अमेरिका में सड़क किनारे लगे स्मारक-बोर्डों पर विवाद क्यों?
२८ दिसम्बर २०२१
ये मार्कर कई जगह ऐतिहासिक मसलों पर नए सिरे से छिड़ी बहस का हिस्सा बन गए. कई जगह सिविल वॉर के दौर की मूर्तियां गिराई गईं. संस्थानों-सड़कों के नाम या तो बदले गए या फिर उनके नाम के साथ जुड़े इतिहास पर पुनर्विचार हुआ.
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करीब एक सदी से पेनसिलवेनिया इतिहास/ऐतिहासिक स्मारकों से जुड़े स्मृति चिह्न लगाता आ रहा है. मगर अगस्त 2017 में जब वर्जिनिया स्थित शर्लोट्सविले शहर में नस्लीय हिंसा हुई, उसके बाद इन ऐतिहासिक प्रतीकों पर नए सिरे से चर्चा छिड़ी. जनता की ओर से पूछा जाने लगा कि सड़कों के किनारे लगाए गए प्रतीकों के माध्यम से आखिरकार किनकी कहानियां सुनाई जा रही हैं. इन कहानियों की भाषा पर भी सवाल उठे.
सैकड़ों मार्करों की समीक्षा
इन सवालों के कारण पेनसिलवेनिया हिस्टोरिकल ऐंड म्यूजियम कमीशन ने सभी ढाई हजार मार्करों की समीक्षा की. इस समीक्षा में तथ्यात्मक गलतियों, अपर्याप्त ऐतिहासिक संदर्भों और नस्लीय भाषा के इस्तेमाल को रेखांकित करने पर विशेष ध्यान दिया गया. इस समीक्षा के कारण अब तक दो मार्कर हटाए जा चुके हैं. दो में सुधार किया गया है और दो अन्य मार्करों के लिए नई पंक्तियां लिखे जाने का आदेश जारी हुआ है.
ये मार्कर कई जगहों पर गुलामी प्रथा, अश्वेत आबादी को अलग रखे जाने की परंपरा और नस्लीय हिंसा जैसे ऐतिहासिक मसलों पर नए सिरे से छिड़ी बहस का हिस्सा बन गए हैं. इसी लहर के चलते कई जगहों पर सिविल वॉर के दौर की मूर्तियां गिराई गईं. और, संस्थानों-सड़कों के नाम या तो बदले गए, या फिर उनके नाम के साथ जुड़े इतिहास पर बहस हुई.
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'जितना सच जानेंगे, उतने बेहतर होंगे'
अलबामा स्थित इक्वल जस्टिस इनिशिएटिव ने नस्लीय लिंचिंग के अध्यायों को याद रखने के लिए दर्जनों ऐतिहासिक मार्कर लगवाए हैं. उसका कहना है कि इतिहास के किन पात्रों को याद रखा जाता है, कौन सी घटनाएं याद रखी जाती हैं, कौन सी चीजें लोगों के दिमाग में छप जाती हैं, ये सभी चीजें बताती हैं कि समाज कैसा है.
फिलाडेल्फिया स्थित टेंपल यूनिवर्सिटी का चार्ल्स एल ब्लॉकसन एफ्रो-अमेरिकन कलेक्शन, अमेरिका की ब्लैक हिस्ट्री से जुड़े साहित्य और बाकी चीजों के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है. इसके क्यूरेटर डिएन टर्नर का कहना है कि ऐतिहासिक मार्कर लोगों में जागरूकता बढ़ाते हैं. साथ ही, वे संस्थागत नस्लीय भेदभाव से लड़ने में भी मददगार साबित हो सकते हैं.
टर्नर कहते हैं, 'सबकी कहानी सुना सकने लायक होना समाज के लिए अच्छा है. ऐसी कहानियों को जगह मिलनी चाहिए. क्योंकि हम जितना ज्यादा सच जानेंगे, उतना ही हमारे लिए बेहतर है.'
