टेस्ट के दायरे के बाहर घूमते कोरोना संक्रमित करोड़ों लोग
९ अप्रैल २०२०
आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक दुनिया भर में कोरोना वायरस के अब तक 15 लाख से ज्यादा केस आ चुके हैं. लेकिन एक प्रतिष्ठित जर्मन यूनिवर्सिटी के दो जर्मन रिसर्चरों का दावा है कि असली संख्या करोड़ों में है.
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जर्मनी की ग्योटिंगन यूनवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक इस बात की बहुत ज्यादा संभावना है कि दुनिया भर की स्वास्थ्य सेवाओं ने जितने मामले दर्ज किए हैं, वे बेहद कम हैं. यूनिवर्सिटी के रिसर्चर क्रिस्टियान बोमर और सेबास्टियान फोलमर का यह शोध हाल ही में द लैसेंट इंफेक्शन डिजीजेज पत्रिका में छपा है.
जर्मन रिसर्चरों के मुताबिक डाटा दिखाता है कि दुनिया भर के देश कोरोना वायरस के औसतन छह फीसदी मामलों का ही पता लगा सके हैं. शोधकर्ताओं का दावा है कि संक्रमित लोगों की असली संख्या इससे कई गुना ज्यादा हो सकती है. यह करोड़ों में जा सकती है.
शोध के लिए कोरोना वायरस संबंधी मृत्यु दर और इंफेक्शन की शुरुआत से मौत तक के जुटाए गए आंकड़ों को आधार बनाया गया. फिर आधिकारिक रूप से दर्ज आंकड़ों की समीक्षा की गई. डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर सेबास्टियान फोलमर कहते हैं, "इन नतीजों का मतलब है कि सरकारों और नीति निर्माताओं को मामलों की संख्या के आधार पर योजना बनाते वक्त बहुत ज्यादा एहतियात बरतनी होगी.”
फोलमर ने चेतावनी देते हुए कहा, "संख्या और अलग अलग देशों में टेस्टिंग की क्वॉलिटी के मद्देनजर इतने बड़े अंतर का अर्थ है कि आधिकारिक रिकॉर्ड सटीक और मददगार जानकारी नहीं दे रहे हैं.” बोमर और फोलमर का अनुमान है कि 31 मार्च 2020 तक जर्मनी में असल में कोविड-19 के करीब 4,60,000 मामले थे. इस हिसाब से जर्मन रिसर्चरों ने अमेरिका में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या 31 मार्च तक एक करोड़ से ज्यादा आंकी हैं. यह मॉडल स्पेन में 50 लाख, इटली में 30 लाख और ब्रिटेन में 20 लाख लोगों के संक्रमित होने का अनुमान लगाता है.
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वहीं जॉन्स हॉपकिंग्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक 9 अप्रैल 2020 तक दुनिया भर में कोविड-19 के कुल 15 लाख से ज्यादा मामले आधिकारिक रूप से दर्ज हुए हैं. जर्मन रिसर्चरों के अनुमान और जॉन्स हॉपकिंग्स के आंकड़ों में बहुत ही बड़ा अंतर है. स्टडी कहती है, "यह शोध पत्र लिखते समय जॉन्स हॉपकिंग्स का डाटा दुनिया भर में 10 लाख से भी कम कंफर्म केस बता रहा है, हमारा अनुमान है कि संक्रमण की संख्या कुछ करोड़ों में है.”
शोध पत्र के लेखकों का दावा है कि अपर्याप्त सुविधाओं और देर से हुई टेस्टिंग के कारण ही इटली और स्पेन जैसे कुछ यूरोपीय देश, जर्मनी के मुकाबले कहीं ज्यादा मौतें देख रहे हैं. शोध में अनुमान लगाया गया है कि जर्मनी में भी कोविड-19 के करीब 15.6 फीसदी मामले ही आधिकाारिक तौर पर दर्ज हुए हैं. इटली में यह संख्या 3.5 और स्पेन में 1.7 प्रतिशत है. अमेरिका (1.6%) और ब्रिटेन (1.2%) में तो डिटेक्शन रेट और भी कम है.
रिसर्चरों ने अपील करते हुए कहा है कि नए मामलों का पता लगाने के लिए देशों को संक्रमित व्यक्ति को अलग थलग करने और उसके संपर्क में आने वाले सभी लोगों को ट्रेस किए जाने की जरूरत है. लेखकों ने चेतावनी देते हुए कहा है, अगर देश ऐसा करने में नाकाम रहे और "वायरस फिर से लंबे समय के लिए छुपा रह गया तो आने वाले समय में यह फिर से नया विस्फोट करेगा.”
