राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने से एक तरफ कांग्रेस कार्यकर्ता पहले से ज्यादा उत्साहित नजर आ रहे हैं और दूसरी तरफ राहुल को उन विपक्षी पार्टियों से भी समर्थन मिल रहा है जो अभी तक कांग्रेस के भी खिलाफ थीं.
विज्ञापन
राहुल गांधी को लोक सभा से अयोग्य घोषित कर दिए जाने के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां अलग अलग तरीकों से विरोध के प्रदर्शन की तैयारी कर रही हैं. सदस्यता के रद्द हो जाने के बाद लोक सभा सचिवालय ने गांधी को अपना आधिकारिक सांसद आवास भी खाली करने का नोटिस दिया, जिसे गांधी ने स्वीकार कर लिया.
सचिवालय को दिए जवाब में गांधी ने लिखा, "चार बार लोक सभा के निर्वाचित सदस्य होने के नाते मुझे यहां से जो सुखद यादें मिलीं उसके लिए मैं लोगों के जनादेश का ऋणी हूं. मेरे अधिकार भी हैं लेकिन इसके बावजूद मैं आपकी चिट्ठी में लिखी गई बातों का पालन करूंगा."
कांग्रेस का नया अभियान
नियमों के अनुसार अगर किसी सांसद की सदस्यता रद्द कर दी गई है तो उसे एक महीने के अंदर सांसद आवास खाली कर देना होता है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक लोक सभा सचिवालय ने गांधी को 22 अप्रैल, 2023 तक दिल्ली के 12, तुगलक लेन स्थित बांग्ला खाली करने की समय सीमा दी है.
गांधी के इस आदेश को स्वीकारने के बाद कांग्रेस ने इस पर एक नया अभियान छेड़ दिया, जिसके तहत देश भर में कांग्रेस कार्यकर्ता अपने घर को राहुल गांधी का घर बता कर उन्हें उनके घर में रहने का प्रस्ताव दे रहे हैं.
ट्विटर पर "मेराघरआपकाघर" हैशटैग ट्रेंड भी कर रहा है. स्पष्ट है कि इस मुद्दे की वजह से कांग्रेस के कार्यकर्ता उत्साहित नजर आ रहे हैं. वो देश के कई हिस्सों में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं.
दूसरी तरफ गांधी को अपनी पार्टी के अंदर ही नहीं बल्कि दूसरी विपक्षी पार्टियों का भी समर्थन मिल रहा है. इनमें विशेष रूप से वो पार्टियां भी शामिल हैं जो विपक्षी खेमे में कांग्रेस को अपना प्रतिद्वंद्वी मानती हैं, जैसे तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति (टीआरएस) आदि.
विज्ञापन
साथ आता विपक्ष
इस एकजुटता में राहुल गांधी की सावरकर को लेकर टिप्पणी की वजह से थोड़ा तनाव पैदा हुआ था लेकिन उस पर भी काबू पा लिया गया है.
सावरकर पर टिप्पणी का शिवसेना (उद्धव ठाकरे) ने विरोध किया था, जिसके बाद एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने भी कांग्रेस को सावरकर पर टिप्पणी नहीं करने की सलाह दी थी. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक गांधी ने इसे स्वीकार कर लिया है और आगे से सावरकर पर टिप्पणी नहीं करने का आश्वासन दिया है.
क्या भारत लोकतंत्र के लिए परिपक्व नहीं है?
31:58
कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने अदाणी समूह के खिलाफ भ्रष्टाचार और सरकार के साथ मिलीभगत के आरोपों की जांच के लिए एक विशेष संसदीय समिति के गठन की अपनी मांग को बनाए रखा है.
संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी भी इस पूरी स्थिति को अपने लिए फायदेमंद समझ रही है और इसलिए वो इसका पूरा लाभ लेने की तैयारी कर रही है. माना जा रहा है कि पार्टी द्वारा इसी मुद्दे के इर्द-गिर्द पूरे देश में अभियान चलाने के बाद सूरत की निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करेगी.
न्यायिक जीत की उम्मीद
यह भी माना जा रहा है कि पार्टी को पूरा भरोसा है कि ऊपरी अदालतों में फैसला गलत साबित हो जाएगा और राहुल गांधी की दोषसिद्धि या तो रद्द कर दी जाएगी या उस पर रोक लग जाएगी. अगर ऐसा होता है तो लोक सभा को गांधी की सदस्यता बहाल करनी होगी.
लक्षद्वीप से लोक सभा के सदस्य मोहम्मद फैज के मामले से भी कांग्रेस को बल मिला है. एनसीपी नेता फैजल को पिछले साल हत्या की कोशिश के एक मामले में दोषी पाया गया था और उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद लोक सभा ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी.
लेकिन जनवरी 2023 में केरल हाई कोर्ट ने फैजल की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी. इसके बावजूद लोक सभा ने उनकी सदस्यता बहाल नहीं की, जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले पर सुनवाई से ठीक पहले लोक सभा ने फैजल की सदस्यता बहाल कर दी.
