आरबीआई ने एक नई यूपीआई सेवा शुरू की है जिसकी मदद से बिना स्मार्टफोन वाले उपभोक्ता भी यूपीआई के जरिए डिजिटल लेन देन कर सकेंगे. जानिए आरबीआई के इस नए कदम के बारे में.
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अभी तक यूपीआई सेवा का कुशलता से इस्तेमाल सिर्फ स्मार्टफोनों पर ही किया जा सकता था. लेकिन यूपीआई123 नाम की इस नई सेवा की मदद से अब फीचर फोन पर भी यूपीआई का इस्तेमाल किया जा सकेगा.
फीचर फोन यानी वो फोन जिनपर बटन वाले कीपैड होते हैं और टचस्क्रीन डिस्प्ले नहीं होता है. इनमें एप्पल के आईओएस और गूगल के एंड्रॉयड जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं होते हैं और सीमित इंटरनेट और मल्टीमीडिया सुविधाएं होती हैं.
आरबीआई के अनुसार भारत में 40 करोड़ लोग इसी तरह के फोन का इस्तेमाल करते हैं और यूपीआई123 सेवा के जरिए अब वो लोग भी यूपीआई का इस्तेमाल कर पाएंगे.
इस सेवा के तहत उपभोक्ताओं को चार विकल्प मिलेंगे. सबसे पहले तो एक विशेष ऐप मिलेगा जिसके जरिए फीचर फोन वाले उपभोक्ता भी स्मार्टफोन उपभोक्ताओं की तरह यूपीआई का इस्तेमाल कर पाएंगे.
दूसरा, उन्हें एक मिस्ड कॉल सेवा भी मिलेगी जिसके जरिए वो एक नंबर पर मिस्ड कॉल दे कर अपने बैंक खाते से पैसों का लेन देन, भुगतान आदि कर पाएंगे.
यह नंबर दुकानों पर उपलब्ध रहेगा जहां उपभोक्ता इसे देख पाएंगे और इस पर मिस्ड कॉल दे पाएंगे. उसके बाद उनके फीचर फोन पर एक फोन आएगा जिस पर बात करने के दौरान वो अपना यूपीआई पिन डाल कर लेन देन को प्रमाणित कर सकेंगे.
बढ़ रहा यूपीआई का इस्तेमाल
तीसरा, पहले से दिए गए इंटरैक्टिव वॉयस रिस्पॉन्स (आईवीआर) नंबरों पर फोन कर यूपीआई के जरिए भुगतान और पैसों का लेन देन संभव हो सकेगा. चौथा, ध्वनि आधारित तकनीक के जरिए ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल कर डाटा संचार संभव हो सकेगा.
यूपीआई तुरंत भुगतान करने की एक डिजिटल प्रणाली है जिसे भारत सरकार के राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने 2016 में शुरू किया था. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि वित्त वर्ष 2021 में कुल 4100 अरब रुपयों का लेन देन यूपीआई पर हुआ था, लेकिन 2022 में इसने बढ़ कर 7600 अरब रुपयों का मकाम छू लिया.
उन्होंने आशा जताई कि जल्द ही यह आंकड़ा 10,000 अरब रुपयों के स्तर तक पहुंच जाएगा. यूपीआई123 के अलावा आरबीआई ने "डीजीसाथी" नाम की 24 घंटों की एक हेल्पलाइन भी शुरू की है, जिसका इस्तेमाल डिजिटल भुगतान से जुड़ी किसी भी जानकारी को हासिल करने के लिए किया जा सकता है.
इसके अंतर्गत डीजीसाथी डॉट इंफो नाम की वेबसाइट, एक निशुल्क टेलीफोन नंबर, एक पांच अंकों का नंबर और चैटबॉट सेवा शुरू की गई है. इन सेवाओं पर ऑटोमेटेड जवाब उपलब्ध रहेंगे और धीरे धीरे इन जवाबों को बढ़ाया जाएगा.
हो जाइए सावधान, ये हैं साइबर फ्रॉड के नए तरीके
तकनीक तेजी से बदल रही है और साथ ही बदल रही है धोखाधड़ी करने की तकनीक भी. आजकल साइबर ठगों के निशाने पर बैंक खाते भी आ गए हैं और अनजान लिंक पर क्लिक करने भर से आपके पैसे गायब हो सकते हैं. यहां जानिए कैसे रह सकते हैं सतर्क.
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व्हाट्सऐप कॉल से फर्जीवाड़ा
अगर आपको व्हाट्सऐप पर किसी अनजान नंबर से वॉयस कॉल आती है तो आप सावधान हो जाइए क्योंकि फोन करने वाला आपको ठग सकता है. इस वारदात को अंजाम देने के बाद आपके नंबर को ब्लॉक कर सकता है. वॉयस कॉल करने वाला अपनी ट्रिक में फंसाकर आपके पैसे हड़प सकता है.