प्रेसिडेंट विल्सन से जुड़ा विवादित इतिहास
पेनसिलवेनिया हिस्ट्री एजेंसी को ब्रिन मार कॉलेज की अध्यक्ष किंबरले राइट कैसिडी का आग्रह मिला था. इसपर अमल करते हुए एजेंसी ने कॉलेज परिसर के किनारे लगे एक मार्कर को हटा दिया. इस मार्कर पर लिखा था कि प्रेसिडेंट वुड्रो विल्सन ने कुछ समय के लिए कॉलेज में पढ़ाया था.
अश्वेत महिला अंतरिक्ष यात्री: एक विशिष्ट वर्ग में अल्पसंख्यक
पहली अश्वेत महिला अंतरिक्ष यात्री मे जेमिसन को भी उड़ान का मौका पुरुषों और अश्वेत महिलाओं के 30 सालों बाद मिल पाया था. भारतीय मूल की कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स का नाम भी इस गौरवशाली सूची में शामिल है.
तस्वीर: WAM/AP Photo/picture alliance
अंतरिक्ष में पहली अश्वेत महिला
मे जेमिसन (बाईं तरफ) "सिर्फ" पहली अश्वेत अंतरिक्ष यात्री नहीं हैं. वो अमेरिकी अंतरिक्ष यान की सवारी करने वाली पहली अश्वेत महिला थीं. उन्होंने अंतरिक्ष में पदार्थों और बोन सेल रिसर्च पर प्रयोग भी किए और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेसोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी और रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी में भी काम किया. वो एक गैर लाभकारी एसटीईएम शिक्षण संस्थान चलाती हैं और एक उत्सुक जैज डांसर हैं.
तस्वीर: NASA/Newscom/picture alliance
तीन बार उड़ान भरने वालीं स्टेफनी विल्सन
स्टेफनी विल्सन की एक बहु-प्रतिभावान अंतरिक्ष यात्री हैं. विल्सन एक ऐरोस्पेस इंजीनियर हैं जो पहले गैलिलियो अंतरिक्ष यान पर काम करती थीं. 1996 में नासा ने उन्हें एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुन लिया, लेकिन उन्हें उनका पहला मिशन मिला 2006 में. उसके बाद वो 2007 और 2010 में फिर अंतरिक्ष में गईं. अब वो नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जिसका लक्ष्य है चांद पर पहली महिला को भेजना.
तस्वीर: NASA/Bill Ingalls
जोन हिग्गिनबॉथम ने भी किया 10 साल इंतजार
जोन हिग्गिनबॉथम को भी नासा ने स्टेफनी के साथ ही चुना था और उन्हें भी अपनी पहली उड़ान के लिए 10 साल इन्तजार करना पड़ा. एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के तौर पर उन्होंने स्पेस शटल कोलंबिया और कई दूसरे अभियानों पर काम किया. नौ सालों में वो 53 शटल लॉन्चों का हिस्सा रहीं. जब वो अंतरिक्ष गईं तो वो उस टीम का हिस्सा बनीं जिसने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के निर्माण में मदद की.
तस्वीर: NASA/Yvette Smith
सियैन प्रॉक्टर
सियैन प्रॉक्टर सिर्फ चुनिंदा अश्वेत महिला अंतरिक्ष यात्रियों में से ही नहीं हैं वो धरती की परिक्रमा करने वाले पहले "सिविलियन साइंस" दल का भी हिस्सा थीं. उन्होंने स्पेसएक्स के "इंस्पिरेशन4" के साथ सितंबर 2021 में उड़ान भरी. उन लोगों को 'सिविलियन' कहा जरूर गया लेकिन सब पेशेवर एविएटर और वैज्ञानिक थे. प्रॉक्टर नासा के सोलर सिस्टम एम्बेसडरों में से एक हैं.
