विशिष्ट महिला को विशेष सुरक्षा लेकिन बाकियों का क्या
ऋतिका पाण्डेय२७ जुलाई २०१६
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रिलायंस इंडस्ट्रीज परिवार की नीता अंबानी जैसे अपने "मित्रों" को खास सुरक्षा देने और बाकियों को उनके हाल पर छोड़ देने का आरोप लगाया है.
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गृह मंत्रालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी को 'वाई' श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करने का फैसला किया है. इस श्रेणी के तहत दस हथियारबंद लोग हर वक्त उनकी सुरक्षा के लिए उनके साथ होंगे. इस खबर के आते ही दिल्ली के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी पर केवल अंबानी जैसे अपने "दोस्तों" की चिंता करने और दिल्ली की महिलाओं को उनके बुरे हाल पर छोड़ देने का आरोप जड़ दिया. आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे लेकर एक के बाद एक कई ट्वीट किए.
राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हालात लगातार खराब हुए हैं. बार बार बलात्कार की शिकार बनायी गयी एक 14 साल की किशोरी की मौत पर राजनीति गर्माई हुई है. उसे ना केवल फिर से अगवा कर उसके साथ बलात्कार हुआ, बल्कि उसे ऐसा तरल पदार्थ पिलाया गया जिससे भीतर से उसके अंग जल गए और अंतत: तड़प तड़प कर उसकी मौत हो गई. इस किशोरी के माता-पिता एक अस्पताल में सफाईकर्मी हैं. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इस घटना पर निर्भया कांड को फिर से याद करते हुए लिखा.
एक दूसरे मामले में एक 4 साल की बच्ची के बलात्कार की भी खबरें आई हैं. इसके अलावा हरियाणा के एक मामले में एक 20 वर्षीया छात्रा को तीन साल बाद बलात्कारियों के उसी समूह ने फिर से अपना निशाना बनाया, जिनके खिलाफ पहले से ही बलात्कार का मामला दर्ज था. पीड़िता का आरोप है कि वे उस पर पुलिस से मामला वापस लेने का दबाव डाल रहे थे.
ऐसे होती है बलात्कार पीड़िता की मेडिकल जांच
सामाजिक कार्यकर्ता सरकारों पर यौन हिंसा के मामले में कोई प्रभावी कदम ना उठाने का आरोप लगा रहे हैं. 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंग रेप कांड के बाद से महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर सभी दलों ने राजनीति तो खूब की है लेकिन स्थिति अब भी जस के तस है.
देखिए कहां महिलाएं सबसे असुरक्षित हैं
यहां महिलाएं सबसे असुरक्षित हैं
एक नजर महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक 5 देशों पर जिनकी सूची थॉम्पसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने निकाली है.
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अफगानिस्तान
इस देश में बचपन से ही महिलाओं के लिए जीवन कठिनाइयों से भरा है. 87 फीसदी महिलाएं अशिक्षित हैं और 70 से 80 फीसदी की जबरन शादी कर दी जाती है. गर्भधारण के दौरान हजार में 4 महिलाएं जान गंवा देती हैं. यहां घरेलू हिंसा के मामले भी बेहद आम हैं.
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कांगो गणराज्य
दुनिया भर में सेक्स संबंधित हिंसा में कांगो सबसे आगे है. अमेरिकी जनस्वास्थ्य पत्रिका के मुताबिक कांगो में हर रोज 1,150 महिलाओं के साथ बलात्कार होता है. महिलाओं के स्वास्थ्य की स्थिति भी बहुत खराब है. 57 फीसदी गर्भवती महिलाएं खून की कमी से जूझ रही होती हैं.
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पाकिस्तान
पाकिस्तान में कई पारंपरिक रीति रिवाज महिलाओं के लिए काफी सख्त हैं. पाकिस्तान के मानव अधिकार आयोग के मुताबिक हर साल करीब 1000 महिलाओं और बच्चों को ऑनर किलिंग के कारण जान गंवानी पड़ती है. 90 फीसदी महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हैं.
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भारत
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के बावजूद भारत में सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले आम हैं. भारत को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देशों में गिना जाता है. रिसर्चरों के मुताबिक पिछले तीन दशकों में 5 करोड़ भ्रूण हत्या के मामले हुए हैं.
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सोमालिया
गर्भावस्था के दौरान होने वाली मौतें, बलात्कार, महिलाओं का खतना और जबरन शादी सोमालिया की महिलाओं के लिए बड़ी समस्या है. देश में कानूनों की कमी है. 4-11 साल की 95 फीसदी लड़कियों का खतना कर दिया जाता है. केवल 9 फीसदी मांए ही सही चिकित्सकीय मदद से बच्चे को जन्म दे पाती है.
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राजधानी दिल्ली में 2012 के वीभत्स यौन हिंसा कांड के बाद जनता सड़कों पर उतरी थी और महिला सुरक्षा और यौन हिंसा को लेकर कानूनों को कड़ा बनाया गया था. दोषी सिद्ध होने पर दी जाने वाली जेल की सजा को बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया और ताकझांक करने, पीछा करने जैसी हरकतों को अपराध माना गया. लेकिन लगातार सामने आते यौन हिंसा और अपराध के मामले दिखाते हैं कि केवल कड़े कानूनों से देश महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं हो सकता.
देखिए क्यों होते हैं बलात्कार
क्यों होते हैं बलात्कार?
