का सांस्कृतिक केंद्र दोहा
कतर खाड़ी का एक छोटा सा देश है, जो करीब 11,500 वर्ग किलोमीटर (4,468 वर्ग मील) में फैला है. तुलना करें तो, आयरलैंड से सात गुना बड़ा है. इस मध्य पूर्वी इलाके, खासकर राजधानी दोहा में सदियों पुरानी परंपराएं और आधुनिक वास्तुकला के खजाने दिखते हैं. ज्यादातर आबादी कतर के इसी वित्तीय, सांस्कृतिक और पर्यटन वाले इलाके में रहती है.
तस्वीर: nordphoto GmbH/PIXSELL/picture alliance
डाउनटाउन दोहा में वेस्ट बे की चकाचौंध
दोहा एक अत्याधुनिक महानगर है जहां दौलत, शोहरत का जलवा दिखता है. विशाल तेल और गैस के भंडार की वजह से कतर दुनिया में सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति आय ($98,000)वाला देश है. हालांकि यहां के 28 लाख निवासियों में से सिर्फ 10% ही कतरी नागरिक हैं. वेस्ट बे जिले में पर्यटकों के स्वागत के लिए खड़ी गगनचुंबी इमारतें अवंत-गार्दे वास्तुकला की झलक देती हैं.
तस्वीर: Kamran Jebreili/AP/dpa/picture alliance
पुराने दौर की याद दिलाता सांस्कृतिक गांव कटारा
ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि कतर को मूल रूप से कटारा कहा जाता था. मध्य पूर्व और एशिया के बीच बसा ये देश खुद को अलग-अलग संस्कृतियों को एक ही जगह मिलाने वाले बर्तन की तरह देखता है.और ऐसा ही है सांस्कृतिक गांव "कटारा" जिसे संग्रहालयों, प्रदर्शनियों के लिए 2010 में खोला गया था. शहर के केंद्र से सिर्फ 10 मिनट में यहां आसानी से ड्राइव कर पहुंचा जा सकता है.
तस्वीर: Marina Lystseva/TASS/dpa/picture alliance
अजान की आवाज है पहचान
कतर आधिकारिक रूप से इस्लामिक देश है, और बड़े पैमाने पर यहां के निवासी सुन्नी मुसलमान हैं. यहां दिन में पांच बार अजान की आवाज सुनाई देती है. पर्यटकों को बड़ी संख्या में मस्जिद दिखते हैं. दोहा में 30,000 लोगों की क्षमता वाला राष्ट्रीय मस्जिद, इमाम अब्दुल वहाब मस्जिद है. एक गैर-मुस्लिम के तौर पर आप तभी मस्जिदों में जा सकते हैं जब नमाज ना हो रही हो.
तस्वीर: Nikku/Xinhua/dpa/picture alliance
मॉल की सैर का शानदार अनुभव
कतर के मॉल काफी बड़े हैं, और अपने आप में एक अलग दुनिया हैं. वे ना सिर्फ खरीदारी के लिए बने हैं बल्कि कुछ में थीम पार्क, सिनेमा और रेस्तरां सबकुछ है. एक मॉल में तो आप स्नोमैन यानी बर्फ के पुतले भी बना सकते हैं, जबकि एक मॉल के अंदर आप नाव यात्रा का लुत्फ उठा सकते हैं, मानो आप वेनिस में हों! गर्मियों में बाहरी तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, ऐसे में मॉल की सैर आपको ठंडक पहुंचाएगी.
कतर का सबसे पुराना बाजार दोहा में है जिसे कहते हैं सूक वकीफ. प्रतिकृति होने के बावजूद ये काफी असल रूप में और आकर्षक लगता है. मूल इमारत 2003 में आग से तबाह हो गई थी. फिर भी, व्यापारी एक सदी से भी ज्यादा समय से यहां कपड़े, हस्तशिल्प, मसाले और बाकी सामान बेच रहे हैं. स्मृति चिन्ह संजोने या शाम को टहलने के लिए ये बढ़िया जगह है.
तस्वीर: Igor Kralj/PIXSELL/picture alliance
रेत और समुद्र से प्रेरित संग्रहालय
कतर कई सालों तक मोती व्यापार का केंद्र रहा है. कतर के राष्ट्रीय संग्रहालय का फव्वारा मोतियों की लड़ियों के आकार का है. यह फ्रांसीसी वास्तुकार जां नौवे ने बनाया है. मोती डाइविंग का प्रतीक है, जो देश की ऐतिहासिक परंपराओं में से एक है. कतर की सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानने के लिए यह सबसे अच्छी जगह है.
