प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इसे रद्द करने से साढ़े चार लाख कर्मचारियों पर असर पड़ेगा.
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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण की नीति रद्द करने का असर साढ़े चार लाख कर्मचारियों पर पड़ने से उनमें अंसतोष बढ़ेगा. केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि 2007 से 2020 के बीच साढ़े चार लाख से अधिक कर्मचारियों को इसका लाभ मिला था. और ऐसे में अगर इस नीति के खिलाफ किसी भी तरह का आदेश दिया जाता है तो इसके गंभीर और व्यापक प्रभाव हो सकते हैं.
2017 में दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण की केंद्र की इस नीति को खारिज कर दिया था. अपनी नीति का बचाव करते हुए केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि उस नीति से किसी पर उल्टा या नकारात्मक असर नहीं पड़ रहा था. सरकार का कहना है कि प्रमोशन में आरक्षण का लाभ सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों को दिया गया जो मानदंडों को पूरा करते हैं और वो निर्धारित अर्हता पूरी करते हों.
सरकार ने अदालत के सामने 75 मंत्रालयों और विभागों का डेटा भी पेश किया. उसने कहा कि कुल 27,55,430 कर्मचारियों में से 4,79,301 ही अनुसूचित जाति से और 2,14,738 अनुसूचित जनजाति से आते हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग के 4,57,148 कर्मचारी हैं. अगर प्रतिशत में देखें तो केंद्र सरकार के मंत्रालयों विभागों में एससी वर्ग से 17.30 फीसदी, एसटी वर्ग से 7.70 फीसदी और ओबीसी वर्ग से 16.50 फीसदी कर्मचारी हैं.
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर पूरा डेटा पेश करने को कहा था.
नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण का क्या हो सकता है असर
हरियाणा में अब कंपनियों को 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय लोगों को ही देनी पड़ेंगी. भविष्य में इसके होने वाले असर को समझने के लिए आईटी कंपनियों के संगठन नैस्कॉम ने एक सर्वेक्षण कराया, जिसके नतीजे चौंकाने वाले हैं.
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स्थानीय कोटा
नए कानून के तहत हरियाणा में हर कंपनी को 50,000 रुपए तक के मासिक वेतन वाले पदों पर 75 प्रतिशत नौकरियां हरियाणा में रहने वाले लोगों को देनी होंगी. कानून का पालन ना करने पर 10,000 से लेकर पांच लाख रुपयों तक के जुर्माने का प्रावधान है.
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कंपनियां परेशान
निजी कंपनियों के बीच इस कानून को लेकर शुरू से अच्छी राय नहीं थी, लेकिन नैस्कॉम के सर्वेक्षण में यह खुल कर सामने आ गया. संगठन ने यह सर्वेक्षण आईटी क्षेत्र की 73 कंपनियों में किया जिनके हरियाणा स्थित दफ्तरों में 1.4 लाख लोग काम करते हैं.
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गंभीर असर
नैस्कॉम के सर्वेक्षण में सामने आया है कि इन में से अधिकतर कंपनियों को लगता है कि इस कानून का आईटी क्षेत्र पर गंभीर असर होगा. कुल 80 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि इस कानून का भविष्य में उनके व्यापार पर और निवेश की योजनाओं पर नकारात्मक असर पड़ेगा.
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चली जाएंगी कंपनियां
अधिकतर कंपनियों ने कहा कि इसकी वजह से उन्हें मजबूरन अपनी परियोजनाओं और अपने दफ्तरों को किसी दूसरे राज्य में ले जाना पड़ेगा. इतने वेतन तक के पदों पर जो लोग काम कर रहे हैं वो कर्मचारियों की कुल संख्या का 44 प्रतिशत हैं और उनमें से 81 प्रतिशत हरियाणा से बाहर के हैं.
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दूसरी जरूरतों में कमी
कंपनियों ने यह भी कहा कि इस की वजह से उन्हें भर्ती में विविधता और समावेश जैसी दूसरी नीतियों का पालन करने में दिक्कत आएगी.
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गुरुग्राम में सबसे ज्यादा असर
इस कानून का सबसे बड़ा असर गुरुग्राम पर पड़ेगा जहां हरियाणा में सक्रिय आईटी क्षेत्र की 500 से भी ज्यादा कंपनियों में से अधिकतर के दफ्तर हैं. इनमें चार लाख से भी ज्यादा लोग काम करते हैं. नए कानून का इनमें से करीब 1.5 लाख नौकरियों पर असर पड़ेगा.
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अनुपालन बोझ बढ़ेगा
अधिकांश कंपनियों ने कहा कि नए कानून से उनका अनुपालन का बोझ बढ़ जाएगा और वो अपनी जरूरतों के हिसाब से भर्तियां नहीं कर सकेंगी.
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हुनर में कमी
कंपनियों ने यह भी कहा कि इस कानून का पालन इसलिए भी मुश्किल होगा क्योंकि इस वेतन तक के स्तरों पर काम करने वाले स्थानीय उम्मीदवारों में कम्युनिकेशन और तकनीक दोनों तरह के हुनर की कमी है.