अयोध्या के नए बने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने में कुछ ही दिन बचे हैं. इस मौके पर हिंदू समुदाय के लोग अपने-अपने स्तर पर कई धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन की तैयारियों में लगे हैं.
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58 साल के भोगेंद्र झा दिल्ली में रहते हैं. राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही भोगेंद्र इस उम्मीद में अयोध्या पहुंच गए कि उन्हें राम मंदिर के दर्शन हो जाएंगे. कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के कारण उन्हें नए मंदिर के थोड़ा पहले ही रोक दिया गया. पेशे से भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के एजेंट भोगेंद्र कहते हैं, "राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होना हमारे लिए बहुत मायने रखता है. इस वक्त अयोध्या नगरी में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. मैं सुबह ही सरयू नदी में स्नान के लिए पहुंच गया, लेकिन पांच घंटे इंतजार करने के बाद मुझे डुबकी लगाने का मौका मिला. "
भोगेंद्र, राम मंदिर के उद्घाटन के बाद दोबारा अयोध्या आने की योजना बना रहे हैं. ये पहली दफा नहीं जब वह अयोध्या आए हों, लेकिन इस बार उन्हें शहर में बहुत बदलाव दिखा. वह कहते हैं, "अयोध्या का विकास, साफ-सफाई और यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए हो रहे इंतजाम देखकर मैं काफी संतुष्ट हूं. "
22 जनवरी को जब अयोध्या के राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी, तब तमाम शहरों के मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाएगा. इतना ही नहीं, इस अवसर पर हिंदू समाज के विभिन्न संगठन अपने-अपने स्तर पर दीपोत्सव, राम कथा, शोभा यात्रा, कलश यात्रा, रामायण पाठ और भंडारे जैसे आयोजन कर रहे हैं.
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करोड़ों हिंदुओं के लिए एक बड़े सपने के सच होने जैसा है. देश ही नहीं, विदेश में भी रहने वाले हिंदू समुदाय के लोग इसको लेकर उत्साहित हैं. पिछले महीने अमेरिका में हिंदू समुदाय के कई लोगों ने वॉशिंगटन डीसी में एक कार रैली निकाली थी. अमेरिकी हिंदू समुदाय ने इस मौके पर कई कार्यक्रम भी आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसमें अलग-अलग शहरों में कार रैलियां निकालना, भव्य उद्घाटन समारोह का सीधा प्रसारण करना और सामुदायिक सभा शामिल हैं.
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हाउसिंग सोसायटी में मंदिर उद्घाटन का जश्न
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कई ऐसी हाउसिंग सोसायटियां हैं, जहां इस मौके पर विशेष आयोजन की तैयारियां हो रही हैं. दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) और हाउसिंग सोसायटियां, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के "राम मंदिर आउटरीच" कार्यक्रमों की प्रेरक शक्ति बन गई हैं. ये संगठन सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्राण प्रतिष्ठा का मौका, हर क्षेत्र में शानदार प्रभाव डाले.
दिल्ली-एनसीआर की बहुमंजिला इमारतों वाली सोसायटी हों या फिर मुहल्ले, हर जगह की समितियों के वॉट्सऐप ग्रुप में इन दिनों प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े संदेश भेजे जा रहे हैं. इन संदेशों में लोगों से इस दिन को खास बनाने की अपील की जा रही है. नोएडा की कई सोसायटियों और सेक्टरों के प्रवेश द्वारों पर राम मंदिर से जुड़े बैनर और पोस्टर लगे हैं. ऐसा ही हाल दिल्ली और गुरुग्राम में भी है.
आईटी सेक्टर में काम करने वाले 40 साल के राकेश गुप्ता ग्रेटर नोएडा की एक सोसायटी में रहते हैं. वह बताते हैं कि 22 जनवरी उनके लिए यादगार दिन होगा. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "हम अपने बड़े-बूढ़ों से सुनते आए हैं कि भगवान राम अयोध्या में पैदा हुए थे, लेकिन उनके लिए कोई मंदिर नहीं बन पाया था. अब भगवान राम के लिए एक भव्य मंदिर बनकर तैयार है, हम जैसे लोग बहुत सौभाग्यशाली हैं जो इस मौके के गवाह बन रहे हैं."
दिल्ली-एनसीआर में कई हफ्तों से राम मंदिर के उद्घाटन की हलचल है. 22 जनवरी को अधिकतर सोसायटियों में प्रभात फेरियां निकाली जाएंगी. राम मंदिर के उद्घाटन को प्रसारित करने के लिए बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाने की भी योजना है. मंदिरों में पूजा और रामायण पाठ के बाद भंडारे की तैयारी है.