तस्वीर: Sharil Babu/dpa/picture alliance
कतर में एक दूसरे को मात देते नामी आर्किटेक्ट
जाहा हदीद, सर नॉर्मन फोस्टर और रेम कुल्हास वास्तुकला फर्मों में से हैं जिन्होंने कतर को शानदार इमारतें बनाकर मायानगरी में तब्दील कर दिया है.एक आकर्षण स्कूल ऑफ इस्लामिक स्टडीज भी है जिसे लंदन और बार्सिलोना में स्थित मंगेरा यवार्स आर्किटेक्ट्स ने डिजाइन किया है. इसका घुमावदार वास्तुशिल्प नायाब नमूना है.
तस्वीर: Kamran Jebreili/AP/dpa/picture alliance
इस्लामिक आर्ट म्यूजियम
दोहा का इस्लामी कला संग्रहालय अरब के सबसे अहम संग्रहालयों में से एक है. इसे चीनी-अमेरिकी वास्तुकार आईएम पेई ने डिजाइन किया है. यह इमारत पानी पर तैरता महसूस होता है. यहां इस्लामी शिल्प कौशल के खूबसूरत उदाहरण, कीमती पांडुलिपियां, चीनी मिट्टी के सामान, गहने, कपड़े और बहुत कुछ प्रदर्शित किये जाते हैं. यह दिखाता है कि इस्लाम ने दक्षिण पूर्व एशिया, भारत, इराक और सीरिया में जिंदगी को कैसे आकार दिया.
तस्वीर: Norbert SCHMIDT/picture alliance
डेजर्ट सफारी
देश के ज्यादातर हिस्से रेगिस्तानी नजर आते हैं, जो आश्चर्यजनक और खूबसूरत दोनों हैं. यहां रेतीले टीले एक आकर्षण हैं, इसलिए कई पर्यटक ऊंट की सवारी या जीप यात्रा पर जाना पसंद करते हैं. यहां कुछ बेडौइन शैली के कैंप भी हैं जहां पर्यटक रात गुजार सकते हैं. यूनेस्को से मान्यता प्राप्त खोर अल-अदद, जहां सागर रेत से मिलता है, भी देखने लायक है.
दोहा में घूमने के लिए रेगिस्तान और लंबे समुद्र तट दोनों हैं. कटारा बीच पर लोगों की काफी चहलकदमी नजर आती है. हालांकि, धार्मिक ड्रेस कोड की वजह से यहां नहाने की इजाजत तभी दी जाती है जब आप कपड़ों से ढके हों. यानी महिलाओं को बिकिनी या स्विमिंग सूट पहनने की इजाजत नहीं है. यहां आप पारंपरिक नावों पर सवारी करके या बस किनारों पर टहल कर समुद्र का आनंद ले सकते हैं.
तस्वीर: Serdar Bitmez/AA/picture alliance
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किसी अरब देश में हुए पहले विश्व कप में मोरक्को के शानदार प्रदर्शन ने अरब दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में अगले साल होने वाले महिला फुटबॉल विश्व कप में मोरक्को की महिला टीम भी पहली बार हिस्सा लेगी.
मोनिका श्टाब कहती हैं, "मोरक्को महिला विश्व कप में भाग ले रहा है. ये बहुत शानदार बात है. मैंने सुधार होते देखा है. मोरक्को अरब जगत के लिए बेहतरीन मिसाल है." उन्हें उम्मीद है कि इस भूभाग में भी जल्द ही महिला विश्व कप होगा. वो कहती हैं, "इसमें 20 साल नहीं लगेंगे, मेरे ख्याल से और जल्दी ये मुमकिन होगा."
नाईजीरिया के पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी संडे ओलिसेह विश्व कप में फीफा के टेक्निकल ग्रुप में है और उनकी पत्नी मोरक्को से हैं. ओलिसेह को लगता है कि मोरक्को के मौजूदा जुनून का फायदा महिला फुटबॉल का होगा.
वो कहते हैं, "मोरक्को की महिला टीम ने मेरे देश नाईजीरिया की टीम को हाल में ही हराया था. मोरक्को के पुरुष फुटबॉल की कामयाबी से मदद मिलेगी. कामयाबी से बेहतर कुछ नहीं होता."
कतर के खिलाड़ी हजर सालेह भी भविष्य के बारे में आशावान हैं. वह कहती हैं, "हमसे वादा किया गया है कि अगले साल और मुकाबले होंगे. संभावनाएं बहुत हैं."