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यूपीआई
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस के जरिए किसी को भी आसानी से पैसे भेजे या मंगाए जा सकते हैं. यूपीआई के जरिए ठग किसी व्यक्ति को डेबिट लिंक भेज देता है और जैसे ही वह उस लिंक पर क्लिक कर अपना पिन डालता है तो उसके खाते से पैसे कट जाते हैं. इससे बचने के लिए अनजान डेबिट रिक्वेस्ट को तुरंत डिलीट कर देना चाहिए. अजनबियों के लिंक भेजने पर क्लिक ना करें.
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एटीएम क्लोनिंग
पहले सामान्य कॉल के जरिए ठगी होती थी लेकिन अब डाटा चोरी कर पैसे खाते से निकाले जा रहे हैं. ठग हाईटेक होते हुए कार्ड क्लोनिंग करने लगे हैं. एटीएम कार्ड लोगों की जेब में ही रहता है और ठग पैसे निकाल लेते हैं. एटीएम क्लोनिंग के जरिए आपके कार्ड की पूरी जानकारी चुरा ली जाती है और उसका डुप्लीकेट कार्ड बना लिया जाता है. इसलिए एटीएम इस्तेमाल करते वक्त पिन को दूसरे हाथ से छिपाकर डालें.
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कार्ड के डाटा की चोरी
एटीएम कार्ड के डाटा की चोरी के लिए जालसाज कार्ड स्कीमर का इस्तेमाल करते हैं, इसके जरिए जालसाज कार्ड रीडर स्लॉट में डाटा चोरी करने की डिवाइस लगा देते हैं और डाटा चुरा लेते हैं. इसके अलावा फर्जी कीबोर्ड के जरिए भी डाटा चुराया जाता है. किसी दुकान या पेट्रोल पंप पर अगर आप अपना क्रेडिट कार्ड स्वाइप कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि कर्मचारी कार्ड को आपकी नजरों से दूर ना ले जा रहा हो.
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क्यूआर कोड स्कैम
क्यूआर यानि क्विक रिस्पांस कोड के जरिए जालसाज ग्राहकों को भी लूटने का काम कर रहे हैं. इसके जरिए मोबाइल पर क्यूआर कोड भेजा जाता है और उसे पाने वाला शख्स क्यूआर कोड लिंक को क्लिक करता है तो ठग उसके मोबाइल फोन का क्यूआर कोड स्कैन कर बैंक खाते से रकम निकाल लेते हैं.
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ई-मेल स्पूफिंग
ई-मेल स्पूफिंग के जरिए ठग ऐसी ई-मेल आईडी बना लेते हैं जो नामी गिरामी कंपनियों से मिलती-जुलती होती हैं और फिर सर्वे फॉर्म के जरिए लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर डाटा चुरा लेते हैं. गूगल सर्च के जरिए भी ठगी के मामले सामने आए हैं. जालसाज सर्च इंजन में जाकर मिलती जुलती वेबसाइट बनाकर अपना नंबर डाल देते हैं और अगर कोई सर्च इंजन पर कोई खास चीज तलाशता है तो वह फर्जी साइट भी आ जाती है.
अगर आप ऑनलाइन मैट्रिमोनियल साइट पर पार्टनर की तलाश कर रहे हैं तो जरा सावधान रहिए क्योंकि इसके जरिए भी ठगी हो रही है. गृह मंत्रालय के साइबर सुरक्षा विभाग के मुताबिक ऑनलाइन वैवाहिक साइट पर चैट करते वक्त निजी जानकारी साझा ना करें और साइट के लिए अलग से ई-मेल आईडी बनाएं और बिना किसी पुख्ता जांच किए निजी जानकारी साझा करने से बचें.
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बैंक खातों की जांच
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक खातों की नियमित जांच करनी चाहिए और अस्वीकृत लेनदेन के बारे में तुरंत अपने बैंक को जानकारी देनी चाहिए.
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नौकरी का झांसा
कई जॉब पोर्टल संक्षिप्त विवरण को लिखने, विज्ञापित करने और जॉब अलर्ट के लिए फीस लेते हैं, ऐसे पोर्टलों को भुगतान करने से पहले, वेबसाइट की प्रमाणिकता और समीक्षाओं की जांच करना जरूरी है.
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सतर्कता जरूरी
ऑनलाइन लेनदेन करते समय मोबाइल फोन या कंप्यूटर पर किसी ऐसे लिंक को क्लिक ना करे जिसके बारे में आप सुनिश्चित ना हो. सॉफ्टवेयर डाउनलोड करते समय भी सुनिश्चित कर लें कि वेबसाइट वेरिफाइड हो.
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बैंकों की जिम्मेदारी
साइबर अपराध को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी दिशा-निर्देश बनाए हैं जिनके तहत बैंकों को साइबर सुरक्षा के पैमाने को और सुधारना, ग्राहकों के डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना और साइबर अपराध रोकने के लिए बैंक ग्राहकों को जागरुक करना शामिल हैं.