तस्वीर: Inspiration4/John Kraus
चीन की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री
पारम्परिक रूप से अंतरिक्ष में हर काम को पहली बार किए जाने का रिकॉर्ड अमेरिका और रूस के पास ही रहा है. लेकिन अब चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम भी काफी तरक्की कर गया है. 2012 में लिउ यांग चीन की पहली सक्रिय महिला अंतरिक्ष यात्री बनीं. एक साल बाद वांग यापिंग भी उनके नक्शेकदम पर गईं और तिआनगोंग-1 अंतरिक्ष स्टेशन से फिजिक्स की एक लाइव क्लास भी ली.
तस्वीर: picture alliance/ZUMAPRESS.com
भारतीय मूल की महिला अंतरिक्ष यात्री
अमेरिका में भारतीय मूल की भी कुछ महिला अंतरिक्ष यात्री हुई हैं, जैसे कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स. चावला पहली बार स्पेस शटल कोलंबिया पर एक रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के तौर पर गई थीं. कोलंबिया पर ही 2003 में उनका दूसरा मिशन उनके लिए घातक रहा. पृथ्वी के वायुमंडल में वापस आते समय शटल के टुकड़े टुकड़े हो गए और उस पर सवार दल के सभी लोग मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/NASA
कोरिया की एकलौती अंतरिक्ष यात्री
यी सो-येओन दक्षिण कोरिया की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री ही नहीं हैं, बल्कि वो अंतरिक्ष में जाने वाली पहली कोरियन हैं. वो पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं. 2008 में उन्हें आईएसएस जाने के लिए रूस में होने वाले प्रशिक्षण के लिए चुना गया. उन्होंने अंतरिक्ष में नौ दिन बिताए. वापस लौटते समय उनके यान की लैंडिंग अच्छी नहीं रही और उनकी पीठ में चोट आ गई. उन्होंने 2014 में बतौर अंतरिक्ष यात्री इस्तीफा दे दिया.
तस्वीर: EPA/STR/picture-alliance
जापान की दो महिला अंतरिक्ष यात्री
जापान के अंतरिक्ष कार्यक्रम जाक्सा को अमेरिका के नासा, यूरोप के ईएसए और रूस के रॉसकॉसमॉस के साथ बिग फोर का हिस्सा माना जाता है लेकिन उसने आज तक दो ही महिला अंतरिक्ष यात्री दिए हैं. इनमें पहली थीं चियाकि मुकाई (तस्वीर में) जो कोलंबिया और डिस्कवरी स्पेस शटलों पर गई थीं. दूसरी जापानी महिला अंतरिक्ष यात्री नाओको यामाजाकि डिस्कवरी पर गई थीं.
तस्वीर: JAXA/NASA
यूएई: अंतरिक्ष कार्यक्रम में लिंग संतुलन
संयुक्त अरब अमीरात का अंतरिक्ष कार्यक्रम भी काफी तरक्की कर रहा है. उसने अंतरिक्ष यात्रियों का भी एक कार्यक्रम शुरू किया है जिसके लिंग संतुलन से दूसरे देशों को जलन हो सकती है. अप्रैल 2021 में इस कार्यक्रम के लिए नूरा अल-मतरुशी (दाईं तरफ) और मोहम्मद अल-मुल्ला को चुना गया. इनका प्रशिक्षण नासा के साथ होगा.
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कैसिडी ने एजेंसी को भेजे अपने पत्र में ध्यान दिलाया कि विल्सन महिलाओं की बौद्धिक क्षमता को नकारने वाली टिप्पणियां करते थे. साथ ही, सरकारी नौकरियों में अफ्रीकन अमेरिकन मूल के लोगों को अलग-थलग रखने की उनकी नीति भी नस्लीय थी.
