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समाज

बलात्कार कानून बदला, 75 फीसदी से ज्यादा दोषी शिकंजे में

२३ जून २०२०

बलात्कार का मतलब क्या होता है? किसी अनजान द्वारा किया हमला या सहमति के बिना बनाया गया संबंध? दो साल पहले स्वीडन में इस पर खूब चर्चा हुई. कानून बदला और अब असर दिख रहा है.

Libanon Beirut Protest Gewalt gegen Frauen
तस्वीर: AFP/Abaad/P. Baz

2018 में स्वीडन में बलात्कार की परिभाषा को बदला. बिना सहमति के सेक्स को बलात्कार माना गया. साथ ही अदालत में यह साबित करने की जरूरत भी नहीं रही कि डरा धमका कर किसी के साथ जोर जबरदस्ती की गई हो. ऐसे में पिछले दो सालों में अदालत के फैसलों का साफ फर्क दिखाई दिया. जहां 2017 में 190 लोग बलात्कार के दोषी साबित हुए थे, वहीं 2019 में यह संख्या 333 पहुंच गई.

स्वीडन के नेशनल काउंसिल ऑन क्राइम प्रिवेंशन का कहना है कि आंकड़े दिखाते हैं कि जितना सोचा गया था उससे भी बेहतर नतीजे मिल रहे हैं. काउंसिल की वरिष्ठ रिसर्चर स्टीना होल्मबर्ग का कहना है, "हमें यह देख कर हैरानी हुई कि संख्या में इतनी वृद्धि हुई है. यह एक अच्छा संकेत है. बलात्कार पीड़ितों को अब अधिक न्याय मिल पा रहा है." उन्होंने कहा कि वो उम्मीद करती हैं कि अब स्कूलों और घरों में भी इस बारे में ज्यादा चर्चा हो सकेगी.

महिला अधिकार संगठन अब दूसरे देशों से भी इस राह पर चलने का अनुरोध कर रहे हैं. स्वीडन में एमनेस्टी इंटरनेशनल की सीनियर एडवायजर कातारीना बेरगेहेड का कहना है, "यह दिखाता है कि दूसरे देशों को फौरन कदम उठाने की जरूरत है. यौन संबंध केवल सहमति से बनाए जा सकते हैं. बाकी सब बलात्कार है."

ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, साइप्रस, जर्मनी, ग्रीस, आइसलैंड, आयरलैंड और लक्जमबर्ग वे देश हैं जहां "सेक्स विदाउट कंसेंट" यानी बिना सहमति के सेक्स को बलात्कार की श्रेणी में रखा गया है. वहीं डेनमार्क, फिनलैंड, स्पेन और पुर्तगाल ऐसा करने की दिशा में काम कर रहे हैं.

यूरोप में इस हफ्ते क्या रही हलचल, देखिए.

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कातारीना बेरगेहेड बताती हैं कि आज भी लोग यह मानते हैं कि बलात्कार का मतलब किसी अनजान शख्स द्वारा हमला होता है, जबकि स्वीडन में चल रहे मुकदमों का जब ब्यौरा लिया गया, तो पता चला कि लगभग हर बलात्कार पीड़ित आरोपी को पहले से जानती थी. वह कहती हैं, "ये पूर्वाग्रह पीड़ितों की मदद नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे उन्हें और असमंजस में डाल देते हैं कि उनके साथ जो हुआ वह बलात्कार था या नहीं." उन्होंने बताया कि ज्यादातर मामलों में औरतें खुद को ही दोष देती हैं, खास कर अगर बलात्कार के वक्त वे सदमे के कारण खुद को बचाने की कोशिश ना कर पाई हों.

पुलिस और अदालत अकसर महिला से यह सवाल करती है कि खुद को बचाने के लिए उसने क्या किया, जबकि सच्चाई यह है कि ज्यादातर मामलों में महिलाएं बलात्कार के दौरान सदमे के कारण एक टेंपररी परैलिसिस का अनुभव करती हैं. कातारीना बेरगेहेड ने बताया कि स्वीडन में हुए एक शोध के अनुसार 70 फीसदी महिलाएं "फ्रोजन फ्राइट" की अवस्था में चली गईं यानी डर के कारण वे एकदम जम गईं. 

स्वीडन में 2019 में बलात्कार के 5,930 मामले सामने आए, जबकि 2017 में यह संख्या 4,895 थी. कातारीना बेरगेहेड के अनुसार ज्यादातर मामले अदालत तक पहुंचते ही नहीं और यौन अपराधों को लेकर पुलिस में भी संवेदनशीलता कम ही दिखती है. वहीं पुलिस पिछले साल से घरेलू हिंसा और यौन अपराध के मामलों की जांच के लिए स्टाफ को बढ़ाने की बात करती रही है.

आईबी/एके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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