बीजेपी और आरएसएस के नेता राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर काफी सक्रिय हैं. वे अपने कार्यकर्ताओं के साथ घर-घर जाकर लोगों से अपने घर और सोसायटी के मंदिरों में विशेष पूजा कराने की बात कह रहे हैं. घर में राम ज्योति जलाने और राम भजन कराने की भी अपील की जा रही है.
बाजारों में भी रौनक
ऐसा ही कुछ हाल बाजारों का है. वहां राम ध्वजा, मिट्टी के दीये, भगवान राम की मूर्ति और अन्य पूजा सामग्रियों की बिक्री जोरों पर है. दिल्ली के चांदनी चौक बाजार में पूजा सामग्रियों की थोक दुकान चलाने वाले एक दुकानदार ने बताया कि इस समय राम ध्वजा, राम टोपी और भगवा गमछे की सबसे ज्यादा मांग है. दुकानदार ने बताया वह पूरे साल पूजा सामग्री बेचते हैं, लेकिन राम मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर भगवान राम से जुड़ी चीजें ज्यादा मांग में हैं. इस दुकानदार के मुताबिक, उनके कारोबार के लिए यह "बोनस" साबित हो रहा है.
चांदनी चौक में ही सलवार-कमीज के एक थोक कारोबारी का कहना है कि राम मंदिर को लेकर जिस तरह का प्रचार-प्रसार हो रहा है, उससे तो लगता है कि देश में कोई और मुद्दा बचा ही नहीं है. इस कारोबारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, "देश में और भी चीजें हैं, लेकिन नेताओं का क्या. वो तो वहीं करेंगे, जिससे उन्हें वोट मिले. उन्हें भी तो अपना रिपोर्ट कार्ड ऊपर तक पहुंचाना है."
इसी बाजार में पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल दुकान-दुकान जाकर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मौके पर होने वाले कार्यक्रमों का न्योता बांटते नजर आए. उन्होंने स्थानीय कारोबारियों को मिट्टी के दीये, अक्षत और भगवान राम की तस्वीर भेंट की. इसके जवाब में उत्साही भक्त "जय श्री राम" का नारा लगाते नजर आए.
अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.
तस्वीर: AFP/P. Singh
राम मंदिर भूमि पूजन
5 अगस्त 2020 भारतीय इतिहास में उस तारीख के रूप में दर्ज हो गई जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया. लंबे कानूनी झगड़े के बाद अयोध्या में विशाल राम मंदिर निर्माण होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया.
तस्वीर: AFP/P. Singh
राम मंदिर की नींव
नरेंद्र मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर की नींव में नौ शिलाएं रखीं. भूमि पूजन का शुभ मुहूर्त 12 बजकर 44 मिनट पर था. तय कार्यक्रम के मुताबिक पूरे विधि विधान से पूजा पाठ किया गया. अयोध्या पहुंचकर सबसे पहले मोदी ने हनुमान गढ़ी जाकर दर्शन किए और आरती उतारी. टीवी चैनलों पर सुबह से ही कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया जा रहा था.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
राम के दर्शन
मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास करने के बाद कहा कि राम मंदिर राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक है. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "आज पूरा देश राममय और हर मन दीपमय है. सदियों का इंतजार समाप्त हुआ." सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दशकों पुराने मामले का निबटारा करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था. मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन मिली है.
तस्वीर: IANS
राम भक्तों का जश्न
राम मंदिर निर्माण की नींव रखे जाने से भारत में राम भक्तों के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी. कोरोना वायरस की वजह से राम मंदिर भूमि पूजन के लिए सीमित संख्या में मेहमानों को आमंत्रित किया गया था. ज्यादातर लोगों ने ढोल और नगाड़े बजाकर अपनी खुशी का इजहार किया. इस तस्वीर में बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ता जश्न मनाते दिख रहे हैं. राम मंदिर आंदोलन के सहारे ही बीजेपी सत्ता के शिखर तक पहुंच पाई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Nanu
खुशी से झूमती महिलाएं
नई दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद के कार्यालय के बाहर महिलाएं खुशी से झूमती हुईं. राम मंदिर के लिए वीएचपी, आरएसएस और बीजेपी ने आंदोलन चलाया. आंदोलन से जुड़े दो वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh
पटाखों के साथ खुशी
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखने के बाद नई दिल्ली में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़े और हवा में रंग उड़ाए. कई शहरों में राम भक्तों ने लड्डू बांटे और एक दूसरे को इस अवसर पर बधाई दी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Sharma
खास मेहमान
पिछले कई महीनों से अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास को लेकर हलचल तेज थी और तैयारियां जोरों पर थीं. राम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट ने भूमि पूजन के लिए खास तैयारी की थी. चुनिंदा मेहमानों के अलावा भूमि पूजन के लिए आम लोगों को जाने की इजाजत नहीं थी. लोग दूर से इस पल का गवाह बने.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Kanojia
सीधा प्रसारण
राम मंदिर भूमि पूजन का सीधा प्रसारण टीवी पर किया गया. कोरोना वायरस के कारण लोगों ने बड़ी स्क्रीन पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम देखा. कई शहरों में इसके लिए खास इंतजाम किए गए थे.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
लड्डू का प्रसाद
अयोध्या में प्रसाद के तौर पर पिछले कुछ दिनों से लड्डू बनाने का काम चल रहा था. भूमि पूजन के बाद 1,11,000 डिब्बों में प्रसाद के रूप में देसी घी के लड्डू वितरित किए गए. इन लड्डूओं को कई तीर्थ क्षेत्रों में वितरित भी किया जाएगा.