प्रांतीय सरकार ने पिट्सबर्ग के पॉइंट स्टेट पार्क से भी एक मार्कर को हटाया. इसमें वह जगह दर्ज थी जहां 1758 में ब्रिटिश जनरल जॉन फोर्ब्स को एक सैन्य जीत मिली थी. मार्कर पर लिखा था कि इस जीत ने अमेरिका में एंग्लो-सैक्सन सर्वोच्चता कायम की. कमीशन ने केंद्रीय पेंसिलवेनिया के फुलटॉन काउंटी में लगे मार्करों की भी समीक्षा की. ये मार्कर 1863 में हुई गेटीसबर्ग की लड़ाई के बाद हुई कॉन्फेडरेट आर्मी की गतिविधियों से जुड़े थे.
मार्करों से जुड़ी इस समीक्षा पर राजनैतिक बयानबाजी भी हो रही है. हिस्टॉरिकल ऐंड म्यूजियम कमीशन में नियुक्त किए गए रिपब्लिकन स्टेट प्रतिनिधि पार्क वेंटलिंग ने आलोचना करते हुए लिखा, 'मुझे डर है कि यह कमीशन ऐतिहासिक विवादों में न्यायकर्ता की भूमिका निभाने की जगह जॉर्ज ऑरवेल के मिनिस्ट्री ऑफ ट्रूथ की तरह बर्ताव कर रहा है, जिसमें सरकारी अधिकारी सत्ता में बैठे लोगों की सहूलियत के हिसाब से फिट बैठाने के लिए इतिहास में छेड़छाड़ करते थे.'
दिसंबर 2021 में ही सीनियर स्टेट हाउस रिपब्लिकन प्रेस सहयोगी स्टीव मिस्किन ने एक ट्वीट में लिखा, 'क्या स्कूली किताबों से भी कन्फेडरेसी को हटा दिया जाएगा? जिन टीवी कार्यक्रमों और फिल्मों में कन्फेडरेसी का जिक्र है, क्या उसे सेंसर कर दिया जाएगा?'
मार्करों की भाषा पर मतभेद
ऐतिहासिक मार्करों की भाषा कैसी हो. उन्हें लगाया जाए भी या नहीं, हालिया सालों में इन सवालों को लेकर काफी मतभेद रहा है. पेनसिलवेनिया में कमीशन ने अपने नियंत्रण वाले सभी ढाई हजार मार्करों की समीक्षा की. इसका फोकस यह देखना था कि इन मार्करों में अफ्रीकी अमेरिकी और मूल अमेरिकी लोगों की जिंदगी, उनकी आपबीतियों को किस तरह पेश किया गया है.
जो बाइडेन बने अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति
अमेरिका में यह शपथ ग्रहण समारोह ऐतिहासिक था. पहली बार एक महिला और अश्वेत व्यक्ति उपराष्ट्रपति के पद पर पहुंचा है. महामारी के चलते जनता को इस समारोह से दूर रखा गया, लेकिन आमंत्रित मेहमानों ने समारोह में हिस्सा लिया.
तस्वीर: Carlos Barria/REUTERS
"उम्मीद से भरा दिन"
बतौर राष्ट्रपति अपने पहले भाषण में जो बाइडेन ने कहा कि यह दिन इतिहास रच रहा है और उम्मीदें जगा रहा है. उन्होंने नस्लवाद और हिंसा के खिलाफ काम करने पर जोर दिया.
तस्वीर: Alex Wong/Getty Images
पूरे अमेरिका का राष्ट्रपति
डॉनल्ड ट्रंप पर तंज कसते हुए बाइडेन ने कहा कि वे कुछ लोगों के नहीं, बल्कि पूरे देश के राष्ट्रपति बनेंगे, उनके भी जिन्होंने उन्हें वोट नहीं दिया है.
तस्वीर: Alex Wong/Getty Images
"दुनिया हमें देख रही है"
बाइडेन ने कहा कि पूरी दुनिया इस वक्त देख रही है कि अमेरिकी लोग किस तरह से अपनी घेरलू समस्याओं को सुलझाते हैं. कोरोना वायरस के कारण जान गंवाने वाले लोगों के लिए उन्होंने एक मिनट का मौन भी रखा.
