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राहुल गांधी के मोदी-अदाणी पर लगाए आरोप संसद रिकॉर्ड से हटे

स्वाति मिश्रा
८ फ़रवरी २०२३

लोकसभा में राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी पर अदाणी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था. उनके भाषण के कई हिस्सों को सदन के रिकॉर्ड से हटा दिया गया. पीएम ने अपने भाषण में विपक्ष की आलोचना की, लेकिन अदाणी का जिक्र नहीं किया.

विपक्ष ने संसद सत्र शुरू होने से पहले ही अदाणी ग्रुप पर लग रहे फर्जीवाड़े और स्टॉक मैन्यूपुलेशन के आरोपों पर जांच की मांग की थी. 2 फरवरी को कांग्रेस समेत 13 अन्य विपक्षी पार्टियों ने कहा था कि इस मामले की जांच या तो संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से करवाई जाए, या सुप्रीम कोर्ट के नेतृत्व और मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में जांच हो.
विपक्ष ने संसद सत्र शुरू होने से पहले ही अदाणी ग्रुप पर लग रहे फर्जीवाड़े और स्टॉक मैन्यूपुलेशन के आरोपों पर जांच की मांग की थी. 2 फरवरी को कांग्रेस समेत 13 अन्य विपक्षी पार्टियों ने कहा था कि इस मामले की जांच या तो संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से करवाई जाए, या सुप्रीम कोर्ट के नेतृत्व और मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में जांच हो. तस्वीर: Siddharaj Solanki/Hindustan Times/IMAGO

7 फरवरी को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद ज्ञापन चर्चा हुई. बहस के दौरान कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में 53 मिनट का एक भाषण दिया. इसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कारोबारी गौतम अदाणी के बीच संबंध बताते हुए कई आरोप लगाए और सवाल उठाए. राहुल ने आरोप लगाया कि 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से अदाणी ग्रुप ने बहुत तेजी से तरक्की की है. अब लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला ने राहुल गांधी के भाषण के कई हिस्सों को सदन के रिकॉर्ड से हटाने का फैसला किया है. 

क्या हटाया गया रिकॉर्ड से?

8 फरवरी की सुबह संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राहुल पर बिना सबूत और आधार के सदन में बोलने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को ध्यान देना चाहिए कि ना तो राहुल ने अपने आरोपों को प्रमाणित किया और ना ही उन्होंने आरोप लगाने से पहले इस संबंध में कोई नोटिस दिया. प्रह्लाद जोशी ने मांग की कि राहुल की टिप्पणियों को सदन के रिकॉर्ड से हटाया जाए और उन्हें प्रिविलेज नोटिस भेजा जाए. स्पीकर ने कहा कि वह उनकी मांग पर विचार करेंगे. इसके बाद स्पीकर ने राहुल के भाषण के कई हिस्सों को हटाने का फैसला किया. 

इस भाषण के कुल 18 हिस्से हटाए गए हैं. इनमें वो हिस्से भी शामिल हैं, जिनमें राहुल ने मोदी और अदाणी के रिश्तों पर सवाल उठाया था. राहुल ने अदाणी और मोदी की एक पुरानी तस्वीर सदन में दिखाई थी, जिसे रिकॉर्ड से हटा दिया गया है. साथ ही, वो हिस्से भी हटाए गए हैं जिनमें उन्होंने आरोप लगाया था कि दोनों के करीबी संबंध तब से हैं, जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. साथ ही, राहुल ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री के विदेशी दौरों और अदाणी को मिले कॉन्ट्रैक्ट्स से जुड़े जो आरोप लगाए थे, उन्हें भी हटा दिया गया है. राहुल ने कहा था कि मोदी ने अदाणी ग्रुप को फायदा पहुंचाते हुए इस्राएल में रक्षा कॉन्ट्रैक्ट दिलवाया और बांग्लादेश में बिजली आपूर्ति की डील दिलवाई. राहुल ने श्रीलंका के एक पावर प्रॉजेक्ट से जुड़े आरोपों का भी जिक्र किया था, उसे भी हटा दिया गया है.

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राहुल गांधी हाल ही में अपनी "भारत जोड़ो" यात्रा पूरी करके लौटे हैं. तस्वीर: Altaf Qadri/AP/picture alliance

प्रधानमंत्री ने क्या कहा?

राहुल ने अपने भाषण का वीडियो क्लिप ट्वीट करते हुए लिखा, "प्रधानमंत्री जी, आप लोकतंत्र की आवाज को मिटा नहीं सकते. भारत के लोग आपसे सीधे सवाल कर रहे हैं. जवाब दीजिए!" कांग्रेस ने भी इसकी आलोचना की है. कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी के भाषण के हिस्सों को रिकॉर्ड से हटाकर "लोकतंत्र को लोकसभा में दफ्न" कर दिया गया है.