तस्वीर: IANS
अयोध्या में सैनिटाइजेशन
कोरोना वायरस के कारण पूरी अयोध्या नगरी को सैनिटाइज किया गया. तमाम रास्तों, गलियों, मंदिरों और भूमि पूजन से जुड़ी जगहों को स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सैनिटाइज किया. भूमि पूजन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा, "कोरोना से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन का कार्यक्रम मर्यादाओं के बीच हो रहा है."
तस्वीर: Reuters/P. Kumar
सख्त पहरा
अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के पहले ही सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी. भूमि पूजन से पहले ही अयोध्या में तीन चक्र की सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे. स्थानीय पुलिस, अर्धसैनिक बल और एसपीजी के जवान तैनात किए गए थे.
तस्वीर: Reuters/P. Kumar
अयोध्या
अयोध्या में पिछले कुछ हफ्तों से सजावट का काम चल रहा था. जगह-जगह दीवारों पर राम के चित्र बनाए गए और सड़कों पर रंगोली बनाई गई. सरयू नदी पर मंगलवार से ही मनमोहक नजारा दिख रहा है. नदी के किनारे को भूमि पूजन के लिए रंगीन रोशनी और रंगोली से सजाया गया.
तस्वीर: Reuters/P. Kumar
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हिंदी राज्यों में गजब का उत्साह
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में लोग या तो अयोध्या पहुंच रहे हैं या फिर राम मंदिर के उद्घाटन के बाद वहां जाने की योजना बना रहे हैं. जो अभी अयोध्या नहीं जा पा रहे हैं, वो स्थानीय स्तर पर या अपने घरों में ही विशेष पूजा या रामायाण पाठ कराने की सोच रहे हैं.
22 जनवरी को बिहार की राजधानी पटना के डाकबंगला चौराहे को 51 हजार दीपों से रोशन करने की तैयारी है. जानकारी के मुताबिक, पटना की विभिन्न पूजा समितियों और व्यापारिक संगठनों ने घरों में दीप जलाने के लिए लोगों के बीच सवा लाख दीप बंटवाए हैं. वहां 21 और 22 जनवरी को विभिन्न जगहों पर दीपोत्सव के साथ-साथ भजन कीर्तन, अखंड पाठ और प्रभात फेरी की तैयारी है.
जमशेदपुर, रांची, धनबाद और हजारीबाग जैसे झारखंड के बड़े शहरों में भी ऐसी ही तैयारी दिख रही है. जमशेदपुर की एक निजी कंपनी में काम करने वाले मिथलेश झा ने बताया कि उनके समाज के जो लोग इस अवसर पर अयोध्या जा नहीं पाए, वो 22 जनवरी को घरों में दीपावली की तरह दीप जलाकर खुशियां मनाएंगे.
झारखंड के पीयूष अग्रवाल की 85 वर्षीय दादी ने राम मंदिर के लिए 32 साल "मौन व्रत" रखा. पीयूष बताते हैं, "हमारे मारवाड़ी समाज में बहुत उत्साह है. समाज के अधिकांश परिवारों के मुखिया अयोध्या जाने की तैयारी कर रहे हैं. उनके लौट आने के बाद अन्य सदस्य वहां जाएंगे."
हिंदू समाज के अंदर राम मंदिर को लेकर जैसा उत्साह देखा जा रहा है, उस पर प्रोफेसर अपूर्वानंद कहते हैं हिंदुओं की एक एक बड़ी आबादी के दिमाग में यह बात बिठा दी गई है कि यह एक बहुत बड़ी घटना है. अपूर्वानंद कहते हैं, "उन्हें यकीन दिला दिया गया है कि 800 साल पहले हिंदुओं के साथ जो नाइंसाफी हुई थी, उसका यह बदला है. यह एक राष्ट्रीय महत्व की घटना है. यह सिर्फ एक मंदिर का उद्घाटन नहीं है, बल्कि उससे कहीं ज्यादा बड़ी चीज है."