दुनिया के जिन शहरों में हर वक्त धड़ाधड़ तस्वीरें खिंची जाती थीं, वहां अब पंछियों के तराने सुनाई पड़ रहे हैं. एक नजर आराम करती धरोहरों पर.
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जर्मनी: म्यूनिख
आल्प्स पहाड़ों की तलहटी पर बसे शहर म्यूनिख का मरीनप्लात्स एक खाली ओपन थिएटर सा दिखता है. कई दशकों बाद यहां ऐसी वीरानी पसरी है.
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इटली: रोम
रोम के इस मशहूर झरने में हर साल लाखों लोग सच्चे प्यार की खातिर सिक्के फेंकते थे. आज बार्कासिया फव्वारा सामने की खाली सीढ़ियों को देख रहा है.
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स्पेन: बार्सिलोना
ला रामब्ला नाम की यह जगह हर दिन सैलानियों और स्थानीय लोगों से ठसाठस भरी रहती थी. लेकिन कोरोना वायरस के चलते अब यह स्ट्रीट कबूतरों के हवाले है.
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फ्रांस: पेरिस
भारत के इंडिया गेट जैसा दिखता ये गेट शॉ एलीजे कहा जाता है. फ्रांस के राष्ट्रपति और देश का दौरा करने वाले विदेशी राष्ट्रप्रमुख इसी रास्ते से गुजरते हैं. इन दिनों यह तस्वीर जैसा लगता है.
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ब्रिटेन: लंदन
थेम्स नदी पर बना यह पुल लंदन की पहचान है. आम तौर पर अप्रैल में नदी में नावें और पुल पर लोगों और गाड़ियों का आवाजाही रहती है. अब सिर्फ कुछ लोग ही पुल के जरिए नदी पार करते हैं.
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तुर्की: इस्तांबुल
रोमन साम्राज्य का चर्च और फिर ओटोमन साम्राज्य की मस्जिद, इस्तांबुल की हाजिया सोफिया इमारत और उसके आस पास का बाग भी इन दिनों आराम फरमा रहा है.
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रूस: मॉस्को
इसी सड़क से पीटर द ग्रेट मॉस्को में दाखिल हुआ. टवेरस्काया स्ट्रीट और उसकी ये इमारतें मॉस्को का दिल हैं. कुछ ही दिनों पहले यहां डिसइंफेक्शन अभियान चलाया गया.
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मिस्र: गीजा का पिरामिड
गीजा के महान पिरामिड तक अब कुछ कर्मचारी ही आते हैं. वे इसकी देखरेख करते हैं. इस पिरामिड ने अभी तक न जाने कितनी बार इंसानी सभ्यताओं को बसते और उजड़ते हुए देखा है.
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सऊदी अरब: मक्का
यह धरती पर मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र जगहों में से एक है. हर साल यहां 30 लाख श्रद्धालु आते हैं. लेकिन इस साल दो अप्रैल से यहां कर्फ्यू लगा है. पूरी तरह ढके कर्मचारी बीच बीच में यहां सफाई करने आते हैं.
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भारत: आगरा
प्यार का प्रतीक ताजमहल अब सिर्फ सुरक्षाकर्मियों की देखरेख में है. यमुना के तट पर स्थित इस नायाब धरोहर को देखने हर साल करोड़ों लोग आते हैं.
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अमेरिका: न्यूयॉर्क
न्यूयॉर्क का टाइम्स स्वेयर लोगों और चहल पहल के बिना भूतिया सा दिखता है. कभी न सोने वाले शहर फिलहाल कोरोना के चलते कोमा में चला गया है.
तीन तरफ से पहाड़ों से घिरने के बावजूद अंतहीन सा लगने वाला बीच, एक चोटी पर ईसा मसीह की हाथ फैलाती विशाल प्रतिमा. कोरोना ने अल्हड़ मिजाज शहर को भी नजर लगा दी.
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ऑस्ट्रेलिया: सिडनी
सिडनी का मशहूर ओपेरा हाउस. ऑस्ट्रेलिया जाने वाले ज़्यादातर पर्यटक इसके आस पास तस्वीर जरूर खिंचते हैं. लेकिन फिलहाल यहां पंछियों के गीत सुनाई पड़ रहे हैं.
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चीन: द ग्रेट वॉल
मार्च अंत में चीन ने आंशिक रूप से सैलानियों के खोला. इससे पहले दो महीने तक यह दीवार भी वीरान हो गई थी. (आंद्रेयास क्रिशहॉफ/ओएसजे)