इस बीच 8 फरवरी को धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष और पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार की आलोचना की. हालांकि उन्होंने विपक्ष द्वारा उठाए गए अदाणी और अडाणी ग्रुप से जुड़े आरोपों पर टिप्पणी नहीं की.
 
अपने भाषण में मोदी ने 2004 से 2014 के बीच के दशक को घोटालों और हिंसा से भरा हुआ बताया. उन्होंने कहा कि इस दशक में हर अवसर को संकट में बदल देना यूपीए सरकार की खासियत थी. उन्होंने यह भी दावा किया कि बीजेपी के नेतृत्व में 2014 से 2024 का दौर "भारत के दशक" के तौर पर जाना जाएगा. मोदी ने आरोप लगाया कि विपक्ष ने पिछले नौ साल आरोप लगाने में बर्बाद कर दिए हैं.

उन्होंने विपक्ष पर विरोधाभास का इल्जाम लगाते हुए कहा कि एक ओर तो वो कहते हैं कि भारत कमजोर हो रहा है और दूसरी ओर आरोप लगाते हैं कि भारत दूसरे देशों पर दबाव डाल रहा है. मोदी ने विपक्षी एकजुटता पर कहा कि ईडी सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर साथ ले आया है.

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मोदी के भाषण पर विपक्ष की प्रतिक्रिया

7 फरवरी को लोकसभा में दिए गए बयानों पर टिप्पणी करते हुए मोदी ने कहा, "मैं कल देख रहा था कि कुछ लोगों के भाषण के बाद पूरा ईको सिस्टम और समर्थक उछल रहे थे. खुश होकर कहने लगे कि ये हुई ना बात. नींद भी अच्छी आई होगी, शायद आज उठ भी नहीं पाए होंगे. ऐसे लोगों के लिए कहा गया है कि ये कह-कह के हम दिल को बहला रहे हैं, वो अब चल चुके हैं, वो अब आ रहे हैं." एक ओर जहां मोदी विपक्ष को निशाना बनाते हुए कविताओं की पंक्तियां उद्धृत कर रहे थे, वहीं कई विपक्षी सांसद विरोध करते हुए वॉकआउट कर गए.


 
मोदी के भाषण में अडाणी से जुड़े आरोपों को जगह ना दिए जाने की विपक्ष आलोचना कर रहा है. राहुल गांधी ने सदन से बाहर आकर मीडिया से बात करते हुए कहा, "पीएम सदमे में थे और उनके पास कोई जवाब नहीं था. एक जवाब नहीं दिया प्रधानमंत्री जी ने. और मैंने कोई जटिल सवाल तो नहीं पूछा है." उन्होंने ट्वीट में लिखा, "ना जांच कराएंगे, ना जवाब देंगे- प्रधानमंत्री जी बस अपने "मित्र" का साथ देंगे."

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मोदी के भाषण के अलावा भी सदन में बीजेपी और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी था. बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापन बहस के दौरान कहा कि बीते रोज दिया गया राहुल का भाषा उनकी निराशा को दिखाता है. संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राहुल पर बिना सबूत और आधार के सदन में बोलने का आरोप लगाया. हिंडनबर्ग रिपोर्ट के सामने आने के बाद से ही अडाणी और नरेंद्र मोदी सरकार की कथित करीबी के आरोप सुर्खियों में हैं.

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विपक्ष कर रहा हैं जांच की मांग

विपक्ष ने संसद सत्र शुरू होने से पहले ही अडाणी ग्रुप पर लग रहे फर्जीवाड़े और स्टॉक मैन्यूपुलेशन के आरोपों पर जांच की मांग की थी. 2 फरवरी को कांग्रेस समेत 13 अन्य विपक्षी पार्टियों ने कहा था कि इस मामले की जांच या तो संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से करवाई जाए, या सुप्रीम कोर्ट के नेतृत्व और मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में जांच हो. विपक्ष इससे पहले रफाएल सौदे और नोटबंदी की भी जेपीसी जांच की मांग कर चुका है, लेकिन इसे नहीं माना गया. 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से ही किसी जेपीसी का गठन नहीं किया गया है.

जेपीसी के गठन के लिए जरूरी है कि संसद का एक सदन इस प्रस्ताव को पास करे और दूसरा भी इसे मंजूरी दे. यूपीए के कार्यकाल में टेलिकॉम लाइसेंस और स्पेक्ट्रम के आवंटन की जांच के लिए जेपीसी का गठन हुआ था. 2001 में स्टॉक मार्केट घोटाला और 2003 में सॉफ्ट ड्रिंक्स में कीटनाशकों की मौजूदगी की जांच के लिए जब जेपीसी का गठन हुआ था, तब उसका प्रस्ताव तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने लोकसभा में रखा था.

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