अपूर्वानंद आगे कहते हैं, "हिंदू आबादी को यकीन है कि यह मौका सिर्फ अयोध्या तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे राष्ट्र के लिए, बल्कि पूरे हिंदू समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसी वजह से उनके भीतर उत्साह है, जो दिखता तो स्वाभाविक है, लेकिन यह स्वाभाविकता पिछले 40-50 साल में पैदा की गई है." आरएसएस के अभियान पर अपूर्वानंद कहते हैं कि "यह मुहिम सिर्फ उत्तर भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह दक्षिण भारत के राज्यों तक फैली हुई है भले ही वहां के अधिकतर लोग उनका विरोध करते हों."
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तस्वीर: dpa - Bildarchiv
1528
कुछ हिंदू नेताओं का दावा है कि इसी साल मुगल शासक बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी.
तस्वीर: DW/S. Waheed
1853
इस जगह पर पहली बार सांप्रदायिक हिंसा हुई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. E. Curran
1859
ब्रिटिश सरकार ने एक दीवार बनाकर हिंदू और मुसलमानों के पूजा स्थलों को अलग कर दिया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D .E. Curran
1949
मस्जिद में राम की मूर्ति रख दी गई. आरोप है कि ऐसा हिंदुओं ने किया. मुसलमानों ने विरोध किया और मुकदमे दाखिल हो गए. सरकार ने ताले लगा दिए.
तस्वीर: DW/Waheed
1984
विश्व हिंदू परिषद ने एक कमेटी का गठन किया जिसे रामलला का मंदिर बनाने का जिम्मा सौंपा गया.
तस्वीर: DW/S. Waheed
1986
जिला उपायुक्त ने ताला खोलकर वहां हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी. विरोध में मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.
तस्वीर: AFP/Getty Images
1989
विश्व हिंदू परिषद ने मस्जिद से साथ लगती जमीन पर मंदिर की नींव रख दी.
तस्वीर: AP
1992
वीएचपी, शिव सेना और बीजेपी नेताओं की अगुआई में सैकड़ों लोगों ने बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई की और उसे गिरा दिया.
तस्वीर: AFP/Getty Images
जनवरी 2002
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दफ्तर में एक विशेष सेल बनाया. शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुस्लिम नेताओं से बातचीत की जिम्मेदारी दी गई.
तस्वीर: AP
मार्च 2002
गोधरा में अयोध्या से लौट रहे कार सेवकों को जलाकर मारे जाने के बाद भड़के दंगों में हजारों लोग मारे गए.
तस्वीर: AP
अगस्त 2003
पुरातात्विक विभाग के सर्वे में कहा गया कि जहां मस्जिद बनी है, कभी वहां मंदिर होने के संकेत मिले हैं.
तस्वीर: CC-BY-SA-Shaid Khan
जुलाई 2005
विवादित स्थल के पास आतंकवादी हमला हुआ. जीप से एक बम धमाका किया गया. सुरक्षाबलों ने पांच लोगों को गोलीबारी में मार डाला.
तस्वीर: AP
2009
जस्टिस लिब्रहान कमिश्न ने 17 साल की जांच के बाद बाबरी मस्जिद गिराये जाने की घटना की रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया गया.
तस्वीर: AP
सितंबर 2010
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विवादित स्थल को हिंदू और मुसलमानों में बांट दिया जाए. मुसलमानों को एक तिहाई हिस्सा दिया जाए. एक तिहाई हिस्सा हिंदुओं को मिले. और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए. मुख्य विवादित हिस्सा हिंदुओं को दे दिया जाए.
तस्वीर: AP
मई 2011
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित किया.
तस्वीर: AP
मार्च 2017
रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को यह विवाद आपस में सुलझाना चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
मार्च, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की मध्यस्थता के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई. श्रीश्री रविशंकर, श्रीराम पांचू और जस्टिस खलीफुल्लाह इस समिति के सदस्य थे. जून में इस समिति ने रिपोर्ट दी और ये मामला मध्यस्थता से नहीं सुलझ सका. अगस्त, 2019 से सुप्रीम कोर्ट ने रोज इस मामले की सुनवाई शुरू की.
तस्वीर: DW/V. Deepak
नवंबर, 2019
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला दिया कि विवादित 2.7 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनेगा जबकि अयोध्या में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन सरकार मुहैया कराएगी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Armangue
अगस्त, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.