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ब्लिंकिट की पहल के पीछे भारत का एंबुलेंस संकट

३ जनवरी २०२५

क्विक कॉमर्स कंपनी ब्लिंकिट ऐप के जरिए बुक कर 10 मिनट में एंबुलेंस पाने की सेवा ले कर आई है. इस पहल ने देश में एंबुलेंस सेवाओं की कमी की समस्या पर रोशनी डालने का काम किया है.

असम के कामरूप में बाढ़ के पानी के बीच से जाती एक एंबुलेंस
भारत में एक लाख लोगों पर एक एंबुलेंस उपलब्ध हैतस्वीर: EPA/dpa/picture alliance

दिल्ली के तिमारपुर में रहने वाले अशोक गुप्ता कैंसर के मरीज हैं और इलाज के सिलसिले में उनका अस्पताल आना जाना लगा रहता है. शुक्रवार तीन जनवरी को अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई और परिवार को लगा कि उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए.

सरकारी एंबुलेंस बुलाने के लिए जब परिवार के सदस्यों ने 102 नंबर पर फोन किया तो कनेक्शन लगा ही नहीं. कई बार नंबर मिलाने पर भी फोन नहीं लगा. उसके बाद परिवार ने सोचा कि सरकारी नहीं तो निजी एंबुलेंस ही बुला ली जाए. उसके लिए भी जो फोन नंबर उनके पास उपलब्ध थे, उन पर किसी ने फोन नहीं उठाया.

एंबुलेंस की कमी

थक हार कर परिवार ने ऊबर के ऐप से एक बड़ी गाड़ी टैक्सी के रूप में बुक की और अशोक गुप्ता को उसमें लिटा कर अस्पताल पहुंचाया.

निजी कंपनियां भी एंबुलेंस सेवाएं देने के क्षेत्र में आगे आना चाह रही हैंतस्वीर: Francis Mascarenhas/REUTERS

यह कोई अनोखी घटना नहीं है. दिल्ली ही नहीं देश के कोने कोने में लोगों को अक्सर इस परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसका कारण है भारत में एंबुलेंस की कमी.

अंतरराष्ट्रीय मानक कहते हैं कि हर 50,000 लोगों पर एक एम्बुलेंस होनी चाहिए, जबकि भारत में केंद्र सरकार की राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवा (एनएएस) के तहत एक लाख लोगों पर एक बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) एंबुलेंस है.

यह वही एम्बुलेंस है जिसे बुलाने के लिए 102 नंबर डायल करना होता है. जीवन बचने की सुविधाओं वाले एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट (एलएस) एंबुलेंस का अनुपात हर पांच लाख लोगों पर एक एंबुलेंस का है.

छत्तीसगढ़ के जंगलों में ऐसे पहुंचती है एंबुलेंस

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चूंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य और अस्पताल राज्यों का विषय है, केंद्र सरकार उम्मीद करती है कि जहां भी एंबुलेंस की कमी होगी वहां उसे राज्य सरकारें पूरा करेंगी. हालांकि ज्यादातर राज्यों में हालात खराब ही हैं. विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में तो इन सेवाओं की भारी कमी है.

10 मिनट में पाएं एंबुलेंस

निजी कंपनियां भी एंबुलेंस सेवाएं चलाती हैं लेकिन अशोक गुप्ता के परिवार का तजुर्बा यह दिखा रहा है कि वहां भी सेवाओं में सुधार की जरूरत है. अब क्विक कॉमर्स कंपनी ब्लिंकिट ने भी इस क्षेत्र में उतरने का फैसला किया है.

इस सेवा के तहत लोग जिस तरह ब्लिंकिट के ऐप से खाने पीने का और दूसरे सामान आर्डर करते हैं और 10 मिनट के अंदर वह सामान उनके घर पर पहुंच जाता है, उसी तरह लोग अब उसी ऐप पर एक बीएलएस एंबुलेंस बुक कर पाएंगे और वह 10 मिनट में उनके पास पहुंच जाएगी.

सांसद निधि से खरीदी गई एंबुलेंस

अभी यह सेवा सिर्फ पांच एंबुलेंसों के साथ गुरुग्राम के कुछ इलाकों में शुरू की गई है, लेकिन कंपनी का कहना है कि उसका लक्ष्य अगले दो सालों में इस सेवा को देश के हर बड़े शहर में पहुंचाने का लक्ष्य है.

कंपनी के संस्थापक अलबिंदर ढींडसा ने एक्स पर लिखा है कि कंपनी इस सेवा से कोई मुनाफा नहीं कमाना चाहती है और इसे ग्राहकों को 2000 रुपए के फ्लैट खर्च पर उपलब्ध कराया जाएगा.

देखना होगा कि यह सेवा कितनी जल्दी कितने शहरों में फैल पाती है और कितनी सफल हो पाती है. लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को समय से और कम खर्च में एंबुलेंस मिल सके यह सुनिश्चित करने के लिए इस तरह की पहलों की काफी जरूरत है.

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