भारत में सत्ता और संवैधानिक संकट
राजस्थान में कांग्रेस विधायकों के विद्रोह के कारण एक संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है, जिसमें स्पीकर को हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा. हाल में और किन राज्यों में हुआ है सत्ता को लेकर संवैधानिक संकट?
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh
मध्य प्रदेश
नवंबर 2018 में हुए विधान सभा चुनावों में जीत हासिल कर कांग्रेस ने सरकार बनाई गई थी और कमल नाथ मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए और उनके साथ कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कमल नाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट का सामना करने का आदेश दिया. इसके कमल नाथ ने इस्तीफा दे दिया और शिवराज नए मुख्यमंत्री बने.
तस्वीर: imago images/Hindustan Times
कर्नाटक
2018 में हुए विधान सभा चुनावों के बाद राज्यपाल ने बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए निमंत्रण दे दिया. कांग्रेस इस कदम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई और आधी रात को अदालत में सुनवाई हुई. बाद में अदालत ने राज्यपाल के फैसले को गलत ठहराते हुए फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया. येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जेडी (एस) के एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने.
तस्वीर: IANS
कर्नाटक (दोबारा)
जुलाई 2019 में जेडी (एस) और कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे से मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की सरकार अल्पमत में आ गई. विधायक जब मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गए तब अदालत ने स्पीकर को विधायकों का इस्तीफा मंजूर करने का आदेश दिया और बाद में उन्हें अयोग्य घोषित किए जाने से सुरक्षा भी प्रदान की. विधान सभा में फ्लोर टेस्ट हुआ और कुमारस्वामी की सरकार गिर गई. बीजेपी के येदियुरप्पा फिर से मुख्यमंत्री बन गए.
तस्वीर: picture-alliance/robertharding/S. Forster
महाराष्ट्र
नवंबर 2019 में महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों के नतीजे आ जाने के दो सप्ताह तक रही अनिश्चितता के बीच एक दिन अचानक राज्यपाल ने बीजपी नेता देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी. कांग्रेस और एनसीपी ने राज्यपाल के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. अदालत के फ्लोर टेस्ट के आदेश देने पर फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस, एनसीपी और शिव सेना ने मिलकर सरकार बनाई.
तस्वीर: P. Paranjpe/AFP/Getty Images
जम्मू और कश्मीर
जून 2018 में जम्मू और कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी की गठबंधन सरकार से बीजेपी के अचानक समर्थन वापस ले लेने से राजनीतिक और संवैधानिक संकट खड़ा हो गया. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को इस्तीफा देना पड़ा. राज्य में राज्यपाल का शासन लगा दिया गया. छह महीने बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और अगस्त 2019 में केंद्र ने जम्मू और कश्मीर का राज्य का दर्जा ही खत्म कर दिया और उसकी जगह दो केंद्र-शासित प्रदेश बना दिए.
तस्वीर: Getty Images/S. Hussain
बिहार
जुलाई 2017 में बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया और आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन वाली अपनी ही सरकार गिरा दी. कुमार को बीजेपी के विधायकों का समर्थन मिल गया और राज्यपाल ने उन्हें फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का निमंत्रण दे दिया. आरजेडी ने पटना हाई कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर कर दी जो खारिज कर दी गई और कुमार फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित कर फिर से मुख्यमंत्री बन गए.
तस्वीर: IANS
गोवा
मार्च 2017 में गोवा विधान सभा चुनावों के बाद जब राज्यपाल ने बीजेपी नेता मनोहर परिकर को सरकार बनाने का निमंत्रण दे दिया, तब सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी कांग्रेस ने राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया, जिसमें मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण करने के बाद परिकर ने बहुमत साबित कर दिया.
तस्वीर: Getty Images/AFP
अरुणाचल प्रदेश
दिसंबर 2015 में सत्तारूढ़ कांग्रेस के कुछ विधायकों और डिप्टी स्पीकर ने विद्रोह के बाद स्पीकर पर महाभियोग लगाने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया. स्पीकर ने हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी. जनवरी 2016 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. फरवरी में कलिखो पुल ने सरकार बना ली. जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन को गैर-कानूनी करार दिया और कांग्रेस की सरकार को बहाल किया.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times/A. Yadav
उत्तराखंड
मार्च 2016 में सत्तारूढ़ कांग्रेस के विद्रोही विधायकों ने विपक्ष के साथ मिलकर बजट पर वोटिंग की मांग की, लेकिन स्पीकर ने ध्वनि मत से बजट पारित करा दिया. विद्रोही विधायक राज्यपाल के पास चले गए और उनकी अनुशंसा पर केंद्र ने मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार बर्खास्त कर दी. राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. रावत की याचिका पर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन हटा दिया और रावत सरकार को बहाल किया.