मालाबार युद्धाभ्यास का दूसरा दौर मंगलवार से अरब सागर में शुरू हो गया है. यह युद्धाभ्यास शुक्रवार तक चलेगा. इसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका की नौसेना शामिल हैं.
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मालाबार 2020 युद्धाभ्यास के दूसरे चरण का आयोजन उत्तरी अरब सागर में मंगलवार से शुक्रवार 20 नवंबर तक किया जा रहा है. इससे पहले मालाबार युद्धाभ्यास का पहला चरण तीन से छह नवंबर तक बंगाल की खाड़ी में आयोजित किया गया था. दूसरे चरण में अमेरिकी वॉरशिप निमित्ज के साथ भारत के विक्रमादित्य पर सबकी नजरें होंगी.
पहले चरण के युद्धाभ्यास से अर्जित तालमेल को आगे बढ़ाते हुए इस चरण में ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका की नौसेनाओं के बीच बढ़ती जटिलता के समन्वित ऑपरेशन को शामिल किया जाएगा.
खास बात यह है कि दूसरे चरण में भारतीय नौसेना के विक्रमादित्य और अमेरिका के निमित्ज के आसपास केंद्रित ज्वाइंट ऑपरेशन को अंजाम दिए जाएंगे. इस अभ्यास में भाग लेने वाली नौसेनाओं के अन्य जहाजों, पनडुब्बी और हवाई जहाजों के साथ ये युद्धपोत चार दिनों तक उच्च तीव्रता वाले नौसैनिक अभियानों में शामिल रहेंगे. इन अभ्यासों में विक्रमादित्य के एमआईजी 29के लड़ाकू विमानों और निमित्ज के एफ-18 फाइटर लड़ाकू और ई 2सी हॉकआई द्वारा क्रॉसडेक उड़ान ऑपरेशन और उन्नत वायु रक्षा अभ्यास शामिल हैं.
अगले चार दिनों तक चारों देशों की नौसेना अंतर-संचालन और तालमेल बढ़ाने के लिए उन्नत सतह और पनडुब्बीरोधी युद्ध अभ्यास, सिमैनशिप कर्मिक विकास और हथियारों से फायरिंग का अभ्यास करेंगे. हिंद-प्रशांत में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए इन चारों देशों ने क्वाड नाम से समूह बनाया है.
2017 में जब क्वॉड को फिर से खड़ा किया गया था, उसके बाद से भारत, अमेरिका और जापान लगातार इस अभ्यास में हिस्सा लेते रहे हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया बाहर रहा है. इस बार ऑस्ट्रेलिया इस अभ्यास में शामिल है.
युद्ध अभ्यास की मालाबार श्रृंखला, भारत और अमेरिका के बीच एक वार्षिक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के रूप में 1992 में शुरू की गई थी. इन सालों के दौरान इसका दायरा और जटिलता लगातार बढ़ी है.
पूर्वी लद्दाख में महीनों से चीन के साथ चले आ रहे गतिरोध के मद्देनजर यह अभ्यास भारत के लिए काफी अहम है. और इस समय में क्वाड देशों का साथ आकर इस तरह का अभ्यास करना चीन को सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है.
विमानवाहक युद्धपोत समंदर में चलता फिरता एयरबेस है, जिस पर विमान उतर सकते हैं और उड़ान भर सकते हैं. चलिए जानते हैं किस देश के पास कितने विमानवाहक युद्धपोत हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/Zumapress
थाईलैंड
थाईलैंड के पास इस समय एक विमानवाहक युद्धपोत है जिसे 1997 में तैयार किया गया था. थाई नौसेना में शामिल यह पोत आज भी अपनी सेवाएं दे रहा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP
नीदरलैंड्स
1940 के दशक के आखिर में नीदरलैंड्स ने ब्रिटेन से दो विमानवाहक युद्धपोत खरीदे थे. इनमें से एक 1968 में अर्जेंटीना को बेच दिया गया और दूसरा 1971 में बेड़े से हटा दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/arkivi
अर्जेंटीना
नीदरलैंड्स से खरीदा गया विमानवाहक युद्धपोत 1969 से 1999 तक सेवा में रहा. इससे पहले अर्जेंटीना के पास 1959 से 1969 तक एआरए इंडिपेंडेंसिया नाम का विमानवाहक युद्धपोत था.