तस्वीर: Win McNamee/UPI Photo/imago images
पहली अश्वेत उपराष्ट्रपति
अमेरिका में आज तक कोई महिला देश राष्ट्रपति पद तक नहीं पहुंच सकी है. कमला हैरिस ने देश की पहली उपराष्ट्रपति बन कर इतिहास रचा है.
तस्वीर: Rob Carr/Getty Images
46वें राष्ट्रपति
ऐसी अटकलें लग रही थीं कि 20 जनवरी को वॉशिंगटन में बड़े प्रदर्शन हो सकते हैं लेकिन शपथ ग्रहण समारोह शांतिपूर्ण माहौल में हुआ.
तस्वीर: Jim Bourg/REUTERS
लेडी गागा
राष्ट्र गान गाने के लिए समारोह में लेडी गागा को आमंत्रित किया गया. लेडी गागा के अलावा जेनिफर लोपेज ने भी यहां परफॉर्म किया.
तस्वीर: Rob Carr/Getty Images
मास्क वाला समारोह
महामारी के चलते इस बार समारोह में सभी मेहमान मास्क पहन कर पहुंचे. कमला हैरिस, उनके पति और जो बाइडेन ने काला मास्क चुना.
तस्वीर: Joe Raedle/Getty Images/AFP
माइक पेंस
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भले ही समारोह से दूर रहने का फैसला किया लेकिन उपराष्ट्रपति माइक पेंस समारोह में पहुंचे.
तस्वीर: Win McNamee/Getty Images
ओबामा के साथ
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा भी समारोह में पहुंचे. ओबामा ने बाइडेन-हैरिस कैम्पेन का बढ़ चढ़ कर सहयोग किया है.
तस्वीर: Jonathan Ernst/REUTERS
जॉर्ज बुश भी
जो बाइडेन के शपथ ग्रहण समारोह में आए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपतियों की सूची में जॉर्ज डब्ल्यू बुश भी थे.
तस्वीर: Brendan McDermid/REUTERS
बिल और हिलेरी क्लिंटन
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन भी यहां नजर आए. पिछले चुनावों में हिलेरी क्लिंटन भी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार थीं. इस बार उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था.
तस्वीर: Brendan Mcdermid/REUTERS
बिना ट्रंप
पिछले कई दशकों में ऐसा पहली बार हुआ जब नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के दौरान आखिरी राष्ट्रपति मौजूद ना हो. डॉनल्ड ट्रंप ने सुबह ही व्हाइट हाउस छोड़ दिया था और समारोह शुरू होने तक वे अपने नए घर में पहुंच चुके थे.
तस्वीर: Carlos Barria/REUTERS
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करीब एक साल पहले कमीशन ने 131 ऐसे मार्करों की पहचान की, जिनमें बदलाव की जरूरत है. इनमें से 18 मार्कर ऐसे हैं, जिनपर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत बताई गई. इतिहासकार इरा बैकरमैन ने हाल ही में ब्लैक और मूल अमेरिकी इतिहास से जुड़े पेनसिलवेनिया के मार्करों से जुड़ा एक शोध प्रकाशित किया.
इस मुद्दे पर बात करते हुए उन्होंने कहा, 'किसने कौन सी लड़ाई शुरू की, इसपर बहुत शोर हो रहा है. अगर सेटलरों ने शुरू की, तो वह एक युद्ध था और लड़े जाने योग्य था. अगर मूल निवासियों ने प्रतिक्रिया स्वरूप हिंसा की, तो फिर वह नरसंहार और क्रूरता थी.' बैकरमैन के मुताबिक, पेनसिलवेनिया के 348 मूल निवासी ऐतिहासिक मार्कर नस्लीय भेदभाव और श्वेत राष्ट्रवाद से जुड़ा सटीक इतिहास बताते हैं.