भारत में रोजाना औसतन 92 महिलाओं का बलात्कार होता है. जब भी किसी महिला के साथ यह जघन्य अपराध होता है, कभी सवाल उसके कपड़ों तो कभी देर रात घर से बाहर रहने पर उठाए जाते हैं. क्या महिलाओं पर बंदिशें लगाना ही है उपाय?
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तन ढकने की जरूरत
मानव सभ्यता की शुरुआत से ही मौसम की मार से बचने के लिए शरीर को ढकने की जरूरत महसूस की गई. बीतते समय के साथ जानवरों की छाल पहनने से लेकर आज इतने तरह के कपड़े मौजूद हैं. जीवनशैली के आसान होने के साथ साथ कपड़ों के ढंग भी बदले हैं और अब यह अवसर, माहौल, पसंद और फैशन के हिसाब से पहने जाते हैं. फिर पूरे बदन को ढकने वाले कपड़ों पर जोर क्यों?
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अंग प्रदर्शन यानि बलात्कारियों को न्यौता
भारत में बलात्कार के ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पीड़िता ने सलवार कमीज और साड़ी जैसे भारतीय कपड़े पहने हुए थे. उनपर हमला करने वाले पुरुषों ने अपनी सेक्स की भूख के कारण संतुलन खो दिया. ऑनर किलिंग के कई मामलों में किसी महिला को सबक सिखाने के मकसद से उस पर जबरन यौन हिंसा की गई और फिर जान से मार डाला गया. इन सबके बीच कपड़ों पर तो किसी का ध्यान नहीं गया.
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कानून का डर नहीं
संयुक्त राष्ट्र ने 2013 में एशिया प्रशांत क्षेत्र में किए अपने सर्वे में पाया गया कि सर्वे में शामिल हर चार में एक पुरुष ने अपने जीवन में कम से कम एक बार किसी महिला का बलात्कार किया है. इनमें से 72 से लेकर 97 फीसदी मामलों में इन पुरुषों को किसी कानूनी कार्यवाई का सामना नहीं करना पड़ा था.
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मनोरंजन का साधन हैं यौन अपराध
उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ इतने ज्यादा यौन अपराधों का कारण प्रदेश की पुलिस ने वहां मोबाइल फोनों के बढ़ते इस्तेमाल, पश्चिमी देशों के बुरे असर और छोटे कपड़ों को ठहराया. लोगों को सुरक्षा देने की अपनी जिम्मेदारी में पूरी तरह विफल पुलिस का कहना है कि मनोरंजन के बहुत कम साधन होने के कारण पुरुष यौन अपराधों को अंजाम देने लगते हैं.
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महिलाओं से मिल रही है चुनौती
सड़कों, ऑफिसों या किसी सार्वजनिक स्थान पर कई बार महिलाओं के कपड़े नहीं बल्कि उनके चेहरे से झलकता आत्मविश्वास, स्वच्छंद रवैया और अब तक पुरुषों के कब्जे में रहे कई क्षेत्रों में उनकी पहुंच कई पुरुषों को बौखला रही है. सदियों से स्थापित पुरुषसत्तात्मक समाज के समर्थक ऐसी औरतों को सामाजिक संतुलन को बिगाड़ने का जिम्मेदार मानते हैं और यौन हिंसा कर उन्हें समाज में उनकी सही जगह दिखाने की कोशिश करते हैं.
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महिलाओं को ज्यादा बड़ा खतरा किससे
दुनिया के सबसे युवा देश में आज बलात्कार महिलाओं के खिलाफ चौथा सबसे बड़ा अपराध बन चुका है. नेशनल क्राइम ब्यूरो की 2013 रिपोर्ट बताती है कि साल दर साल दर्ज होने वाले इन करीब 98 फीसदी मामलों में बलात्कारी पीड़ित का जानने वाला था. ज्यादातर मामले जो प्रकाश में आते हैं वे सार्वजनिक जगहों पर अनजान लोगों द्वारा किए गए होते हैं जिस कारण इस सच्चाई पर ध्यान नहीं जाता.
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एक कदम आगे, दो कदम पीछे
एक ओर पहले के मुकाबले ज्यादा लड़कियां पढ़लिख रही हैं और कार्यक्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं. दूसरी ओर इस कारण वे शादी और बच्चे देर से पैदा कर रही हैं. भारत में शादी के पहले शारीरिक संबंध बनाने के मामले समाज के लिए असहनीय और खतरा बताए जाते हैं. इस कारण बहुत से युवा पुरुष को अपनी यौन इच्छा पूरी करने का कोई स्वस्थ तरीका नहीं मिलता और कई बार यही यौन हिंसा का कारण बनता है.
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हिंसा का चक्र गर्भ से ही शुरु
भारत में अजन्मे बच्चे की लिंग जांच कर मादा भ्रूण को गर्भ में ही मार देने की घटनाएं आम हैं. जो लड़कियां जन्म ले पाती हैं वे संख्या में इतनी कम हैं कि समाज का संतुलन बिगड़ गया है. स्त्री-पुरुष अनुपात के मामले में भारत 1970 से भी नीचे आ गया है. इसके अलावा बाल विवाह, कम उम्र में मां बनना, प्रसव से जुड़ी मौतें और घरेलू हिंसा के लिए भी क्या छोटे कपड़ों को ही जिम्मेदार मानेंगे.