तस्वीर: Reuters
ब्राजील
इस समय ब्राजील के पास फ्रांस में निर्मित एक विमानवाहक युद्धपोत है. इससे पहले 1960 के दशक में खरीदा गया विमानवाहक पोत 2001 तक ब्राजीली नौसेना में शामिल रहा.
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स्पेन
खुआन कार्लोस नाम का विमानवाहक युद्धपोत 2010 से स्पेन की नौसेना का हिस्सा है. स्पेन के पास एक विमानवाहक युद्धपोत रिजर्व में भी है.
तस्वीर: Getty Images/P. Dominguez
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया के पास अलग अलग समय में तीन विमानवाहक युद्धपोत रहे हैं. इनमें से दो 1950 के दशक के आखिर तक और एक 1982 तक सेवा में रहा.
तस्वीर: picture-alliance/epa/J. Brown
कनाडा
पिछली सदी के मध्य तक कनाडा के पास ऐसे पांच युद्धपोत थे, जिन्हें 1960 और 1970 के दशक तक खत्म कर दिया गया. अब कनाडा के पास ऐसा कोई युद्धपोत नहीं है.
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भारत
रूस में तैयार आईएनएस विक्रमादित्य 2013 से भारतीय नौसेना का हिस्सा है. आईएनएस विक्रांत 2016 तक इस्तेमाल होने के बाद रिजर्व में है. एक विमानवाहक युद्धपोत कोच्चि में तैयार हो रहा है.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times/A. Poyrekar
रूस
इस समय रूस के पास सिर्फ एक विमानवाहक युद्धपोत है. सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस ने चार विमानवाहक युद्धपोतों में से तीन को स्क्रैप कर दिया जबकि एक भारत को बेच दिया था.
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जापान
दूसरे विश्व युद्ध से पहले जापान के पास 20 विमानवाहक युद्धपोत थे, जिनमें से 18 को अमेरिका ने लड़ाई में तबाह कर दिया. बाकी दो जापान ने 1946 में स्क्रैप कर दिए.
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फ्रांस
फ्रांस की नौसेना के पास इस समय एक विमानवाहक युद्धपोत है. फ्रांस ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद के दशकों में सात विमानवाहक युद्धपोतों को स्क्रैप किया है.
तस्वीर: dapd
जर्मनी
जर्मनी ने बीसवीं सदी की शुरुआत से लेकर दूसरे विश्व युद्ध तक आठ विमानवाहक युद्धपोत तैयार करने की योजना बनाई थी, जो पूरी नहीं हो सकी. फिलहाल जर्मनी के पास ऐसा कोई युद्धपोत नहीं है.
तस्वीर: picture alliance/akg-images
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास अभी कोई विमानवाहक युद्धपोत नहीं है, लेकिन वहां दो विमानवाहक युद्धपोत बनाने पर काम चल रहा है. कभी ब्रिटेन के पास ऐसे 40 पोत थे. इनमें चार दूसरे विश्व युद्ध में तबाह हो गए जबकि बाकी को स्क्रैप कर दिया गया.
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इटली
इटली की नौसेना के पास अभी दो विमानवाहक युद्धपोत हैं जिनमें से एक 1985 और दूसरा 2008 से काम कर रहा है. 1944 में इटली का एक विमानवाहक युद्धपोत डूब गया था जबकि एक 1950 के दशक में स्क्रैप कर दिया गया.
तस्वीर: DW/B. Riegert
चीन
चीन ने पूरी तरह अपने देश में तैयार विमानवाहक पोत को 13 मई 2018 को समंदर में उतारा. इससे पहले चीनी नौसेना के पास रूस में निर्मित एक विमानवाहक युद्धपोत है, जिसे 1998 में यूक्रेन से खरीदा गया.
अमेरिका के पास दस विमानवाहक युद्धपोत हैं जबकि एक रिजर्व में भी है. ये युद्धपोत अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं. अब तक अमेरिका 56 विमानवाहक युद्धपोत स्क्रैप कर चुका है.